बराक ओबामा से कुछ तो बोलो आदरणीय मोहन भागवत!

-जगदीश्वर चतुर्वेदी

भारत की यात्रा पर अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा आ रहे हैं, वे यहां क्यों आ रहे हे हैं, इस बात को आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत अच्छी तरह जानते हैं। यदि नहीं जानते तो उन्हें लालकृष्ण आडवाणी को बुलाकर पूछना चाहिए कि ओबामा भारत क्यों आ रहे हैं? इसके बावजूद भी पता न चले तो आज के अखबारों में ओबामा का साक्षात्कार छपा है उसे पढ़कर समझ सकते हैं कि ओबामा के भारत आने का मकसद क्या है?

राष्ट्रपति ओबामा खुलेआम कह रहे हैं वे भारत को एशिया में रणनीतिक पार्टनर बनाने आ रहे हैं। अब मोहन भागवत आप ही सोचें कि अमेरिका और भारत में कैसी पार्टनरशिप? वे एशिया में व्यापार करने लिए भारत को साझीदार बनाने नहीं आ रहे, वे एशिया में अमेरिका का रणनीतिक पार्टनर बनाने आ रहे हैं।

यानी एशिया में अमेरिका की उस्तादी में भारत ताल ठोकेगा। इसको ही राजनीतिक भाषा में कहते हैं गुलामी। यह बड़ी मीठी गुलामी है। साफ-सुथरी गुलामी है। मोहन भागवतजी आप और आपका संगठन आरएसएस देशभक्ति और राष्ट्रभक्ति के बड़े-बड़े दावे करता है लेकिन आपने अभी तक भारत सरकार के ओबामा प्रेम और रणनीतिक पार्टनर बनाए जाने पर प्रतिवाद का एक वाक्य नहीं कहा है। मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि आपकी देशभक्ति और राष्ट्रवाद सोई क्यों हैं? आपकी भाषा में ही कहूँ ‘उत्तिष्ठ कौन्तेय।’

आपको इस बात पर गुस्सा आया कि कांग्रेस संघ को आतंकी संगठन घोषित करने के लिए झूठा प्रचार कर रही है और आने वाले दिनों में उसके खिलाफ संघ परिवार प्रतिवाद करने जा रहा है। लेकिन ओबामा और उनका अमेरिकी प्रशासन खुलेआम आतंकियों और अलकायदा की मदद करता रहा है। आपको नहीं लगता कि आपको विश्व के सबसे बड़े आतंकी देश अमेरिका का प्रतिवाद करना चाहिए?

मैं जहां तक आपको और आपके संगठन को जानता हूँ उसकी देशभक्ति पर प्रश्न चिह्न नहीं लगाया जा सकता। आपके संगठन का देश में सबसे विशाल नेटवर्क है। आपको दूसरों की तकलीफें देखकर कष्ट भी होता है। लेकिन मेरी अभी तक यह बात समझ में नहीं आई कि आपने अफगानिस्तान और इराक में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सेनाओं के द्वारा ढ़ाए जा रहे जुल्मोसितम पर कुछ भी नहीं कहा है।

क्या हम पूछ सकते हैं कि आपकी आत्मा को अफगानिस्तान -इराक की निरीह जनता पर अमेरिकी सेनाओं के जुल्म देखकर कष्ट होता है या नहीं? अमेरिका ने अफगानिस्तान और इराक की संप्रभुता पर जिस तरह हमला किया है और इन दोनों देशों पर अवैध कब्जा किया है क्या उसके खिलाफ आवाज उठाने की आपकी कभी इच्छा नहीं करती? क्या आपको कभी फिलीस्तीनियों के आंसू परेशान नहीं करते?

आप जानते हैं वामदलों ने यथाशक्ति ओबामा का प्रतिवाद करने का फैसला किया है। यदि आपका जैसा विशाल संगठन भी ओबामा का प्रतिवाद करता तो अच्छा होता। वैसे आप जानते हैं कि मुंबई बमकांड छब्बीस इलेवन के आतंकी हिंसाचार में अमेरिकी जासूस भी सक्रिय थे उनमें से एक को उन्होंने बंद करके रखा हुआ है, वह बार-बार बता रहा है मुंबई के छब्बीस इलेवन के हमले की साजिश को आईएसआई ने अंजाम दिया था, कम से कम आप आईएसआई के खिलाफ अमेरिका सख्ती से पेश आए इस मांग को लेकर ओबामा के लिए सार्वजनिक बयान तो दे सकते हैं?

