भ्रष्टाचार का बिगड़ता स्वरूप ! वादों से मुकरतीं पार्टियां

-फखरे आलम-  kejriwal

भ्रष्टाचार और परिवर्तन के लिए सत्ता में आई, आप पार्टी ने कुछ ही दिनों में अपना चेहरा और चोला बदलना शुरू कर दिया है। दिल्ली के मतदाताओं ने जिन- जिन अपेक्षाओं और आशाओं के तहत आप को समर्थन दिया था। उस विषयों पर काम न होने और आप के क्रियाकलापों और कार्यशैली पर दिल्ली वाले ठगे से महसूस करने लगे हैं। अपने वादों और इरादों से पलटती पार्टी अभी से आंतरिक कलह का शिकार नजर आ रही है। अनुशासन की कमी और महत्त्वाकांक्षाओं का पराकाष्ठा दिखाई देने लगा है। दिल्ली की सत्ता और बढ़ती लोकप्रियता पार्टी संभाल नहीं पा रही है। आप पार्टी अरविन्द केजरिवाल से केजरिवाल तक सीमित दिखाई पड़ रही है। पार्टी में पद प्राप्ति एवं पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए घमासान चल रहा है। कार्यकर्ता आपस में ही टकराते और उलझते दिखाई पड़ रहे हैं।
अरविन्द केजरिवाल पार्टी प्रमुख एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। जो मुख्यमंत्री बनने से पूर्व लोगों में उम्मीदें जगाई थी, लोगों को आन्दोलन के मध्यम से ललक जगाया था, बिजली की बढ़ती दरों, तेज रफ्तार चलती मीटरें और मीटरों के बिल की भुगतान न करने और जबरन बिजली कनेक्शन जोड़ने और सभी को स्वच्छ और साफ पानी देने का वादा कर रहे थे। सरकारी महकमे और नौकरशाहों पर लगमा लगाने का अर्थ था। आम लोगों को बिना परेशानी, रिश्वत के बिना आसानी से सुगमतापूर्वक कार्य होना। सरकारी महकमे की कमजोरी और समस्याओं को केजरिवाल को इलम है, पर जनता दरबार को ढकोसला आखिर क्यों? आज दिल्ली भर में अफवाहों का माहौल है और केजरीवाल ने स्टिंग और धरपकड़ के नाम पर अराजकताओं और भ्रष्टाचार को और अधिक हवा दी है। दफ्तरों में अफरा-तफरी का माहौल है। केजरीवाल आया केजरीवाल आया, की अफवाहें हैं। आवश्यकता से अधिक सख्ती का रौब दिखाया जा रहा है। कार्यालय में काम नहीं के बराबर हो रहा है। आम जनता बेहद परेशान है और आप को समर्थन देकर निराश नजर आ रही है।

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