दीपक कुमार त्यागी
भारत अब कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बहुत ही संवेदनशील चरण में प्रवेश कर चुका है। कोरोना वायरस का प्रकोप अब शहरी क्षेत्रों में धीरे-धीरे कम होना शुरू हो गया है। बेड, ऑक्सीजन, आईसीयू, वेन्टीलेटर, दवाई व इंजेक्शन के लिए मची आपाधापी वाली स्थिति शहरों में नियंत्रित होने लगी है। लेकिन दूसरी लहर में लोगों की भयंकर लापरवाही व गलतियों के चलते, शहरों के बाद अब हमारे गांवों पर कोरोना महामारी का जबरदस्त खतरा मंडरा रहा है। दूसरी लहर में संक्रमित लोगों की संख्या चार लाख प्रतिदिन के भयावह आकड़े को पार करके वापस आ चुकी है। देश में अब यह किसी से छिपा हुआ नहीं है कि 138 करोड़ लोगों की भारीभरकम जनसंख्या के अनुपात में चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े संसाधनों की भारी कमी है। कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए आवश्यक बेड, ऑक्सीजन, दवाओं और इंजेक्शन की भारी किल्लत व जीवन बचाने के लिए बेहद जरूरी वस्तुओं की कालाबाजारी करने वाले दानवों की वजह से मौत के आकड़ों ने अभी तक के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिये हैं। पिछली 9 मई से 15 मई के सात दिनों में मृतकों का औसत 3991 प्रतिदिन का है, जो अपने प्रिय परिजनों को खोने वाले सभी परिवारों के लिए बेहद डरावनी स्थिति है। हालांकि पिछले कुछ दिनों से अब संक्रमित लोगों की संख्या धीरे-धीरे कम होने लगी है, देश में आठ मई के बाद से रोजाना चार लाख से कम लोग कोरोना से संक्रमित पाये जा रहे हैं, पिछली 9 मई से लेकर के 15 मई के बीच के सात दिनों में संक्रमित लोगों का औसत 3,411,42 व्यक्ति प्रतिदिन का है। वैसे भी कुछ समय से देश में कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या निरंतर घट रही है, सही होने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। देश में अब रिकवरी रेट तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन मौत के बढ़ते आकड़े अभी भी लोगों को डरा रहे हैं।
देश में 19 मई तक के कोरोना से संबंधित आकड़ों पर नजर डाले तो कोरोना के कुल केस “2 करोड़ 55 लाख 9 हजार 83” हैं, जबकि सही होने वाले लोगों की कुल संख्या “2 करोड़ 19 लाख 81 हजार 767” है, वहीं कुल एक्टिव केसों की संख्या “32 लाख 33 हजार 781” है और कुल मौतों की संख्या “2 लाख 83 हजार 335” है। देश में कोरोना से मृत्यु दर 1.11 प्रतिशत मात्र है, जबकि बेहद संतोषजनक बात यह है कि देश में रिकवरी रेट 86.17 प्रतिशत का है, वहीं एक्टिव केस घटकर 12.67 प्रतिशत से कम हो गए हैं। वैसे विश्व स्तर पर कोरोना संक्रमण के एक्टिव केसों के मामलों में भारत का पूरे विश्व में दूसरा स्थान पर है, वहीं कुल संक्रमितों लोगों की मौत की संख्या के मामले में भी भारत का दुनिया में तीसरा पायेदान पर है, दुनिया में अमेरिका, ब्राजील के बाद कोरोना के प्रकोप से सबसे अधिक मौतें हमारे भारत में हुई हैं। देश के दिग्गज नीतिनिर्माता, सरकार, सिस्टम व चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हुए सभी लोग लगातार स्थिति को काबू में करने के लिए रणनीति बनाकर काम कर रहे हैं, शहरी क्षेत्रों में आकड़ों में इसका प्रभाव अब स्पष्ट नजर भी आने लगा है। लेकिन अब देश के ग्रामीण अंचलों को कोरोना के प्रकोप से बचाने की चुनौती हम सभी के सामने खड़ी है। देश में पहली लहर में कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से बच गए गांव, अब कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आ चुके हैं। गांव में संक्रमण ने अपनी तेज रफ्तार पकड़ ली तो उसको आसानी से नियंत्रित करना बेहद मुश्किल होगा। क्योंकि हमारे देश के साढ़े 6 लाख गांवों में लगभग 90 करोड़ लोगों की बड़ी आबादी निवास करती है। इसलिए देश में कोरोना को नियंत्रित करने के लिए सरकार को हर हाल में गांवों को स्वस्थ्य रखना होगा।
