धर्म-अध्यात्म मनुष्यों एवं प्राणियों के जातिभेद ईश्वर व मनुष्यकृत दोनों हैं December 3, 2015 | 2 Comments on मनुष्यों एवं प्राणियों के जातिभेद ईश्वर व मनुष्यकृत दोनों हैं मोहन कुमार आर्य ईश्वर ने इस संसार को अपने किसी निजी प्रयोजन से नहीं अपितु जीवों के कल्याणार्थ बनाया है। उसी ने सभी प्राणियों को उत्पन्न किया जिससे वह अपने प्रारब्ध अर्थात् पूर्व जन्मों के अवशिष्ट वा अनभुक्त कर्मों के सुख-दुःख रूपी फलों का भोग कर सकें और सद्कर्मों को करके उन्हें भविष्य में कोई […] Read more » मनुष्यों एवं प्राणियों के जातिभेद ईश्वर व मनुष्यकृत दोनों हैं
धर्म-अध्यात्म शख्सियत समाज महर्षि दयानन्द के बहुप्रतिभावान् अद्वितीय शिष्य स्वामी श्रद्धानन्द December 3, 2015 / December 3, 2015 | 2 Comments on महर्षि दयानन्द के बहुप्रतिभावान् अद्वितीय शिष्य स्वामी श्रद्धानन्द महर्षि दयानन्द (1825-1883) ईश्वर के सच्चे स्वरुप के जिज्ञासु तथा उसकी प्राप्ति के उपायों के अनुसंधानकर्त्ता थे। बाइसवें वर्ष में उन्होंने टंकारा जनपद मोरवी, गुजरात स्थित अपने सुखी व सम्पन्न परिवार का त्याग कर दिया था और देश भर में घूम कर सच्चे धार्मिक विद्वानों व योगियों की तलाश की। जो विद्वान व योगी मिले […] Read more » स्वामी श्रद्धानन्द
धर्म-अध्यात्म सृष्टि को किसने, कैसे व क्यों बनाया? December 2, 2015 / December 2, 2015 | 4 Comments on सृष्टि को किसने, कैसे व क्यों बनाया? हम जिस संसार में रहते हैं वह किसने, कैसे, क्यों व कब बनाया है? इस प्रश्न का उत्तर न तो वैज्ञानिकों के पास है और न हि वैदिक धर्म से इतर धर्म वा मत-मतान्तरों व पन्थों के आचार्यों तथा उनके ग्रन्थों में। इसका पूर्ण सन्तोषजनक व वैज्ञानिक तर्कों से युक्त बुद्धिसंगत उत्तर वेदों व वैदिक […] Read more » Featured सृष्टि को किसने कैसे व क्यों बनाया?
धर्म-अध्यात्म वैदिक धर्म में पिता का गौरव December 2, 2015 / December 2, 2015 | Leave a Comment चार वेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद ईश्वरीय प्रदत्त ज्ञान के ग्रन्थ हैं। इन वदों का सर्वाधिक प्रमाणित भाष्य महर्षि दयानन्द सरस्वती एवं उनके द्वारा निर्दिष्ट पद्धति द्वारा उनके ही अनुवर्ती विद्वानों का किया हुआ है जिनमें पं. हरिशरण सिद्धान्तालंकार, पं. जयदेव विद्यालंकार, पं. क्षेमकरणदास त्रिवेदी, पं. विश्वनाथ विद्यालंकार, आचार्य पं. रामनाथ वेदालंकार आदि का […] Read more » Featured पिता का गौरव वैदिक धर्म में पिता का गौरव
शख्सियत समाज महान आर्य संन्यासी स्वामी श्रद्धानन्द November 30, 2015 | Leave a Comment वैदिक धर्म एवं संस्कृति के उन्नयन में स्वामी श्रद्धानन्द जी का महान योगदान है। उन्होंने अपना सारा जीवन इस कार्य के लिए समर्पित किया। वैदिक धर्म के सभी सिद्धान्तों को उन्होंने अपने जीवन में धारण किया था। देश भक्ति से सराबोर वह विश्व की प्रथम धर्म-संस्कृति के मूल आधार ईश्वरीय ज्ञान ‘‘वेद” के अद्वितीय प्रचारकों […] Read more » Featured स्वामी श्रद्धानन्द
धर्म-अध्यात्म मनुष्य में संस्कार व गुणों का आधार ही समाज कल्याण है November 28, 2015 | Leave a Comment स्वामी वेदानन्द तीर्थ (1892-1956) वेदों के शीर्षस्थ विद्वान थे। उन्होंने जो साहित्य़ सृजित किया, वह मनुष्य की उन्नति के लिए लाभकारी एवं उपादेय है। मनुष्य को शिक्षित, संस्कारित व गुणों से आपूरित करना ही उसको धार्मिक बनाना है। यदि मनुष्य विद्या व ज्ञान से युक्त नहीं होगा तो वह धर्म से विरत व पृथक ही […] Read more » समाज कल्याण
