व्यंग्य शिकार की तलाश में …. December 23, 2014 / December 23, 2014 | Leave a Comment नौकरी से अवकाश प्राप्त करने के बाद शर्मा जी ने कुछ दिन आराम किया। फिर कुछ दिन नाते-रिश्तेदारों से मिलने में खर्च किये। इसके बाद वे सपत्नीक तीर्थयात्रा पर चले गये। वहां से लौटे तो बीमार हो गये। इतना सब करते हुए साल भर निकल गया। लेकिन अब समस्या थी कि खाली समय कैसे […] Read more » शिकार की तलाश
व्यंग्य सामूहिक आत्महत्या December 13, 2014 | Leave a Comment आत्महत्या के बारे में मैंने कभी गंभीरता से नहीं सोचा। क्या बताऊं, कभी इसकी नौबत ही नहीं आयी। एक बार मेरा एक मित्र इस समस्या से पीड़ित हुआ, तो मैंने उसे एक बड़े लेखक की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक ‘आत्महत्या से कैसे बचें ?’ दे दी। उसे पढ़कर मेरे मित्र ने यह नेक विचार सदा को […] Read more » group suicide सामूहिक आत्महत्या
विविधा चिर विजय की कामना ही राष्ट्र का आधार है October 24, 2014 | 1 Comment on चिर विजय की कामना ही राष्ट्र का आधार है जीवन का हर काम वस्तुतः एक युद्धक्षेत्र ही है। पढ़ना हो या पढ़ाना; व्यापार हो या नौकरी; खेती हो या उद्योग का संचालन। सफल होने के लिए मन में विजय प्राप्ति की प्रबल कामना होना आवश्यक है। अन्यथा पर्याप्त साधन और अनुकूल वातावरण होने पर भी सफलता पास आते-आते दूर चली जाती है। इस बारे […] Read more » चिर विजय की कामना ही राष्ट्र का आधार है
व्यंग्य व्यंग्य बाण : स्वच्छता अभियान October 7, 2014 | Leave a Comment नरेन्द्र भाई ने पिछले दिनों अमरीका से लौटकर झाड़ू क्या उठाया, पूरा देश झाड़ूमय हो गया। वैसे तो वे अमरीका में ही नवाज शरीफ के इरादों पर झाड़ू फेर आये थे; पर असली काम तो भारत में होना था। हमारे मोहल्ले में भी लोगों ने सुबह कुछ देर सफाई की। फिर उसके फोटो फेसबुक पर […] Read more » स्वच्छता अभियान
व्यंग्य व्यंग्य बाण : आत्मकथा August 11, 2014 | Leave a Comment शर्मा जी कई दिन से बेचैन थे। जब भी मिलते, ऐसा लगता मानो कुछ कहना चाहते हैं; पर बात मुंह से निकल नहीं पा रही थी। मन की बात बाहर न निकले, तो वह भी पेट की गैस की तरह सिर पर चढ़ जाती है। रक्षाबंधन वाले दिन मैं उनके घर गया, तो शर्मानी मैडम […] Read more » व्यंग्य बाण : आत्मकथा
चुनाव राजनीति भारत में देवी-महाभारत March 30, 2014 | Leave a Comment -विजय कुमार- विश्व इतिहास के सभी बड़े युद्धों का कारण महिलाएं रही हैं। चाहे राम और रावण के बीच हुआ युद्ध हो, या फिर कौरव और पांडवों के बीच हुआ महाभारत। जर, जोरू और जमीन की बात बुजुर्गों ने ठीक ही कही है। लेकिन युद्ध भले ही महिलाओं के कारण हुआ हो, उसमें महिलाओं के […] Read more » Mahabharat due to female satire on female leaders भारत में देवी-महाभारत
