धर्म-अध्यात्म सृष्टि को किसने, कैसे व क्यों बनाया? December 2, 2015 / December 2, 2015 by मनमोहन आर्य | 4 Comments on सृष्टि को किसने, कैसे व क्यों बनाया? हम जिस संसार में रहते हैं वह किसने, कैसे, क्यों व कब बनाया है? इस प्रश्न का उत्तर न तो वैज्ञानिकों के पास है और न हि वैदिक धर्म से इतर धर्म वा मत-मतान्तरों व पन्थों के आचार्यों तथा उनके ग्रन्थों में। इसका पूर्ण सन्तोषजनक व वैज्ञानिक तर्कों से युक्त बुद्धिसंगत उत्तर वेदों व वैदिक […] Read more » Featured सृष्टि को किसने कैसे व क्यों बनाया?
धर्म-अध्यात्म वैदिक धर्म में पिता का गौरव December 2, 2015 / December 2, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment चार वेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद ईश्वरीय प्रदत्त ज्ञान के ग्रन्थ हैं। इन वदों का सर्वाधिक प्रमाणित भाष्य महर्षि दयानन्द सरस्वती एवं उनके द्वारा निर्दिष्ट पद्धति द्वारा उनके ही अनुवर्ती विद्वानों का किया हुआ है जिनमें पं. हरिशरण सिद्धान्तालंकार, पं. जयदेव विद्यालंकार, पं. क्षेमकरणदास त्रिवेदी, पं. विश्वनाथ विद्यालंकार, आचार्य पं. रामनाथ वेदालंकार आदि का […] Read more » Featured पिता का गौरव वैदिक धर्म में पिता का गौरव
धर्म-अध्यात्म मनुष्य में संस्कार व गुणों का आधार ही समाज कल्याण है November 28, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment स्वामी वेदानन्द तीर्थ (1892-1956) वेदों के शीर्षस्थ विद्वान थे। उन्होंने जो साहित्य़ सृजित किया, वह मनुष्य की उन्नति के लिए लाभकारी एवं उपादेय है। मनुष्य को शिक्षित, संस्कारित व गुणों से आपूरित करना ही उसको धार्मिक बनाना है। यदि मनुष्य विद्या व ज्ञान से युक्त नहीं होगा तो वह धर्म से विरत व पृथक ही […] Read more » समाज कल्याण
धर्म-अध्यात्म शख्सियत स्वामी श्रद्धानन्द का पावन चमत्कारिक व्यक्तित्व November 28, 2015 / November 28, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य स्वामी श्रद्धानन्द (1856-1926), पूर्वनाम महात्मा मुंशीराम, महर्षि दयानन्द के प्रमुख शिष्यों में से एक थे जिन्हें अपने धर्मगुरू के शिक्षा सम्बन्धी स्वप्नों को साकार करने के लिए हरिद्वार के निकटवर्ती कांगड़ी ग्राम में आर्ष संस्कृत व्याकरण और समग्र वैदिक साहित्य के अध्ययनार्थ गुरूकुल खोलने का सौभाग्य प्राप्त है। आर्यसमाज के इतिहास में […] Read more » Featured स्वामी श्रद्धानन्द
धर्म-अध्यात्म मनुष्य की उन्नति के सार्वभौमिक 10 स्वर्णिम सिद्धान्त व मान्यतायें November 27, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनुष्य जीवन ईश्वर की जीवात्मा को अनमोल देन है। सभी मनुष्यों का कर्तव्य है कि वह इस संसार व प्राणीमात्र के बनाने व पालन करने वाले ईश्वर को जानें और साथ हि अपने कर्तव्य को जानकर उसका निर्वाह करें। हम आगामी पंक्तियों में इस विषय का उल्लेख करेंगे जिसको पूर्णतया जानकर व उनका पालन करने […] Read more » 10 स्वर्णिम सिद्धान्त व मान्यतायें Featured मनुष्य की उन्नति
जन-जागरण धर्म-अध्यात्म विज्ञान विविधा सही क्या? 84 लाख योनियां या डार्विन का विकासवाद November 27, 2015 / November 27, 2015 by राहुल खटे | Leave a Comment राहुल खटे आज के वैज्ञानिक युग में सभी डार्विन के विकासवाद से परिचित हैं| डार्विन ने अपने विकासवादी विचारधारा से यह सिद्ध करने की कोशिश की है कि विकास की बहुत बड़ी यात्रा को तय करके ही आज हम वैज्ञानिक या कंप्यूटर के युग में पहुँचे हैं| विकासवाद के सभी लक्षण आधुनिक मनुष्य में दिखाई […] Read more » 84 लाख योनियां Featured डार्विन का विकासवाद विकासवाद