धर्म-अध्यात्म शख्सियत स्वामी श्रद्धानन्द का पावन चमत्कारिक व्यक्तित्व November 28, 2015 / November 28, 2015 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य स्वामी श्रद्धानन्द (1856-1926), पूर्वनाम महात्मा मुंशीराम, महर्षि दयानन्द के प्रमुख शिष्यों में से एक थे जिन्हें अपने धर्मगुरू के शिक्षा सम्बन्धी स्वप्नों को साकार करने के लिए हरिद्वार के निकटवर्ती कांगड़ी ग्राम में आर्ष संस्कृत व्याकरण और समग्र वैदिक साहित्य के अध्ययनार्थ गुरूकुल खोलने का सौभाग्य प्राप्त है। आर्यसमाज के इतिहास में […] Read more » Featured स्वामी श्रद्धानन्द
धर्म-अध्यात्म मनुष्य की उन्नति के सार्वभौमिक 10 स्वर्णिम सिद्धान्त व मान्यतायें November 27, 2015 | Leave a Comment मनुष्य जीवन ईश्वर की जीवात्मा को अनमोल देन है। सभी मनुष्यों का कर्तव्य है कि वह इस संसार व प्राणीमात्र के बनाने व पालन करने वाले ईश्वर को जानें और साथ हि अपने कर्तव्य को जानकर उसका निर्वाह करें। हम आगामी पंक्तियों में इस विषय का उल्लेख करेंगे जिसको पूर्णतया जानकर व उनका पालन करने […] Read more » 10 स्वर्णिम सिद्धान्त व मान्यतायें Featured मनुष्य की उन्नति
धर्म-अध्यात्म मनुष्य में संस्कार व गुणों का आधान ही समाज कल्याण है November 26, 2015 | Leave a Comment स्वामी वेदानन्द तीर्थ (1892-1956) वेदों के शीर्षस्थ विद्वान थे। उन्होंने जो साहित्य़ सृजित किया, वह मनुष्य की उन्नति के लिए लाभकारी एवं उपादेय है। मनुष्य को शिक्षित, संस्कारित व गुणों से आपूरित करना ही उसको धार्मिक बनाना है। यदि मनुष्य विद्या व ज्ञान से युक्त नहीं होगा तो वह धर्म से विरत व पृथक […] Read more » समाज कल्याण
धर्म-अध्यात्म दया के सागर महर्षि दयानन्द November 26, 2015 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द के जीवन में अन्य अनेक गुणों के साथ ‘दया’ नाम का गुण असाधारण रूप में विद्यमान था। उनमें विद्यमान इस गुण ‘दया’ से सम्बन्धित कुछ उदाहरणों को आर्यजगत के महान संन्यासी और ऋषिभक्त स्वामी वेदानन्द तीर्थ ने अपनी बहुत ही प्रभावशाली व मार्मिक भाषा में प्रस्तुत किया है। पाठकों को […] Read more » दया के सागर महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म ईश्वर व जीवात्मा का यथार्थ उपदेश देने से महर्षि दयानन्द विश्वगुरु हैं November 25, 2015 / November 25, 2015 | Leave a Comment यह संसार वैज्ञानिकों के लिए आज भी एक अनबुझी पहेली ही है। आज भी वैज्ञानिक इस सृष्टि के स्रष्टा की वास्तविक सत्ता व स्वरुप से अपरिचित हैं। यदि उन्होंने महर्षि दयानन्द सरस्वती की तरह वेदों की शरण ली होती तो वह इस रहस्य को जान सकते थे। आज का संसार दोहरे मापदण्डों वाला संसार […] Read more » ईश्वर व जीवात्मा का यथार्थ उपदेश महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द विश्वगुरु हैं
धर्म-अध्यात्म मुक्त दयानन्द मोक्ष में आर्यसमाज की दुर्दशा से दुःखी व संतप्त November 23, 2015 / November 23, 2015 | Leave a Comment महर्षि दयानन्द का अजमेर में दीपावली, सन् 1883 को देहावसान हुआ था। वेद एवं वैदिक साहित्य का अध्ययन करने के बाद हमें पूरी सम्भावना लगती है कि उन्हें ईश्वर की कृपा से मोक्ष प्राप्त हुआ होगा। यदि किसी विद्वान को इसमें संशय हो कि महर्षि दयानन्द जी को मोक्ष नहीं मिला होगा, तो हमें लगता […] Read more » Featured आर्यसमाज की दुर्दशा से दुःखी मुक्त दयानन्द मोक्ष