ललित गर्ग

ललित गर्ग

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विविधा

गौरक्षा एवं भक्ति हिंसक क्यों?

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देश में समय-समय पर गौहत्या के विरोध में आन्दोलन हुए हैं। 1967 में गौ-हत्या को लेकर उग्र आन्दोलन हुआ, संसद भवन को साधु-सन्तों ने घेरा था तो पुलिस ने उन पर बल प्रयोग किया था और लाठी-गोलियां भी चलाई थीं। तत्कालीन गृहमन्त्री स्व. गुलजारी लाल नन्दा को इस्तीफा देना पड़ा था। तत्कालीन इन्दिरा सरकार ने भारत की सांस्कृतिक एवं धार्मिक आस्था से जुड़े इस मसले को गंभीरता से नहीं लिया और उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। क्योंकि गाय भारत की आत्मा है, जन-जन की आस्था का केन्द्र है।

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राजनीति

वंदे मातरम्-विवाद नहीं, विकास का माध्यम बने

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मुसलमानों को ‘वन्दे मातरम्’ गाने पर आपत्ति इसलिये भी बतायी जा रही है, क्योंकि इस गीत में देवी दुर्गा को राष्ट्र के रूप में देखा गया है। जबकि यह गान किसी देवी नहीं, बल्कि धरती माता की पूजा की बात कहता है। माता भी कौन-सी? पृथ्वी। जो जड़ है। इसमें भारत को माता कहा गया है। वंदे-मातरम् में भारत के जलवायु, फल-फूल, नदी-पहाड़, सुबह-शाम और शोभा-आभा की प्रशंसा की गई है। किसी खास देवी की पूजा नहीं की गई है। वह कोई हाड़-मासवाली देवी नहीं है। वह एक प्रतीक है। विभिन्न मुस्लिम देशों में भी वहां राष्ट्रीय गीतों में मातृ-भूमि का यशोगान गाया गया है।

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राजनीति

दिल्ली एमसीडी चुनाव एक महासंग्राम है

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एमसीडी चुनाव में जीत को सुनिश्चित करने के लिये ही कुछ महीने पहले बीजेपी ने मनोज तिवारी को राज्य में पार्टी का अध्यक्ष बनाया था। दिल्ली के पूर्वांचल वोटरों को साधने के साथ ही कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरने के लिए मनोज तिवारी को दिल्ली की कमान सौंपी गयी है। देखना यह है कि वे इसमें कितना सफल हो पाते हैं? मौजूदा पार्षदों के टिकट काटने का निर्णय कहीं बीजेपी के खिलाफ न चला जाए, क्योंकि कई दिग्गज नेताओं को घर बैठा देना कहीं बगावती तेवर को हवा न दे- इस तरह की चुनौतियां भी तिवारी के सामने हैं।

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राजनीति

मजबूत लोकतंत्र के लिए सांसदों की हाजिरी जरूरी

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संसदीय व्यवस्था के हालात प्रारंभ से ही ढुलमूल रहे हैं। शुरुआत में जवाहरलाल नेहरू ने स्वयं जागरूक रहकर सांसदों को भी जागरूक बनाया था। अब पीएम मोदी संसदीय व्यवस्था को सुदृढ़ एवं अनुशासित करने में जुटे हैं तो उसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। थोड़ी बहुत चुनौतियों के बीच मौजूदा लोकसभा कामकाज के हिसाब से पिछले कई वर्षों के रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। सदन के प्रति सांसदों को जवाबदेह बनाने के लिए मौजूदा लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी ढेरों प्रयास किए हैं। जरूरत है लोकतंत्र प्रशिक्षण के कार्यक्रम की। नये बनने वाले सांसदों के लिये यह प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाना चाहिए, जिसमें एक आदर्श जन-प्रतिनिधि के व्यवहार के साथ-साथ उसकी कार्यशैली, संसदीय व्यवस्था का सघन प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इसके लिये कार्यशाला एवं प्रशिक्षण का प्रबन्ध हो। तभी हम हमारे इस सर्वोच्च मंच की पवित्रता और गरिमा को अक्षुण्ण रख सकेंगे।

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विविधा

भोजन की बर्बादी एक त्रासदी है

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दुनियाभर में हर वर्ष जितना भोजन तैयार होता है उसका एक तिहाई भोजन बर्बाद चला जाता है। बर्बाद जाने वाला भोजन इतना होता है कि उससे दो अरब लोगों की खाने की जरूरत पूरी हो सकती है। विश्व भर में होने वाली भोजन की बर्बादी को रोकने के लिए विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन, अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष और विश्व खाद्य कार्यक्रम ने एकजुट होकर एक परियोजना शुरू की है। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में बढ़ती संपन्नता के साथ ही लोग खाने के प्रति असंवेदनशील हो रहे हैं। खर्च करने की क्षमता के साथ ही खाना फेंकने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। समस्या की शक्ल लेती यह स्थिति चिन्ताजनक है और प्रधानमंत्री इसके लिये जागरूक है, यह एक शुभ संकेत है।

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