धर्म-अध्यात्म लेख कलिकाल का मोक्ष द्वार गंगासागर January 9, 2020 / January 9, 2020 | Leave a Comment सागरद्वीप यानी गंगासागर में स्थित कपिलमुनि मंदिर कितना प्राचीन है इसके बारे में कोई भी दावे से कुछ नहीं कह सकता है। लेकिन कहा जाता है कि आज से पांच हजार वर्ष पहले ही आमलोगों को उक्त धर्म स्थली की जानकारी मिल गयी थी।.योगोश चंद्र राय ने अपने ‘पूजापार्वन‘ ग्रंथ में गंगा सागर का उल्लेख […] Read more » ganga sagar कलिकाल का मोक्ष द्वार कलिकाल का मोक्ष द्वार गंगासागर गंगासागर
धर्म-अध्यात्म धरती का मोक्ष द्वार गंगासागर January 11, 2019 / January 11, 2019 | Leave a Comment गंगा सागर तीर्थयात्रा पर विशेष जगदीश यादव सागरद्वीप यानी गंगासागर में स्थित कपिलमुनि मंदिर के बारे में कहा जाता है कि आज से पांच हजार वर्ष पहले ही आमलोगों को उक्त धर्म स्थली की जानकारी मिल गयी थी। विभिन्न दस्तावेज पुस्तकों व लोगों से मिली जानकारी में पता चलता है कि कभी यह क्षेत्र जल […] Read more »
कहानी साहित्य शव का छलावा January 9, 2019 | Leave a Comment रहस्य कथा जगदीश यादव श्मशान साधना कई तरहों से की जाती है। इस साधना का गूढ़ रहस्य तो वही साधक समझ सकता है जो इसकी जानकारी रखता हो या फिर उसने श्मशान साधना की होगी। बहरहाल आज आपको जो बताने जा रहा हूं वह भी कम रोमांचक नही है। ‘तेलिया मशान’ साधना से साधक किसी भी […] Read more »
विविधा शव का छलावा December 22, 2018 / December 24, 2018 | 1 Comment on शव का छलावा जगदीश यादव शव का छलावा रहस्य कथा जगदीश यादव श्मशान साधना कई तरहों से की जाती है। इस साधना का गूढ़ रहस्य तो वही साधक समझ सकता है जो इसकी जानकारी रखता हो या फिर उसने श्मशान साधना की होगी। बहरहाल आज आपको जो बताने जा रहा हूं वह भी कम रोमांचक नही है। ‘तेलिया […] Read more » शव का छलावा
राजनीति हुजूर ए-आला क्या कह डाला’ December 3, 2018 / December 3, 2018 | Leave a Comment जगदीश यादव पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी मुंगेरीलाल की तरह हसीन सपने देखने लगे हैं। चलिये सपने देखना हर आदमी का एक ऐसा हक होता और साफ कहें तो नींद में आये सपने और दिन दहाड़े ख्याली पुलाव पकाने में अंतर होता है।पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस मुगालते में हैं कि कभी नवजोत […] Read more » करतारपुर कॉरिडोर नवजोत सिंह सिद्धू प्रधानमंत्री इमरान खान राहुल गांधी
विविधा गंगासागर : चलो चलें मोक्षनगर January 7, 2018 / January 7, 2018 | Leave a Comment जगदीश यादव अंग्रेजों ने भी इस देश को साधु-संतों का देश कहा है। भारत की धरती ही एक मात्र जगह है जहां आस्था सिर चढ़कर बोलती है। यहां डुबते सूर्य को भी अर्घ्य प्रदान किया जाताहै। पश्चिम बंगाल की जिस पावन भूमि में गंगा व सागर का संगम होता है उसे गंगासागर कहते हैं। जिसे सागरद्वीप भी कहा जाता है। गंगासागर मेला देश में आयोजित होने वाले तमाम बड़ेमेलों में से एक है। सागरद्वीप यानी