समाज

अन्धविश्वास : जादू-टोना, तंत्र-मंत्र व ज्योतिष विद्या के नाम पर…

निर्मल रानी

प्रसिद्ध चिंतक एवं विचारक ओशो अपने एक प्रसंग में बयान करते हैं कि-‘एक अंग्रेज़ हमारे देश में फुटपाथ पर पैदल चला जा रहा था कि सड़क के किनारे बैठे एक ‘ज्योतिषि’ ने उस अंग्रेज़ को आवाज़ देते हुए कहा -‘आईए मैं आपको केवल दो रूपये में आपका भविष्य बताऊंगा। अंग्रेज़ ने जवाब दिया कि मुझे अपने भविष्य के बारे में पता करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। ज्योतिषी उस अंग्रेज़ से बार-बार जि़द करता रहा कि वह दो रुपये खर्च कर अपना भविष्य जान ले। परंतु अंग्रेज़ बार-बार यही कहकर मना करता गया कि मैं अपना भविष्य जानना ही नहीं चाहता। इस पर ज्योतिषी ने झल्लाकर अंग्रेज़ से कहा कि तुम कैसे भौतिकवादी हो जो दो रुपये बचाने के लिए अपना भविष्य ही नहीं जानना चाहते? इसपर उस अंग्रेज़ ने जवाब दिया कि भौतिकवादी मैं नहीं बल्कि तुम हो जो मुझसे दो रुपये ऐंठने के चक्कर में मुझे मेरी इच्छा के विरुद्ध मेरा भविष्य बताने पर तुले हो? कमोबेश आज पूरे भारत में ‘भौतिकवाद’ का यही नज़ारा आसानी से देखा जा सकता है। जो लेाग वास्तव में किसी न किसी समस्या से परेशान हैं वह तो अपनी समस्याओं के समाधान तलाशते ही हैं परंतु जो परेशान नहीं भी हैं उन्हें उकसा कर या बहला-फुसला कर इस बात के लिए आमादा किया जाता है कि वे अपने जीवन में अपना मनचाहा म$कसद हासिल करने के लिए जादू-टोना,तंत्र-मंत्र व ज्योतिष विद्या का सहारा लें।
इसमें कोई दो राय नहीं कि हमारे देश के लोग हमेशा से ही बेहद सीधे-सादे और भोले रहे हैं। और हमेशा से ही इनकी शरा$फत व सादगी का शोषण होता आया है। हमारे समाज में एक अनपढ़-जाहिल परंतु चतुर व चालाक व्यक्ति अपनी युक्ति व तिकड़मबाज़ी से किसी भी समझदार व्यक्ति को ठगने में सफल हो सकता है। हमारे देश के लोगों में एक-दूसरे पर विश्वास करने की भी पुरानी आदत है। ज़ाहिर है यहीं से विश्वासघात भी अपनी जगह बनाता है। मिसाल के तौर पर लाख जागरूक करने के बावजूद तथा चिकित्सकों व मनोवैज्ञानिकों या मनोरोग विशेषज्ञों द्वारा समझाने-बुझाने के बावजूद आज हमारे देश में सैक्स या मर्दानगी संबंधी दवाईयों का बहुत बड़ा बाज़ार है। मर्दानगी की दवाई के नाम पर तमाम कस्म की जड़ी-बूटियां  सड़कों पर बिक रही हैं तथा अनेक शिफ़ाख़ाने  व औषधालय आदि चल रहे हैं। अखबारों में इस संबंध में झूठे विज्ञापन प्रकाशित किए जाते हैं तथा फ़र्ज़ी  मरीज़ों के झूठे बयान प्रकाश्ति कराए जाते हैं। यहां तक कि फ़र्ज़ी लोगों के फ़र्ज़ी फ़ोन नंबर पर भी आप बात कर संतोष हासिल कर सकते हैं कि अमुक व्यक्ति ने इस दवाई का इस्तेमाल किया था और उसे इसका लाभ हुआ।
हमारे देश के ‘देसी बाज़ार’ में ऐसा ही एक और धंधा कई दशकों से चला आ रहा है। रेलवे लाईन के किनारे की दीवारों पर,बाज़ारों में, अधिक भीड़ वाली पैसेंजर रेलगाडिय़ों में तथा स्थानीय बसों में आपको तरह-तरह के वैद्यों, हकीमों, बाबाओं, सूफ़ी, बंगाली बाबा, ज्योतिषाचार्य, पंडित जी, हकीम अथवा वैद्य सम्राट शीर्षक के नाम के तमाम स्टिकर, इश्तिहार, पोस्टर अथवा पंफलेट लगे मिल जाएंगे। इन इशितहारों में कई ‘दिलेर’ क़िस्म के ठगों ने तो अपनी बहुरूपिया सी फ़ोटो भी छपवा रखी है जबकि कई इश्तिहार ऐसे हैं जिनमें शिरडी वाले साईं बाबा के चित्र का प्रयोग किया गया है तो कई में इंद्रजाल या भूत-प्रेत के रेखाचित्र छापे गए हैं। इन इश्तिहारों में ‘ठगानंद’ वैद्य-हकीम अपने संपर्क नंबर मोटे-मोटे अक्षरों में प्रकाशित करवाना नहीं भूलते। इन इश्तिहारों में जिन रोगों,परेशानियों व चिंताओं का समाधान करने का यह लोग दावा करते हैं वह भी गौर फरमाईए। ऐसे ठग तांत्रिकों व तथाकथित ज्योतिषियों का दावा है कि वे कारोबार,नौकरी,सौतन से छुटकारा,  गृह क्लेश,व्यापार में लाभ,प्रेम विवाह,मनचाहा प्यार हासिल करना,दुश्मन को अपने सामने तड़पता देखने प्यार में धोखा खाए हुए प्रेमी-प्रेमिका, पति-पत्नी में अनबन, मुठकरणी, प्यार व शादी में रुकावट,पति या प्रेमी किसी और के चक्कर में हो तो उसका ध्यान हटाना, लोगों के दिलों पर राज करने की कला, वशीकरण,परीक्षा में पास होने जैसे विषयों में सौ प्रतिशत सफलता की गारंटी देते है।
