समाज असम व् बोडो समस्या एक ऐतिहासिक परिपेक्ष में August 16, 2012 / August 16, 2012 | 3 Comments on असम व् बोडो समस्या एक ऐतिहासिक परिपेक्ष में राजीव उपाध्याय असम पर अहोम राजाओं का राज होता था . सारायी घाट के युद्ध में लाचित बर्फुकन के चातुर्य से जीतने के बाद वे मुग़ल राज से बच गये . असम कि समस्याएं सन १८२६ में अंग्रेजों के असम जीतने से शुरू हुयी . १. सन १८३७ में चाय कि खेती शुरू करने के […] Read more » assam riot असम व् बोडो समस्या
हिंद स्वराज जहाँ स्वतंत्रता दिवस का मायने बदल जाता है ! August 15, 2012 / August 16, 2012 | Leave a Comment राजीव पाठक आज 15 अगस्त है.लालकिला फिर से सजा है …..दिल्ली में पतंगे उड़ रही हैं …देश भर में जस्न है …प्रधानमंत्री लालकिला से भारत के बुलंदी के कसीदे पढ़ें हैं …..लेकिन एक और भारत है जो कहीं कराह रहा होगा..दुबका होगा….डरा और सहमा भी होगा….क्यों कि 15 अगस्त उसके लिए मुसीबत लेकर आता है […] Read more » स्वतंत्रता दिवस
मीडिया दिशाहीन होती जा रही है इलेक्ट्रानिक मीडिया August 14, 2012 / August 14, 2012 | 1 Comment on दिशाहीन होती जा रही है इलेक्ट्रानिक मीडिया आशीष तिवारी इक्कीसवीं सदी के भारत में मीडियावी चश्मे से देखने पर अब दो हिस्से साफ नजर आते हैं। एक है भारत जो आज भी गांवों में बसता है और दूसरा है इंडिया जो चकाचैंध भरे शहरों में रहता है। मंथन का केंद्र बिंदु मीडिया की भूमिका हो तो प्रिंट और इलेक्ट्रानिक को अलग अलग […] Read more » इलेक्ट्रानिक मीडिया
कविता कविता:ये मेरा देश August 12, 2012 / August 12, 2012 | Leave a Comment राजेश कुमार ये मेरा देश है, जहां अजीब से किस्से होते हैं रोने वाली बात पर हंसते हैं लोग, और चुटकुलों पर रोते हैं बदलाव की चाह करना बेफकूफी है इस देश में जहां सब मुर्दों की तरह जीए जा रहे हैं। कई तो पी रहे हैं विदेशी शराब यहां और बाकी लोग पानी की […] Read more » कविता:ये मेरा देश
महत्वपूर्ण लेख राजनीति राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार मुस्लिमपरस्त क्यों होते हैं? August 11, 2012 / August 11, 2012 | 8 Comments on राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार मुस्लिमपरस्त क्यों होते हैं? (एक हजार हिन्दुओं का कत्ल करो – राजदीप सरदेसाई) विष्णुगुप्त आईबीएन सेवन के चीफ राजदीप सरदेसाई की असम दंगे पर एक खतरनाक, वीभत्स, रक्तरंजित और पत्रकारिता मूल्यों को शर्मसार करने वाली टिप्पणी से आप अवगत नहीं होना चाहेंगे? राजदीप सरदेसाई ने असम में मुस्लिम दंगाइयों द्वारा हिन्दुओं की हत्या पर खुशी व्यक्त करते हुए सोसल […] Read more » असम दंगा राजदीप सरदेसाई
शख्सियत विवेकानंद : जीवन एवं दर्शन August 11, 2012 / August 11, 2012 | Leave a Comment हरिहर शर्मा भारतीय जीवन दर्शन सनातन, अनादि, अनन्त है। बंगाल में जन्मे एक महान विभूति श्री रामकृष्ण परमहंस इसी दर्शन का मूर्तिमंत स्वरूप थे। वो स्वयं नहीं उनका जीवन बोलता था। उसी दर्शन का मुखर स्वरुप थे स्वामी विवेकानंद। केवल स्वामी नहीं, विश्व विजेता। जिस व्यक्ति ने अपने सम्मुख सारे विश्व को नतमस्तक करा दिया, […] Read more » स्वामी विवेकानंद
