व्‍यंग/बेटा अकादमी के चूहे का

-पंडित सुरेश नीरव

वह आज भी दफ्तर से बिना काम किये शान से वेतन उठा रहा है। दफ्तर में वह कभी काम करता है यह कहकर मैं उसे सपरिवार अपमानित नहीं करना चाहता। बिना काम किए प्रमोशन पाने की खानदानी परंपरा को वह आज भी बरकरार रखे हुए है। पिताजी ने नसीहत देते हुए अपने कर्मठ बेटे से कहा था कि- बेटा दफ्तर में काम भूले से भी कभी मत करना। यह एक ऐसा व्यसन है जो अगर एक बार लग गया तो फिर जिंदगीभर नहीं छूटता है। इसलिए काम करने की गलती खुद तो करना ही नहीं दूसरे साथियों को भी आराम से काम मत करने देना। खुद काम न करने का सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि जब काम करोगे ही नहीं तो गलती कहां से होगी। सर्विस का ट्रेकरिकार्ड हमेशा साफ-सुथरा रहेगा। और सुनो दूसरे साथियों का काम जब फाइनल स्टेज तक पहुंच जाए तो उनकी गलतियां गोपनीयरूप से बास को बताकर उनकी छवि और मेहनत दोनों पर पानी फेरने का नियमित व्यायाम तुम जरूर करते रहना। बेटा इससे तुम्हारा विभागीय स्वास्थ्य हमेशा फिट रहेगा और दफ्तर-दफ्तर का खेल भी हिट रहेगा। तुम चूंकि कोई काम करते ही नहीं हो तो सारे साथी लामबंद होकर भी गलती से भी कभी तुम्हारी कोई गलती पकड़कर बास को बता नहीं पाएंगे।

और इधर सबकी गलती निकालते रहने के कारण बास गलती से तुम्हें ही सबसे योग्य स्टाफ मेंबर मानने लगेगा। और उसकी यही गलती तुम्हारे लिए प्रमोशन का वरदान बन जाएगी। बास चाहे कितना भी खूसट क्यों न हो उसकी खूबसूरती और अच्छे व्यवहार की बिना नागा तुम तारीफ करते रहना। वह गलती से तुम्हें अपना सबसे बफादार साथी यानी चमचा नंबर वन मानने लगेगा। और यहीं से शुरू होगा तुम्हारी कुशाग्रता का कुटिल खेल। जिसकी बदौलत तुम बास को आसानी से शक्तिमान की जगह स्पाइडरमैन बनाना शुरू कर सकते हो। कुछ दिनों में ही वह अपने ही जाल में फंसकर बाहर निकलने के लिए फड़फढ़एगा और मदद के लिए तुम्हारे आगे गिड़गिड़ाएगा। तुम उसे समझाना कि सर..काम ठीक से कराने के लिए जरूरी है कि स्टाफ पर हमेशा नकेल कसी जाती रहे। इससे आपका प्रशासनिक आतंक बना रहेगा और अनुशासन भी बना रहेगा। आप बस एक-दो लोगों को वार्निंग लेटर दे दीजिए..।

इससे मुझे क्या फायदा होगा, धूर्त पुत्र ने अपने इकलौते अनुभवी बाप से पूछा। पिताजी ने समझाया- हे आर्यपुत्र.. मेमोलेटर पाते ही स्टाफ मेंबर खड़ूस बास के विरोधी हो जाएंगे। उसके खिलाफ आंय़-बांय-सांय बकेंगे। और बस यहीं से नमक-मिर्च लगाकर स्टाफ के खिलाफ बास के कान भरने का तुम्हारा धार्मिक कृत्य शुरू हो जाएगा। तुम्हारी इस दिव्य लीला को न बास समझ पाएगा और न स्टाफ मेंबर। मगर एक बाद जरूर ध्यान में रखना कि अपने साथियों के चरित्र हनन का धारावाहिक कार्यक्रम हमेशा उनके दफ्तर से चले जाने के बाद ही किया करना। इससे एक तो पिटने-पिटाने का जोखिम नहीं रहता है दूसरे चुगली का काम भी तसल्लीबख्श होता है।