गंगासागर में स्थित कपिलमुनि मंदिर के बारे में कहा जाता है कि आज से पांच हजार वर्ष पहले ही आमलोगों को उक्त धर्म स्थली की जानकारी मिलगयी थी। विभिन्न दस्तावेज पुस्तकों व लोगों से मिली जानकारी में पता चलता है कि कभी यह क्षेत्र जल डकैतों के लिये उत्तम क्षेत्र था और यहां उनका दबदबा था। वैसे इस बात की पुष्टी 95वर्ष के वयो वृद्ध सामजसेवी हीरा प्रसाद दुबे भी करते हैं। उन्होंने पुराने दिनों की याद करते हुए बताया कि वह लोग गंगासागर एक सौ वर्ष प्राचीन सेवा संस्था बजरंग परिषद की ओर सेवहां जाते थें। तब वह लोग हाथों में भाला, डंडा व अन्य हथियार लेकर चलते थें। दुर्गम रास्ते पर वह लोग हारकिन की रौशनी में चलते थें और यही हारकिन वहां प्रकाश की व्यवस्था करतीथी। तब कई लोग यहां आने से पहले अपना श्राद्ध करके आते थें कि पता नहीं वह घर वापस जा सकेगें की नहीं। बजरंग परिषद के सेवामंत्री प्रेमनाथ दुबे की माने तो बजरंग परिषद हरवर्ष तीन से चार हजार पुण्यार्थी यहां अपने स्वजनों से अलग होकर बिछड़ जाते हैं और संस्था उनकी देखभाल कर उन्हें उनके घर भेजती है। विभिन्न दस्तावेज पुस्तकों व लोगों से मिलीजानकारी में पता चलता है कि कभी यहां स्वामी विवेकानंद भी आ चुके हैं। गंगासागर क्षेत्र सागर, सुपरीडांगा, अंगूनबाड़ी, घोड़ामारा, लोहाचड़ा जैसे कथित द्वीपों से बना है। ऋंगवेद,भागवद, रामायण, महाभारत व पुराणों में गंगासागर स्थित कपिलमुनि ऋषि का उल्लेख मिलता है। यह यही जगह है जहां धर्ममराज युधिष्ठिर भी यहां स्नान के लिये आये थें। एक ऐसा भीदौर था जब धार्मिक कारणों से लोग यहां सागर व गंगा की संगम स्थली में अपने संतान का विसर्जन भी कर देते थें । लेकिन मार्कस वायलेसी ने वर्ष 1802 में उक्त परम्परा पर सख्ती सेरोक लगा दिया। संतान का विसर्जन की बात का उल्लेख कवि गुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कविता ‘विसर्जन’ में है। स्थानीय लोगों व दस्तावेजों से पता चलता है कि पाल, गुप्त व सेन राजाों नेयहां राज किया था। महाकवि कालीदास से लेकर कवि गुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर की रचनाओं में गंगासागर का उल्लेख मिलता है। गंगासागर मेला की ख्याती यहां वर्ष में एक बार लगने वाले मेले के तौर पर कम बल्कि मोक्षनगरी के तौर पर ही है जहां दुनिया भर से श्रद्धालु एक डुबकी में मोक्ष की कामना लेकर आतेहैं। भगवान विष्णु के अवतारों में एक कपिल मुनि का यहां आश्रम है जो अब भव्यता के साथ संस्कार-निर्माण की ओर है। लगभग चार वर्ष से मंदिर के संस्कार का काम चल रहा था जो किलगभग समापन की ओर ही है। यह मेला विक्रम संवत के अनुसार प्रतिवर्ष पौष माह के अन्तिम दिन लगता है। जिसे हम मकर संक्राति का दिन कहते हैं। बर्फ से धके हिमालय से आरम्भहोकर गंगा नदी धरती पर नीचे उतरती है और कलकल करती मां गंगा हरिद्वार से मैदानी स्थानों पर पहुँचती है। जो कि क्रमशा आगे बढ़ते हुए उत्तर प्रदेश के बनारस, प्रयाग से प्रवाहितहोती हुई बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। यहीं पवित्र पावनी गंगा सागर से मिल जाती है। इस जगह को गंगासागर यानी ‘सागर द्वीप’ कहा जाता है। sagarयह क्षेत्र दक्षिण चौबीस परगनाजिले में है और यहां जिला प्रशासन के द्वारा गंगा सागर मेले का आयेजन किया जाता है। प्रतिवर्ष इस मेले में लगभग दस लाख श्रद्धालु पुण्यस्नान के लिये आते हैं।