कहानी कहानी – वत्सला October 31, 2015 | Leave a Comment मंगलवार को साप्ताहिक बाजार बंदी के कारण कुछ फुर्सत रहती है। कल भी मंगलवार था। शाम को मैं अपनी पत्नी राधा के साथ चाय पी रहा था कि देहरादून से शिबू का फोन आ गया। – कैसे हो भाई.. ? – भगवान की दया है। – एक शुभ समाचार है। तुम्हारी सोनचिरैया के पर निकल […] Read more » Featured कहानी वत्सला
जन-जागरण पर्यावरण विविधा जैविक कृषि एवं पंचतत्व October 13, 2015 | Leave a Comment विद्वानों का मानना है कि सम्पूर्ण सृष्टि पंचतत्वों से बनी है। पंचतत्व यानि धरती, जल, अग्नि, वायु और आकाश। मानव हो या पशु-पक्षी या फिर पेड़-पौधे, सबमें इन पंचतत्वों का वास है। किसी में कोई एक तत्व प्रधान है, तो किसी में कोई दूसरा। जैसे मछली के लिए जल तत्व प्रधान है, तो पेड़-पौधों के […] Read more » Featured जैविक कृषि जैविक कृषि एवं पंचतत्व पंचतत्व
कहानी विविधा शख्सियत दर्द या दवा September 22, 2015 | Leave a Comment पांच सितम्बर को भारत में ‘शिक्षक दिवस’ मनाया जाता है। यह हमारे दूसरे राष्ट्रपति डा. राधाकृष्णन का जन्मदिन है, जो एक श्रेष्ठ शिक्षक भी थे। इस दिन राष्ट्रपति महोदय देश भर के श्रेष्ठ शिक्षकों को सम्मानित करते हैं। शिक्षक होने के नाते मुझे भी इसमें रुचि रहती है कि इस बार कौन-कौन सम्मानित हुआ ? […] Read more » Featured
लेख विविधा समाज साहित्य बंद समाज की जटिलता September 9, 2015 / September 9, 2015 | Leave a Comment पिछले सप्ताह श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व था। कई लोग इस दिन निर्जल उपवास रखते हैं और रात को बारह बजे श्रीकृष्ण जन्म के बाद ही प्रसाद ग्रहण करते हैं। विद्यालयों में छुट्टी रहती है। छोटे बच्चों को इस दिन बालकृष्ण और राधा के रूप में सजाया जाता है। कई जगह बच्चे झांकी भी बनाते […] Read more » Featured
कहानी कहानी : दीदी मां August 31, 2015 / August 31, 2015 | 1 Comment on कहानी : दीदी मां जीवन में कई बार ऐसी जटिल समस्याएं सामने आकर खड़ी हो जाती हैं कि पूरे परिवार और खानदान की प्रतिष्ठा दांव पर लग जाती है। बुजुर्गों ने ‘जर, जोरू और जमीन’ को झगड़े की जड़ कहा है। जोरू अर्थात पत्नी या महिला के कारण तो राज्यों और साम्राज्यों में बड़े भीषण युद्ध हुए हैं, जबकि […] Read more » Featured
विविधा व्यंग्य व्यंग्य बाण : जय बोलो बेइमान की July 30, 2015 | 1 Comment on व्यंग्य बाण : जय बोलो बेइमान की शर्मा जी ने तय कर लिया है कि चाहे जो भी हो और जैसे भी हो; पर अपने प्रिय देश भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त करके ही रहेंगे। शर्मा जी छात्र जीवन में भी बड़े उग्र विचारों के थे। भाषण और निबन्ध प्रतियोगिताओं में वे भ्रष्टाचार के विरुद्ध बहुत मुखर रहते थे। कई पुरस्कार भी […] Read more » बेइमान
