अपने ही ‘घर’ में मुस्लिमों का अत्याचार झेलता बंगाली हिंदू

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विष्णु गुप्त
अभी-अभी कोलकाता से हिंदुओं के लिए बहुत ही बुरी खबर आ रही है। मुस्लिम दंगाइयों का कहार हिंदुओं पर टूट रहा है। ममता बनर्जी की सरकार हिंदुओं के कत्लेआम और हिंदुओं को पलायन करने के लिए मजबूर करने जैसी घटनाओं पर कैसी राजनीति करती है, यह सभी को पता है।

कोलकाता की बालीगंज, जिलजला, चंदननगर आदि इलाकों में 10 जून की रात को भयानक दंगे हुए हैं। इन दंगों में हिंदुओं को शिकार बनाया गया है। दर्जनों हिंदुओं की दुकानें लूट ली गई, हिंदू मंदिरों को हिंसक तौर पर निशाना बनाया गया, काली मंदिर की मूर्तियां तोड़ दी गई , दीवारों को भी नुकसान पहुंचाया गया है , पत्थरबाजी बहुत तेज थी, बम बाजी भी हुई है। बर्बर मुसलमानों की भीड़ हिंदुओं पर जमकर टूटी है। हिंदुओं को हिंसक तौर पर शिकार बनायी है।

कोलकाता का यह दंगा सिर्फ दुकानदार और ग्राहक की लड़ाई की उपज थी। इसमें धर्म या मजहब की कोई बात नहीं थी ।लेकिन अचानक मुसलमानों की भीड़ जमा हो गई और हिंसक रूप धारण कर ली । सड़कों पर हिंसा होने लगी, सड़कों पर हिंदू पहचान वाले व्यक्तियों पर सरेआम हिंसा हुई, हिंदुओं को घायल किया गया । मुसलमानों के बर्बर भीड़ के सामने हिंदू किसी तरह अपने घरों में दुबक गए, हिंदुओं को जहां भी अवसर मिला वह चुपचाप अपनी जान बचाई। दंगाइयों को मनोबल बढ़ाने के लिए मुस्लिम नेता तैयार थे। मुस्लिम नेताओं ने मुस्लिम दंगाइयों को भड़काने और हिंसा फैलाने के लिए दिशा निर्देश दे रहे थे, मुस्लिम दंगाइयों ने काली मंदिर को भी निशाना बनाया, काली मंदिर को भी अपमानित किया ,काली मंदिर की मूर्ति भी तोड़ दिया।

मुस्लिम दंगाइयों के सामने पुलिस व्यवस्था तमाशबीन थी , मुस्लिम दंगाइयों को नियंत्रण करने में उनकी कोई रुचि नहीं थी, बल्कि हिंदुओं को ही पलायन करने के लिए इशारा भी कर रही थी, पुलिस पहले से ही मुस्लिम दंगाइयों और मुस्लिम कट्टरपंथियों की चंगुल में है। पुलिस जानती है कि ममता बनर्जी की सरकार मुस्लिम कट्टरपंथियों और मुस्लिम दंगाइयों के सहारे ही बनती है, अगर मुस्लिम कट्टरपंथियों मुस्लिम दंगाइयों की बात नहीं मानी, दंगा फैलाने से मुसलमानों को रोका तो फिर ममता बनर्जी सरकार का कोपभाजन बनना पड़ेगा।

मुस्लिम दंगाइयों ने पत्रकारों को भी बुरी तरह से पीटा । मीडिया को जैसे ही दंगा की जानकारी हुई वैसे ही मीडिया के लोग दंगा की रिपोर्टिंग करने के लिए दंगा ग्रस्त इलाकों में पहुंचे थे। मुस्लिम दंगाइयों ने यह देखा कि उनकी करतूत ,उनकी हिंसा कैमरे में कैद हो रही है वैसे ही मुस्लिम दंगाइयों की भीड़ पत्रकारों पर टूट पड़ी और उन्हें बेरहमी से पिटी। मुस्लिम दंगाइयों की भीड़ पत्रकारों को इसलिए पीटी कि उनकी इन सब करतूत मीडिया में सामने न आ जाए।

हिंदुओं पर हो रही हिंसा की खबर जब भाजपा नेताओं को हुई तब भाजपा के नेता कोलकाता के दंगा ग्रस्त इलाकों में इलाकों में पहुंचे। भाजपा के सांसद राकेट चटर्जी भी पहुंची । पहले से ही हिंसा फैला रहे मुस्लिमों की भीड़ ने लॉकेट चटर्जी की कार पर हमला कर दिया। बीजेपी के नेता और सांसद राकेट चटर्जी किसी प्रकार अपनी जान बचा कर भागी।

मीडिया ने कोलकाता के इस दंगे को दबा दिया। राष्ट्रीय स्तर पर इसकी कोई रिपोर्टिंग नहीं हुई। किसी न्यूज चैनल ने भी इस पर कोई खबर नहीं दी और न ही कोई बहस आयोजित की। कोलकाता के इस दंगे को प्रिंट मीडिया भी स्थान नहीं दिया । मीडिया तभी दंगा दंगा चिल्लाता है जब मुसलमानों का कुछ नुकसान होता है । यदि दंगे में हिंदुओं का कत्लेआम होता है हिंदुओं पर हिंसा कहर बनकर टूटती है तब उन दंगो की मीडिया प्रमुखता के साथ रिपोर्टिंग करता ही नहीं है।

ममता बनर्जी के चुनाव जीतने के बाद और फिर से सरकार में आने के बाद हिंदुओं पर कत्लेआम हिंसा और अपमान की घटनाएं रुक नहीं रही है। खासकर मुस्लिम दंगाइयों, मुस्लिम घुसपैठियों और मुस्लिम आतंकवादी संगठनों द्वारा हिंसा फैला कर हिंदुओं को पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है। अब तक 2 दर्जन से अधिक भाजपा नेताओं की हत्या हो चुकी है। कोलकाता के इस दंगे में भी हिंदुओं को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है । हिंदुओं की पश्चिम बंगाल में रक्षा कैसे हो , मुस्लिम दंगाइयों को कानून का का पाठ कैसे पढ़ाया जाए, यह एक गंभीर प्रश्न है। पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगा कर हिंदुओं की जान माल की रक्षा हो सकती है ।

इस प्रश्न पर आपका विस्तृत विचार अपेक्षित है।

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