बजट पर किसान परिचर्चा

farmer1-किसानों की व्यथा
मैथिली शरण गुप्त ने किसानों की व्यथा इस प्रकार व्यक्त की है-
हो जाए अच्छी फसल पर लाभ कृषकों को कहां
खाते खवाई बीज ऋण से है रंगे रक्खे जहां
2-बजट से आस बंधी
आज भी कुछ ऐसा ही हाल है किसानों का। अगर प्रकृति की नजर टेढ़ी गुई तो फसल बरबाद। फिर रोता रहता है किसान। फसल अच्छी भी हो गई तो उसे ऋण चुकाना है। फिर भी रोता है लेकिन कम। वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजट 2016-17 से किसान को आस बंधी है। किसान कहते हैं कि यह नरेन्द्र मोदी की नहीं भाजपा की नहीं किसानों की सरकार है। यहां तक कह रहे हैं कि अगर बजट के प्रावधानों को ठीक से लागू कर दिया गया तो किसान फिर से नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाएंगे। किसानों का कहना है कि हमारी आय 2022 तक नहीं 2019 तक दोगुनी कर दीजिए। किसान गुरुवार को पत्रिका उत्तर प्रदेश के सिकंदरा स्थित आगरा कार्यालय में बजट पर परिचर्चा कर रहे थे।
3- घोषणाओं को विधिवत लागू करे सरकार
भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष और किसान नेता मोहन सिंह चाहर कहते हैं- पहली बार बजट में किसानों की चिन्ता की गई है। सिंचाई के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान है। 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य है। हमारा सुझाव है कि यह काम 2019 तक कर दिया जाए। दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय मिशन योजना में सरकार सूखा राहत देगी जो स्वागत योग्य है। फसल बीमा योजना बड़ा कदम है। खेत से खलिहान तक फसल का बीमा है। राष्ट्रीय स्तर पर मंडियां खोलने से किसान का उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा। सरकार अपनी घोषणाओं को विधिवत लागू करे तभी लाभ मिलेगा।
इन सुझावों पर भी अमल हो। श्री चाहर का कहना है कि आगरा में 27 लाख टन आलू पैदा होता है। गन्ना गेहूं चावल की तरह आलू का भी समर्थन मूल्य घोषित किया जाए। सरकार खरीदे और भंडारण करे ताकि किसान का आलू खेत में न सड़े। राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया जाए। फसल ऋण एक फीसदी ब्याज पर देने की घोषणा चुनाव में की गई थी जिसे पूरा किया जाए। डीजल और पेट्रोल के दाम कम किए जाएं। मोदी सरकार ने दूसरे बजट में ही सही किसानों की चिन्ता की है।
4- घोषणाएं धरातल पर उतरेंगी तो गांव स्वर्ग बन जाएंगे
सुखवीर सिंह प्रधान गढीमा (अछनेरा कहते हैं कि केन्द्र सरकार के बजट में पहली बार किसान है। फसल बीमा महत्वपूर्ण है। फिलहाल तो बीमा के नाम पर ठगी हो रही है। प्रधानमंत्री ने हर ग्राम पंचायत के लिए 80 लाख रुपये देने की बात कही है। गांव आत्मा हैं देश की। अगर घोषणाएं धरातल पर उतरेंगी तो गांव स्वर्ग बन जाएंगे। कम लागत में अच्छी व्यस्थाएं हो सकती हैं। सबकुछ पहली बार देखने को मिल रहा है। फिलहाल तो दयनीय स्थिति है।