व्यंग्य व्यंग्य बाण : मिलावट के लिए खेद है June 13, 2015 | Leave a Comment –विजय कुमार- गरमी में इन्सान तो क्या, पेड़–पौधे और पशु–पक्षियों का भी बुरा हाल हो जाता है। शर्मा जी भी इसके अपवाद नहीं हैं। कल सुबह पार्क में आये, तो हाथ के अखबार को हिलाते हुए जोर–जोर से चिल्ला रहे थे, ‘‘देखो…देखो…। क्या जमाना आ गया है ?’’ इतना कहकर वे जोर–जोर से हांफने लगे। […] Read more » Featured मिलावट मिलावट के लिए खेद है व्यंग्य
परिचर्चा दीनदयाल उपाध्याय : जन्मशती के संकल्प June 10, 2015 / June 10, 2015 | Leave a Comment -विजय कुमार- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक तथा भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष श्री दीनदयाल उपाध्याय का जन्मशती वर्ष 25 सितम्बर, 2015 से प्रारम्भ हो रहा है। उनका जन्म 25 सितम्बर, 1916 को राजस्थान में जयपुर-अजमेर मार्ग पर स्थित धनकिया गांव में हुआ था। जयपुर जिले में स्थित धनकिया रेलवे स्टेशन पर उनके नाना […] Read more » Featured आरएसएस दीनदयाल उपाध्याय
व्यंग्य ढम-ढम बजाएंगे May 28, 2015 / May 28, 2015 | Leave a Comment -विजय कुमार- इन दिनों गर्मी काफी पड़ रही है। कल शाम छींटे पड़ने से मौसम कुछ हल्का हुआ, तो मैं शर्मा जी के घर चला गया। वहां वे छुट्टियों में आयी अपनी नाती गुंजन को कहानी सुना रहे थे। एक गांव में मन्नू नामक लड़का रहता था। जब वह पांच साल का हुआ, तो पढ़ने […] Read more » Featured गर्मी गर्मी पर व्यंग्य़ ढम-ढम बजाएंगे
विविधा व्यंग्य गड़बड़ चौथ April 27, 2015 | Leave a Comment –विजय कुमार- पिछले रविवार को शर्मा जी ने अपने घर यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ के बाद कुछ खानपान का भी प्रबन्ध था। इसलिए हम सभी मित्र समय से पहुंच गये। यज्ञ में तो मैं सैकड़ों बार गया हूं; पर यह यज्ञ कुछ अलग प्रकार का था। इसमें हवन सामग्री के साथ ही ढेर सारी […] Read more » Featured गड़बड़ चौथ जीवन जीवन व्यंग्य
व्यंग्य व्यंग्य बाण : मेरा पिया घर आया… April 17, 2015 / April 17, 2015 | Leave a Comment हमारे प्रिय शर्मा जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। वे कभी लेखक बन जाते हैं, तो कभी कवि। कभी गायक तो कभी वादक और संगीतकार। कभी पत्रकार तो कभी वक्ता या अधिवक्ता। सफाई से लेकर कपड़े धोने और भोजन बनाने तक में वे माहिर हैं। यद्यपि ये घरेलू काम उन्होंने विवाह के बाद मजबूरी में […] Read more » Featured rahul gandhi returning home sattire on rahul gandhi
राजनीति व्यंग्य घमासान के बाद April 1, 2015 / April 4, 2015 | 1 Comment on घमासान के बाद आम आदमी पार्टी (आपा) में पिछले दिनों हुए घमासान से शर्मा जी बहुत दुखी थे। उन्होंने सब नेताओं से कहा कि वे मिलकर काम करें; पर जो मिलकर काम कर ले, वह समाजवादी कैसा ? फिर यहां तो समाजवादी के साथ साम्यवादी, अराजकतावादी और अवसरवादी भी थे। यानि ‘करेला और नीम चढ़ा।’ इसलिए पहले जबरदस्त […] Read more » Featured आम आदमी पार्टी (आपा) में पिछले दिनों हुए घमासान घमासान के बाद विजय कुमार