धर्म-अध्यात्म वेद सृष्टिकर्ता ईश्वर से ही उत्पन्न हुए हैं December 2, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, संसार में दो प्रकार की रचनायें हैं। प्रथम अपौरुषेय कहलाती हैं जिन्हें कि मनुष्य व मनुष्य समूह मिलकर भी निर्मित नहीं कर सकते। दूसरी रचनायें मनुष्यों द्वारा अपनी बुद्धि में निहित ज्ञान व शारीरिक बल व सामर्थ्य का प्रयोग करके की जाती हैं। सूर्य, चन्द्र, पृथिवी एवं पृथिवीस्थ सभी पदार्थ तथा यह […] Read more » vedas वेद
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द ने कर्मकाण्ड की अशुद्धियों को दूर किया December 2, 2017 | Leave a Comment -आर्यसमाज धामावाला देहरादून के वार्षिकोत्सव में डा. ज्वलन्त कुमार शास्त्री का प्रभापूर्ण सम्बोधन- -मनमोहन कुमार आर्य आर्यसमाज धामावाला देहरादून का वार्षिकोत्सव रविवार 26 नवम्बर, 2017 को समाप्त हुआ। समापन सत्र का अन्तिम व्याख्यान देते हुए डा. ज्वलन्तकुमार शास्त्री ने कहा कि ऋषि दयानन्द ने अपने समय में कर्मकाण्ड की अशुद्धियों को दूर करने का प्रयत्न […] Read more » कर्मकाण्ड की अशुद्धि
धर्म-अध्यात्म जीवात्मा का अनादित्व एवं उसका अनेक बार मोक्ष प्राप्त करना November 27, 2017 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर, जीव तथा प्रकृति अनादि, नित्य, अविनाशी, अजर व अमर हैं। जीवात्मा ईश्वर से कर्मानुसार जन्म मरण प्राप्त कर कर्म-फलों को भोगता है। मनुष्य योनि उभय योनि है जिसमें मनुष्य पूर्व किये हुए कर्मों के फलों को भोगता भी है और नये कर्मों को करता भी है। मनुष्य जीवन में यदि मनुष्य […] Read more » जीवात्मा मोक्ष
धर्म-अध्यात्म सत्यार्थप्रकाश की महत्ता और ऋषि भक्त महात्मा दीपचन्द आर्य November 27, 2017 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। ऋषि भक्त महात्मा (लाला) दीपचन्द आर्य जी ने अपने जीवनकाल में वैदिक विचारधारा के प्रचार प्रसार के लिए अनेक अनुकरणीय एवं प्रशंसनीय कार्य किये। उनका प्रमुख कार्य आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट, दिल्ली की स्थापना था। इस न्यास से दयानन्द सन्देश नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया गया जिसने वेद एवं स्वामी […] Read more » सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म मनुष्य का आत्मा सत्याऽसत्य को जानने वाला है इतर पशु आदि का नहीं November 25, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ की भूमिका में ऋषि दयानन्द जी ने कुछ महत्वपूर्ण बातें लिखी हैं। उनके शब्द हैं ‘मनुष्य का आत्मा सत्याऽसत्य का जानने वाला है तथापि अपने प्रयोजन की सिद्धि, हठ, दुराग्रह और अविद्यादि दोषों से सत्य को छोड़ असत्य में झुक जाता है। परन्तु इस (सत्यार्थप्रकाश) ग्रन्थ में ऐसी बात नहीं […] Read more » आत्मा
धर्म-अध्यात्म भाषा, ज्ञान और धर्म का आदि स्रोत वेद November 25, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आज संसार में अनेक भाषायें और अनेक मत-मतान्तर प्रचलित हैं। मत-मतान्तरों को ही लोग धर्म मानने लगे हैं जबकि इन दोनों में अन्तर है। मत-मतान्तर इतिहास के किसी काल विशेष में किसी मनुष्य विशेष द्वारा वा उसके बाद उसके अनुयायियों द्वारा उसके नाम पर उनकी मान्यताओं के आधार पर चलाया जाता है […] Read more » ज्ञान धर्म का आदि स्रोत वेद भाषा वेद
