धर्म-अध्यात्म त्रैतवाद ‘ईश्वर-जीव-प्रकृति’ सिद्धांत के उद्गाता महर्षि दयानंद July 17, 2015 | 1 Comment on त्रैतवाद ‘ईश्वर-जीव-प्रकृति’ सिद्धांत के उद्गाता महर्षि दयानंद महर्षि दयानन्द ने जब उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में वैदिक धर्म का प्रचार आरम्भ किया तो उस समय त्रैतवाद की कहीं चर्चा नहीं होती थी। विद्वत जगत में आचार्य शंकर प्रोक्त अद्वैतवाद प्रतिष्ठित था जो केवल एक ईश्वर की ही सत्ता को मानता है, जीव व प्रकृति की पृथक व अनादि स्वतन्त्र सत्ता को […] Read more » ईश्वर-जीव-प्रकृति’ त्रैतवाद महर्षि दयानंद
धर्म-अध्यात्म आओ, सोम-सरोवर के भक्ति रस-जल में स्नान कर आनन्दित हों July 16, 2015 / July 16, 2015 | Leave a Comment सामवेद उपासना तथा ईश्वर की स्तुति-गान का वेद है। उपासना ईश्वर के पास बैठकर आनन्द में सराबोर होना है। इसे सोम सरोवर का स्नान भी कह सकते हैं। पं. चमूपति महर्षि दयानन्द के आदर्श अनुयायी थे। वह उर्दू, अरबी, फारसी व अंग्रेजी के विद्वान होने के साथ संस्कृत व हिन्दी के भी विद्वान थे। आपने […] Read more » भक्ति रस
धर्म-अध्यात्म समाज दलित स्त्रियों के उत्थान में महर्षि दयानन्द का योगदान July 11, 2015 | Leave a Comment महर्षि दयानन्द ने अपने जीवनकाल में देश में सर्वांगीण क्रान्ति की थी। वर्णाश्रम व्यवस्था में आये प्रदुषण को उन्होंने दूर किया। उन्होंने समाज में व्यवहृत जन्मना वर्णाश्रम वा जाति-व्यवस्था के दोषों को वेदों एवं वैदिक साहित्य के आधार पर युक्ति व तर्क के आधार पर व्यवहारिक रूप में प्रस्तुत किया जो महाभारतकाल से पूर्व वैदिक […] Read more » दलित स्त्रियों के उत्थान महर्षि दयानन्द का योगदान
धर्म-अध्यात्म ईश्वर से प्रार्थना क्या, क्यों व कैसे?’ July 8, 2015 | 7 Comments on ईश्वर से प्रार्थना क्या, क्यों व कैसे?’ प्रार्थना एक प्रकार की विनती है जो हम किसी वस्तु को किन्हीं दूसरों से मांगने के लिए करते हैं। ईश्वर संसार में सबसे बड़ी, शक्तिशाली, समग्र ऐश्वर्ययुक्त, सर्वज्ञ व सर्वव्यापक गुणों वाली सत्ता है। हम उससे बुद्धि, ज्ञान, शक्ति व बल, धन व ऐश्वर्य आदि की प्रार्थना कर सकते हैं और वह हमें प्राप्त भी […] Read more » ‘ईश्वर से प्रार्थना क्या how to pray god? why to pray god?
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द, वेद प्रचार और देश को स्वतन्त्रता की प्राप्ति July 6, 2015 | Leave a Comment स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर 15 अगस्त का दिन देश का स्वतन्त्रता दिवस है। सन् 1947 में इसी दिन भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति व स्वतन्त्रता मिली थी। यद्यपि यह स्वतन्त्रता है परन्तु हमें यह भी याद रखना चाहिये कि इस दिन से एक दिन पहले 14 अगस्त, 1947 को भारत […] Read more »
धर्म-अध्यात्म योगेश्वर श्रीकृष्ण का चरित्र, भागवतादि पुराण और महर्षि दयानन्द’ July 4, 2015 | 1 Comment on योगेश्वर श्रीकृष्ण का चरित्र, भागवतादि पुराण और महर्षि दयानन्द’ श्रीकृष्ण योगेश्वर थे, महात्मा थे, महावीर और धर्मात्मा थे। महाभारत में उनके इसी स्वरूप के दर्शन होते हैं। यद्यपि मध्यकाल में महाभारत में भारी प्रक्षेप हुए हैं परन्तु फिर भी उसमें श्रीकृष्ण जी पर ऐसे घिनौने आरोप नहीं लगाये जैसे भागवत व अन्य पुराणों में लगाये गये हैं। इससे हमारा सनातन वैदिक धर्म बदनाम हुआ […] Read more » भागवतादि पुराण महर्षि दयानन्द योगेश्वर श्रीकृष्ण का चरित्र