राजनीति सियासी चक्र-व्यूह में फंसा लोकपाल August 8, 2012 / August 8, 2012 | 1 Comment on सियासी चक्र-व्यूह में फंसा लोकपाल मनीष प्रसाद पिछले 44 सालों से लोकपाल मुद्दे पर अब तक कोई स्पष्ट रणनीति नहीं बन पाई है। बदलती राजनीति में घोटालों की फेहरिश्त इतनी लम्बी हो चुकी है कि उसे चंद पन्नों में नहीं समेटा जा सकता है। दर असल अन्ना हजारे का आंदोलन देश की राजनीति से नहीं बल्कि अपने चाल,चरित्र, और स्वभाव […] Read more » lokpal चक्र-व्यूह में फंसा लोकपाल लोकपाल
हिंद स्वराज आजादी की लड़ार्इ का अंतिम अध्याय August 8, 2012 / August 8, 2012 | Leave a Comment राजनाथ शर्मा 9 अगस्त पर विशेष 09 अगस्त 1947 भारतीय स्वतत्रता आन्दोलन का अद्वितीय दिन था जिसे इतिहास के पन्नों में अगस्त क्रान्ति के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह आन्दोलन अंगे्रेजों द्वारा हिन्दुस्तानियों पर किये गये जुल्म व अत्याचार पर तीब्र प्रहार था यह आन्दोलन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा अंगे्रेजो भारत छोड़ो […] Read more » 9 अगस्त
खेत-खलिहान कृषि जागरूकता की अधूरी पहल August 3, 2012 / August 3, 2012 | Leave a Comment सतीश कुमार यादव इस साल मौसम की बेरूखी ने जितना किसानों को प्रभावित किया है उससे कहीं अधिक सरकार चिंतित है। अब तक 20 फीसदी कम वर्शा ने सरकार को चिंता में डाल दिया है। अगर हालात यही रहे तो देश को खाद्यान उत्पादन में कमी का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि केंद्र सरकार […] Read more » कृषि
विविधा और भी हैं बदनसीब जफ़र दफ्न के लिए August 3, 2012 / August 3, 2012 | Leave a Comment आशुतोष शर्मा अपने देश से मुहब्बत इंसान की प्राकृतिक देन है। हजारों मील दूर रहने के बावजूद वह जन्मभूमि को चाहकर भी भूल नहीं पाता है। चाहे नौकरी की तलाश में अपनी सरजमीं से दूर हो या फिर शरणार्थी के रूप में उसे वतन छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा हो, देश की मिट्टी की खुशबू […] Read more »
गजल गजल:पालने से लेकर कांधों तक August 2, 2012 / August 2, 2012 | Leave a Comment सुजीत द्विवेदी पालने से लेकर कांधों तक कांपती है ज़िन्दगी, महज़ वक़्त के इशारों पर नाचती है ज़िन्दगी|| मन हुआ पागल क़ि ना जाना चाहे उस छोर तक, जिस ओर सिर्फ कुछ कदम नापती है ज़िंदगी| मरने को मर जाते हैं कुछ लोग यूं ही, कैसे भी, पैगाम-ए-मोहब्बत के साथ मरना चाहती है […] Read more » गजल:पालने से लेकर कांधों तक
खेल जगत गगन में गगन August 1, 2012 / August 1, 2012 | Leave a Comment अभिरंजन कुमार दिन सोमबार, दोपहर का समय सभी ओलम्पिक प्रेमियो कि नज़र टीवी स्क्रीन पर थी . शायद कोई चमत्कार भारतीय खिलाडी कर पाए. 8 स्वर्ण के साथ 14 पदक लेकर चीन शीर्ष पर था. सब यही सोच रहे थे कि आखिर कब हमारे खिलाडी पदक जीत पायेंगे? हमारा देश भी पदको कि तालिका में […] Read more » gagan narang गगन को मिला ब्रोन्ज निशानेबाज गगन नारंग निशानेबाजी में गगन को ब्रोन्ज