धर्म-अध्यात्म अग्निहोत्र यज्ञ व इससे होने वाले लाभों पर विचार December 23, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य वैदिक धर्मी आर्यों के पांच दैनिक कर्तव्य हैं जिन्हें ऋषि दयानन्द जी ने भी पंचमहायज्ञ नाम से स्वीकार किया है। उन्होंने पंचमहायज्ञविधि नाम से एक पुस्तक भी लिखी है। संस्कार विधि में इन यज्ञों का विधान किया गया है। स्वामी जी ने सत्यार्थप्रकाश में सन्ध्या एवं देवयज्ञ अग्निहोत्र की चर्चा एवं इसके […] Read more » अग्निहोत्र अग्निहोत्र यज्ञ
समाज मनुष्यों के दो भेद आर्य और दस्यु December 23, 2017 | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य दो पैर वाले शरीरधारी प्राणी को मनुष्य कहते हैं। ज्ञान व कर्म की दृष्टि से इसके मुख्य दो भेद हैं। ज्ञानी व सदाचार मनुष्य को आर्य तथा ज्ञान व अज्ञान से युक्त आचारहीन मनुष्य को दस्यु कहते हैं। महषि दयानन्द जी ने ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश’ में आर्य और दस्यु का भेद बताते हुए कहा […] Read more » Aryans Aryans and bandits bandits Featured आर्य आर्य और दस्यु दस्यु
धर्म-अध्यात्म स्वाध्याय की समाप्त होती प्रवृत्ति से जीवन में हानि ही हानि December 23, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य स्वाध्याय सद्ग्रन्थों के अध्ययन को कहते हैं। स्वाध्याय शब्द के अनेक अर्थ स्वीकार किये जा सकते हैं परन्तु स्वाध्याय का मुख्य अर्थ वेद और वैदिक साहित्य का अध्ययन व अनुशीलन ही है। वेद और वैदिक साहित्य के अध्ययन से मनुष्य को वेद के महत्व का ज्ञान होता है। वेदों में जिन विषयों […] Read more » स्वाध्याय
समाज मनुष्य का शरीर ईश्वर प्रदत्त एक विशिष्ट वैज्ञानिक मशीन December 20, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य वेद एवं वैदिक ग्रन्थों का अध्ययन करने पर ईश्वर, जीवात्मा व प्रकृति का स्वरूप स्पष्ट होता है। ईश्वर इस संसार का रचयिता है। उसने जीवात्माओं के सुख व कर्म-फल भोग के लिए सूक्ष्म जड़ प्रकृति से इस सृष्टि को रचा है। हमारी यह सृष्टि अनन्त है। इसमें अनन्त सूर्य, चन्द्र, पृथिव्यां एवं […] Read more » मनुष्य
धर्म-अध्यात्म ईश्वर में निहित चार वेदों का ज्ञान सृष्टि के आरम्भ में लोक कल्यार्थ ईश्वर से ऋषियों को मिला है December 15, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य वेद ज्ञान को कहते हैं। वेद इस सृष्टि के आदि काल में प्राप्त ज्ञान हैं। यह संहिता रूप में है जो आज भी उपलब्ध हैं। अनुमान है कि चार वेद प्रायः सभी सक्रिय आर्य समाज के सदस्यों के यहां उपलब्ध हैं। प्रश्न है कि वेदों के ज्ञान को किसने कब व कैसे […] Read more » ईश्वर चार वेदों का ज्ञान
धर्म-अध्यात्म वैदिक व ज्ञान के इतर ग्रन्थों के स्वाध्याय से आध्यात्मादि ज्ञान को प्राप्त कर जीवन सफल किया जा सकता है December 12, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य स्वाध्याय वैदिक पद्धति व वैज्ञानिक दृष्टि से ईश्वर, जीव व प्रकृति विषयक वेद एवं वैदिक ग्रन्थों के अध्ययन को कहते हैं। हम अध्ययन आत्मा की उन्नति व सुख प्राप्ति के लिए करते हैं। यदि आत्मा ज्ञान से पूर्ण नहीं होगा तो मनुष्य पूर्ण सुखी नहीं हो सकता। समाज में ऐसे व्यक्ति भी […] Read more » आध्यात्मादि ज्ञान स्वाध्याय