धर्म-अध्यात्म मनुष्य में संस्कार व गुणों का आधान ही समाज कल्याण है November 26, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment स्वामी वेदानन्द तीर्थ (1892-1956) वेदों के शीर्षस्थ विद्वान थे। उन्होंने जो साहित्य़ सृजित किया, वह मनुष्य की उन्नति के लिए लाभकारी एवं उपादेय है। मनुष्य को शिक्षित, संस्कारित व गुणों से आपूरित करना ही उसको धार्मिक बनाना है। यदि मनुष्य विद्या व ज्ञान से युक्त नहीं होगा तो वह धर्म से विरत व पृथक […] Read more » समाज कल्याण
धर्म-अध्यात्म दया के सागर महर्षि दयानन्द November 26, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द के जीवन में अन्य अनेक गुणों के साथ ‘दया’ नाम का गुण असाधारण रूप में विद्यमान था। उनमें विद्यमान इस गुण ‘दया’ से सम्बन्धित कुछ उदाहरणों को आर्यजगत के महान संन्यासी और ऋषिभक्त स्वामी वेदानन्द तीर्थ ने अपनी बहुत ही प्रभावशाली व मार्मिक भाषा में प्रस्तुत किया है। पाठकों को […] Read more » दया के सागर महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म महान संत गुरूनानक November 25, 2015 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment 25 नवम्बर पर विशेष:- मृत्युंजय दीक्षित सिख समाज के महान संत व गुरू नानक का जन्म 1469 ई में रावी नदी के किनारे स्थित रायभुएकी तलवंडी में हुआ था जो अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। अब यह पश्चिमी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है।इनके पिता मेहता कालू गांव के […] Read more » Featured गुरूनानक महान संत गुरूनानक
धर्म-अध्यात्म भगवान परशुराम की प्रासंगिकता November 25, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी भगवान ब्रहमा भगवान रूद्र के वारूणी तथा अग्नि के तेजोमय यज्ञानुष्ठन से इस गौरवशाली वंश का अस्तित्च इस भूमण्डल पर प्रकट हुआ है। महर्षि भृगु इस वंश के आदि संस्थापक थे। बाद में महर्षि च्यवन ,और्व ,ऋचीक, जमदग्नि एवं परशुराम ने अपनी त्याग तपस्या तथा वैदिक संस्कारों से इसे पुष्पित पल्लवित और […] Read more » Featured भगवान परशुराम भगवान परशुराम की प्रासंगिकता
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म पारसी धर्मः आर्य धर्म से अनुप्राणित November 25, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी पारसी या फारसी धर्म के प्र्रवर्तक या पैगम्बर का नाम जरथुस्त्र या जोरास्टर था। यह धर्म फारस या प्राचीन ईरान में आर्यों के वैदिक धर्म से अनुप्राणित होकर निकला है। परम्परागत रुप में इसका समय 6000 ई.पू. कहा जाता है। इतिहास में सिकन्दर की विजय ( 330 ई.पू.) से 258 साल पहले […] Read more » Featured आर्य धर्म से अनुप्राणित पारसी धर्म
धर्म-अध्यात्म ईश्वर व जीवात्मा का यथार्थ उपदेश देने से महर्षि दयानन्द विश्वगुरु हैं November 25, 2015 / November 25, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment यह संसार वैज्ञानिकों के लिए आज भी एक अनबुझी पहेली ही है। आज भी वैज्ञानिक इस सृष्टि के स्रष्टा की वास्तविक सत्ता व स्वरुप से अपरिचित हैं। यदि उन्होंने महर्षि दयानन्द सरस्वती की तरह वेदों की शरण ली होती तो वह इस रहस्य को जान सकते थे। आज का संसार दोहरे मापदण्डों वाला संसार […] Read more » ईश्वर व जीवात्मा का यथार्थ उपदेश महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द विश्वगुरु हैं