मोहन भागवतजी आप ओबामा के खिलाफ प्रतिवाद न भी करें। संभवतःआपको डर है कि आपके परिवार के संगठनों को अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निगमों को द्वारा दी जाने वाली आर्थिक मदद इससे प्रभावित हो जाएगी। इस मदद को अमेरिका स्थित आपके भक्त जुटाते रहे हैं। लेकिन आपको नहीं लगता कि आपको मिलने वाली मदद से ज्यादा कीमत अफगानिस्तान-इराक और फिलीस्तीन के करोड़ों लोगों की है। हमें विश्व मानवता की रक्षा के नाते कम से कम इन लोगों की रक्षा के लिए ओबामा के खिलाफ प्रतिवाद जरूर करना चाहिए। मैं जहां तक समझता हूँ कि भारत के हिन्दू अभी इतने संवेदनहीन नहीं हुए है कि पड़ोस में कोई जुल्म करता रहे और वे चुप रहें।

आदरणीय मोहन भागवत जी आप जानते हैं कि एक जमाने में अफगानिस्तान को अखंड भारत का हिस्सा कहते थे। कम से कम उसी नाते आप ओबामा से मांग करें कि वह अफगानिस्तान छोड़ दे। ईरान को सताना बंद कर दे। इराक से सेनाएं वापस बुला ले। इस्राइल से आपकी गहरी दोस्ती है उससे कहें कि वह फिलीस्तीनियों को उनका देश वापस कर दे। यदि और कोई बात आपको कहनी हो तो वह भी कह सकते हैं ।

लेकिन भोपाल की यूनियन कारबाइड त्रासदी के लिए जिम्मेदार एंडरसन को भारत को सौंपे जाने की मांग आपको जरूर करनी चाहिए। आप कम से कम भोपास त्रासदी के लोगों के दुख और प्रतिवाद में तो इस मोके पर शामिल हो सकते हैं। आप अपने राजनेताओं से कह सकते हैं कि वे ओबामा के भारत आगमन पर कम से कम भोपाल गैसकांड के प्रधान अपराधी एंडरसन को भारत को सौंपे जाने की मांग करें। ओबामा के आने पर आपकी चुप्पी भारत के लिए शुभलक्षण नहीं है। आपकी एक आवाज से भारत की जनता में बड़ा जागरण होता है। आप कम से कम देशभक्ति की खातिर राष्ट्रपति बराक ओबामा से कुछ तो बोलें। हमें इंतजार रहेगा।

20 COMMENTS

  1. भाई चतुर्वेदी जी,

    विदेश निति कोई घोडे की चाल नही है जो एक दिशा मे बिना दाएं बाएं देखे चल्ती जाए।

    सोनिया की सत्ता द्वारा अपनाई गई विदेश निति ने भारत को अमेरिकी खेमे मे ला खडा किया है। भारत की मिडिया जिस प्रकार बाराक हुसैन ओबामा से चीन एवम पाकिस्तान के विरुद्ध अमेरिकी सहयोग के लिए आग्रह करती दिख रही है उसे देख मुझे हिनता-बोध हो रहा था। ईतिहास से हमे यह सिखना चाहिए की वह ब्रिटेन/अमेरिका ही है जो दक्षिण एसिया तथा हिमालय आर-पार दुश्मनी कराता आया है। भारत को यह कोशीश करनी चाहिए खुद को मजबुत करे, खुद को मजबुत करने मे अमेरिका सहायक होता है तो इसमे कोई बुराई नही है। लेकिन भारत का दीर्घकालिन हित इस बात मे निहीत है की वह पडोसियो से बेहतर रिश्ते बना कर रखे। भारत, चीन एवम पाकिस्तान मिल कर मित्रतापुर्वक रहे इसमे ही सबकी भलाई है। अतः भारतीय विदेश निति मे संतुलन एवम परिपक्वता आवश्यक है। मिडिया एवम संघ को चीन व पाकिस्तान के विरुद्ध वाक-युद्ध से बचना चाहिए क्योकि उससे लाभ की बजाय हानी होती है ।

