खान-पान समाज ‘मांसाहार से नाना दुखों, रोग व अल्पायु की प्राप्ती December 13, 2016 | 1 Comment on ‘मांसाहार से नाना दुखों, रोग व अल्पायु की प्राप्ती मांसाहार छोड़िये और शाकाहार अपनाईये क्योंकि शाकाहारी भोजन ही सर्वोत्कृष्ट भोजन है। यह बल, आयु और सुखों का वर्धक है। इससे परजन्म में उन्नति होने से इस जन्म से भी अच्छा मनुष्य जीवन मिलने की सम्भावना है। मनुष्य शाकाहारी प्राणी है, इसका एक प्राण भी दे देते हैं। सभी शाकाहारी पशु मांसाहारियों पशुओं की गन्ध व आहट से ही दूर भाग जाते हैं परन्तु वही पशु मनुष्य को देखकर उसके पास आते हैं। Read more » मांसाहार शाकाहार
धर्म-अध्यात्म ईश्वर द्वारा जीवात्माओं को सुधार के अवसर देने की कोई सीमा नहीं December 11, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हमारा स्वभाव ऐसा है कि जो लोग हमसे जुड़े हैं वह सभी हमारे अनुकूल हों और हमारी अपेक्षाओं को पूरा करें। यदि कोई हमारे अनुकूल नहीं होता व अपेक्षायें पूरी नहीं करता तो प्रायः हम उससे दूरी बना लेते हैं। ऐसे ही कारणों से पति व पत्नी के संबंध तक टूट जाते […] Read more » ईश्वर
कला-संस्कृति मकर संक्रान्ति पर्व के महत्व को जानकर श्रद्धापूर्वक मनायें December 6, 2016 | Leave a Comment मकर संक्रान्ति का पर्व प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को देश भर में मनाया जाता है। आजकल लोग पर्व तो मनाते हैं परन्तु बहुत से बन्धुओं को पर्व का महत्व व उससे जुड़ी हुई घटनाओं का ज्ञान नहीं होता। Read more » मकर संक्रान्ति मकर संक्रान्ति पर्व के महत्व
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म नदियों में स्नान का धार्मिक औचीत्य और महर्षि दयानन्द December 6, 2016 | Leave a Comment आज एक आर्य मित्र से प्रातः गंगा स्नान की चर्चा चली तो हमने इस पर उनके साथ विचार किया और हमारे मन में जो जो विचार आये उसे अपने मित्रों से साझा करने का विचार भी आया। हमारी धर्म व संस्कृति संसार के सभी मतों व पन्थों में सबसे प्राचीन व वैज्ञानिक है। प्राचीन काल में परमात्मा ने मनुष्यों को कर्तव्यों व अकर्तव्यों का ज्ञान कराने के लिए चार आदि ऋषियों को चार वेदों का ज्ञान दिया था। Read more » नदियों में स्नान का धार्मिक औचीत्य
धर्म-अध्यात्म ईश्वर न होता तो क्या यह संसार होता? December 5, 2016 | 4 Comments on ईश्वर न होता तो क्या यह संसार होता? मनमोहन कुमार आर्य हमारे इस संसार में जन्म लेने से पूर्व से ही यह संसार प्रायः इसी प्रकार व्यवस्थित रुप से चल रहा है। हमसे पूर्व हमारे माता-पिता, उससे पूर्व उनके माता-पिता और यही परम्परा सृष्टि के आरम्भ से चली आ रही है। इस परम्परा का आरम्भ कब व कैसे हुआ? इसका उत्तर है कि […] Read more » ईश्वर ईश्वर न होता तो क्या यह संसार होता?
