बुद्ध पूर्णिमा 2020 (वैशाख पूर्णिमा)

हिंदू धर्म में बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है। बैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध का जन्‍म हुआ था। पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार भगवान बुद्ध को श्री हरि विष्‍णु का अवतार माना जाता है। माना जाता है कि इसी दिन उनको बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्‍ति हुई थी।

वैशाख पूर्णिमा पर सत्यविनायक व्रत रखने का भी विधान है। मान्यता है कि इस दिन सत्य विनायक व्रत रखने से व्रती की सारी दरिद्रता दूर हो जाती है। मान्यता है कि अपने पास मदद के लिये आये भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा (ब्राह्मण सुदामा) को भी इसी व्रत का विधान बताया था जिसके पश्चात उनकी गरीबी दूर हुई। वैशाख पूर्णिमा को धर्मराज की पूजा करने का विधान है मान्यता है कि धर्मराज सत्यविनायक व्रत से प्रसन्न होते हैं। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से व्रती को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता ऐसी मान्यता है।

वैशाख पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का बहुत बड़ा  महत्व है, इस दिन व्रती को जल से भरे घड़े सहित पकवान आदि भी किसी जरूरतमंद को दान करने चाहिये। व्रती को पूर्णिमा के दिन प्रात:काल उठकर स्नानादि से निवृत हो स्वच्छ होना चाहिये। तत्पश्चात व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिये। रात्रि के समय दीप, धूप, पुष्प, अन्न, गुड़ आदि से पूर्ण चंद्रमा की पूजा करनी चाहिये और जल अर्पित करना चाहिये। तत्पश्चात किसी योग्य ब्राह्मण को जल से भरा घड़ा दान करना चाहिये। ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को भोजन करवाने के पश्चात ही स्वयं अन्न ग्रहण करना चाहिये। सामर्थ्य हो तो स्वर्णदान भी इस दिन करना चाहिये।

हिंदू धर्म में इस तिथि को बुद्ध पूर्णिमा कहा गया है क्योंकि 563 ई. पू. में इस दिन महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था। ई.पू. 531 में बोध गया में निरंजना नदी के तट पर महात्मा बुद्ध को पीपल के वृक्ष के नीचे बोधि यानी ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसके अलावा ई.पू. 483 में इसी तिथि को महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण भी हुआ था यानी इन्होंने देह त्याग किया था। महात्मा बुद्ध के जीवन की ये तीनों बड़ी घटनाएं बैशाख पूर्णिमा को होने की वजह से बौद्ध धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है।

ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे बड़ा दिन माना जाता है। इस दिन भगवान बुद्ध का भी जन्म हुआ था, यही नहीं बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ। 

वैशाख पूर्णिमा के दिन उन्हें बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई, तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। भगवान बुद्ध के उपदेश आज भी दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने आध्यात्मिकता का  महत्व बताते हुए कहा था कि जिस प्रकार मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती वैसी ही मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।

हिंदू धर्म को मानने वाले भी इस दिन को बहुत ही पवित्र और शुभ मानते हैं क्योंकि शास्त्रों में भगवान विष्णु के 10 अवतारों का वर्णन मिलता है जिनमें 9वां अवतार बुद्ध को बताया गया है। इसलिए हिंदू धर्म में इस दिन भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की पूजा का विधान है।

विशेष संयोग भी बन रहा इस बुद्ध पूर्णिमा पर–

ज्योतिर्विद पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि इस (गुरुवार) 7 मई 2020 को बैशाख मास की पूर्णिमा तिथि है। इस वर्ष इस तिथि के दिन चंद्रमा शुक्र की राशि तुला में होंगे। बुध की दृष्टि चंद्रमा पर रहेगी। सूर्य और चन्द्रमा के बीच समसप्तक योग बना रहेगा। 

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार इस बुध पूर्णिमा पर शुभ संयोग यह भी है कि मंगल, मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में संचार कर रहे होंगे और चंद्रमा के राहु केतु के अक्ष से बाहर होने की वजह से कालसर्प योग का प्रभाव भी नहीं रहेगा। इस दिन राहु का नक्षत्र स्वाति उपस्थित रहेगा। ऐसे में राहु के विपरीत प्रभाव से परेशानी में चल रहे लोगों के लिए आज का दिन अच्छा अवसर लेकर आया है। इस शुभ योग में आप तिल, गुड़, चना, सत्तू का दान करके राहु के अशुभ प्रभाव को कम कर सकते हैं। इसके साथ ही धन संबंधी परेशानी दूर करने के लिए भी आप कुछ उपाय कर सकते हैं।

जानिए बुद्ध पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त —

बुद्ध पूर्णिमा की तिथि: 7 मई 2020

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 6 मई 2020 को शाम 7 बजकर 44 मिनट से 

पूर्णिमा तिथि समाप्‍त: 7 मई 2020 को शाम 04 बजकर 14 मिनट तक 

जानिए बुद्ध पूर्णिमा के दिन कैसे करें पूजा-

–सबसे पहले सूर्य उदय से पहले उठकर घर की साफ-सफाई कर लें।

–इसके बाद स्नान करके खुद पर गंगाजल का छिड़काव कर लें। 

–घर के मंदिर में विष्णु जी की प्रतिमा के सामने दीपक जलाकर उनकी पूजा करें। 

–घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाकर वहां गंगाजल छिड़क दें। 

–पूजा करने के बाद गरीबों को भोजन करवाकर उन्हें कपड़े दान करें।

–अगर आपके घर में कोई पक्षी हो तो उसे बुद्ध पूर्णिमा के दिन आजाद कर दें।

–इसके बाद शाम को उगते चंद्रमा को जल अर्पित करें।

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