राजनीति

बिहार की राजनीति में मानसून ऑफर

-हिमांशु शेखर झा-
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सावन के इस मानसून में ब्रांडेड कंपनियों की तरह आज कल बिहार के राजनीति में भी ‘ऑफर” चल रहा है. एक सुबह एक दैनिक अख़बार के मुख्य पृष्ट का मुख्य समाचार था ‘राजद को जदयू का ऑफर मंजूर”. कंपनियों की तरह जदयू भी नीतीश कुमार के “ब्रांड बिहार’ को उचित ऑफर पर बेचने की कोशिश कर रही है, भाजपा को सम्प्रदायिकता का प्रमाणपत्र देते हुए सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को (जदयू के हिसाबन) एक ही दुकान से अपना सामान बेचने के लिए मना रही है. इसके लिए जदयू के नाम मात्र के निदेशक (क्यूंकि ये खुद ही किसी और के दिशा निर्देश का पालन करते हैं) श्रीमान वशिष्ट बाबू, बिहार से पिछले 10 वर्षों से ब्लैक लिस्टेड हो चुकी राजद से बात कर मानाने में सफल हुए हैं, साथ ही कयास लगाए जा रहे हैं कि हाल के लोकसभा चुनाव में भाजपा के ब्रांड मोदी के सामने देश की राजनीति से तक़रीबन ब्लैक लिस्टेड हो चुकी कांग्रेस भी इस ऑफर का लाभ उठाना चाहती है. हालांकि यह चाह फिलहाल सिर्फ कांग्रेस की ही प्रतीत हो रही है. इस मामले अभी तक जदयू ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

यहां सवाल उठता है कि आखिर यह ऑफर है क्या ? किसी भी दल के लिए राजनीति में अगर अपनी दुकान चलानी हो तो संख्या बल उसकी सबसे बड़ी पूंजी होती है. तो जाहिर सी बात है कि जदयू भी राजद को उचित शीट का ऑफर देकर एक ही छत के नीचे दुकान लगाने का निमंत्रण दी है. मल्टीब्रांड वाले इस दुकान में अपना सामान बेचने की जिज्ञासा राजद के सीईओ लालू प्रशाद यादव ने हाल ही में संपन्न हुए राज्यसभा चुनाव में जदयू उम्मीदवारों के पक्ष में अपने अधिकारीयों (विधायकों) को मतदान करने के आदेश के साथ ही जाहिर कर दी थी.

ऐसे में आने वाले विधानसभा में जदयू शुसासन बाबु के ब्रांड बिहार के आड़ में ब्रांड “मंडल” को बेचने की पुरजोर तैयारी चल रही है. अब देखना दिलचस्प होगा की जदयू राजद और कांग्रेस (संभवतः) के मल्टीब्रांड वाले इस शोरूम के सामने भाजपा अपनी दुकान किस ब्रांड के नाम पर चलाएगी. क्या लोकसभा चुनाव में जिस तरह ब्रांड मोदी यूपी तथा बिहार में अपना परचम लहराया क्या ठीक उसी तरह विधानसभा चुनाव में भी ब्रांड मोदी (सुशील मोदी) के दम पर चुनाव लड़ेगी? सावन के इस पावन महीने में मानसून धमाका शेल चला हुआ है बांकी तो भगवान स्वरुप ग्राहक बिहार की जनता ही तय करेगी की उसे किस ब्रांड का सामान खरीदना है.