धर्म-अध्यात्म वेद का ज्ञान और भाषा प्राचीन व अर्वाचीन ग्रन्थों में सबसे उन्नत November 29, 2016 | Leave a Comment संसार में प्रचलित विकासवाद के सिद्धान्त के अनुसार संसार का क्रमिक विकास होता है। उनके अनुसार एक प्रकार के जीवाणु ‘अमीवा’ से मुनष्य व अन्य प्राणी बने हैं। भौतिक जगत व अमीवा किससे बने, इसका समुचित उत्तर उनके पास नहीं है। सूर्य, चन्द्र, पृथिवी व हमारे ब्रह्माण्ड का विकास नहीं अपितु विकास से ह्रास हो रहा है, अतः इस कारण विकासवाद का सिद्धान्त पिट जाता है। Read more » प्राचीन भाषा वेद वेद वेद अर्वाचीन ग्रन्थों में सबसे उन्नत वेद का ज्ञान
धर्म-अध्यात्म सभी मनुष्यों पर ईश्वर के असंख्य उपकारों के कारण सभी उसके ऋणी November 29, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य क्या मनुष्य ईश्वर का ऋणी है? यदि है तो वह ईश्वर का ऋणी कब व कैसे बना? मनुष्य ईश्वर का ऋणी कब बना, इस प्रश्न का उत्तर है कि वह सदा से ईश्वर का ऋणी है और हर पल व हर क्षण उसका ऋण बढ़ता ही जा रहा है। यह बात और […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ का उद्देश्य और प्रभाव November 28, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य “सत्यार्थ प्रकाश” विश्व साहित्य में महान ग्रन्थों में एक महानतम् ग्रन्थ है, ऐसा हमारा अध्ययन व विवेक हमें बताता है। हमारी इस स्थापना को दूसरे मत के लोग सुनेंगे तो इसका खण्डन करेंगे और कहेंगे कि यह बात पक्षपातपूर्ण है। उनके अनुसार उनके मत व पंथ का ग्रन्थ ही सर्वोत्तम व महानतम् […] Read more » सत्यार्थप्रकाश सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ का उद्देश्य
प्रवक्ता न्यूज़ क्या मनुष्य का कोई बुरा कर्म ईश्वर से छुप सकता व अदण्ड्य हो सकता है? November 23, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य इस संसार में अपने पूर्वजन्म व जन्मों के अवशिष्ट कर्मों के फलों को भोगने और नये कर्म करने के लिए आता है। मनुष्य जीवन भर जो अच्छे व बुरे कर्म करता है, उसका लेखा जोखा कौन रखता है? कैसे कर्मों का फल मिलता है और कैसे हमारी अगले जन्म की योनि […] Read more » अदण्ड्य ईश्वर बुरा कर्म मनुष्य
धर्म-अध्यात्म ईश्वर का अस्तित्व आदि व अन्त से रहित है’ November 22, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम संसार में देखते हैं कि प्रत्येक पदार्थ का आदि अर्थात् आरम्भ होता है और कुछ व अधिक काल बाद उसका अन्त वा समाप्ति हो जाती है। आदि शब्द जन्म के लिए भी प्रयुक्त होता है और अन्त शब्द को मृत्यु के रुप में भी जाना जाता है। विश्व का अधिकांश भाग […] Read more » आदि व अन्त से रहित है’ ईश्वर
धर्म-अध्यात्म ईश्वर, समाज में अन्याय व नास्तिकता November 22, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर किसे कहते हैं? एक दशर्नकार ने इसका उत्तर दिया है कि जिससे यह सृष्टि बनी है, जो इसका पालन करता है तथा जो इस सृष्टि की अवधि पूरी होने पर प्रलय करता है, उसे ईश्वर कहते हैं। इस उत्तर के अनुसार ब्रह्माण्ड में एक सच्चिदानन्दस्वरुप, सर्वव्यापक, निराकार, सर्वज्ञ ईश्वर नामी चेतन […] Read more » ईश्वर समाज में अन्याय समाज में अन्याय व नास्तिकता समाज में नास्तिकता
विविधा हमारी ऋषिकेश यात्रा और वहां गंगा आरती के अनुभव November 20, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आज हमने अपने परिवार के कुछ सदस्यों, पत्नी और छोटे पुत्र के साथ ऋषिकेश की यात्रा की। लगभग दो बजे हम ऋषिकेष पहुंचे और वहां स्वर्गाश्रम और परमार्थ निकेतन नामी पौराणिक संस्थाओं के सम्मुख विस्तृत चैड़ाई लिए हुए गंगा नदी के इस ओर के किनारे से नाव पर सवार होकर स्वार्गाश्रम के […] Read more » ऋषिकेश यात्रा गंगा आरती