राजनीति किस पर करें विश्वास May 6, 2015 / May 6, 2015 | 1 Comment on किस पर करें विश्वास -रवि विनोद श्रीवास्तव- आप (आम आदमी पार्टी) का विवादों से बहुत पुराना नाता है। एक न एक विवाद में ये फसें ही रहते हैं। अभी हाल में कानून मंत्री जितेद्र सिंह पर उनकी डिग्री फर्जी होने का आरोप लगा था। जिसे लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा काटा। मीडिया में काफी चर्चा रही। फिर एक नया […] Read more » Featured अरविंद केजरीवाल आप किस पर करें विश्वास कुमार विश्वास
राजनीति राहुल के बदले सुर May 5, 2015 | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- छुट्टियों के बाद विदेश से वापस आए कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी की नींव मजबूत करने में जुट गए हैं। जिस तरह से विदेश से आत्मचिंतन करके वापस आए हैं, लगता है कि इन 58 दिनों में इसका पूरा सिलेबस खत्म कर दिया हो। कांग्रेस पिछले कई चुनावों से लगातार गच्चा खा […] Read more » Featured कांग्रेस राहुल राहुल की वापसी राहुल के बदले सुर राहुल गांधी
समाज कब सुधरेगें? May 1, 2015 / May 1, 2015 | 1 Comment on कब सुधरेगें? महिलाओं के लिए कानून और सशक्तिकरण की बात समाज में रह रहकर उठती रहती हैं। समाज में महिलाओं को पुरूष के बराबर अधिकार है। समाज में हर रोज कही न कही महिला उत्पीड़न का मामला आता रहता है। देश में महिलाओं को देवी का रूप माना जाता है। आज उसी देवी पर हर दिन अत्याचार […] Read more » Featured कब सुधरेगें?
आलोचना विविधा धनकड़ के ये कैसे बोल? May 1, 2015 | Leave a Comment किसान दिन-रात मेहनत कर अपनी फसल को उगाता है। लेकिन जब उसपर कुदरत मेहरबान नही होती तो इक पल में सारी मेहनत बर्बाद हो जाती है। देश की मजबूत अर्थव्यवस्था में खेती सबसे अहम है। सरकार को किसानों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। देश की रीढ़ बने ये किसान आखिर कब तक इसका दंश […] Read more » Featured किसान खुदकुशी हरियाणा के कृषि मंत्री ओ पी धनकड़
कविता राजनीति व्यंग्य नेता चालीसा April 22, 2015 / April 22, 2015 | 1 Comment on नेता चालीसा -रवि श्रीवास्तव- जय जय भारत देश के नेता तुम्हरी चालाकी से न कोई जीता तुम हो देश के भाग्य विधाता , देश को लूटना तुमको आता तुम्हरे हाथ में देश की सत्ता मिलता है सरकारी भत्ता महंगाई के तुम हो दाता,, इसके सिवा और कुछ भी न आता घोटाले पर करते घोटाला , छिनो गरीबों के मुंह का […] Read more » Featured नेता चालीसा. राजनीतिक व्यंग्य राजनीतिक कविता व्यंग्य
कविता आख़िर खुदकुशी करते हैं क्यों ? March 30, 2015 / April 4, 2015 | Leave a Comment आख़िर खुदकुशी करते हैं क्यों ? जिंदगी जीने से डरते हैं क्यों ? फंदे पर लटककर झूले जीवन है अनमोल ये भूले। अपनों को देकर तो आंसू, छोड़ दिए दुनिया में अकेले। कभी ट्रेन के आगे आना, कभी ज़हर को लेकर खाना। कभी मॉल से छलांग लगा दी, देते हैं वो खुद को आज़ादी। इस […] Read more » Featured no suicide why i quit why to quit आख़िर खुदकुशी करते हैं क्यों ? रवि श्रीवास्तव
कविता उनकी तमन्ना March 24, 2015 | 1 Comment on उनकी तमन्ना उन्होने तमन्नाओं को पूरा कर लिया, मुझे नही है उनसे कोई भी शिकवा। किसी के वादों से बधां मजबूर हूं, उन्हें लगता है शायद कमजोर हूं। बड़ो का आदर, छोटों का सम्मान सिखाया है, मेरे परिवार ने मुझे, ये सब बताया है। हर क्रिया की प्रतिक्रिया, हम भी दे सकते हैं, जान हथेली पर हमेशा […] Read more » उनकी तमन्ना कमजोर मजबूर
कविता पांच साल केजरीवाल February 10, 2015 / February 10, 2015 | Leave a Comment जो कहते थे मोफलर, खांसी साथ नही दिया, कोई साथी जोर आजमाइस की थी कितनी, तड़पे पानी बिन, मछली जितनी, सोच में पड़ गए, आज वो देखों, जो कहते थे सुनों ओ मित्रों जनता ने दे दिया हिसाब , दिल्ली में फिर जीती आप न चला मैजिक, न चली लहर आम आदमी का था कहर […] Read more » पांच साल केजरीवाल
व्यंग्य चुनावी मौसम, देश भक्ति का आलम February 6, 2015 | 1 Comment on चुनावी मौसम, देश भक्ति का आलम चुनावी मौसम आते ही राजनीतिक पार्टियों के नेताओं में जबरजस्त देश भक्ति का आलम जाग उठता है। जो 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन देखने को मिलता है। हर प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में गाने देश भक्ति के गाने बजते हैं। कार, आटो, से लेकर रिक्शा तक में हम जिएगें और मरेगें ए […] Read more » चुनावी मौसम देश भक्ति का आलम
आलोचना आम आदमी की आप ? December 30, 2014 | 11 Comments on आम आदमी की आप ? चुनाव, चुनाव, चुनाव । ऐसा लगता है, देश में चुनाव के अलावा कुछ बचा ही नही। कभी इस राज्य में तो कभी उस राज्य में। अभी हाल में दो राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त हुए हैं। अब नए साल में एक नई शुरूआत दिल्ली के विधानसभा चुनाव से होगी। हालांकि दिल्ली गत वर्ष चुनाव […] Read more » आम आदमी केजरीवाल की डिनर पार्टी
टॉप स्टोरी दरिंदगी आतंक की December 17, 2014 | Leave a Comment आज पूरा विश्व आंतकवाद की समस्या से जूझ रहा है। हर तरफ आतंक का कहर है। धर्म, जाति मजहब से खेलना इनके आका बखूबी जानते है। आखिर ये चाहते क्या हैं? इनकी सोच क्या है? मासूमों का कत्ल करना। बस यही इनका पेशा है। इन्हें समर्थन देने वाला पाकिस्तान भी इस समस्या से ग्रस्त […] Read more » आतंक
कविता एक हफ्ते की मोहब्बत November 17, 2014 | Leave a Comment एक हफ्ते की मोहब्बत का ये असर था जमाने से क्या मैं खुद से बेखबर था। शुरू हो गया था फिर से इशारों का काम महफिल में गूंजता था उनका ही नाम। तमन्ना थी बस उनसे बात करने की, आग शायद थोड़ी सी उधर भी लगी थी। वो उनका रह रहकर बालकनी में आना, नजरे […] Read more » एक हफ्ते की मोहब्बत