आलोचना हाँ जी, हाँ जी ही नहीं करते रहें November 13, 2012 / November 12, 2012 | 1 Comment on हाँ जी, हाँ जी ही नहीं करते रहें हाँ जी, हाँ जी ही नहीं करते रहें कभी सच भी कहने का साहस जुटाएँ डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 आजकल बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोगों का जमघट लगा हुआ है जो हमेशा हर काम में हाँ जी, हाँ जी करते रहने के आदी हो गए हैं। इन लोगों को इस बात से कोई सरोकार […] Read more »
चिंतन अन्तर्मुखी भले रहें अन्तर्दुखी न रहें November 10, 2012 / November 9, 2012 | 1 Comment on अन्तर्मुखी भले रहें अन्तर्दुखी न रहें डॉ. दीपक आचार्य लोग मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। अन्तर्मुखी और बहिर्मुखी। बहिर्मुखी लोगों के दिल और दिमाग की खिड़कियाँ बाहर की ओर खुली रहती हैं जबकि अन्तर्मुखी प्रवृत्ति वाले लोगों के मन-मस्तिष्क की खिड़कियां और दरवाजे अन्दर की ओर खुले रहते हैं। आम तौर पर अन्तर्मुखी लोेगों को रहस्यमयी और अनुदार […] Read more » अन्तर्दुखी न रहें अन्तर्मुखी रहें
समाज समय से पहले जवान हो गए हैं बच्चे October 20, 2012 / October 20, 2012 | Leave a Comment समय से पहले जवान हो गए हैं बच्चे ध्यान न रखा तो जल्द ही हो जाएंगे बूढ़े डॉ. दीपक आचार्य इक्कीसवीं सदी का सबसे बड़ा चमत्कार तो यही है कि आजकल समय से पहले जवान हो गए हैं बच्चे। वह जमाना बीत गया जब बच्चों को शिक्षा-दीक्षा देने के लिए हमें मशक्कत करनी पड़ती थी […] Read more »
विविधा कभी कोशिश न करें नासमझों को समझने की October 13, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य दुनिया में कई प्राणी ऐसे होते हैं जिन्हें समझ पाना आम आदमी के बूते में नहीं होता। इनके बारे में यह भी पता नहीं चल पाता कि वे किस तरफ मुड़ने वाले हैं, किस करवट बैठने और सोने वाले हैं तथा क्या करने वाले हैं। इनमें से कई प्राणियों का स्वभाव ही […] Read more »
चिंतन सत्य की राह कठिन जरूर है, October 9, 2012 / October 9, 2012 | Leave a Comment सत्य की राह कठिन जरूर है, पर है असली आनंद देने वाली डॉ. दीपक आचार्य सत्य जीवन का सर्वोपरि कारक है जिसका आश्रय ग्रहण कर लिए जाने पर धर्म और सत्य हमारे जीवन के लिए संरक्षक और मार्गदर्शक की भूमिका में आ जाते हैं और पूरी जिन्दगी इसका सकारात्मक प्रभाव हमारे प्रत्येक कर्म पर तो […] Read more » path of truth
ज्योतिष ज्योतिष के नाम पर भ्रमित न करें October 8, 2012 / October 8, 2012 | 1 Comment on ज्योतिष के नाम पर भ्रमित न करें सीधी और सटीक भविष्यवाणी करें डॉ. दीपक आचार्य ज्योतिष यों तो हमेशा लोकप्रिय रहा है लेकिन इन दिनों इसके प्रति कुछ ज्यादा ही लगाव देखा जा रहा है। जब से टीवी पर ज्योतिष और चमत्कारों की चर्चाएं बढ़ी हैं तब से तो ज्योतिष का ग्लैमर ही कुछ विचित्र होता जा रहा है। लेकिन जिस अनुपात […] Read more » ज्योतिष के नाम पर भ्रमित न करें