व्यंग्य व्यंग्य बाण : उफ, ये सादगी March 19, 2014 | Leave a Comment छात्र जीवन में मैंने ‘सादा जीवन उच्च विचार’ पर कई बार निबन्ध लिखा है। निबन्ध में यहां-वहां का मसाला, कई उद्धरण और उदाहरण डालकर चार पंक्ति की बात को चार पृष्ठ बनाने में मुझे महारथ प्राप्त थी। मेरे निबन्ध को इसीलिए सर्वाधिक अंक भी मिलते थे। वस्तुतः किसी भी बात के, बिना बात विस्तार को […] Read more » ये सादगी व्यंग्य बाण : उफ
व्यंग्य घुटन का मौसम March 15, 2014 / March 15, 2014 | Leave a Comment -विजय कुमार- मौसम विज्ञानियों की बात यदि मानें, तो दुनिया भर में मुख्यत: तीन मौसम होते हैं। सर्दी, गर्मी और वर्षा। जहां तक भारत की बात है, तो यहां षड्ऋतु में वसंत, शिशिर और हेमंत भी शामिल हैं। हमारे कुछ मित्रों का कहना है कि दक्षिण भारत में गर्मी और बहुत अधिक गर्मी तथा पहाड़ों […] Read more » satire on leaders घुटन का मौसम
राजनीति व्यंग्य बाण : होली और तीसरा मोर्चा March 11, 2014 / March 11, 2014 | Leave a Comment पुराने गिले-शिकवे भुलाने और नवीन मेल-मिलाप करने के लिए होली से अच्छा कोई पर्व नहीं है। इसलिए भा.ज.पा. को रोकने और कांग्रेस को ठोकने के लिए चुनावी माहौल में हर दिन रिश्ते बन और बिगड़ रहे हैं। ज्वार-भाटे की तरह इसकी लहरें भी बार-बार आती हैं और किनारे की गंदगी लेकर चली जाती हैं। लेकिन […] Read more » व्यंग्य बाण होली और तीसरा मोर्चा
राजनीति व्यंग्य व्यंग्य बाण : कुर्सी की दौड़ में February 26, 2014 | 3 Comments on व्यंग्य बाण : कुर्सी की दौड़ में वैसे तो सभी बच्चे शरारती होते हैं, और जो शरारती न हो, वह बच्चा ही क्या ? पर शर्मा जी के मोहल्ले बच्चे, तौबा-तौबा। वे कब, क्या कर डालेंगे, भगवान को भी नहीं मालूम। शर्मा जी के घर के बरामदे में एक अति प्राचीन ऐतिहासिक कुर्सी रखी है। हम लोग हंसी में उसे महाभारतकालीन कहते […] Read more » व्यंग्य बाण : कुर्सी की दौड़ में
राजनीति मैं और हम February 21, 2014 | Leave a Comment -विजय कुमार- लोकसभा चुनाव निकट होने के कारण प्रचार, प्रसार और विज्ञापन-युद्ध प्रारम्भ हो गया है। कुछ दिन पूर्व समाचार पत्रों में सोनिया कांग्रेस की ओर से राहुल बाबा के चित्र वाला एक विज्ञापन ‘मैं नहीं, हम’ प्रकाशित हुआ था। इसके द्वारा भाजपा और नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाकर यह कहा गया कि वहां […] Read more » Lok sabha election Pandit Deendayal Upadyay मैं और हम
विविधा सहस्रचंद्र दर्शन : संदेश और संकेत February 15, 2014 / February 17, 2014 | Leave a Comment -विजय कुमार- पिछले दिनों एक मित्र ने अपने घर होने वाले ‘सहस्रचंद्र दर्शन’ समारोह में बुलाया। यह नाम सुना तो था; पर ऐसा समारोह कभी देखा नहीं था। उसने बताया कि उत्तर भारत में तो नहीं; पर महाराष्ट्र और दक्षिण में इसे प्राय: मनाया जाता है। वस्तुत: व्यक्ति जब जीवन के ८१ वर्ष पूर्ण […] Read more » sahchandra darshan सहचंद्र दर्शन : संदेश और संकेत