    विगत में अमेरिका से कई मोर्चो पर भारत धोखा मिला है, लेकिन बदली परिस्थितियो से अमेरिका ने भी कुछ सिखा है। अतः भविष्य में अमेरिका भारत का अच्छा मित्र (एलाई) बना रहेगा यह विश्वास भारत कर रहा है। अमेरिका भारत को बजार के रुप मे देखता है और अपने राष्ट्रिय-हितो के लिए भारत का उपयोग करना चाहता है । वह कुछ बेचता है तो भी यह जताता है की हम पर कृपा कर रहा है तथा कुछ खरीदता है तो भी हमे कृतार्थ कर रहा है ऐसा दिखाता है। हमे भी अपने राष्ट्रिय हितो के लिए वस्तुनिष्ठ ढंग से अमेरिका से मित्रता करनी चाहिए। अमेरिका से हम क्या पा रहे है और क्या दे रहे है इसका लेखा जोखा भारत की प्रबुद्ध जनता अवश्य करेगी। भारतीय मिडिया के लेखा-जोखा और विश्लेषण पर भारतीय जनता विश्वास नही करती है, क्योकीं उनमे छद्म अमेरीकी निवेष है।

  2. ये गाली गलौच के बीच बीच मैं थोङा पानी भी पी लिया करो चतुर्वेदी जी….खैर वामपंथियों की तरह इनके पास भी इतना पैसा होता तो भागबत जी ट्रैन की द्वीतिय श्रैणी की जगह चार्टर्ड प्लैन मैं यात्रा करते…..खैल आपके मुंह मैं घी शक्कर आपने संघ को देश भक्त तो माना

  3. मेरी राय में प्रवक्ता के संपादक के लिए ये तो व्यावहारिक नहीं होगा की किसी आलेख को प्रदर्शित करने से पहले सभी सम्बद्ध पक्षकारों का विचार भी जाना जाये, लेकिन रचनात्मक एवं समाज को जोड़ने वाले विचारों को जरूर प्राथमिकता दी जा सकती और वैमनस्यता, अंध विश्वास, समप्रदायिकता फ़ैलाने वाले, संविधान विरोधी आलेखों के प्रकाशन पर नीति तय की जा सकती है, लेकिन ऐसा होने पर पाठकों की संख्या घटने का खतरा जरूर है. प्रवक्ता पर उन्हीं आलेखों पर अधिक चर्चा होती है, जिनमें आपसी वैमनस्यता, अंध विश्वास, समप्रदायिकता फ़ैलाने वाले, संविधान विरोधी विचार हों. मुझे याद नहीं कि देश की बड़ी समस्या “भ्रष्टाचार”, “शोषण”, “गरीबी”, “बेरोजगारी” के बारे में कभी ऐसी चर्चा हुई हो, जैसी धर्म, वामपंथ आदि को लेकर होती है? डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’, राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास), ०१४१-२२२२२२५, मो. ०९८२८५-०२६६६

  4. Anil Sehgal – संघ को मिलने वाले विदेशी मदद के बारे मे तो हमारे सामने सिर्फ चतुर्वेदी का लेख है, पर वामपंथियों को KGB के द्वारा दिया जाने वाली मदद तो KGB के दस्तावेजों के साथ ही जग जाहिर हो गई है, और मेरा पूर्ण विश्वास है कि यह मदद अब चीन से आती है, इस पर चतुर्वेदी से प्रश्न पूछिए।

  5. हमारा सबसे बड़ा दुश्मन इस समय चीन और पाकिस्तान हे . और दुश्मन से लड़ने के लिए किसी ताकतवर दुश्मन को दोस्त बनाना पड़ता हे , इस पर भागवत जी आपने विचार रखेंगे पर कुछ समय बाद बराक ओबामा भारत से क्या क्या समझोते हे करते इनका कुछ खुलासा होने पर ही संघ आगे की रन निति तय करेगा ऐसा लगता हे .

