बंगारू लक्ष्मण का अपराध क्या था?

हर नेता के दिल में एक बंगारू धड़कता है!

डॉ. वेदप्रताप वैदिक 

दिल्ली की सीबीआई अदालत ने कमाल कर दिया। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण को चार साल की सजा दे दी और एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया। बंगारू का अपराध क्या था? उन्होंने किसी नकली फर्म से कोई नकली माल रक्षा मंत्रालय को बिकवाने का आश्वासन दिया था और बदले में उन्होंने एक लाख रुपए की ‘भेंट’ स्वीकार की थी। अदालत ने माना कि रिश्वत देने वाली फर्म नकली थी, रिश्वत देने वाला नकली था, बिकने वाला माल नकली था, लेकिन रिश्वत लेने वाला और रिश्वत असली थी। इसलिए जज ने रिश्वत देने वाले को सजा नहीं दी। यह कैसा न्याय, जज ने यह नहीं बताया कि बंगारू ने एक लाख रुपए लेकर बदले में क्या रक्षा मंत्रालय को यह सिफारिश की कि क्या वह उस घटिया माल को खरीद ले? क्या रक्षा मंत्रालय ने सत्ता दल के अध्यक्ष की सिफारिश या दबाव के कारण उस घटिया माल को खरीद लिया? यदि नहीं तो फिर बंगारू लक्ष्मण को दोषी ठहराना और उनको सदाचार का लंबा-चौड़ा उपदेश झाड़ना क्या सचमुच न्याय है?

यह न्याय भी नकली ही मालूम पड़ता है। इससे बढ़कर हास्यास्पद फैसला क्या हो सकता है? इसका अर्थ यह कदापि नहीं, कि जो बंगारू लक्ष्मण ने किया, वह उचित था। वह अनुचित तो था ही और उसकी जो सजा उनको और उनकी पार्टी को मिलनी चाहिए थी, वह उसी समय मिल भी गई थी। अब अदालत द्वारा उनको चार साल की सजा देना और रिश्वत देने का नाटक करने वालों के खिलाफ मुंह नहीं खोलना, कानून की धज्जियां उड़ाना है। जाहिर है कि सीबीआई अदालत का यह फैसला किसी भी अन्य अदालत में औंधे मुंह गिरेगा। इस फैसले से सीबीआई की ‘महान प्रतिष्ठा’ में चार चांद लग गए हैं! बंगारू के फैसले पर देश के सारे नेता हतप्रभ हैं। सबकी बोलती बंद है। कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर वार जरूर कर रहे हैं, लेकिन लोग चुप क्यों हैं? क्योंकि हर नेता के सीने में एक बंगारू धड़क रहा है। क्या देश में एक भी नेता ऐसा है, जो दावा कर सके कि जो बंगारू ने किया वह वैसा नहीं करता। भारतीय राजनीति का चरित्र् ही ऐसा है कि हर नेता को अपने राजनीतिक जीवन में असंख्य बार बंगारू बनना पड़ता है। सारे नेता यही खैर मना रहे हैं कि वे बंगारू की तरह रंगे हाथ नहीं पकड़े गए। अदालत को गलतफहमी है कि उसने बड़ा तीर मार दिया है।

6 COMMENTS

  1. सब से अलग पार्टी के बीजेपी के परचार की सचाई बार-२ सामने आ रही हैं एस के AIK अधेक्स तो हवाला कांड में सक का लाभ ले कर छुट गए पर दूसरा सब के सामने नंगा था १ बीजेपी में सबसे उपर LEVEL पर ETNI गंदगी है तो निचे की SDANDH का अंदाजा लगाया जा सकता है इस के मंत्री पैसे को खुदा से कम नहीं मानते

  2. काल्पनिक प्रकरण में ऐसा निर्णय न्याय की उस मूलभूत धारणा के विरुद्द है,जिसमें अपराध के सभी तत्व पूरे होने पर ही अपराध होना मानने का प्रावधान है,छत्तीसगढ़ का पंचायत विभाग अपनी शिकायत पर ही अभियोजित और प्र.क्र.२१०/०७ में दण्डित अभियंता जे.एल.पाटनवार के विरुद्द वर्खास्त्गी की कार्यवाही नहीं कर रही,और कोई चिंता भी नहीं कर रहा.

  3. इस केस का अंतिम फैसला क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है.पर इतना अवश्य है कि इस फैसले ने नेताओं की नींद उड़ा दी है.जज ने जब इसे स्टिग आपरेशन माना है तो रिश्वत की पेश कश करने वाले को दोषी होने का प्रश्न ही नहीं उठता.रह गयी दूसर केसों के साथ इसकी तुलना की,तो यह प्रश्न स्वाभाविक हैऔर जांच एजंसियों को इस पर ध्यान देने की सख्त आवश्यकता है..

  4. इस केस का अंतिम फैसला क्या होगा यह टॉम भविष्य के गर्भ में है,पर इतना तो अवश्य है कि इस फैसले ने नेताओं के नींद उड़ा दिए हैं.

  5. सीबीआई ने एक लाख रस की रिश्वत का मामला बहुत जल्दी प्रमाण प्रस्तुत कर हल कर दिया. सबीधन्यवाद की पात्र है. मगर बोफोरसे प्रकरण को हल करने मैं जो पंसथ करोड़ का था सत्रह साल लग गएहैं,और दौसोपचास करोड़ लग गए,किन्तु खेद है की सी.बी.ई. अभी तक कुछ भी सिद्ध नहीं कर पाई.यहाँ तक की क्वातारोची के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस भी वापस ले लिया. बंगारू मामले मैं रिश्वत लेने वाला सही बाकि सब नकली.औरबोफोर्चे मामले मैं सब असली.फिर भी प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाना ,क्या दर्शाता है?

  6. इन स्तम्भ शिरोमणि ने क्या बामपंथी दलों का नाम नहीं सुना या……………………………….

Leave a Reply to sureshchandra karmarkar Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here