धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द के दो अधूरे स्वप्न January 25, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on महर्षि दयानन्द के दो अधूरे स्वप्न महर्षि दयानन्द ईश्वरीय ज्ञान – चार वेदों के उच्च कोटि के विद्वान थे। वह योग के ज्ञाता व असम्प्रज्ञात समाधि के सिद्ध योगी थे। उन्होंने देश के विभाजन से पूर्व देश के अधिकांश भाग का भ्रमण कर मनुष्यों की धार्मिक, सामाजिक तथा अन्य सभी समस्याओं को जाना व समझा था। उनके समय जितने भी देशी […] Read more » महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म हरे कृष्ण महामन्त्र – एक अर्थ January 24, 2015 by मानव गर्ग | 8 Comments on हरे कृष्ण महामन्त्र – एक अर्थ हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ॥ अनुष्टुप्छन्द में रचा गया, ३२ अक्षरों वाला यह मन्त्र ’हरे कृष्ण महामन्त्र’ के नाम से सुप्रसिद्ध है । कहीं कहीं पर दोनों पङ्क्तियों के क्रम को बदल कर भी कहा जाता है, और विद्वानों के […] Read more » कृष्ण महामन्त्र
धर्म-अध्यात्म चलें यज्ञ की ओर…. January 22, 2015 / January 22, 2015 by शिवदेव आर्य | Leave a Comment शिवदेव आर्य, वेद व यज्ञ हमारी संस्कृति के आधार स्थम्भ हैं। इसके बिना भारतीय संस्कृति निश्चित ही पंगु है। यज्ञ का विधिविधान आदि काल से अद्यावधि पर्यन्त अक्षुण्ण बना हुआ है। इसकी पुष्टि हमें हड़प्पा आदि संस्कृतियों में बंगादि स्थलों पर यज्ञकुण्डों के मिलने से होती है। वैदिक काल में ऋषियों ने यज्ञों पर […] Read more » यज्ञ
धर्म-अध्यात्म ईश्वर-जीवात्मा विषयक यथार्थ ज्ञान के प्रदाता महर्षि दयानन्द January 21, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द सरस्वती को किशारोवस्था में मृत्यु से बचने के लिए उपाय करने के साथ ईश्वर व जीवात्मा के यर्थाथ स्वरूप के ज्ञान की खोज करने की प्रेरणा प्राप्त हुई थी। उसी दिन से वह मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के साथ ईश्वर व जीवात्मा की खोज के मिशन पर लग […] Read more » महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म विद्या और मधु January 20, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment विद्या आध्यात्मिक एवं भौतिक सभी प्रकार के सत्य वा यथार्थ ज्ञान को कहते हंै। विद्या को विज्ञान भी कहा जा सकता है। विद्या से ही हमें आपनी आत्मा, परमात्मा व सृष्टि के सत्य व यथार्थ स्वरूप का परिचय मिलता है। हमारी आत्मा अत्यन्त सूक्ष्म पदार्थ है। यह इतना सूक्ष्म है कि आंखों से दिखाई […] Read more » विद्या और मधु
धर्म-अध्यात्म क्या हानिकारण जीवाणुओं को नाश करने में अधर्म होता है? January 19, 2015 / January 19, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment कर्म–फल सिद्धान्त मनमोहन कुमार आर्य किसानों को अपनी फसल व उपज को रोगों से बचाने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करना पड़ता है। हमें भी कई बार एण्टीबायटिक ओषधियों का सेवन करना पड़ता है जिससे कि हमारा रोग ठीक हो जाये? हमें एक पाठक-मित्र ने लिखा है कि दही में भी कुछ सूक्ष्मजीवी जीवाणु होते […] Read more » हानिकारण जीवाणुओं