  6. चतुर्वेदी जी आपकी चिंता बराक ओबामा के आगमन को लेकर है की भागवत जी की चुप्पी को लेकर है!कभी भी किसी एक विचारधारा को आधार बनाकर सोचने से से जरुरी नहीं है की वह विचारधारा देश हित में हो चीन की भारत की सीमाओ में दखलंदाजी, कश्मीर विषय पर चीन की निति, देश में नक्सलवाद पर वामपंथियों का मौन रहना, अरुंधती राय जैसे देशद्रोहियों पर वामपंथियों की चुप्पी और क्या कहे चतुर्वेदी जी चीन और रसिया की निति को आप सलाम करते है क्योकि आप उनकी विचारधारा के है वाह जी वाह आप जो सोचे वो बहुत अच्छा !चलो ये तो ठीक है की कही न कही आप ने संघ परिवार को देशभक्त मन मेरा आपसे निवेदन है की आप ये शिक्षा कांग्रेस को दे उन्हें बताये की संघ परिवार एक देशभक्त संघठन है उन्हें आतंकवादियों से जोड़ने की कोशिश न करे और हो सके यदि आप देश की चिंता करते है तो आतंकवाद राष्ट्रवाद विषयों पर संघ परिवार के साथ खड़े होए !

  7. बराक ओबामा से कुछ तो बोलो आदरणीय मोहन भागवत! – by – जगदीश्वर चतुर्वेदी

    जगदीश्वर चतुर्वेदी जी नें RSS पर निम्न आक्षेप लगाया है :

    “मोहन भागवतजी आप ओबामा के खिलाफ प्रतिवाद न भी करें। संभवतःआपको डर है कि आपके परिवार के संगठनों को अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निगमों को द्वारा दी जाने वाली आर्थिक मदद इससे प्रभावित हो जाएगी। इस मदद को अमेरिका स्थित आपके भक्त जुटाते रहे हैं।”

    RSS संगठन विदेश से प्राप्त हो रही आर्थिक मदद के कारण चुप्प हैं – यह आरोप गंभीर है.

    BJP ने ओबामा के ताज होटल से दिए व्यक्त पर तीखी प्रतिक्रिया जारी की है. यह BJP की नीति के नजरिये के अनुसार ही होगी.
    ————— ————— —————-

    जगदीश्वर चतुर्वेदी जी निराधार कुछ भी आरोप प्रवक्ता.कॉम पर मढ देतें हैं, जिसका प्रचार – प्रसार तुरंत कर दिया जाता है.

    मेरा सुझाव है कि प्रस्वक्ता.कॉम, प्रकाशन से पूर्व, इस आक्षेप पर RSS की प्रतिक्रिया पूछती और यदि कोई उत्तर आता तो उसे भी छापती. यह प्रकाशन साथ-साथ होना वांछनीय है.

    आशा करता हूँ इस पर प्रवक्ता.कॉम अपनी नीति निर्धारण करें.

    लेखक ने RSS पर विदेशी आर्थिक मदद का, देशद्रोह का – गंभीर आरोप लगाया है.

    मेरा सुझाव विचार के लिए प्रस्तुत है.

    – अनिल सहगल –

  8. श्याम जी
    बहुत ठीक कहा आपने
    लगता है चुतर्वेदी जी बेवजह प्रचार पाने के लिए ही हम स्वयंसेवको को उकसाते रहते हैं
    कमल खत्री

  9. इजराइल, फिलीस्तीन, अफगानिस्तान और पता नहीं कहाँ कहाँ के नागरिकों की हालत देख कर आपको कष्ट हो रहा है। तो जाकर उन नागरिकों के आँसू पोछिये। यहाँ बकवास क्यों लिख रहे हैं? आपको काश्मीर के हिंदुओं के आँसू दिखाई देते हैं? आपको पूर्वोत्तर के भाई-बहनों की चीखें सुनाई देती हैं? आपको अरूँधती और गिलानी जैसों की बकवास का विरोध करने की ज़रूरत नहीं महसूस होती, लेकिन आपको संघ को उपदेश देने की खुजली छूट रही है। मुझे तो ये दुःख है कि आप जैसे संकीर्ण विचारों वाले लोगों को pravkta.com अपने मंच का प्रयोग करने देता है।

