धर्म-अध्यात्म वैदिक धर्म व संस्कृति का उद्धारक, रक्षक व प्रचारक सत्यार्थ प्रकाश August 4, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment संसार में समस्त धार्मिक ग्रन्थों में वेद के बाद सत्यार्थप्रकाश का प्रमुख स्थान है। इसका कारण इन दोनों ग्रन्थों का मनुष्य जीवन के लिए सर्वोपरि महत्व है। वेद ईश्वर प्रदत्त अध्यात्म व सांसारिक ज्ञान है। यह बताना आवश्यक है कि सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, निराकार, सर्वान्तर्यामी ईश्वर ने सृष्टि के आरम्भ में अमैथुनी सृष्टि कर […] Read more » रक्षक व प्रचारक सत्यार्थ प्रकाश वैदिक धर्म व संस्कृति का उद्धारक
धर्म-अध्यात्म सर्वव्यापक व सदा अवतरित होने से ईश्वर का अवतार नहीं होता August 3, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य भारत में मूर्तिपूजा का प्रचलन बौद्ध व जैन मत से आरम्भ हुआ है। बौद्ध मत के बढ़ते प्रभाव व वैदिक धर्म में ऋषियों व आप्त पुरूषों की कमी व अभाव के कारण अज्ञानता के कारण मूर्तिपूजा प्रचलन में आई है। रामायण एवं महाभारत काल में भारत में मूर्तिपूजा का प्रचलन नहीं था। […] Read more » ईश्वर का अवतार
धर्म-अध्यात्म ‘सब सत्य विद्याओं का दाता व अपौरूषेय पदार्थों का रचयिता परमेश्वर है’ August 3, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment जीवन में जानने योग्य कुछ प्रमुख सूत्रों की यदि चर्चा करें तो इनमें प्रथम ‘सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उनका सब का आदि मूल परमेश्वर है’ सिद्धान्त को सम्मलित किया जा सकता है। इस सिद्धान्त का संसार में जितना प्रचार अपेक्षित है, उतना नहीं हुआ। यह सूत्र महर्षि […] Read more » ‘सब सत्य विद्याओं का दाता अपौरूषेय पदार्थों का रचयिता परमेश्वर है’
धर्म-अध्यात्म त्रिकालदर्शी हमारा प्राण प्रिय ईश्वर August 1, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on त्रिकालदर्शी हमारा प्राण प्रिय ईश्वर हम अल्पज्ञ जीवात्मा हैं इस कारण हमारा ज्ञान अल्प होता है। ईश्वर जिसने इस सृष्टि को बनाया व इसका संचालन कर रहा है, वह हमारी तरह अल्पज्ञ नहीं अपितु सर्वज्ञ है। सर्वज्ञ का अर्थ होता है कि जिसे सब प्रकार का पूर्ण ज्ञान हो। जो अतीत के बारे में भी जानता हो, वर्तमान के बारे […] Read more »
धर्म-अध्यात्म शख्सियत समाज दक्षिण भारत के संत (13) सन्त माधवाचार्य (द्वैत सम्प्रदाय) July 31, 2015 by बी एन गोयल | 5 Comments on दक्षिण भारत के संत (13) सन्त माधवाचार्य (द्वैत सम्प्रदाय) बी एन गोयल राम मंत्र निज कर्ण सुनावा । परंपरा पुनि तत्व लखावा संप्रदाय विधि मूल प्रधाना । अधिकारी तहां महं हनुमाना । मध्य रूप सोई अवतरिया । मत अभेद जिन खंडन करिया॥ (नृत्य राघव मिलन – पृ0 45, रामसखे) ये पंक्तियाँ भक्त राम सखे की कृति ‘नृत्य राघव मिलन’ से हैं। भगवान […] Read more » दक्षिण भारत के संत द्वैत सम्प्रदाय सन्त माधवाचार्य
धर्म-अध्यात्म मैं ब्रह्म नहीं अपितु एक जीवात्मा हूं July 29, 2015 by मनमोहन आर्य | 4 Comments on मैं ब्रह्म नहीं अपितु एक जीवात्मा हूं मैं कौन हूं? यह प्रश्न कभी न कभी हम सबके जीवन में उत्पन्न होता है। कुछ उत्तर न सूझने के कारण व अन्य विषयों में मन के व्यस्त हो जाने के कारण हम इसकी उपेक्षा कर विस्मृत कर देते हैं। हमें विद्यालयों में जो कुछ पढ़ाया जाता है, उसमें भी यह विषय व इससे […] Read more » जीवात्मा हूं मैं ब्रह्म नहीं