इस आपदाकाल में पंचायत चुनाव व पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में लोगों के द्वारा बरती गयी लापरवाही व लोगों के द्वारा कोरोना गाइडलाइंस को ठेंगा दिखाने वाले बहुत सारे कारकों का असली परिणाम शहरों के बाद अब हमारे देश के ग्रामीण अंचलों में सामने आने लगा है। जिस तरह से कोरोना कर्फ्यू के चलते सभी कुछ बंद होने के कारण लाखों की संख्या में लोग बड़े-बड़े महानगरों से निकल करके ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित अपने घरों के लिए बिना किसी रोकटोक व जांच के वापस पहुंचे हैं, उसने देश के विभिन्न राज्यों के ग्रामीण अंचल में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाना शुरू कर दिया है। क्योंकि सरकार के स्तर पर अधिकांश गांवों में घुसने से पहले बाहर से आने वाले लोगों के कोरोना के टेस्ट व कुछ दिन अलग क्वारंटाइन में रखने की अब कोई व्यवस्था पिछले वर्ष की भांति नहीं है। जिसकी वजह से ग्रामीण अंचल की ओर लौटे प्रवासी मजदूरों की मजबूरी ने ग्रामीण अंचल में कोरोना के प्रसार को तेज गति देकर एक बहुत बड़े खतरे का रुख शहरों से ग्रामीण अंचल की ओर मोड़ दिया है। वैसे अधिकांश राज्यों में सरकारी आकड़ों में ग्रामीण अंचल की स्थिति अभी तक पूर्ण रूप से सरकारी नियंत्रण में है। क्योंकि गांवों के लोगों को कोरोना का टेस्ट कराने के लिए पास के बड़े शहर या जिला मुख्यालय के कोविड सेंटर में जाना पड़ता है, लोग भय व इलाज के खर्च की वजह से टेस्ट करवाने जाते ही नहीं हैं, इसलिए आकड़ों में स्थिति नियंत्रण में है। वैसे भी हमारे देश के अधिकांश गांवों में प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों की हालत अच्छी नहीं है, वहां टेस्ट, बेड व बेहतर इलाज की सुविधा तक नहीं हैं। इसलिए ग्रामीण अंचल के लोग टेस्ट व इलाज करवाने में लापरवाही बरत कर एक-दूसरे के जीवन को कोरोना संक्रमण के खतरे में डाल रहे हैं, जो स्थिति बेहद चिंताजनक है। देश में राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, आन्ध्र प्रदेश, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल व तमिलनाडु आदि के ग्रामीण अंचलों में कोरोना खामोशी के साथ कहीं तेज व कही धीमी गति से अपने पैर पसार रहा है। कुछ राज्यों के गांव-गांव में हाल के दिनों में लोगों की मौत खुद स्थिति के बारे में गवाही दे रही हैं। बिहार व उत्तर प्रदेश में गंगा में तैरते हुए शव व गंगा किनारे दफन किये गये भारी संख्या में लोगों के शव इसकी खुद व खुद चीख-चीख कर गवाही दे रहे हैं, हालांकि प्रशासन उनको सामान्य मौत बताकर अपना पल्ला झाड़ रहा है। लेकिन ग्रामीण अंचल में कोरोना के प्रकोप के बारे में दिये गये आकड़ों पर यह उलझने का समय नहीं है, बल्कि सिस्टम में बैठे लोगों से अनुरोध है कि वो भारत के ग्रामीण अंचल को बचाने के लिए समय रहते धरातल पर जाकर कुछ ठोस प्रभावी कदम उठाने का कष्ट करें, शहरों की तरह आपाधापी व कालाबाजारी के हालात ना बनने दे। वैसे भी आकड़ों के चक्कर में आजकल खुली आँखों से स्पष्ट नजर आने वाले हालात पर विश्वास ना करके ग्रामीण अंचल के लोगों की जान को कोरोना संक्रमण के खतरे में डालना बिल्कुल भी ठीक नहीं है। लेकिन फिर भी कुछ लोगों को आकड़ों के अनुसार कार्य करने की आदत पड़ गयी है, उन सभी से अनुरोध है जब तक गांव से जुड़े वास्तविक आकड़े सामने आ पायेंगे, उस समय तक तो गांव की जनता को कोरोना के प्रकोप से बचाने के लिए बहुत देर हो चुकी होगी, इसलिए समय रहते जाग जाओं, गांव-गांव में ग्राम पंचायत के सचिव व प्रधान से वहां के वास्तविक हालात के बारे में जानकारी लेकर रणनीति बनाओं। सरकार को ग्रामीण अंचल में रहने वाले लोगों के लिए तत्काल बड़े स्तर पर एंटीजन टेस्ट व आरटीपीसीआर टेस्ट करवा कर, संक्रमण का प्रकोप झेल रहे गांवों को सैनिटाइज करवाने की व्यवस्था करनी चाहिए। ग्रामीण अंचल के अस्पतालों में इलाज के लिए डॉक्टर, दवाई, ऑक्सीमीटर, बेड, ऑक्सीजन, इंजेक्शन आदि की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। लेकिन सरकार अगर कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार गांव में घोषित मौतों के आकड़ों के अनुसार ही अपनी रणनीति बनाने में लगी रहेगी, तो कुछ राज्यों के ग्रामीण अंचलों में कोरोना का प्रकोप शहरों की तरह जमकर तांडव मचा सकता है। क्योंकि जब तक ग्रामीण अंचलों में आसानी से टेस्ट व इलाज की सुविधा उपलब्ध ही नहीं होगी, तो सिस्टम कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार आकड़े कैसे हासिल कर पायेगा। इसलिए सरकार को समय रहते देश के ग्रामीण अंचलों की बहुत बड़ी आबादी को कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित करने के लिए जल्द से जल्द प्रभावी कदम उठाने चाहिए।