समाज ताकि जीवन का हर क्षण निर्माण का सन्देश बन जाये November 18, 2016 | Leave a Comment एक नये समाज एवं राष्ट्र का निर्माण करने के लिये नये मनुष्यों की जरूरत है। ऐसे मनुष्यों का जीवन वह दुर्लभ क्षण है, जिसमें हम जो चाहें पा सकते हैं। जो चाहें कर सकते हैं। यह वह अवस्था है, जहां से हम अपने जीवन को सही समझ दे सकते हैं। इसके लिये जरूरी है हम श्रेष्ठताओं से जुड़े, अपने उद्देश्य के प्रति जागरूक रहे। अपनी विकास यात्रा में कभी किसी गलती को प्रश्रय न दें। Read more » Featured जीवन का हर क्षण निर्माण का सन्देश
विविधा शाही शादी और नोटबंदी से उपजे सवाल November 17, 2016 / November 17, 2016 | 1 Comment on शाही शादी और नोटबंदी से उपजे सवाल ललित गर्ग – एक तरफ जहां लाखों लोग एटीएम और बैंकों की लाइनों में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर कर्नाटक के पूर्व मंत्री और रईस कारोबारी माइनिंग किंग अपनी बेटी ब्रह्माणी की पांच दिन चलने वाली शादी में 5 अरब रुपए खर्च करने जा रहे हैं। सोने का पानी चढ़ा निमंत्रण और बॉलीवुड सितारों की […] Read more » Featured नोटबंदी नोटबंदी से उपजे सवाल शाही शादी
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म शख्सियत गुरुनानक देव : भारतीय धर्म और संस्कृति के पुरोधा November 8, 2016 / November 8, 2016 | Leave a Comment गुरुनानकजी का धर्म जड़ नहीं, सतत जागृति और चैतन्य की अभिक्रिया है। जागृत चेतना का निर्मल प्रवाह है। उनकी शिक्षाएं एवं धार्मिक उपदेश अनंत ऊर्जा के स्रोत हैं। शोषण, अन्याय, अलगाव और संवेदनशून्यता पर टिकी आज की समाज व्यवस्था को बदलने वाला शक्तिस्रोत वही है। धर्म के धनात्मक एवं गतिशील तत्व ही सभी धर्म क्रांतियों के नाभि केन्द्र रहे हैं। वे ही व्यक्ति और समाज के समन्वित विकास की रीढ़ है। Read more » Featured Guru Nanakdev Jayanti गुरुनानक देव भारतीय धर्म और संस्कृति के पुरोधा
समाज जिन्दगी के गुम हो गये अर्थों की तलाश November 6, 2016 | Leave a Comment जिन परिस्थितियों में व्यक्ति जी रहा है, उनसे निकल पाना किसी के लिए भी आज बड़ा कठिन-सा है। अपने व्यापार, अपने कैरियर, अपनी इच्छाओं को एक झटके में त्याग कर एकांतवास में कोई रह सके, यह आज संभव नहीं है और व्यावहारिक भी नहीं है। तथापि अपनी मानसिक शांति और स्वास्थ्य के प्रति आदमी पहले से अधिक जागरुक हो रहा है क्योंकि भौतिकवादी जीवनशैली के दुष्परिणाम वह देख और भुगत चुका है, इसलिए वह अपने व्यस्त जीवन से कुछ समय निकालकर प्रकृति की गोद में या ऐसे किसी स्थान पर बिताना चाहता है, जहां उसे शांति मिल सके। Read more » Featured अर्थों की तलाश ज़िन्दगी
विविधा यमुना की प्रदूषण मुक्ति पर राजनीति न हो November 4, 2016 | Leave a Comment ललित गर्ग लंबे समय से दिल्ली न केवल वायु प्रदूषण से बल्कि राजनीतिक प्रदूषण से भी दूषित है। आम जनजीवन की जिंदगी की परवाह किसी को नहीं है। वायु प्रदूषण, यमुना का लगातार दूषित होना, जानलेवा बीमारियों का हावी होना, दीपावली पर आतिशबाजी का धुआं होना, पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब द्वारा पराली जलाने, सड़कों […] Read more » Featured प्रदूषण मुक्ति यमुना यमुना की प्रदूषण मुक्ति राजनीति
पर्व - त्यौहार समाज भाई-बहन के आत्मीय रिश्तों का अनूठा त्यौहार : भैया दूज October 30, 2016 | Leave a Comment हिन्दू समाज में भाई-बहन के पवित्र रिश्तों का प्रतीक पर्व है भैया दूज। बहन के द्वारा भाई की रक्षा के लिये मनाये जाने वाले इस पर्व को हिन्दू समुदाय के सभी वर्ग के लोग हर्ष उल्लास से मनाते हैं। Read more » Featured भाई-बहन के आत्मीय रिश्तों का अनूठा त्यौहार भैया दूज