धर्म-अध्यात्म मनुष्यों के जन्म का कारण एवं जीवन का उद्देश्य January 15, 2015 / January 15, 2015 by मनमोहन आर्य | 4 Comments on मनुष्यों के जन्म का कारण एवं जीवन का उद्देश्य मनुष्य का जन्म क्यों होता है? हर प्रश्न के उत्तर की तरह इसका भी कोई उत्तर तो अवश्य होगा ही। इस प्रश्न के उत्तर पर विचार करने पर जन्म का साक्षात् कारण तो माता-पिता का होना प्रत्यक्ष दिखाई देता है। माता-पिता में कुछ प्राकृतिक वासनायें वा इच्छायें होती हैं जो सन्तान के रूप में […] Read more » जीवन का उद्देश्य मनुष्यों के जन्म का कारण
धर्म-अध्यात्म दान का स्वरूप January 12, 2015 / January 12, 2015 by शिवदेव आर्य | 4 Comments on दान का स्वरूप हमारी वैदिक संस्कृति में त्याग, सेवा, सहायता, दान तथा परोपकार को सर्वोपरि धर्म के रूप में निरुपित किया गया है, क्योकि वेद में कहा गया है – ‘शतहस्त समाहर सहस्त्र हस्त सं किर१ अर्थात् सैकड़ों हाथों से धन अर्जित करो और हजारों हाथों से दान करो। गृहस्थों, शासकों तथा सम्पूर्ण प्राणी मात्र को वैदिक […] Read more » दान का स्वरूप
धर्म-अध्यात्म ईश्वर सर्वज्ञ है और जीवत्मा अल्पज्ञ है January 6, 2015 by मनमोहन आर्य | 3 Comments on ईश्वर सर्वज्ञ है और जीवत्मा अल्पज्ञ है आजकल मनुष्य का जीवन इतना व्यस्त हो गया है कि स्वाध्याय के लिए समय मिलना कठिन हो गया है। कई दैनिक कर्तव्य मनुष्य चाहकर भी पूरे नहीं कर पाता हैं। ऐसी स्थिति मे ईश्वर क्या है, कैसा है तथा जीवात्मा का स्वरूप कैसा है, इसको जानने की किसी को न इच्छा होती है न फुर्सत […] Read more » ‘ईश्वर सर्वज्ञ जीवत्मा अल्पज्ञ
धर्म-अध्यात्म सही नंबर डायल कैसे करें! January 6, 2015 by डॉ. मुनीश रायजादा | Leave a Comment डॉ. मुनीश कुमार रायजादा ब्रिटिश लेखक रूडयार्ड किपलिंग ने लगभग 125 साल पहले ‘द बैलेड ओफ़ ईस्ट एंड वेस्ट’ नामक गाथागीत लिखा था। इस की प्रथम दो पंक्तियां ‘पूर्व पूर्व है, व पश्चिम पश्चिम/ इन दोनों का मिलन कभी संभव नहीं है’,को आज तक सन्दर्भ में लिया जाता है । पश्चिमी देशों के मशीनों व […] Read more »
धर्म-अध्यात्म जानिए की क्या हैं माघ पूर्णिमा और माघ पूर्णिमा का महत्व..??? January 4, 2015 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment हिन्दू धर्म में धार्मिक दृष्टि से माघ मास को विशेष स्थान प्राप्त है। भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चंद्रमास और दसवां सौरमास माघ कहलाता है।मघा नक्षत्र से युक्त होने के कारण इस महीने का नाम का माघ नाम पडा। ऐसी मान्यता है कि इस मास में शीतल जल में डुबकी लगाने वाले पापमुक्त होकर स्वर्ग लोक […] Read more » क्या हैं माघ पूर्णिमा माघ पूर्णिमा का महत्व
धर्म-अध्यात्म वेदों में ईश्वर से की जाने वाली एक सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना December 29, 2014 / December 29, 2014 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on वेदों में ईश्वर से की जाने वाली एक सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना संसार का विवेचन करने पर यह तथ्य सामने आता है कि यह ससार किसी अदृश्य सत्ता द्वारा बनाया गया है और उसी के द्वारा चलाया जा रहा है। वही सब प्राणियों को जन्म देता है और उनका नियमन करता है। संसार व सृष्टि की भिन्न-भिन्न रचनाओं पर ध्यान दें तो लगता है कि वह सत्ता […] Read more » वेद सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना