बच्चों का पन्ना बेसन की मिठाई May 25, 2013 / May 25, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment बेसन की मिठाई है आई रे, मोरे मम्मा ने भेजी| मम्मा ने भेजी और माईं ने भेजी| बेसन की मिठाई है आई रे, मोरे मम्मा ने भेजी| देखो मिठाई है कितनी गुरीरी| घी की बनी है और रंग की है पीरी| माईं ने ममता मिलाई रे, मोरे मम्मा ने भेजी| काजू डरे हैं और किसमिस […] Read more » बेसन की मिठाई
बच्चों का पन्ना सूरज ऊंगत से उठबो May 25, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment सूरज निकर परो पूरब सें, परे परे तुम अब लौ सो रये| कुनर मुनर अब काये करत हो, काये नें उठकें ठाँड़ॆ हो रये| ढोर ढील दये हैं दद्दा ने, और चराबे तुमखों जाने| चना चबेना गुड़ के संगे, बांध दओ है बौ अम्मा ने| अब तो उठ जा मोरे पुतरा, कक्का बेजा गुस्सा हो […] Read more » सूरज ऊंगत से उठबो
बच्चों का पन्ना धन्य धरा बुंदेली May 23, 2013 / May 23, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 2 Comments on धन्य धरा बुंदेली धन्य धरा बुंदेली है जा, धन्य धरा बुंदेली| रामलला कौ नगर ओरछा, कित्तो लोक लुवावन| कलकल,हरहर बहत बेतवा, कित्ती नौनी पावन| बीच पहारन में इतरा रई, जैसें दुल्हन नवेली| धन्य धरा बुंदेली है जा, धन्य धरा बुंदेली| वीर नारियां ई धरती की, रईं दुस्मन पे भारी| जान लगाकें […] Read more » धन्य धरा बुंदेली
बच्चों का पन्ना मधु मक्खी May 18, 2013 / May 18, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 2 Comments on मधु मक्खी हे मधु मक्खी कुछ तो बोलो, कला कहाँ यह तुमने सीखी| कैसा जादू कर देती हो, मधु बन जाती मीठी मीठी| बूंद बूंद मधु की आशा में, तुम मीलों उड़ती जाती हो| अपनी सूंड़ गड़ा फूलों पर, मधुरिम मधुर खींच लाती हो| फिर छत्तों में वह मीठा रस, बूंद बूंद एकत्रित करना| किसी वीर सैनिक […] Read more »
बच्चों का पन्ना सुकुड़ी मिर्च और लाल टमाटर May 13, 2013 / May 13, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 2 Comments on सुकुड़ी मिर्च और लाल टमाटर टमाटर ने इधर उधर झांका और कान लगाकर ध्यान से सुनने लगा|कहीं से आवाज़ तो आ रही है किंतु किसकी है यह समझ में नहीं आ रहा था|आवाज़ इतनी धीमी और पतली थी कि टमाटर के कुछ पल्ले ही नहीं पड़ रहा था| उसने दोनों […] Read more »
बच्चों का पन्ना छोटे लोग May 7, 2013 / May 7, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment हाथी खड़ा नदी के तट पर, जाना था उस पार| कश्ती वाला नहीं हुआ, कोई जाने को तैयार| इस पर तभी एक मेंढ़क ने, दरिया दिली दिखाई| बोला चिंतित क्यों होते हो, प्यारे हाथी भाई| बिठा पीठ पर तुमको अपनी, नदिया पार कराऊं| कठिन समय में परोपकार कर, मेंढक धर्म […] Read more » poem by prabhudayal ji छोटे लोग
बच्चों का पन्ना मुन्ना बोला May 4, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment मैंने सपने में देखा है,तुम दिल्ली जानेवाले हो| किसी बड़े होटल में जाकर,रसगुल्ले खाने वाले हो| मैंने सपने में देखा है भ्रष्टाचार समापन पर है| बेईमानी सब हवा हो गई,सच्चाई सिंहासन पर है| मैंने सपने में देखा है,लल्लूजी फिर फेल हॊ गये| सुबह सुबह ओले बरसे […] Read more » मुन्ना बोला
बच्चों का पन्ना इसी देश में April 26, 2013 / April 26, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment इसी देश में कृष्ण हुये हैं, इसी देश में राम| सबसे पहिले जाना जग ने, इसी देश का नाम| इसी देश में भीष्म सरीखे, दृढ़ प्रतिग्य भी आये| इसी देश में भागीरथ, धरती पर गंगा लाये| इसी देश में हुये कर्ण से, धीर वीर और दानी| इसी देश में हुये विदुर से, वेद ब्यास से […] Read more »
कहानी बच्चों का पन्ना झुन्ने और शन्नो April 22, 2013 / April 22, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment बसंत उभार पर था|और जब यह शहंशाह उभार पर होता है तो फिर क्या कहनें| जागते हुये भी लोगों को रंगीन और हसीन सपने आने लगते हैं|चारों तरफ बहार ,क्या जंगल क्या गांव और क्या शहर,मजे ही मजे|पीली सरसों, गेहूं की पकती हुईं बालियां और आम […] Read more » झुन्ने और शन्नो
बच्चों का पन्ना होती व्यर्थ कपोल कल्पना April 22, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 2 Comments on होती व्यर्थ कपोल कल्पना एक दिन चाचा गधेराम ने, देखा सुंदर सपना| लेकर नभ में घूम रहे थे,उड़न खटोला अपना|| खच्चर दादा बैठ बगल में,गप्पें हांक रहे थे| रगड़ रगड़ तंबाकू चूना,गुटखा फाँक रहे थे|| चंद्र लॊक की तरफ यान ,सरसर बढ़ता जाता था| अगल बगल में तारों का, झुरमुठ मिलता जाता था|| हाय हलो करते थे दोनों, तारे […] Read more »
बच्चों का पन्ना रोटी का सम्मान April 22, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment गोल गोल रोटी अलबेली कितनी प्यारी लगती है बिना शोरगुल किये बेचारी गर्म तवे पर सिकती है| त्याग और बलिदान देखिये कितना भारी रोटी का औरों की खातिर जल जाना उसकी बोटी बोटी का| बड़े प्यार से थाली में रख जब हम रोटी खाते हैं याद कहाँ उसकी कुर्वानी कभी लोग रख पाते हैं| इसीलिये […] Read more » रोटी का सम्मान
बच्चों का पन्ना बैठ ट्रेन में गधेराम जी, April 21, 2013 / April 21, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on बैठ ट्रेन में गधेराम जी, बैठ ट्रेन में गधेराम जी, निकले हैदराबाद को। उनका था संगीत समागम, आनेवाली रात को। किंतु बर्थ के ठीक सामने, एक आदमी बैठा था। पल पल में तंबाकू खाता, पल में सिगरेट पीता था। खांस खांस कर गधेराम का, हाल बड़ा बेहाल हुआ। उड़ी महक तंबाकू की तो, लुड़का और निढाल हुआ। किंतु होश […] Read more »