धर्म-अध्यात्म समाज महर्षि दयानन्द का वर्णव्यवस्था पर ऐतिहासिक उपेदश July 29, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on महर्षि दयानन्द का वर्णव्यवस्था पर ऐतिहासिक उपेदश आज से लगभग 140 वर्ष पूर्व हमारा समाज अज्ञान व अन्धकार से आवृत्त तथा रूढि़वादी परम्पराओं में जकड़ा हुआ था। सामाजिक विषमता अपने जटिलतम रूप में व्याप्त थी। ऐसे समय में महर्षि दयानन्द ने वेद एवं वैदिक साहित्य से समाज सुधार के क्रान्तिकारी विचारों व मान्यताओं को प्रस्तुत किया था। यह भी तथ्य है कि […] Read more » महर्षि दयानन्द वर्णव्यवस्था
धर्म-अध्यात्म योगेश्वर श्री कृष्ण, गीता एवं वेद July 27, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on योगेश्वर श्री कृष्ण, गीता एवं वेद श्री कृष्ण योगेश्वर थे, महात्मा थे, महावीर, धर्मात्मा व सुदर्शनचक्रधारी थे। वह वेदभक्त, ईश्वरभक्त, देशभक्त, ऋषियो व योगियों के अनुगामी थे। पूज्यों की पूजा व अपूज्यों की अवहेलना व उपेक्षा के साथ उनको दण्डित करते थे। अन्यायकारियों के लिए वह साक्षात काल थे। उन्होंने अपना सारा जीवन वेद धर्म का पालन करके व्यतीत किया। […] Read more » गीता एवं वेद योगेश्वर श्री कृष्ण
धर्म-अध्यात्म जीवात्मा और इसका पुर्नजन्म July 25, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on जीवात्मा और इसका पुर्नजन्म हम इस विस्तृत संसार के एक सदस्य है। चेतन प्राणी है। हमारा एक शरीर है जिसमें पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कर्मेन्द्रियां, मन, बुद्धि, चित्त एवं अहंकार आदि अवयव हैं। शरीर से हम सुख व दुख का भोग करते हैं। हम चाहते हैं कि हमें कभी कोई दुख न हो परन्तु यदा-कदा जाने-अनजाने सुख व दुःख […] Read more » जीवात्मा पुर्नजन्म
धर्म-अध्यात्म समाज दक्षिण भारत के संत (12) सन्त निंबार्कचार्य July 25, 2015 by बी एन गोयल | 3 Comments on दक्षिण भारत के संत (12) सन्त निंबार्कचार्य बी एन गोयल आंध्र प्रदेश में गोदावरी नदी के तट पर स्थित गाँव वैदूरपट्नम। अरुण मुनि और जगन्ती देवी नामक दंपति का घर । दिन का समय । अचानक एक सन्यासी ने घर के दरवाजे पर दस्तक दी । ‘भिक्षाम देहि’। घर जगन्ति देवी और नियमानन्द नाम का छोटा बालक। गृहिणी भिक्षा देने […] Read more » दक्षिण भारत के संत सन्त निंबार्कचार्य
धर्म-अध्यात्म वैज्ञानिक कृत्य अग्निहोत्र-होम से आरोग्यता सहित अनेक लाभ July 23, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment हमने अद्यावधि जो अध्ययन किया है उसके आधार हमें लगता है कि भारत की संसार को सबसे प्रमुख देन वेदों का ज्ञान है। यदि वेदों का ज्ञान न होता तो वैदिक धर्म व संस्कृति अस्तित्व में न आती और तब सारा संसार अज्ञान व अन्धकार से ग्रसित व रूग्ण होता। आज भी अधिकांशतः यही स्थिति […] Read more » अग्निहोत्र-होम
धर्म-अध्यात्म संसार को किसने धारण किया है? July 22, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment सभी आंखों वाले प्राणी सूर्य, चन्द्र व पृथिवी से युक्त नाना रंगों वाले संसार को देखते हैं परन्तु उन्हें यह पता नहीं चलता कि यह संसार किसने व क्यों बनाया और कौन इसका धारण व पालन कर रहा है? जिस प्रकार प्राणियों के शरीर का धारण उसमें निहित जीवात्मा के द्वारा होता है, इसी प्रकार […] Read more » ‘संसार को किसने धारण किया है