मगर बास शाम को मेरे कहने से दफ्तर में रुकेगा क्यों। बास तो अपने मातहतों को आफिस टाइम के बाद रोक सकता है मगर मैं बास को रोकूं और वो रुक जाए ऐसा कैसे हो सकता है। पिताश्री इसकी तकनीक जरा विस्तार से समझाएं। बापू बोले- बेटा..बास को अकेले में रोकने के लिए तुम्हें अपनी अंटी भी ढीली करनी पड़े तो झिझकना मत। आफिस टाइम में ही बास के कान में जाकर कहना-सर..आप आज बहुत स्मार्ट लग रहे हैं। मैं शाम को इसे सेलीब्रेट करना चाहता हूं। आप साथियों के चले जाने के बाद थोड़ा-सा रुक जाइएगा। और सुनो दफ्तरी जिंदगी में एक सूत्र हमेशा याद रखना कि बास को झूठी प्रशंसा से और दफ्तरी साथियों को बास की झूठी निंदा से ही जीता जा सकता है। यह मेरा आजमाया हुआ अचूक नुस्खा है। तुम देखना बास क्या बास का बाप भी रुकेगा। कुटिल तजुर्बों की अकड़ को आवाज में बैठाते हुए पिताश्री ने अपनी दफ्तरी जिंदगी का गुप्तज्ञान पुत्रहित में सार्वजनिक किया। एक-दो शाम चाय-समोसे का न्यूनतम निवेश करके बेटे तुम बास को मनमाफिक उच्चतम गति से खर्च कर उसकी मनचाही दुर्गति कर सकते हो। समझ गए न बेटे..एक बार जाल में फंसा तो रिटायरमेंट तक तुम्हारे फैलाए जाल के जंजाल से वह निकल नहीं पाएगा। आंख मूंदकर वह तुम्हारी हर बात मानेगा। आँखे होते हुए भी वह तुम्हारा अपना अँधा होगा। वो धृतराष्ट्र और तुम उसके दुर्योधन। वह अंधा तुम उसकी लाठी। ऐसी लाठी जो सहारा नहीं मौका मिलते ही अंधे पर वार करे। जिसकी चोट पड़े तो.. मगर दिखे नहीं। गुम चोट देनेवाली लाठी। ये गुम चोट बास को कैसे दी जाती है,मक्कारी की कोचिंग ले रहे बेटे ने खेले-खाए पिताजी से आदरपूर्वक पूछा। तब षडयंत्रशिरोमणि प्रचंड-प्रपंची पिता ने भावुक होकर बेटे को बताया कि ऐसे समय में जबकि बास के स्टाफ के सभी सदस्यों से संबंध खराब हो चुके हों तब तुम स्टाफ के सदस्यों के साथ उठना-बैठना शुरू कर देना। और अनकूल अवसर देखकर हल्के से बास की बुराई करके उनके मन की थाह लेना शुरू कर देना। ध्यान रहे बुराई का यह डोज कम पोटेंशी का ही रखना।. वरना इसके साइड इफेक्ट तुम्हारे लिए भी नुकसानदायक हो सकते हैं। स्टाफ में उठने-बैठने के तुम्हारे इस भौतिक परिवर्तन का बास पर रासायनिक प्रभाव पड़ेगा। छटपटाहट के तेजाब से बिलबिलाते हुए वह तुम्हारे इस बदलाव को भांपने की कोशिश करेगा। वह तुमसे शाम को रुकने की मनुहार करेगा। तुम्हारी मनुहार तुम्हारा बास करे, यह तुम्हारी कुटिलता की नैतिक जीत होगी। तुम कामयाब हुए। हम हो गए कामयाब.. गीत का उत्साह अंतस में भरकर शाम को चाय की चुस्कियों के बीच तुम बास पर मर्मांतक प्रहार करते हुए कहना कि –सर..गजब बो गया। सारा स्टाफ आपके खिलाफ लामबंद हो गया है। और जल्दी ही बड़े साहब से मिलकर आपके खिलाफ ज्ञापन देने का कुकृत्य करने पर आमादा है। मुझे कुछ भनक-सी लगी थी इसीलिए मैं आज इनके बीच बैठा था। मैं अगर वहां नहीं बैठता तो इस प्रोजेक्ट का कैसे पता लगता। बेहयाई में हृष्ट और निकृष्टता में पुष्ट पिता ने बेटे को समझाया कि तेरे इस संवाद को सुनने के बाद तेरा बास का मुंह ऐसा हो जाएगा जैसे कोई कंप्यूटर हैंग हो गया हो। साथियों की जड़ें कुतरने में माहिर,अफवाह फैलाऊ पुत्र के चेहरे पर कुत्सित हँसी की सात्विक आभा तैरने लगी। बेटे के खानदानी हरामीपन की छमाही परीक्षा लेते हुए पिता ने बेटे से पूछा- ऐसी नाजुक और हाहाकारी स्थिति में तू क्या करेगा,बेटे। तो पुत्र ने चहकते हुए कहा डैडी ऐसी अनुकूल स्थिति में मैं अपने बास के भेजे में झूठे आश्वासन की हवा भरते हुए उसे गुब्बारा बनाऊँगा।और कहूंगा कि सर..आप कतई चिंता मत कीजिए। सीईओ की चेली मेरी बहुत अछ्छी मित्र है। मैं उससे कहकर इन खुरापातियों का पहले ही बैंड बजवाए देता हूं। आप ऐसा करे कि फौरन से पेश्तर एक-दो आतताइयों को वार्निंग इसू कर दीजिए और उसकी एक कापी सीधे सीईओ को मेल कर दीजिए। इस लाठी चार्ज से कुछ बगावतियों की तो ऐसी कमर टूट जाएगी कि वे आपके खिलाफ दिए जानेवाले ज्ञापन पर साइन ही नहीं करेंगे। और फिर भी जो साइन कर दें उन पर आप अनुशासनात्मक कार्रवाई कर दें।

