लेख सोनभद्र पर वामपंथी पार्टियों का बयान July 20, 2019 / July 20, 2019 | Leave a Comment *सोनभद्र : वामपंथी पार्टियों ने कहा — पीड़ितों को दो जमीन, नौकरी और मुआवजा, अपराधियों को भेजो जेल* प्रदेश की चार वामपंथी पार्टियों — माकपा, भाकपा (माले-लिबरेशन), एसयूसीआई (सी) और भाकपा (माले-रेड स्टार) ने उत्तरप्रदेश के सोनभद्र जिले में उम्भा गांव में भूमाफिया गिरोह द्वारा वनभूमि पर काबिज आदिवासियों के जनसंहार की कड़ी निंदा की […] Read more » Sonbhadra State of Left parties
लेख दक्षिणपंथ का मुकाबला केवल वामपंथ से ही संभव : येचुरी July 4, 2019 / July 4, 2019 | Leave a Comment रायपुर. देश की विविधता, संविधान, लोकतंत्र, संसदीय संस्ताओं की स्वायत्तता, धर्मनिरपेक्षता, जनतांत्रिक और मानवाधिकार आदि सब कुछ खतरे में है. चुनावों के बाद संघी गिरोह से नियंत्रित भाजपा सरकार द्वारा ‘फासीवादी हिन्दू राष्ट्र’ को स्थापित करने की मुहिम तेज हो गई है. वे तर्क की जगह कुतर्क को, विज्ञान की जगह अंधविश्वास को, इतिहास की […] Read more » Democracy DIVERSITY of this country Human Rights
राजनीति समाज किसान आत्महत्याओं का अर्थशास्त्र October 3, 2015 | Leave a Comment भूख से होने वाली मौतें और किसान आत्महत्याएं कभी भी सत्ताधारी पार्टी और शासक वर्ग के लिए चिंता का विषय नहीं बनती, क्योंकि इससे धनकुबेरों के मुनाफों पर कोई चोट नहीं पहुंचती.लेकिन वे हमेशा इस परिघटना के एक राजनैतिक मुद्दा बनने से जरूर डरते हैं, क्योंकि इससे उनके वोट बैंक को नुकसान पहुंचता है.इसलिए उनकी […] Read more » Featured किसान आत्महत्या किसान आत्महत्याओं का अर्थशास्त्र-
परिचर्चा विविधा सरकारी स्कूल बंद करने का मतलब May 12, 2015 / May 12, 2015 | 1 Comment on सरकारी स्कूल बंद करने का मतलब -संजय पराते- कम दर्ज संख्या के आधार पर पूरे देश में 40000 स्कूलों को बंद किया जा रहा है. इनमें छत्तीसगढ़ के लगभग 2000 स्कूल हैं. इसे ‘युक्तियुक्तकरण’ का नाम दिया जा रहा है. इन स्कूलों के बंद होने से छत्तीसगढ़ में लगभग 50-60 हजार बच्चों के प्रभावित होने तथा लगभग 4000 मध्यान्ह भोजन बनाने […] Read more » Featured सरकारी स्कूल सरकारी स्कूल बंद करने का मतलब
जरूर पढ़ें राजनीति एक पाती प्रधानमंत्री के नाम… May 12, 2015 | Leave a Comment -संजय पराते- वेलडन साहब, क्या बात कही है! हम ईंट का जवाब पत्थर से नहीं देते, बन्दूक का जवाब गोली से नहीं देते या गोली का जवाब बन्दूक से नहीं देते, हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं, बन्दूक छोड़कर नक्सली पीड़ित बच्चों के साथ पांच दिन रहकर देखे…आदि-इत्यादि! याद नहीं आता कि सलमान ने भी […] Read more » Featured एक पाती प्रधानमंत्री के नाम... नरेंद्र मोदी पीएम प्रधानमंत्री
जन-जागरण कन्हर बांध से उपजे सवाल May 7, 2015 / May 7, 2015 | Leave a Comment -संजय पराते- छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले से सटे उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में कन्हर बांध के निर्माण से छत्तीसगढ़ के इस जिले के रामचंद्रपुर ब्लाक से 19 गांव पूर्णतः तथा 8 गांव आंशिक रुप से डुबान में आ रहे हैं। इन 27 गांवों की सम्मिलित आबादी लगभग 50 हजार है और इसमें लगभग दो […] Read more » Featured कन्हर बांध कन्हर बांध से उपजे सवाल