5- 2018 तक आय दोगुनी की जाए
डावली (किरावली तहसील से आए हमवीर सिंह का कहना है कि घोषणाओं पर अमल करें तो किसानों को काफी लाभ होगा। भारतीय किसान बीमा योजना डेयरी योजना से किसानों को काफी लाभ होगा। किसान की आमदमी दोगुनी 2018 तक करें। रासायनिक खादों के स्थान पर जैविक खाद की योजना ठीक है। किसान ऋण को माफ करने की सोचें तो उचित रहेगा।
6-अनुपयोगी भूमि का अधिग्रहण करें
गढ़ीमा अछनेरा के युवा किसान प्रदीप देशवाल बताते हैं कि पहली बार बजट में 70 फीसदी जनता को फोकस में किया है। पूंजीपतियों का खयाल तो विपक्षियों ने रखा है। किसानों की बदहाली को ध्यान में रखकर काम किए गए हैं। उनका कहना है कि खेती की भूमि अधिग्रहीत करने के स्थान पर गांवों की अनुपयोगी भूमि का उपयोग करें।
7-सूखा से निपटने के लिए नदियों को जोड़ा जाए
नेत्रपाल सिंह (अलबतिया ने कहा कि बजट में पहली बार सिंचाई के लिए पैसा आवंटित हुआ है। बंजर भूमि तक पानी पहुंच जाता है तो सूखाग्रस्त नहीं रहेगा। अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और किसान खुशहाल रहेगा। नदियों को आपस में जोड़ा जाए। मोबाइल कनेक्टिविटी की तरह हर खेत तक पानी की कनेक्टिविटी हो। लक्ष्मण सिंह जूरैल (नगला तलसा किरावली तो पूरी तरह भाजपाई नजर आए। उन्होंने कहा देश में सोनिया गाँधी राहुल गांधी बहुरुपिया हैं। वे किसानों का भला देख चिढ़ रहे हैं। मोदी सरकार ने 70 फीसदी गांव की जनता का ध्यान रखा है। बैंक से कम ब्याज पर लोन मिलेगा। ये नरेन्द्र मोदी की नहीं किसानों की सरकार है। किसान अन्न उपजाने के लिए पसीना बहाता है। भारत माता की रक्षा के लिए खून भी बहाएगा।
8- पांच लाख रुपये तक के ऋण माफ हों
कठवारी के सन्नो चौधरी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने बजट में मनरेगा में पैसा बढ़ाया है। इससे गांवों का विकास होगा। सिंचाई की घोषणा से लाभ होगा। जैविक खाद से हम संतुष्ट हैं। किसान बीमा मिला है। सुझाव है कि पांच लाख रुपये तक के ऋण माफ किए जाएं। छीतर सिंह (मगटई बिचपुरी ने भी इसी तरह की बात कही।
9- केन्द्र का पैसा सीधे किसान के खाते में पहुंचे
रामवीर सिंह चाहर (बिलासगंज ने कहा कि बजट अच्छा है। जरूरत है काम पूरे करने की। हरी सिंह (कठवारी अछनेरा ने कहा कि बजट के बाद किसान बहुत आगे बढ़ सकता है। खाद सस्ती होनी चाहिए। चंदन सिंह चाहर (बसेरी चाहर किरावली ने कहा कि बजट पर अमल हो। किसान एक-एक गाय रखें, उन्हें फयदा होगा। जैविक खाद मिलेगा। देश को फायदा होगा। सूखा राहत में यूपी सरकार ने कुछ नहीं किया। केन्द्र पैसा भेजता है ये कहते हैं नहीं मिला। इसलिए केन्द्र का पैसा सीधे किसान के खाते में पहुंचना चाहिए।

10-आलू का निर्यात करे सरकार
मघटई बिचपुरी के कैलाशी ने कहा कि मोदी सरकार ने अच्छा काम किया है। घोषणाएं सही तरीके से लागू हों तभी लाभ होगा। जय सिंह (पूर्व प्रधान मघटई ने कहा कि जैविक खाद योजना से गरीब जनता को काम मिलेगा। किसानों का गोबर खेत में जाएगा। डालचंद (मघटई ने कहा कि बजट अच्छा है। गरीब किसानों को सीधे लाभ होगा। लक्ष्मण सिंह (धिमश्री फतेहाबाद ने कहा कि अच्छा बजट है। 2022 तक दोगुनी आय हो जानी चाहिए। सरकार आलू का निर्यात करे।
11-बैंक लोन अदा करने वालों को छूट दी जाए
पुष्पेन्द्र चौधरी (चौहटना ने कहा कि बजट तो ठीक है। किसानों के लिए कुछ करके अहसान न करें। खाद सस्ती दर पर मिले। ब्याज दर कम रहें। जो लोग ईमानदारी से बैंक लोन अदा कर रहे हैं उन्हें छूट दी जाए। बैंकों को बड़े किसान ही मूर्ख बनाते हैं। वे बैंक लोन माफ कराने के चक्कर में रहते हैं। छोटा किसान ही मारा जाता है। वे कहते हैं कि सरकार ने ठीक काम किए तो फिर से रिपीट करेंगे।
12- किसानों के लिए डीजल राशनकार्ड बनवाए जाएं
आगरा से 80 किलोमीटर दूर पिनाहट से आए गिरीश बाबू की नजर में बजट बहुत अच्छा है। मंडी बनना किसान के हित की बात है। खेती का लागत मूल्य कम किया जाए। खाद और बीज पर सब्सिडी मिले। गेहूं का समर्थन मूल्य 50 रुपये बढ़ता है, लागत 100-500 रुपये बढ़ती है। खाद की कीमतें दोगुनी से अधिक हो गई हैं। इसी कारण खेती से मोह भंग हो रहा है। आशा है कि मोदी सरकार कुछ करेगी। किसानों के लिए डीजल राशनकार्ड बनवाए जाएं। सिंथेटिक दूध की बिक्री रोकी जाए ताकि किसान के दूध के सही दाम मिल सकें।

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