  10. बेचारे वामपंथी, अब विरोध नही विरोध की कोशिश करेंगे, मुर्दा अंतिम सांस ले रहा है इससे ज्यादा और क्या करेगा.
    ओबामा की यात्रा वामपंथियों के पिछवाड़े पर जबरदस्त लात भी सिद्ध हो सकती है. इंतज़ार करिए.

  11. आदरनीय चतुर्वेदी जी इस विषय में मैंने अपने ब्लॉग पर लिखा है …निवेदन है की त्रुटियों की ओर ध्यानकर्षण करें …..www.janwadi.blogspot .com

  12. यदि वे इस अप्रिय और वैदेशिक नीति सम्बन्धी प्रकरण में कुछ बोले तो भी गलत होगा ,क्योकि देश में एकता के लिए बाहर बालों के सामने दो -अभिमत भेजना भारतीय प्रजातंत्र के लिए उचित नहीं होगा .

  13. ओबामा के नाम के मध्य में “हुसैन” आता है इसलिये वामपंथी ओबामा के संसद भाषण का बहिष्कार नहीं करेंगे…। जहाँ भी इन्हें “हुसैन” नाम नज़र आता है तुरन्त जी-हजूरी में जीभ लपलपाने लगते हैं… केरल और बंगाल का चुनाव सामने है इसलिये किसी भी “हुसैन” नामधारी को वामपंथी नाराज़ नहीं कर सकते।

    पहले भी ये लोग हिन्दू देवताओं के नंगे चित्र बनाने वाले एक और “हुसैन” के तलवे चाट चुके हैं… अब इन्हें संघ से सवाल करना सूझ रहा है, पहले अपनी पार्टी के लोगों से तो सवाल कीजिये चतुर वेदी जी। सुभाष बोस को “तोज़ो का कुत्ता” कहने वाले संघ को देशभक्ति की सीख दे रहे हैं… क्या विडम्बना है इस देश की।

  14. जगदीश्वर जी आप यह मानते हैं की संघ देशभक्तों का संगठन है और यह भी मानते हैं की उसका नेटवर्क सबसे विशाल है. यानि बहुत सारे देशभक्त संघ के सदस्य हैं, फिर आप यह क्यों नहीं मानते कि यदि इन देशभक्तों के मुखिया ओबामा की भारत यात्रा पर मौन हैं तो इसमें भी देशभक्ति छुपी होगी. नहीं समझते तो मैं बताऊँ इस देश के देशभक्त ओबामा की यात्रा पर कमेन्ट कर उसे बेवजह महत्व नहीं देना चाहते.वो हमारे अतिथि हैं और अतिथि के समान व्यव्हार करें जरा दायें बाएं हुए तो देखना देशभक्तों का यह संगठन कैसा जवाब देगा. हाँ एक बात और आप जैसे लोंगों के लिए संघ ने अब अपने विरोधियों को सीधे जवाब देना शुरू कर दिया है. इसे समझिये और अगली बार संघ का विरोध करने से पहले दस बार सोचियेगा. -मनोज जोशी भोपाल 09977008211

  15. चतुर्वेदी, ओबामा भारत क्यों आ रहे है, यह भारत की तात्कालिक परेशानी नहीं है, तात्कालिक खतरा चीन की तरफ से श्रीलंका मे विमानपत्तन, गुलाम कश्मीर मे चीन की गतिविधियां, चीन के द्वारा हमारे सीमा का लगातार अतिक्रमण, चीनी सेना के द्वारा हमारे सीमा पर सडक एवं अन्य निर्माण कार्यों मे अडचन, तो प्रकाश करात को चीनी सत्ता से बात करने को कब बोल रहे हो चतुर्वेदी?