आर्थिकी युक्तियुक्तकरण या उदारीकरण ? April 3, 2015 / April 4, 2015 | 1 Comment on युक्तियुक्तकरण या उदारीकरण ? ‘उदारीकरण’ के लिए संघी शब्दावली है–‘युक्तियुक्तकरण’. भाजपा की ‘उदार युक्ति’ यही है कि आम जनता के पास जो थोड़ी-बहुत सुविधाएं बची है, उसे भी छीना जाएं, ताकि ‘खास जनता’ की तिजोरियों को भरा जा सकें. आखिर इसी ‘खास जनता’ ने तो उसे सत्ता में पहुंचाया है, वर्ना वह तो ‘खाकी पार्टी’ ही बनकर रह गई […] Read more » Featured उदारीकरण युक्तियुक्तकरण युक्तियुक्तकरण' या 'उदारीकरण' संजय पराते
आर्थिकी एक कार्पोरेटी बजट March 5, 2015 | Leave a Comment -संजय पराते आर्थिक सर्वे के जरिये विकास का जो गुब्बारा फुलाया गया था, दूसरे दिन ही फूट गया। वर्ष 2004-05 के आधार वर्ष पर देश में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की जो विकास दर 4.7 प्रतिशत बैठती थी, उसने वर्ष 2011-12 के आधार पर 7.4 प्रतिशत की दर पर छलांग लगा ली। लेकिन पूरी दुनिया […] Read more » कार्पोरेटी बजट
राजनीति दो बजट, एक दिशा July 17, 2014 | Leave a Comment -संजय पराते- मोदी सरकार द्वारा पेश रेल बजट व केन्द्रीय बजट को बहुतों ने दिशाहीन करार दिया है। खासकर संप्रग से जुड़े दलों ने लेकिन इन दोनों बजटों की दिशा बहुत ही स्पष्ट है और पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत सरकार की नीतियों की संगति में ही है और वह है निजीकरण-उदारीकरण-वैश्वीकरण की दिशा में इस नीतिगत […] Read more » अरुण जेटली एक दिशा दो बजट नरेंद्र मोदी मोदी सरकार
लेख माओवाद पर एक आधी-अधूरी पड़ताल December 28, 2013 / December 28, 2013 | 1 Comment on माओवाद पर एक आधी-अधूरी पड़ताल -संजय पराते- छत्तीसगढ़ के मीडिया जगत में शुभ्रांशु चौधरी एक जाना-पहचाना नाम है। खासतौर से आदिवासी क्षेत्रों और दण्डकारण्य (बस्तर) से संबंधित रिपोर्टिंग के लिए। एक निर्भीक पत्रकार के रुप में उन्होंने यहां के अंदरूनी इलाकों के कई दौरे किये हैं, माओवादी नेताओं और ग्रामीण आदिवासियों से बातचीत की है और यह सब करते हुए […] Read more » incomplete investigation on Mao माओवाद पर एक आधी-अधूरी पड़ताल
पुस्तक समीक्षा पुराने दिनों के गायब होते लोगों के किस्से October 23, 2013 | Leave a Comment संजय पराते हिन्दी-साहित्य पाठकों के लिए राजेश जोशी जाना-पहचाना नाम है। वे एक साथ ही कवि-कहानीकार-आलोचक-अनुवादक-संपादक सब कुछ हैं। हाल ही में उनकी रचना ‘कि़स्सा कोताह’ (राजकमल प्रकाशन) सामने आयी है। राजेश जोशी के ही अनुसार, न यह आत्मकथा है और न उपन्यास। यह एक गप्पी का रोज़नामचा भर है- जो न कहानी है और […] Read more » किस्सा कोताह
खेत-खलिहान छत्तीसगढ़ की कृषि नीति July 25, 2013 | Leave a Comment निजी क्षेत्र की पैरोकारी, उदारीकरण से यारी –संजय पराते छत्तीसगढ़ की कृषि और किसान समुदाय दोनों गंभीर संकट से गुजर रहे हैं। इस संकट की अभिव्यक्ति प्रदेश में घटते कृषि रकबे, बढ़ती लागत, ग्रामीणों के गिरते जीवन स्तर, कृषि निवेश में कमी, कृषि ऋण व फसल बीमा तक पहुंच न होने, लाभकारी मूल्य के अभाव […] Read more »