वैसे जिले के अधिकारियोंऔर कपिलमुनि मंदिर के के मंहत ज्ञानदास के उत्तराधिकारी संजय दास ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि इस साल संगम में मकर संक्रांती के अवसर पर कम से कम 19 से 20 लाखपुण्यार्थी पुण्य स्नान करेंगे। उन्होंने गंगा सागर मेला पर सरकार की पीठ थपथपाते हुए कहा कि हर तरह की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि उनके अनुमान के अनुसार हाजरों कीसंख्या में लोग सागरद्वीप में आकर भीड़ से बचने के लिये पुण्य स्नान कर रहें हैं। उन्होंने कहा कि 15 जनवरी की सुबह 4 बजे लेकर दोपहर के 12 बजे तक मकारसंक्रांति का पुण्य स्नानकाल है। सागर में उदय कुम्भ के एक सवाल पर संजय दास ने कहा कि फिलहाल अगर यहां सेतू बन जाये तो उदय कुम्भ के आयोजन पर सोचा जाएगा। उन्होंने कहा कि पु्ण्यार्थियों कोकिसी बात से डरने की जरुरत नहीं हैं और वह लोग बे खौंफ होकर यहां पउण्य स्नान करें लेकिन वह लोग किसी लावारिस सामान को हाथ नहीं लगाये। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहाकि यहां वीआईपी वीवीआईपी आते हैं लेकिन उनके कारण आम लोगों को परेशानी का सामना भी करना पड़ता है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि राज्य सरकार की व्यवस्था व सुरक्षाचुस्त व चाक चौबंद है। संजय दास ने कहा कि इस वर्ष मकर संक्राति पर कम से कम 20 लाख श्रद्धालु पुण्यस्नान कर सकते हैं। यह स्थान हिन्दुओं के एक विशेष पवित्र स्थल के रूप मेंजाना जाता है। मान्यता है कि कि, गंगासागर की पवित्र तीर्थयात्रा सैकड़ों तीर्थ यात्राओं के समान है। शायद इसलिये ही कहा जाता है कि “हर तीर्थ बार–बार, गंगासागर एक बार।” लेकिनअब सागर तीर्ययात्रा काफी सुगम हो गई जिससे कहा जा सकता है कि, गंगा सागर तीर्थ यात्रा अब बार-बार। मान्यता है कि गंगासागर का पुण्य स्नान अगर विशेष रूप से मकर संक्राति केदिन किया जाए तो उसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है और पुण्यार्थी को इस स्नान का विशेष पुण्य मिलता है। कारण मकर संक्रान्ति के दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि मेंप्रवेश करते हैं। जिसका वैज्ञानिक आधर भी है। गंगासागर में हर देश के तामम जगहों से तीर्य यात्रियों के साथ ही साधु-सन्न्यासी आते हैं और संगम में स्नान कर ये लोग सूर्य देव को अर्ध्यदेते हैं। कपिल मुनि के साथ ही विशेष रुप ये यहां सूर्य देव की पूजा की जाती है। तिल और चावल सह यहां तेल का इस त्यौहार पर विशेष महत्व है जिसका दान किया जाता है। यहां साधुसमाज की एक अलग दुनिया ही बस जाती है और नगा से लेकर बाल व महिला सन्यसियों के संसार व माहौल को देख कुंभ मेले का भान होता है। गंगासागर के संगम पर श्रद्धालु जहांसमुन्द्र देवता को नारियल अर्पित करते हैं वहीं गउदान भी करते हैं। कहते हैं कि भवसागर को पार करने के लिये गउ की पूंछ का ही सहारा आत्मा को लेना पड़ता है तभी मोक्ष की प्राप्तिहोती है। यही वजह है कि यहां पंडे भाड़े की गाय लेकर उसे श्रद्धालु को बेचते है और फिर उसी गउ को वापस दान में लेते हैं। इसके उपरांत ही बाबा कपिल मुनि के दर्शन व पूजा- अर्चनाकी जाती है। गंगासागर में स्नान–दान का महत्व शास्त्रों में विस्तार से बताया गया है।इसे जनश्रुति कहे या फिर मान्यता। कहते है कि जो युवतियाँ यहाँ पर स्नान करती हैं, उन्हें अपनीइच्छानुसार वर तथा युवकों को इच्छित वधु प्राप्त होती है। अनुष्ठान आदि के पश्चात् सभी लोग कपिल मुनि के आश्रम की ओर प्रस्थान करते हैं तथा श्रद्धा से उनकी मूर्ति की पूजा करते हैं।मन्दिर में गंगा देवी, कपिल मुनि तथा भागीरथी की मूर्तियाँ स्थापित हैं।अभी से ही वहां सुरक्षा व्यवस्था के तहत सेना के जवान तैनात हैं। साथ ही तीर्थ यात्रियों का रेला लगने लगा है। तमाम ग्रंथों सह पुराणों में मां गंगा के धरती पर अवतरण की जानकारी मिलती है। भगवान श्री राम के कुल के राजा सगर ने अश्वमेघ यज्ञ कर घोड़ा छोड़ा। अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े की सुरक्षाका जिम्मा उन्होंने अपने 60 हज़ार पुत्रों को दिया। देवराज इंद्र ने वह घोड़ा चुराकर कपिल मुनि के आश्रम में बाँध दिया। घोड़े को खोजते हुए जब राजकुमार वहाँ पर पहुँचे तो कपिल मुनिको भला–बुरा कहने लगे और घोड़ा चोर समझा। मुनि को राजपुत्रों के इस क्रिया कलाप पर क्रोध आ गया और सभी 60 हज़ार सगर पुत्र मुनि की क्रोधाग्नि में जलकर भस्म हो गये। ऐसे मेंसगर के पुत्र अंशुमान ने मुनि से क्षमा–याचना की तथा राजकुमारों की मुक्ति का उपाय पूछा। मुनि ने कहा-स्वर्ग से मां गंगा को धरती पर लाना होगा और गंगा की जलधारा के स्पर्शभष्मिभूत 60 हज़ार सगर पुत्रो का उद्धार होगा। राजपुत्र अंशुमान को तप में सफलता नही मिली। फिर उन्हीं के कुल के भगीरथ ने तप करके स्वर्ग से गंगा को पृथ्वी पर उतारा। भगीरथजैसे-जैसे जिस रास्ते से होकर गुजरे मां गंगा की अविरल धारा भी गुजरी। चुकि राजपुत्रों को ऋषि के श्राप से मुक्त करना था अतएवं भगीरथ के साथ गंगा सागरद्वीप में आई। कपिल आश्रमश्रेत्र में आयीं गंगा का स्पर्श जैसे ही सागर के साठ हजार मृत मृत पुत्रों की राख से हुआ सभी राजकुमार मोक्ष को प्राप्त हुए। कहते हैं कि राजपुत्रों को मकर संक्राति के दिन ही मुक्ति मिलीथी। भगवान विष्णु के छठे अवतार कपिल मुनि भागवत पुराण में वर्णन है कि कपिलमुनि भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं। कपिलमुनि की माता का नाम देवहूति व पिता का नाम कर्दम ऋषि था। देवहूति को ब्रह्म जी की पुत्री बतायाजाता है।