नरेश भारतीय
कुछ लोगों को विधान सभा चुनावों में भाजपा की अभूतपूर्व विजय से विस्मय हो रहा है और कुछ को यह परेशानी भी है कि उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत के साथ भाजपा के जीतने से उनके कथित ‘सेकुलरवाद’ को नुक्सान होगा. भारतीय समाज को ध्यान से समझने की कोशिश करें तो स्पष्ट होता चला जाएगा कि यह कथित सेकुलरवाद हिन्दू मुस्लिम को बाँटने और सत्ता हथिआने का माध्यम रहा है. ध्यान से समझने की कोशिश करें तो यह भी स्पष्ट हो जाता है कि आज़ादी से लेकर अब तक राजनीति में इसी सेकुलरवाद के कारण समाज में समरसता का अभाव बना रहा है. मोदी जी के किसी भी वक्तव्य में कहीं भी समाज को इस प्रकार विभाजित करने की बात नहीं कही अपितु सबका साथ सबका विकास’ जैसे नारे देकर सभी वर्गों के साथ समाज में सर्वत्र समान व्यवहार को प्रोत्साहन देने का प्रयत्न किया. गैर भाजपा दलों ने मुसलमानों को वोटबैंक बनाकर उनका अपने हित साधन के लिए इस्तेमाल किया.
मैं देश की जनता को बधाई देना चाहता हूँ जिसने सच्चाई को समझने का प्रयास करते हुए उत्तरप्रदेश में भाजपा को भारी बहुमत से जनादेश दिया है. इस जनादेश को भाजपा झुठलाएगी नहीं अपितु दिनरात एक कर देश के जन जन में भारतीयता के जोड़क भाव निर्माण करेगी. देश का दुर्भाग्य रहा है कि चुनावों में जातिवाद उभर कर सामने आता है . अभी भी परिणाम विश्लेषण तक जातीय और हिन्दू मुसलमान वोटों के आधार पर किए जा रहे हैं. एक तरफ भाजपा है जिस पर साम्प्रदायिक होने के आरोप लगाए जाने की स्थिति में भी वह सभी को साथ लेकर चलने की दिशा में अग्रसर है. इसके विपरीत शेष सभी पार्टियाँ मुसलमानों को अपने पक्ष में खींचने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहती हैं. लगता है जनता अब पूर्वापेक्षा अधिक सजगता के साथ क्या सही है और क्या गलत है का निर्णय करने में सक्षम है.
भारत विश्व में एक महाशक्ति के रूप में भूमिका निभाने के दौर में है. भारत की युवा जनसँख्या अपनी भविष्यक भूमिका निभाने के लिए तत्पर है. इसके लिए मोदी जैसे नेता का देश के लिए दिशा निर्देश करते हुए सक्रिय रहना हितकर ही सिद्ध होगा