राजनीति आदिवासी समाज की अस्मिता से जुड़े यक्ष प्रश्न October 21, 2016 / October 21, 2016 | Leave a Comment गुजरात से जुड़ा होने के कारण मेरे सम्मुख वहां के आदिवासी समाज की समस्याएं सर्वाधिक चिन्ता का कारण है। इनदिनों गुजरात में आदिवासी समुदाय में असन्तोष का बढ़ना बड़ी मुसीबत का सबब बन सकता है। सत्तारूढ़ भाजपा के लिए पाटीदारों और दलितों के बाद अब आदिवासी समुदाय मुसीबत खड़ी कर सकता है। राज्य के आदिवासी इलाकों में भिलीस्तान आंदोलन रफ्तार पकड़ रहा है। अगले साल विधानसभा चुनावों से पहले आदिवासी नेता विद्रोह करने की तैयारी कर रहे हैं। इसके पीछे कुछ और लोग भी हैं जो अपने राजनीतिक हितों के लिए उन्हें बढ़ावा दे रहे हैं। Read more » Featured problems linked with tribals in Gujarat Tribals in Gujarat आदिवासी समाज आदिवासी समाज की अस्मिता
समाज मुरारी बापू का जादू मुसलमानों के सिर चढ़ा October 19, 2016 | Leave a Comment मोरारी बापू का जीवन संयम, सादगी, त्याग और समर्पण का विलक्षण उदाहरण है। उनका दिखावा और प्रदर्शन में विश्वास नहीं है। कथा करते समय वे केवल एक समय भोजन करते हैं। उन्हें गन्ने का रस और बाजरे की रोटी काफी पसंद है। वे वसुधैव कुटुम्बकम एवं सर्वधर्म समन्वय के प्रेरक है। आप समस्त धर्मों, परम्परपराओं एवं संस्कृति के समन्वय को महत्व देते हैं। Read more » Featured मुरारी बापू मुरारी बापू का जादू मुरारी बापू का जादू मुसलमानों के सिर
पर्व - त्यौहार समाज दीये मुंडेर पर ही नहीं, घट में भी जलने चाहिए October 19, 2016 | Leave a Comment अधिकतर लोग सिर्फ धन अर्जन को ही सफलता मान लेते हैं और इसी कारण जीवन का रोमांच, उमंग और आनंद उनसे दूर चला जाता है, जबकि गुणों को कमाने वाले लोगों के पास धन एक सहज परिणाम की तरह चला आता है। इसी में शोहरत भी अप्रयास मिल जाती है। साधारणता में ही असाधारणता फलती है। जड़ को सींचने से पूरे पौधे में फल-फूल आते हैं, जबकि टहनियों को भिगोते रहने से जड़ के साथ ही टहनियां भी सूख जाती हैं। Read more » दीये
राजनीति देश कोरे ‘‘वाद’’ या ‘‘वादों’’ से ही नहीं बनेगा October 17, 2016 / October 17, 2016 | 1 Comment on देश कोरे ‘‘वाद’’ या ‘‘वादों’’ से ही नहीं बनेगा बात तो बहुत सीधी-सी है। एक समझदार बालक भी कह सकता है कि घड़े में पानी इसलिए भर गया कि उसमें बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। घड़ा पूर्ण था किन्तु चलनी में तो अनेक छिद्र थे, भला उसमें पानी का ठहराव कैसे संभव होता? Read more » देश कोरे ‘‘वाद’’ या ‘‘वादों’’ से ही नहीं बनेगा
समाज अहिंसा है सुखी समाज का आधार October 12, 2016 | Leave a Comment शोषण विहीन समाज की रचना के लिए संग्रह स्पर्धा और उपभोग वृत्ति पर रोक आवश्यक है। इससे न केवल स्वयं के जीवन में संतुलन एवं संयम आएगा, समाज में भी संतुलन आएगा। शोषण की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी और इस चक्की में पिस रहे लोगों को राहत मिलेगी। इसलिए भगवान महावीर ने अपरिग्रह को धर्मयात्रा का अभिन्न अंग माना। अपरिग्रह का अर्थ है संग्रह पर सीमा लगाना। इससे शोषण की आधारशिला कमजोर होगी तब हिंसा का ताण्डव नृत्य भी कम होगा। अपरिग्रह के बिना अहिंसा की सही संकल्पना हो ही नहीं सकती और न इसकी सही अनुपालना हो सकती है। Read more » अहिंसा सुखी समाज का आधार
समाज समस्याओं से कैसे निपटा जाये? October 12, 2016 | Leave a Comment जिंदगी एक पन्ने की तरह है, जिसके कुछ अक्षर फूलों से लिखे गए हैं, कुछ अक्षर अंगारों से लिखे गये हैं। क्योंकि जीवन में कहीं सुख का घास है तो कहीं रजनीगंधा के फूल हैं, कहीं रेगिस्तान है तो कहीं सागर है, कहीं मनमोहक घाटियां हैं तो कहीं सुंदर वन हैं, एक जैसा जीवन किसी का नहीं है। सबको संघर्षों से सामना करना पड़ता है। कई बार जीवन-संग्राम में संघर्ष करते-करते बहुत-से व्यक्ति थक-हारकर बैठ जाते हैं। Read more » how to get rid of problems in life समस्याओं से कैसे निपटा जाये?