धर्म-अध्यात्म देश की उन्नति का आधार देशवासियों का शिक्षित, संस्कारित और सत्यधर्मपालक सहित सच्चरित्र होना December 11, 2017 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य हमारे देश भारत में नाना प्रकार की समस्यायें है जिनका हल सरकार व सभी मतों व इतर विद्वानों के पास भी नहीं है। कुछ विद्वान जानकर भी कुछ ऐसे उपायों का उल्लेख करने से डरते हैं जिससे कि समाज के कुछ वर्गों व मत-सम्प्रदाय के लोगों के उचित-अनुचित हित जुडे़ हुए होते […] Read more » उन्नति का आधार देश शिक्षित सच्चरित्र सत्यधर्मपालक संस्कारित
धर्म-अध्यात्म ईश्वर और वेद का मनुष्य जीवन में महत्व December 10, 2017 / December 11, 2017 | 2 Comments on ईश्वर और वेद का मनुष्य जीवन में महत्व -मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य को मनुष्य जीवन ईश्वर से मिला वरदान है। ईश्वर और जीवात्मायें संसार में अनादि काल से विद्यमान हैं। इसी कारण से ईश्वर ने अनादि कारण जड़ पदार्थ मूल प्रकृति से इस सृष्टि को जीवात्माओं के सुख के लिए रचा है। मनुष्य व अन्य प्राणियों को जो दुःख प्राप्त होते हैं वह […] Read more » importance of god in human life importance of vedas in human life ईश्वर ईश्वर और वेद का मनुष्य जीवन में महत्व ईश्वर का मनुष्य जीवन में महत्व मनुष्य जीवन में महत्व वेद
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज विश्व की सर्वोत्तम धार्मिक एवं सामाजिक संस्था December 7, 2017 | Leave a Comment “वेद और युक्ति प्रमाणों से युक्त सत्यार्थप्रकाश के कारण आर्यसमाज विश्व की सर्वोत्तम धार्मिक एवं सामाजिक संस्था है” -मनमोहन कुमार आर्य धार्मिक संस्था उसे कहते हैं जिससे मनुष्य के सभी कर्तव्यों का ज्ञान हो व वह उसका युक्ति तर्क व प्रमाण पूर्वक प्रचार करती हो। मनुष्यों के कर्तव्यों का जैसा विधान सृष्टि के सबसे प्राचीन […] Read more » आर्यसमाज
समाज सन्तान को जन्म देकर निर्माण करने में माता का सर्वाधिक योगदान December 6, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य जन्म देने वाली सत्ता व शक्ति का नाम माता है। सारा संसार वा मनुष्य अपनी अपनी माताओं से उत्पन्न होते वा जन्म लेते हैं। यदि मां न होती तो संसार में कहीं मनुष्य व अन्य प्राणी जो माताओं से उत्पन्न हुए हैं, दिखाई न देते। यह सृष्टि यदि चल रही है तो […] Read more » Featured Mother mother and child mother in upbringing of child role of mother माता
धर्म-अध्यात्म मत-मतान्तरों द्वारा ईश्वर को न मानना व अन्यथा मानने का कारण अविद्या है December 5, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य देश व संसार में दो प्रकार के मत हैं। कुछ व अधिकांश मत संसार में ईश्वर का होना मानते हैं। यह बात अलग है कि सभी आस्तिक मतों में ईश्वर के स्वरूप व गुण, कर्म व स्वभाव को लेकर एक मत नहीं है व उनके विचारों में मान्यताओं में अनेक भेद हैं। […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म मत-मतान्तरों द्वारा ईश्वर को न मानना व अन्यथा मानने का कारण अविद्या है December 2, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य देश व संसार में दो प्रकार के मत हैं। कुछ व अधिकांश मत संसार में ईश्वर का होना मानते हैं। यह बात अलग है कि सभी आस्तिक मतों में ईश्वर के स्वरूप व गुण, कर्म व स्वभाव को लेकर एक मत नहीं है व उनके विचारों में मान्यताओं में अनेक भेद हैं। […] Read more » अविद्या ईश्वर