  16. क्या संघ को चतुर्वेदी जी के सुझवों की ज़रूरत है ? कोई महत्व है इनके सुझावों का ? संघ को अमेरिका का एजेंट कहने वाले कम्युनिस्ट आज कौनसी भाषा बोल रहे हैं ? संघ ने अनेकों बार अमेरिका और चीन का विरोध देश हित में सामान रूप से किया है. पर जब भारत और चीन के हितों का टकराव होता है तो ये वामपंथी सदा चीन / रूस के पक्ष में खड़े नज़र आते हैं. इनके सुझावों में किसी बदनीयती का संदेह स्वाभाविक है. संघ को अमेरिका के विरुद्ध इस्तेमाल का प्रयास है न ? पर इतने भोले हैं क्या संघ वाले ? वे जो जब करना है, अपने ढंग से, अपने अनुसार उचित समय पर करेंगे न कि किसी चीन या रूस परस्त के कहने से ? अमेरिका परस्त के कहने पर भी देशभक्तों की नीतियाँ नहीं बन सकतीं. पर हमारे पंडित जी की कंडीशनिंग हो चुकी है, वे केवल वही देखते, सुनते और कहते हैं जो वामपंथ की लाल ऐनक से नज़र आता है. इसमें किसी बदल की आशा अब बेकार है.

  17. जगदीश्वर जी का लेख पढ़ कर एक बात स्पष्ट हो गयी की
    ” खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे ”
    चतुर(वेदी) जी जानते है की मुट्ठी भर वामपंथी चाह कर भी कुछ नही कर सकते और संघ की एक हुंकार पर भी सारे काम हो जाते है . हम स्वयंसेवक इन वामपंथी कैडरों से श्रेष्ठ है और हमारे संगठन की विशालता और निष्ठा इस का सबूत है.
    चीन जैसा दुष्ट देश भारत को खंडित करने का संकल्प लिये हुए है और ये वामपंथी उस देश के भक्त है . ये जानते है की चीन को उस की औकात पता चल जाएगी अगर भारत ,जापान , ताईवान और अमेरिका की चौकड़ी बन गयी तो पर ये बेचारे कुछ नही कर सकते है तो हम से मदद की गुहार लगा रहे है .
    अफगानिस्तान ईरान और पाकिस्तान ने खुद बर्बादी का रास्ता चुना है .जिस इस्लामिक हिंसा से वे काबिज हुए वही हिंसा उन्हें खाए जा रही है .अमेरिका से बहुत ज्यादा मौते सिया सुन्नी और अन्य मुस्लिम सम्प्रदायों के बीच दंगो से हो जाती है तो हम क्या कर सकते है ?
    अमेरिका ने ईट का जवाब पत्थर से दिया है और वक्त का तकाजा यही है की चीन का नष्ट होना बहुत जरुरी है .खुदा न करे चीन का गिराया गया कोई परमाणु बम चतुर(वेदी) जी के घर पर गिरे .
    अतः जो भी चीन का दुश्मन है वो हमारा स्वाभाविक दोस्त है

  18. “…मैं जहां तक आपको और आपके संगठन को जानता हूँ उसकी देशभक्ति पर प्रश्न चिह्न नहीं लगाया जा सकता। ….”

    वाम पंथ की विचारधारा में यह एक बदलाव के संकेत हैं (?)

  19. महोदय आप को इतनी चिंता करते देख तरस आया .आपको मालूम होना चाहिए की अभी देश में खुद इतनी चिंताए है जिस पर वर्षो कम हो सकता है / लेकिन आप तो तहरे वामपंथी जो भारत चीन यौद्ध के समय लाल कालीन बिछा कर चीनी ड्रैगन का स्वागत करने की तयारी करने में व्यस्त थे .लेकिन आपको जानना चाहिए की उस समय भी संघ के स्वयंसेवको ने चीन के डाट खट्टे कर दिए थे और इस समय भी कहने की बजे करने में विश्वास रखने वाला संघ देश की समस्याओ से लड़ने में जी जान से जूता हुआ है .

    धीरेन्द्र प्रताप सिंह देहरादून उत्तराखंड

  20. अमेरिका के आने से मोहन भागवत को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए हाजमा तो वामपंथियों का ख़राब हो जाता है

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