कपिलमुनि ने अपनी मां देवहूति को बाल्यावस्था में सांख्य-शास्त्र का ज्ञान दिया था। उनकी मां मनु व शतरूपा की पुत्री भी कहा जाता है। शास्त्र ग्रंथ बताते हैं कि जब प्रजापतिब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तो उन्होंने अपने शरीर के आधे हिस्से से नारी का निर्माण किया। इन्हें मनु तथा शतरूपा कहा गया। देवहूति के पति थे ऋषि कर्दम। कपिल मुनि अपने माता-पिता की दसवीं संतान थे। उनसे पहले उनकी नौ बहनें थीं। कपिल मुनि महाराज ने जब सांख्य शास्त्र की रचना की थी तब बाल्यावस्था में ही कपिल मुनि महाराज ने अपनी माता को सृष्टिव प्रकृति के चौबीस तत्वों का ज्ञान प्रदान किया था।कहते हैं कि सांख्य दर्शन के माध्यम से जो तत्व ज्ञान मुनि महाराज ने अपनी माता देवहूति के सामने रखा था वही श्रीकृष्ण ने अर्जुन कोगीता के उपदेश के रूप में सुनाया था। कपिलमुनि का श्रीमद्भगवत गीता में वर्णन इस प्रकार से है अक्षत्थ: अश्रृत्थ: सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारद:। गन्धर्वाणां चित्ररथ: सिद्धानां कपिलो मुनि:॥ अर्थात् भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को बता रहे हैं कि हे अर्जुन जितने भी वृक्ष हैं उनमें सबसे उत्तम वृक्ष पीपल का है और वो मैं हूं, देवों में नारद मैं हूं, सिद्धों में कपिल मैं हूं,ये मेरे ही अवतारहैं।मुनि महाराज ने माता को बताया था कि मनुष्य का शरीर देवताओं की भांति ही होता है। कैसे जाये सागरद्वीप महानगर कोलकाता के हावड़ा, सियालदा, आउटराम घाट और इस्पालानेड से 98 किलो मिटरी की दूरी बस द्वारा लाट न. 6 तक तय की जा सकती है।वैसे आप सियालदा से ट्रेन द्वाराकाकद्वीप स्टेशन जा सकते हैं। लेकिन बाकी का सफर मुड़़ीगंगा नदी को पार करना होगा। नदी पार करने के बाद भी बसे से सागरद्वीप की ओर रवाना होना पड़ेगा। यात्रा में क्या नहीं करें खुले में शौंच या लघुशंका नहीं करें। कारण लगभग 10 हजार शौचालय बनाये जाते हैं। मेले को स्वच्छ रखना ही सरकार की प्राथमिकता है इसलिये खुद गंदगी नहीं फैलाए और ना हीदुसरों को मेला परिसर गंदा करने दें। सागर तट पर कपड़े नहीं धोएं और पूजन सामग्री संगम में नहीं फेंके। किसी भी रुप में प्लास्टीक को निषेध किया गया है अतएवं इसका ध्यान रखें।हुगला सह अन्य अस्थायी यात्री निवास में आग नहीं जलाएं। किसी अंजान का खाना नहीं खायें और अपने सामानों के प्रति सतर्क रहे. यात्रा में क्या करें पीले रंग के शौचालय का इस्तेमाल करें। कूड़े के लिये कूड़ेदान का उपयोग करें। प्लास्टीक को निषेध किया गया है इसलिये प्लास्टीक के कप और कैरी बैग का इस्तेमाल आपके परेशानीका कराण बन सकता है। परेशानी पर स्वंयसेवकों की मदद लें और किसी के गुम होने पर बजरंग परिषद की मदद लें। बीमार होने पर सागर मेला ग्राउण्ड अस्थायी अस्पताल (03210-213997), चेमागुड़ी अस्थायी अस्पताल( 03210-222411), कचुबेरिया अस्थायी अस्पताल ( 03210-247108), लाट न.8 अस्थायी अस्पताल (03210-257984), नामखाना अस्थायीअस्पताल( 03210-244985), रुद्रनगर ब्लाक अस्पताल( 03210-242301) को फोन किया जा सकता है या फिर खुद जाएं। Read more » Featured गंगासागर
