बच्चों का पन्ना श्रम करने पर रुपये मिलते April 21, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on श्रम करने पर रुपये मिलते घर में रुपये नहीं हैं पापा, चलो कहीं से क्रय कर लायें। सौ रुपये कितने में मिलते, मंडी चलकर पता लगायें। यह तो पता करो पापाजी, पाँच रुपये कितने में आते, एक रुपये की कीमत क्या है, क्यों इसका न पता लगाते। नोट पाँच सौ का लेना हो, तो हमको क्या करना होगा। दस […] Read more »
बच्चों का पन्ना मुनियाँ की बारात April 21, 2013 / April 21, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment हाथी, घोड़े, उल्लू तक थे मुनियाँ की बारात में भालू ,बंदर , शेर उचकते मुनियाँ की बारात में। शोर शराबा, ढोल ढमाका, आतिशबाजी फूट रही नाच,नाच कोई न थकते मुनियाँ की बारात में। कुत्ता,बिल्ली,चूहे,हाथी सभी झूमते मस्ती में मेंढक भी भरपूर उचकते मुनियाँ की बारात में। डी जे चीख रहा जोरों से सभी बाराती झूम […] Read more »
बच्चों का पन्ना पानी नहीं नहानी में April 18, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on पानी नहीं नहानी में जरा ठीक से देखो बेटे पानी नहीं नहानी में तुमको आज नहाना होगा एक लोटे भर पानी में| नहीं बचा धरती पर पानी बहा व्यर्थ बेईमानी में खूब मिटाया हमने तुमने पानी यूं नादानी में| बीस बाल्टी पानी सिर पर डाला भरी जवानी में पानी को जी भरके फेका बिना बचारे पानी में| ढेर ढेर […] Read more » पानी नहीं नहानी में
बच्चों का पन्ना खेल भावना April 18, 2013 / April 18, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment एक सड़क पर मक्खी मच्छर बैठ गये शतरंज खेलने, थे सतर्क बिल्कुल चौकन्ने एक दूजे के वार झेलने। मक्खी ने जब चला सिपाही मच्छर ने घोड़ा दौड़ाया, मक्खी ने चलकर वजीर को मच्छर का हाथी लुड़काया। मच्छर ने गुस्से के मारे ऊँट चलाकर हमला बोला, मक्खी ने मारा वजीर से ऊँट हो गया बम बम […] Read more »
बच्चों का पन्ना जंगली चुनाव April 18, 2013 / April 18, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment मेरे पड़ोस के जंगल में था उस दिन बड़ा चुनाव हुआ चकित जब मैंने देखे हर वोटर के भाव। था चुनाव जंगल परिषद का थे सभी जानवर वोटर कैसे मत, पेटी में डालें समझाता था कंप्यूटर। गुंडा दल से चुनाव में खड़ा हुआ था कुत्ता चाह रहा था किसी तरह हथियायें जंगल सत्ता। चापलूस दल […] Read more »
बच्चों का पन्ना अरे मास्टर April 18, 2013 / April 18, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment अरे मास्टर दिन भर क्यों, पढ़ना पढ़ना चिल्लाता| बोझ हटे कंधे से क्यों न, ऐसी राह बताता| लाद लाद बस्ता रगड़ू की, कमर हो गई कुबड़ी| भार हुआ इतना ज्यादा कि खाल कंधे की उधड़ी| नैनिहालो, का हाल न क्यों, इन आँखों से दिख पाता| रबर पेंसलें कलम सिलेटें , दूर कहीं फिकवा दें| कापी […] Read more » अरे मास्टर
बच्चों का पन्ना जलेबी April 14, 2013 / April 14, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment करना नहीं बहाना बापू| आज जलेबी लाना बापू|| रोज सुबह कह कर जाते हैं, आज जलेबी ले आयेंगे| दादा दादी अम्मा के संग, सभी बैठ मिलकर खायेंगे| किंतु आपकी बातों में अब, दिखता नहीं ठिकाना बापू| आज जलेबी लाना बापू|| इसी जलेबी में अम्मा की, बीमारी का राज छुपा है| जब तक खाई गरम जलेबी, […] Read more » जलेबी
बच्चों का पन्ना माल खाऒ April 9, 2013 / April 9, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment चुहिया रानी रोज बनाती, लौकी की तरकारी| कहती है इसके खाने से, दूर हटे बीमारी| पर चूहे को बीमारों का, भोजन नहीं सुहाता| कुतर कुतर कर आलू गोभी, बड़े प्रेम से खाता| उल्टी सीधी सीख जमाने, की न उसको भाती| झूठ कभी न बोला करता, सच्ची बात सुहाती| बजा बजा डुगडुगी रोज वह, लोगों को […] Read more »
बच्चों का पन्ना इतिहासों में लिख जाती है April 2, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 2 Comments on इतिहासों में लिख जाती है यदि डरे पानी से तो फिर, कैसे नदी पार जाओगे| खड़े रहे नदिया के तट पर, सब कुछ यहीं हार जाओगे| पार यदि करना है सरिता, पानी में पग रखना होगा| किसी तरह के संशय भय से, मुक्त हर तरह रहना […] Read more »
बच्चों का पन्ना सूरज भैया March 24, 2013 / March 23, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment अम्मा बोली सूरज भैया जल्दी से उठ जाओ| धरती के सब लोग सो रहे जाकर उन्हें उठाओ|| मुर्गे थककर हार गये हैं कब से चिल्ला चिल्ला| निकल घोंसलों से गौरैयां मचा रहीं हैं हल्ला|| तारों ने मुँह फेर लिया है तुम मुंह धोकर जाओ|| धरती के सब लोग सो रहे जाकर उन्हें उठाओ|| पूरब के […] Read more » सूरज भैया
बच्चों का पन्ना भालू की हज़ामत March 23, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment बाल हुये जब बड़े बड़े,बूढ़े भालू चाचा के| गुस्से के मारे चाची ,उनको बोलीं चिल्लाके|| बाल कटाने सियारनाई के ,घर क्यों न जाते हो? बागड़ बिल्ला बने घूमते, ,फिरते इतराते हो|| भालू बोला सियार नाई ने, भाव कर दिये दूने| साठ रुपये देने में बेगम,जाते छूट पसीने|| इतनी ज्यादा मंहगाई है ,रुपये कहां से लाऊं? […] Read more » भालू की हज़ामत
बच्चों का पन्ना बाबू गधाराम March 23, 2013 / March 23, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment एक गधे को मिली नौकरी, दफ्तर के बाबू की| सबसे अधिक कमाऊ थी जो, वह कुर्सी काबू की| काम कराने के बद्ले वे, जमकर रिश्वत लेते| जितना खाते उसमें से, आधा अफसर को देते| अफसर भालूराम मजे से, सभी काम कर देता| बाबू गधाराम था उसका, सबसे बड़ा चहेता| रोज मजे से […] Read more » बाबू गधाराम