समाज गाय सर्वोत्तम उपकारी पशु ही नहीं अपितु मनुष्यों का पूजनीय देवता है April 7, 2018 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य परमात्मा ने इस सृष्टि को जीवात्माओं को कर्म करने व सुखों के भोग के लिए बनाया है। जीवात्मा का लक्ष्य अपवर्ग होता है। अपवर्ग मोक्ष वा मुक्ति को कहते हैं। दुःखों की पूर्ण निवृत्ति ही मोक्ष कहलाती है। यह मोक्ष मनुष्य योनि में जीवात्मा द्वारा वेदाध्ययन द्वारा ज्ञान प्राप्त कर एवं उसके […] Read more » cow a deity Featured गाय
राजनीति वीर सावरकर की अण्डमान की कालापानी जेल से मुक्ति की यथार्थ कथा April 5, 2018 / April 6, 2018 | 3 Comments on वीर सावरकर की अण्डमान की कालापानी जेल से मुक्ति की यथार्थ कथा डा. नवदीप कुमार एवं श्री मनमोहन कुमार आर्य वीर विनायक दामोदर सावरकर जी (1883-1966) का देश की आजादी की लड़ाई में प्रमुख व सर्वोपरि योगदान है। उन्हें देश की आजादी के लिए अंग्रेजों की जेल में जो यातनायें सहन की, उसके लिए उन्हें जीवित शहीद कहा जा सकता है। शायद ही किसी अन्य देशभक्त मुख्यतः […] Read more » Featured अंग्रेजों अण्डमान अहिंसात्मक असहयोग आन्दोलन आजादी कांग्रेस पार्टी कालापानी जेल ब्रिटिश सरकार राजनैतिक बंदियों वीर विनायक दामोदर सावरकर’ सेकुलर
धर्म-अध्यात्म “हमारा यह जन्म हमारे पूर्वजन्म का पुनर्जन्म है और मृत्यु के बाद हमारा पुनर्जन्म अवश्य होगा” April 4, 2018 | 1 Comment on “हमारा यह जन्म हमारे पूर्वजन्म का पुनर्जन्म है और मृत्यु के बाद हमारा पुनर्जन्म अवश्य होगा” मनमोहन कुमार आर्य हम मनुष्य हैं और लगभग 7 दशक पूर्व हमारा जन्म हुआ था। प्रश्न है कि जन्म से पूर्व हमारा अस्तित्व था या नहीं? यदि नहीं था तो फिर यह अभाव से भाव अर्थात् अस्तित्व न होने से हुआ कैसे? विज्ञान का सिद्धान्त है कि किसी भी पदार्थ का रूपान्तर तो किया जा […] Read more » featuerd जन्म जन्मान्तरों पुनर्जन्म मनुष्य शरीर संस्कार
धर्म-अध्यात्म वेद और तर्क पूर्ण सत्य मान्यताओं से युक्त आचरण ही मनुष्य धर्म April 3, 2018 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य का धर्म क्या है? इसका उत्तर है कि अपने पूरे जीवन में सत्य ज्ञान की खोज करना व तर्क व युक्ति से सिद्ध ज्ञान व कर्मों का ही आचरण करना मनुष्य का सच्चा धर्म है। संसार में प्रचलित मत-मतान्तरों व धर्मों में यह धर्म कौन सा है? इसका उत्तर है कि […] Read more » Featured Vedas and logic Vedas and logic are the conduct of man's religion with complete true beliefs वेद वेद और तर्क पूर्ण सत्य मान्यता
धर्म-अध्यात्म ईश्वर सभी जीवों के कर्मों का साक्षी और उन कर्मों का फल प्रदाता है April 2, 2018 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य क्या आप ईश्वर व उसके बनाये हुए इस संसार को जानते हैं? इसका उत्तर वह बन्धु जिन्होंने वेद व ऋषियों के शास्त्र पढ़े, जाने व कुछ समझे हैं, हां में देते हैं। कोई भी रचना तभी अस्तित्व में आती है कि जब कोई ज्ञानी मनुष्य उसकी रचना करता है। क्या कोई पेंटिंग […] Read more » feaured ईश्वर ब्रह्माण्ड मनुस्मृति वेद व ऋषियों संसार
धर्म-अध्यात्म ईश्वर के अनेक नाम क्यों? March 31, 2018 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर एक है परन्तु उसके नाम अनेक हैं। इसका कारण क्या है? वेदों के विद्वान तो इस रहस्य को जानते हैं परन्तु सामान्य मनुष्य इसे नहीं जानता। मत-मतान्तरों के अधिकांश व अनेक विद्वान भी इस विषय पर यथार्थ ज्ञान नहीं रखते। इस कारण उनके भक्तों व अनुयायियों में भी भ्रम वा […] Read more » God ईश्वर