ऐसे आधारहीन विज्ञापनों में तरह-तरह की शेर -शायरी भी लिखी होती है जिसे पढ़कर शरीफ व सीधे-सादे लोगों में जोश व आत्मविश्वास पैदा होता है। हमारे समाज में उपरोक्त समस्यओं अथवा नामर्दी जैसे विषयों पर वैसे भी कोई व्यक्ति एक-दूसरे से अपनी परेशानियां सांझा नहीं करना चाहता। यही वजह है कि इन ठगरूपी ज्योतिषियों,बाबाओं व हकीमों के काले कारनामों व इनके ठगी के इस धंधे का भंडाफोड़ नहीं हो पाता। और इनकी ठग विद्या पर आधारित यह दुकानदारी केवल विज्ञापन व इश्तिहार के दम पर चलती ही रहती है। मिसाल के तौर पर यदि किसी व्यक्ति ने अपने किसी दुश्मन को नीचा दिखाने या उसे अपनी आंखों के सामने तड़पता हुआ देखने के म$कसद से किसी ठग तांत्रिक की सेवाएं लीं तो निश्चित रूप से उसे उस तांत्रिक को पहले उसके सेवा शुल्क का भुगतान करना होगा। उसके बाद वह तांत्रिक या ज्योतिषी उसे तरह-तरह के उपाय सुझाएगा। यह उपाय कभी कष्टदायक तो कभी दीर्घकालिक भी होते हैं। अब आप यह मानकर चलिए कि इन उपायों के करने के बाद भी उसके दुश्मन का कुछ नहीं बिगडऩे वाला। अब आप स्वयं सोचिए कि कोई ग्राहकअपने दुश्मन को तड़पता हुआ न देखने की स्थिति में अपनी शिकायत लेकर आ$िखर कहां जाएगा? न ही वह किसी थाने में अपने ठगे जाने की रिपोर्ट कर सकता है न ही अपने किसी मित्र या परिजन से यह राज़ बता सकता है। क्योंकि उसे यह भी डर होगा कि कहीं उसके दुश्मन को भी यह पता न चल जाए कि वह उसे नुकसान पहुंचान हेतु किसी ज्योतिषी के दरवाज़े खटखटा रहा है।
हमारे सीधे-सादे व शरीफ नागरिकों को इस प्रकार के फ़र्ज़ी व ढोंगी नेटवर्क से छुटकारा दिलाने की ज़रूरत है। सरकार व प्रशासन को चाहिए कि इस प्रकार के झूठे दावे करने वाले इश्तिहारों को सार्वजनिक रूप से कहीं चिपकाने पर पाबंदी लगाए। ऐसे इश्तिहार फ़र्ज़ी तो होते ही हैं साथ-साथ यह इश्तिहार तमाम रेलगाडिय़ों के डिब्बों,बस अड्डों व सार्वजनिक सरकारी व गैर सरकारी दीवारों को भी गंदा करते हैं। पढ़े-लिखे व जागरूक लोग जहां ऐसे इश्तिहारों को देखकर इनका मज़ा$क उड़ाते हैं वहीं देश की भोली व मासूम जनता इन इश्तिहारों पर विश्वास कर इन्हें फोन मिलाकर इनके चंगुल में भी फंस जाती है। ज़ाहिर है हमारा देश प्राचीनकाल में ‘विश्वगुरु’ कहा जाता था मगर कलयुग के इस दौर में सच्चे गुरु की तलाश तो शायद संभव नहीं। हां,ऐसे ढोंगी गुरु घंटाल तो लाखों की तादाद में इधर-उधर घूमते-फिरते,भटकते दिखाई दे जाएंगे। ऐसे ही कुछ ‘बुद्धिमान’ चतुर एवं चालाक लोगों ने तंत्र-मंत्र,ज्योतिष तथा दुआ-ताबीज़ व आशीर्वाद के नाम पर ठगी का जाल बिछा रखा है। निश्चित रूप से इनके पास अपने दावों के समर्थन में कोई थ्यौरी, प्रमाणिकता अथवा तर्क नहीं हैं। इस काम को यह लोग भले ही अपने इश्तिहारों के माध्यम से शत-प्रतिशत सफलता हासिल करने वाला धंधा क्यों न बताते हों परंतु इसमें सफलता हासिल करने की दरअसल एक प्रतिशत भी संभावना नहीं होती है। लिहाज़ा सरकार व प्रशासन को इनकी क़लई तो खोलनी ही चाहिए साथ-साथ समाज के शिक्षित, सचेत व जागरूक लोगों को भी चाहिए कि वे आम जनता को खासतौर पर शरीफ़ व सज्जन लोगों को ऐसे ठगों के चंगुल में फंसने से बचाने के लिए जागरूकता मुहिम चलाएं।