चिंतन बापू और शास्त्री को जीवन में उतारना October 2, 2012 / October 2, 2012 | 1 Comment on बापू और शास्त्री को जीवन में उतारना याद करने से ज्यादा जरूरी है बापू और शास्त्री को जीवन में उतारना डॉ. दीपक आचार्य आज का दिन राष्ट्रपति महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुरशास्त्री के नाम समर्पित है। हम दशकों से कई सारे कार्यक्रमों का आयोजन कर एक दिन इन्हें भरपूर याद कर लिया करते हैं। इस एक दिन में हम दोनों को […] Read more »
जन-जागरण महिला साक्षरता पर खास जोर September 13, 2012 / September 13, 2012 | Leave a Comment तालीम से तकदीर सँवारने का अभियान है साक्षर भारत मिशन – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 साक्षरता और शिक्षा ही वह बुनियादी कारक है जिसके माध्यम से व्यक्ति का व्यक्तित्व बनता और निखरता है और इसके बगैर जीवन जीने का आनंद नहीं पाया जा सकता। शिक्षा और साक्षरता से ही मानवीय मूल्यों […] Read more » ’साक्षर भारत मिशन saakshar bharat missipon
चिंतन कर्मधारा में स्पीड ब्रेकर न बनें September 13, 2012 / September 13, 2012 | Leave a Comment कर्मधारा में स्पीड ब्रेकर न बनें खुद करें या औरों को करने दें डॉ. दीपक आचार्य आजकल कर्मयोग की धाराएं प्रदूषित होती जा रही हैं। कार्यसंस्कृति का जबर्दस्त ह्रास होता जा रहा है और ज्यादातर लोग धन के मोह में न अपने कर्म से खुश हैं, न संतोषी। सभी को लगता है कि जो मिल […] Read more »
चिंतन शिक्षा-दीक्षा की आदर्श परंपराएं संस्कारहीनता के आगे बौनी हो गई हैं September 10, 2012 / September 9, 2012 | 2 Comments on शिक्षा-दीक्षा की आदर्श परंपराएं संस्कारहीनता के आगे बौनी हो गई हैं डॉ. दीपक आचार्य शिक्षा-दीक्षा और संस्कार ये जीवन निर्माण के वे बुनियादी तत्व हैं जो व्यक्तित्व के विकास के लिए नितान्त अनिवार्य हैं और इनके संतुलन के बगैर न शिक्षा का महत्त्व है न संस्कारों का। अकेली शिक्षा-दीक्षा और अकेले संस्कारों से व्यक्तित्व के निर्माण और जीवन निर्वाह की बातें केवल दिवा स्वप्न ही हैं। […] Read more » शिक्षा-दीक्षा की आदर्श परंपराएं
चिंतन जो किसी के नहीं हो सकते,वे हो जाते हैं कभी इनके, कभी उनके September 1, 2012 / September 1, 2012 | Leave a Comment डॉं. दीपक आचार्य आज सबसे ज्यादा भरोसा जिस पर से उठने लगा है वह है आदमी। पहले का आदमी नीयत का जितना साफ-सुथरा, सहज और शुद्ध-बुद्ध होता था, उतना आज का आदमी नहीं। उस जमाने का आदमी मन-वचन और कर्म से एकदम स्पष्ट था, उसकी वाणी और आचरण में साम्यता थी और वो जो कहता […] Read more »
चिंतन पीढ़ियाँ करती हैं जयगान सृजन के इतिहास का August 31, 2012 / August 31, 2012 | Leave a Comment डॉ . दीपक आचार्य रचनात्मक प्रवृत्तियाँ और सृजन धर्म हमेशा सर्वोपरि महत्त्व रखता है और यही वह कारण है जो समाज और परिवेश को युगों और सदियों तक जीवन्त बनाये रखते हुए यादगार रहता है। बात चाहे बुनियादी जरूरतों की सहज उपलब्धता की हो या सुख-सुविधाओं और स्वाभिमानी जीवन निर्वाह के लिए जरूरी संसाधनों की। […] Read more »