प्रमोद भार्गव

प्रमोद भार्गव

लेखक के कुल पोस्ट: 1,219

लेखक प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार है ।

https://www.pravakta.com/author/pramodsvp997rediffmail-com

लेखक - प्रमोद भार्गव - के पोस्ट :

राजनीति

मिसाल बनेगी महाराष्ट्र की किसान ऋणमाफी

/ | Leave a Comment

ऐसी विरोधाभासी स्थिति उत्पन्न कर दिए जाने के बावजूद कृषि उत्पादनों के दाम उस अनुपात में नहीं बढ़े जिस अनुपात में अन्य जरूरी वस्तुओं और सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान बढ़े ? इस कारण किसान और किसानी से जुड़ा मजदूर लगातार आर्थिक विशमता के शिकार होते चले गए। 1960-70 के दशक तक 1 तोला सोना करीब 2 क्विंटल गेंहूं में आ जाया करता था। लेकिन आज इतने ही सोने के दाम 20 क्विंटल गेंहूं के बराबर हैं। 1970 से 2016 के दौरान गेंहूं के मूल्य में वृद्धि महज 19 गुना हुई है, जबकि इसी अवधि के दौरान सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान 120 से 150 गुना तक बढ़ाए गए है।

Read more »

पर्यावरण विविधा

घट रहे हैं पेड़़

| Leave a Comment

पेड़ लगाने और उनकी सुरक्षा से जुड़ा सबसे दुखद पहलू यह है कि सरकारी नीतियां के चलते सारी जिम्मेबारियां लाल फीताशाही की गिरफ्त में आ गई है। पेड़ लगाने, काटने, उसे परिवहन व विक्रय करने के कायदे-कानून राज्य सरकारों के आधीन हैं। निजी भूमि पर लगाया गया पेड़ भी काटने के लिए राजस्व और वन विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है। इनमें रिष्वत का बोलबाला है। नतीजतन इन परेशानियों से बचने के लिए लोगों ने पेड़ उगाना ही बंद कर दिया है। इस कारण आम आदमी का वन प्रबंधन से अब कोई संबंध ही नहीं रह गया है। आज भारत के सबसे गरीब लोग सबसे संमृद्ध वनों में रहते है। किंतु पेड़ और वनोपज से सर्वथा वंचित है। गोया जब इन गरीबों को पेड़ उगाने और काटने के साथ वनोपज के स्वामित्व से जोड़ा जाएगा, तभी वनों का विकास व सरंक्षण संभव है।

Read more »

विश्ववार्ता

जलवायु परिवर्तन समझौते को झटका

| Leave a Comment

ट्रंप की इस आत्मकेंद्रित मानसिकता का तभी अंदाजा लग गया था, जब इटली में दुनिया के सबसे धनी देशों के समूह जी-7 की शिखर बैठक में पेरिस संधि के प्रति वचनबद्धता दोहराने के संकल्प पर ट्रंप ने हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था। ट्रंप ने तब जल्दी ही इस मसले पर अपनी राय स्पष्ट करने का संकेत दिया था। अब ट्रंप ने व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में भाषण देकर अपना मत तो साफ किया ही, साथ ही भारत और चीन पर आरोप लगाया कि इन दोनों देशों ने विकसित देशों से अरबों डाॅलर की मदद लेने की शर्त पर समझौते पर दस्तखत किए हैं।

Read more »

राजनीति

माया के जाल में मायावती

| Leave a Comment

सवर्ण नेतृत्व को दरकिनार कर दलित और पिछड़ा नेतृत्व तीन दशक पहले इसलिए उभरा था, जिससे लंबे समय तक केंद्र व उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस शिक्षा, रोजगार और सामाजिक न्याय के जो लक्ष्य पूरे नहीं कर पाई थीं, वे पूरे हों। सामंती, बाहूबली और जातिवादी कुच्रक टूटें। किंतु ये लक्ष्य तो पूरे हुए नहीं, उल्टे सामाजिक शैक्षिक और आर्थिक विशमता उत्तोत्तर बढ़ती चली गई। सामाजिक न्याय के पैरोकारों का मकसद धन लेकर टिकट बेचने और आपराधिक पृष्ठभूमि के बाहुबलियों को अपने दल में विलय तक सिमट कर रह गए।

Read more »

विविधा

एनएसजी के मुद्दे पर भारत का पैंतरा

| Leave a Comment

दरअसल चीन के अपने स्वार्थ हैं। चीन अपने परमाणु कारोबार को बड़े स्तर पर फैलाना चाहता है। पिछले दो दशक में वह अनेक परमाणु इकाइयां भी स्थापित कर चुका है। गोया, भारत यदि परमाणु संपन्न शक्ति के रूप में उभर आता है तो चीन का परमाणु बाजार प्रभावित होगा। इसलिए चीन कह रहा है कि भारत के साथ-साथ पाकिस्तान और ईरान को को भी एनएसजी की सदस्यता दी जाए। दरअसल चीन की अंदरूनी मंशा पाकिस्तान में अपने परमाणु केंद्र स्थापित करने की है। इस लिहाज से अमेरिका समेत आतंकवाद विरोधी देशों की आषंका है कि पाक जिस तरह से आतंकवाद की गिरफ्त में है

Read more »