धर्म-अध्यात्म वेद सृष्टिकर्ता ईश्वर से ही उत्पन्न हुए हैं November 21, 2017 | 4 Comments on वेद सृष्टिकर्ता ईश्वर से ही उत्पन्न हुए हैं मनमोहन कुमार आर्य संसार में दो प्रकार की रचनायें हैं। प्रथम अपौरुषेय कहलाती हैं जिन्हें कि मनुष्य व मनुष्य समूह मिलकर भी निर्मित नहीं कर सकते। दूसरी रचनायें मनुष्यों द्वारा अपनी बुद्धि में निहित ज्ञान व शारीरिक बल व सामर्थ्य का प्रयोग करके की जाती हैं। सूर्य, चन्द्र, पृथिवी एवं पृथिवीस्थ सभी पदार्थ तथा यह […] Read more » वेद
धर्म-अध्यात्म संसार का उपकार और मनुष्यों की शारीरिक-आत्मिक-सामाजिक उन्नति November 21, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य व अन्य प्राणियों का जीवन प्रकृति प्रदत्त संसाधनों एवं दूसरों के उपकार के कार्यों पर निर्भर है। प्रकृति से हमें वायु, जल, अग्नि और अन्नादि पदार्थों सहित निवास वा आश्रय मिलता है। इसी प्रकार संसार में अन्य मनुष्य आदि प्राणियों से भी हम सब उपकृत होते हैं। माता-पिता से तो मनुष्य […] Read more » उन्नति
धर्म-अध्यात्म मूर्तिपूजा पर ऋषि दयानन्द का अकेले काशी के 40 दिग्गज विद्वानों से सफल शास्त्रार्थ November 21, 2017 | Leave a Comment -काशी शास्त्रार्थ की १४८ वी वर्षगांठ- -मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द ने अपने जीवन में जो महान् कार्य किए उनमें से एक काशी के दुर्गाकुण्ड स्थित आनन्द बाग में लगभग 50-60 हजार लोगों की उपस्थिति में ‘मूर्तिपूजा वेदसम्मत नहीं है’, विषय पर उनका शास्त्रार्थ भी था जिसमें स्वामी जी विजयी हुए थे। यह शास्त्रार्थ […] Read more » काशी शास्त्रार्थ मूर्तिपूजा
धर्म-अध्यात्म जन्म व मृत्यु से जुड़े कुछ प्रश्नों पर विचार November 16, 2017 / November 16, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य एक शरीरधारी जीवात्मा को कहते हैं जो मनुष्यों के समान आकृति सहित मननशील प्राणी होता है। जीवात्मा एक चेतन तत्व है जो सत्य, एकदेशी, ससीम, अल्पज्ञ, अल्प सामर्थ्य, जन्म-मरण धर्मा, कर्मों को करने वाला व ईश्वरीय व्यवस्था से उनके फल भोगने वाला है। मनुष्यों को मनुष्य-जन्म उसके पूर्व जन्मों के कर्मों […] Read more » death and birth जन्म मृत्यु
खेत-खलिहान समाज भोजन करते समय यह ध्यान रहे कि हम जो पदार्थ खा रहे हैं, क्या वह परमात्मा ने खाने के लिए ही बनाये हैं? November 9, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आजकल मनुष्य अपने घरों व होटलों आदि में जो भोजन करते हैं वह या तो उन्हें माता-पिता द्वारा दिये संस्कारों के अनुसार होता है या फिर वह दूसरे लोगों से संगति के कारण भी ऐसा करते हैं। भोजन करते समय शायद ही कोई मनुष्य विचार करता हो कि वह जो भोजन कर […] Read more » भोजन
धर्म-अध्यात्म प्रज्ञाचक्षु स्वामी विरजानन्द सरस्वती मूर्तिपूजा का मौखिक खण्डन करते थे November 9, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य स्वामी दयानन्द जी देश भर घूमकर वेदों का प्रचार करते थे। वेद प्रचार के अन्तर्गत वह ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना व उपासना का प्रचार करते हुए वेद विरुद्ध मूर्तिपूजा का खण्डन भी करते थे। मूर्तिपूजा से जुड़ा हम उनका एक संस्मरण प्रस्तुत कर रहे हैं जिसमें उन्होंने बताया है कि उन्हें मूर्तिपूजा […] Read more » मूर्तिपूजा मूर्तिपूजा का खण्डन स्वामी विरजानन्द सरस्वती जी की पुण्य तिथि