शेर चूहे के बिछाए जाल में फंस चुका है। चूहा शेर को जाल से निकलने के अब गुर सिखा रहा है। उसीने दर्द दिया अब वही दवा देगा। दवा देगा या दबा देगा ये तो वक्त बताएगा। बाप खुश है कि बेटे ने खानदान की नाक नहीं कटवाई है। उनका लाड़ला आफिस में काम नहीं करता है बल्कि आफिस का काम तमाम करता है। आखिर खानदानी चूहा जो ठहरा। जड़ें कुतरने की प्रतियोंगिता का हमेशा खिताब जीतनेवाला सर्वशक्तिमान चूहा। जाल में फंसा बास और बाहर कसमसाता स्टाफ घिनियाई आंखों से उस चूहे को देख रहा है। और चूहा पूंछ ऊंची किए सीईओ के केबिन में घुस रहा है। बड़बड़हट का कोरस दफ्तर में गूंजता है- पता नहीं किस-किस की फाइल कुतरेगा यह चूहा। तभी एक दुखी दफ्तरी आवाज आई- अरे भाई..जब असली गणेश को ही चूहे ने अंटे में ले लिया तो इन गोबर गणेश बासों की क्या औकात जो चूहे के अंटे में न आएं। पंचतंत्र की कथाओं में तो यही चूहा ऋषि को मक्खन लगाकर शेर की पोस्ट तक पहुंच गया था और फिर जब वह ऋषि पर ही झपटा तो ऋषि की समझ में आया कि एक अदना चूहा उसे ही गधा बना गया। अपने अफसरों को हर युग में चूहों ने गधा ही बनाया है। इस बार भी बना रहा है। मगर यह चूहा अफसरों को गधा बनाने के खेल में सेंचुरी जरूर बना लेगा। मुझे इसकी प्रचंड प्रतिभा की जानकारी है। आखिर अकादमी के चूहे का बेटा जो ठहरा।

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