धर्म-अध्यात्म वेदों की देन है सत्य और अहिंसा का सिद्धान्त March 30, 2018 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आजकल सत्य और अहिंसा की बात बहुत की जाती है। वस्तुतः सत्य और अहिंसा क्या है और इनका उद्गम स्थल कहां हैं? इसका उत्तर है कि इन शब्दों का उद्गम स्थल वेद और समस्त वैदिक साहित्य है । वेद वह ग्रन्थ हैं जो सृष्टि की आदि में ईश्वर से मनुष्यों को प्राप्त […] Read more » The principle of truth and non-violence is the responsibility of the Vedas. सत्य और अहिंसा
विविधा आर्यावर्त्त के सदृश भूगोल में दूसरा कोई देश नहीं है” March 29, 2018 | 1 Comment on आर्यावर्त्त के सदृश भूगोल में दूसरा कोई देश नहीं है” -मनमोहन कुमार आर्य संसार में अनेक देश है जिनकी कुल संख्या 195 है। इनमें से कोई भी देश मानवता की दृष्टि, ईश्वर व आत्मा के ज्ञान सहित भारत के स्वर्णिम अतीत व वर्तमान की तुलना में महत्वपूर्ण नहीं है। महर्षि दयानन्द ने अपने विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश में लिखा है ‘आर्यावर्त्त देश ऐसा देश है […] Read more » Featured आर्यावर्त्त
धर्म-अध्यात्म वैदिक समाज व्यवस्था में शूद्र वर्ण के कर्तव्य एवं अधिकार March 29, 2018 | 2 Comments on वैदिक समाज व्यवस्था में शूद्र वर्ण के कर्तव्य एवं अधिकार मनमोहन कुमार आर्य वैदिक समाज व्यवस्था को वैदिक वर्ण व्यवस्था के नाम से जाना जाता है। वर्ण का अर्थ चुनना या चयन करना होता है। ब्राहमण आदि श्रेष्ठ वर्णों का चयन मनुष्य को अपने गुण, कर्म व स्वभाव सहित अपनी योग्यता के अनुसार ही करना होता है। सभी मनुष्य विद्यालय जाते हैं। एक कक्षा में […] Read more » Featured वैदिक समाज व्यवस्था शूद्र वर्ण शूद्र वर्ण के अधिकार शूद्र वर्ण के कर्तव्य
धर्म-अध्यात्म वैदिक साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ पुरुषार्थ प्रकाश March 27, 2018 | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य, वैदिक आर्य साहित्य में ‘पुरुषार्थ प्रकाश’ ग्रन्थ का अपना महत्व है। यह ग्रन्थ श्री स्वामी विश्वेश्वरानन्द जी और श्री ब्र. नित्यानन्द जी ने सन् 1914 से पूर्व कभी लिखा था। स्वामी विश्वेश्वरानन्द जी और ब्र. नित्यानन्द जी ने यह ग्रन्थ शाहपुराधीश महाराज नाहरसिंह जी की प्रेरणा से लिखा था। इसका […] Read more » Purushartha Prakash पुरुषार्थ प्रकाश” महत्वपूर्ण ग्रन्थ वैदिक साहित्य
विविधा वायु एवं जल मनुष्य के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं आवश्यक है March 23, 2018 | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य का जीवन अन्न सहित वायु व जल पर आश्रित है। यदि मनुष्य को कुछ सकेण्ड्स या मिनट तक वायु न मिले तो वह जीवित नहीं रह सकता। वायु का अन्न से भी अधिक महत्व है वह इसी बात से सिद्ध होता है। इसी प्रकार जल भी मनुष्य जीवन के लिए अत्यन्त […] Read more » Featured जल
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज की स्थापना एवं वेद प्रचार एक दैवीय एवं पुण्य कार्य March 22, 2018 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम ऋषि दयानन्द सरस्वती द्वारा चैत्र शुक्ल पंचमी संवत् 1932 को आर्यसमाज की स्थापना के कार्य को एक दैवीय एवं पुण्य कार्य मानते हैं। इसका कारण यह है कि ऋषि दयानन्द जी का यह कार्य भी हमें सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर द्वारा वेदोत्पत्ति […] Read more » and propagation of Vedas is a divine and virtuous work Establishment of Aryasamaj आर्यसमाज