धर्म-अध्यात्म ईश्वर हमें तीन सौ वर्ष की आयु प्रदान करें June 29, 2015 | Leave a Comment संसार का प्रत्येक मनुष्य चाहता है कि वह स्वस्थ हो, बलवान हो, सुखी हो व सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं व आनन्द की सामग्री से सम्पन्न हो। इसके साथ ही वह दीघार्यु भी होना चाहता है। दीघार्यु हमारे पूर्व जन्म व इस जन्म में किये गए शुभ व पुण्य कर्मो का परिणाम होती है। मनुष्य को […] Read more » ईश्वर तीन सौ वर्ष की आयु
धर्म-अध्यात्म विविधा सृष्टि के रहस्यों के ज्ञान का सरलतम उपाय सत्यार्थ-प्रकाश का अध्ययन June 27, 2015 / June 27, 2015 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य को ईश्वर ने जो मानव शरीर दिया है वह पांच ज्ञान इन्द्रिय, पांच कर्म इन्द्रिय, मन व बुद्धि सहित अनेक अंगों व उपांगों से युक्त है। बुद्धि व मन दो ऐसे अवयव हैं जो अपना-अपना कार्य करते हैं, अन्य सभी भी स्वतः करते हैं। मन आत्मा के संस्कारों, प्रवृत्तियों व ज्ञान […] Read more » Featured सत्यार्थ-प्रकाश सत्यार्थ-प्रकाश का अध्ययन सृष्टि के रहस्यों के ज्ञान का सरलतम उपाय
धर्म-अध्यात्म जन्म-मरण से छूटने का एक ही उपाय वैदिक सन्ध्या और नित्यकर्म June 24, 2015 / June 24, 2015 | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- वेदों का अध्ययन करने पर हमें ज्ञात होता है कि ईश्वर ने हमारे लिए ही यह सृष्टि बनाई है और इसमें हमारे सुख के लिए नाना प्रकार के पदार्थ बनाकर हमें निःशुल्क प्रदान किये हैं। यही नहीं, हमारा शरीर भी हमें ईश्वर से निःशुल्क प्राप्त हुआ है जिसका आधार हमारे पूर्व […] Read more » Featured जन्म-मरण से छूटने का एक ही उपाय वैदिक सन्ध्या और नित्यकर्म महर्षि दयानंद वेद
धर्म-अध्यात्म विविधा ‘समाज में बढ़ता पाखण्ड व ठगी और अन्धकारनाशक वेदविद्या’ June 20, 2015 | Leave a Comment हमारे देश के पतन के कारणों में मुख्य कारण था विद्या का ह्रास तथा अन्धविश्वासों व पाखण्डों की वृद्धि। वर्तमान में देश में जो उन्नति देखी जा रही है वह विद्या की कुछ उन्नति व अन्धविश्वासों व पाखण्डों में कुछ कमी के कारण है। महर्षि दयानन्द (1825-1883) ने देश की अवनति के कारणों को […] Read more » ‘समाज में बढ़ता पाखण्ड व ठगी और Featured अन्धकारनाशक वेदविद्या’ वेदविद्या समाज में बढ़ता ठगी समाज में बढ़ता पाखण्ड
जन-जागरण धर्म-अध्यात्म विविधा एक ईश्वर के अनेक नामों का आधार June 19, 2015 | 1 Comment on एक ईश्वर के अनेक नामों का आधार मनमोहन कुमार आर्य जिस प्रकार से नेत्रहीन मनुष्य संसार के दृश्यों के बारे में कल्पनायें करता है उसी प्रकार लगता है कि हमारे अल्पज्ञानी लोगों ने ईश्वर व धर्म के बारे में कल्पायें कीं और अपने ज्ञान के अनुरूप ही ईश्वर का स्वरूप भी निर्धारित किया। ज्ञान की वृद्धि के लिए ज्ञान चर्चा, शंका-समाधान, अनुसंधान […] Read more » Featured अनेक नामों का आधार ईश्वर के अनेक नाम एक ईश्वर
धर्म-अध्यात्म विविधा व्रत-उपवास एवं महर्षि दयानन्द June 18, 2015 / June 18, 2015 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आजकल हमारे देश के बहुत से लोग नाना दिवसों पर व्रत व उपवास आदि रखते और आशा करते हैं कि उससे उनको लाभ होगा। महर्षि दयानन्द चारों वेदों व सम्पूर्ण वैदिक व अवैदिक ग्रन्थों के अपूर्व विद्वान थे। उन्होंने समाधि अवस्था में ईश्वर का साक्षात्कार भी किया था और अपने विवेक से […] Read more » Featured महर्षि दयानन्द व्रत-उपवास