कला-संस्कृति विविधा मोक्ष का महासागर गंगासागर January 9, 2017 | Leave a Comment 14 जनवरी गंगासागर पुण्य स्नान पर विशेष जगदीश यादव अंग्रेजों ने भी इस देश को साधु-संतों का देश कहा है। भारत की धरती ही एक मात्र जगह है जहां आस्था सिर चढ़कर बोलती है। यहां डुबते सूर्य को भी अर्घ्य प्रदान किया जाता है। पश्चिम बंगाल की जिस पावन भूमि में गंगा व सागर का […] Read more » गंगासागर पुण्य स्नान मोक्ष का महासागर गंगासागर
राजनीति व्यवस्था की मजबूरी बन गये हैं अन्य पिछड़ा वर्ग December 11, 2016 | Leave a Comment देश की बृहत्तम आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग की है और उक्त वर्ग को अभीतक इस देश में इनके अधिकारों से तमाम कारणों के तहत बंचित कर रखा गया है। देश में ज्यादत्तर समय तक सत्ता में रहीं कांग्रेस सरकार ने अबतक उक्त वर्ग को उपेक्षित ही कर रखा था। जबकि इस वर्ग के वोटों की बदौलत नेतागण सत्ता सुख भोगते रहें। Read more » OBC अन्य पिछड़ा वर्ग व्यवस्था की मजबूरी
विविधा स्वादेशी मुहिम क्षणिक नहीं भावी भविष्य के लिये हो October 28, 2016 | Leave a Comment जगदीश यादव कहते हैं कि मौका भी है और समय की मांग व दस्तूर भी। दम भी है, कदम भी है और सबसे बड़ी बात इच्छा शक्ति भी । इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान की रीत दो-गला वाली रही है और उसके कथित दोस्त चीन पहले भी हमारे पीठ में छूरा घोंप चुका है। लेकिन […] Read more » boycott chinese product स्वादेशी मुहिम स्वादेशी मुहिम क्षणिक नहीं भावी भविष्य के लिये हो
समाज देह की मंडी में जली चेतना की महामशाल September 29, 2016 | Leave a Comment लेकिन दलाल और यहां तक कि गरीब परिवारों के अभिभावक लड़कियों को 18 वर्ष से ज्यादा का बताने की कोशिश करते हैं। महाश्वेता ने कहा, ‘ हम पहले पूछते हैं कि क्या वे 18 वर्ष से ज्यादा की है। अधिकतर वे झूठ बोलती हैं। 16 साल की लड़की को देखकर यह बताना बहुत मुश्किल होता है कि वह 16 की है या 18 की। ऐसी स्थिति में हम उनकी असल उम्र पता लगाने के लिए एक्स रे परीक्षण करते हैं। Read more » Featured जली चेतना की महामशाल देह की मंडी
विविधा एक गोली देश के लिये……….. September 21, 2016 | Leave a Comment जगदीश यादव उड़ी में सेना के कैंप पर आतंकी हमले में भारत के 18 जवान शहीद हो गए। इसके बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर युद्ध जैसे हालात हैं। दुनिया भी जानती है और नापक पाक भी कि भारत के सपूत आतंकियों के कायरता के शिकार हुए हैं। आज देश […] Read more » Featured uri terrorist attack गोली
आलोचना साहित्य कैसे रहे याद कब हुए आजाद! August 14, 2016 | Leave a Comment जगदीश यादव कोलकाता। पन्द्रह अगस्त को भारतवासी आजादी की 70 वीं वर्षगांठ मानएगें। लेकिन शायद यह जानकर हैरत होगी कि देश की एक आबादी को यह नहीं पता है कि देश किस वर्ष में आजाद हुआ। एक सर्वेक्षण में सिर्फ दो ही सवाल पूछे गये। पहला सवाल था कि 15 अगस्त क्यों मनाया जाता है […] Read more »