धर्म-अध्यात्म हम सब दोबारा मिलेंगे सांप की शक्ल में February 17, 2014 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment सांपों की तमाम प्रकार की किस्मों के बारे में साफ कहा जाता है कि जो लोग दूसरों की धन-दौलत और जमीन जायदाद चुराकर अपने नाम कर लिया करते हैं, अतिक्रमण कर लिया करते हैं, धन-सम्पत्ति के भण्डारण और रक्षण में ही जिन्दगी खपा देते हैं, हराम की कमाई, खान-पान और मलीन वृत्तियों से औरों को उल्लू बनाया करते हैं, सरकारी […] Read more » snakes we would be snakes हम सब दोबारा मिलेंगे सांप की शक्ल में
धर्म-अध्यात्म ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन’ अर्थात कर्म योग February 17, 2014 by बी एन गोयल | 9 Comments on ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन’ अर्थात कर्म योग -बी एन गोयल- श्रीमद्भगवद्गीता में योग शब्द का प्रयोग व्यापक रूप में हुआ है | गीता के प्रत्येक अध्याय के नाम के साथ योग शब्द लगाया गया है जैसे ‘अर्जुन विषाद योग, सांख्य योग, कर्म योग, ज्ञान कर्म सन्यास योग आदि। एक विद्वान् के अनुसार गीता में इस शब्द उपयोग एक उद्देश्य़ से किया गया है। उन का […] Read more » 'कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन' अर्थात कर्म योग geeta
चिंतन आखिर क्या है बिहार सरकार की नक्सल-नीति ? February 6, 2014 by आलोक कुमार | Leave a Comment -आलोक कुमार- बिहार की सरकार काफी समय तक नक्सलवाद को कानून और व्यवस्था की समस्या कह कर इसकी भयावहता का सही अंदाजा लगाने में नाकामयाब रही है। बिहार में भी इनकी सत्ता के आगे राज्य सरकार बेबस है। लगभग 38 जिलों में से 34 जिलों में नक्सलियों का दबदबा है। यक्ष -प्रश्न यह है […] Read more » Bihar government on naxals naxal policies in Bihar आखिर क्या है बिहार सरकार की नक्सल-नीति ?
चिंतन इंसानियत किसी मजहब की दिवारों में कैद नहीं February 1, 2014 / February 1, 2014 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | 1 Comment on इंसानियत किसी मजहब की दिवारों में कैद नहीं -डॉ. अरविन्द कुमार सिंह- विश्व प्रसिद्ध मर्फी एडगर जूनियर के सिद्धांत किसी तार्किक परिणिती के आधार नहीं बनते हैं, पर प्रत्येक सिद्धांत सच के करीब दिखाई देता है। जैसे मर्फी कहते हैं यदि आप कही किसी कार्य से गये हुये हैं और आप को कतार में खड़े होना है तो विश्वास जानिये, यदि आपका […] Read more » Humanity इंसानियत किसी मजहब की दिवारों में कैद नहीं
धर्म-अध्यात्म होशपूर्ण जीवन ही ध्यान है January 21, 2014 / January 21, 2014 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | 2 Comments on होशपूर्ण जीवन ही ध्यान है -डॉ. अरविन्द कुमार सिंह- क्या आपने कभी ख्याल किया है कि आप कहते हैं – हम दिन में जागते हैं और रात में सोते हैं। क्या वास्तव में ऐसा ही होता है ? आपने कभी ख्याल किया, आप घर से ऑफिस के लिये निकलते हैं, ऑफिस पहुंच भी जाते हैं पर मन तो सारे रास्ते […] Read more » life होशपूर्ण जीवन ही ध्यान है
चिंतन गाय बचेगी तो देश बचेगा January 17, 2014 / January 17, 2014 by राकेश कुमार आर्य | 2 Comments on गाय बचेगी तो देश बचेगा -राकेश कुमार आर्य- गो-दुग्ध को हमारे यहां प्राचीन काल से ही स्वास्थ्य सौंदर्य के दृष्टिकोण से अत्यंत लाभदायक माना गया है। हमारे देश में स्वतंत्रता के वर्षों पश्चात भी गो-दुग्ध, छाछ, लस्सी आदि हमारे राष्ट्रीय पेय रहे हैं। सुदूर देहात में आप आज भी जाएंगे तो लोग आपको चाय-कॉफी के स्थान पर दूध आदि […] Read more » Cow गाय बचेगी तो देश बचेगा
चिंतन देश को चलाने के लिये शायद अनुभव की जरूरत नहीं January 15, 2014 / January 15, 2014 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | 2 Comments on देश को चलाने के लिये शायद अनुभव की जरूरत नहीं -डॉ. अरविन्द कुमार सिंह- पेशे से अध्यापक हूं। भावुकता से नहीं तर्क के माध्यम से सोचने का प्रयास करता हूं। झूठ नहीं बोलूंगा, कई बार मेरी सोच पर भावुकता हावी जरूर होती है। पर सच तो ये है जिन्दगी के फैसले भावुकता की बुनियाद पर नहीं रखे जा सकते हैं। मन कभी सच बोलता नहीं […] Read more » politics देश को चलाने के लिये शायद अनुभव की जरूरत नहीं
चिंतन ‘आप’ से आम की अपेक्षाएं January 12, 2014 / January 12, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on ‘आप’ से आम की अपेक्षाएं -फखरे आलम- ‘आप’ राजनीति दल के रूप में उभरकर दिल्ली में शासन कर रही है। वहीं आम जन ‘आप’ से बेशुमार अपेक्षाएं और आशाएं लगाए हुए हैं। आमजन न केवल बिजली की बढ़ी दरें घटाकर और पानी की समस्याओं से निजात चाहती है, बल्कि अभी तक न पूरा होने वाले आशाओं को पूरा होते देखना […] Read more » 'आप' से आम की अपेक्षाएं Hopes with 'AAP'
चिंतन राम जाने इस प्रदेश का आगे क्या होगा ? January 11, 2014 / January 11, 2014 by सिद्धार्थ मिश्र “स्वतंत्र” | 1 Comment on राम जाने इस प्रदेश का आगे क्या होगा ? -सिद्धार्थ मिश्र “स्वतंत्र”- इसे सैफई महोत्सव कहूं या असंवेदनशीलता का नंगा नाच समझ नहीं आता है। जहां तक महोत्सव का अर्थ है तो वो है एक ऐसा उत्सव जिसमें राजा समेत प्रजा उल्लास के भाव से एक साथ सम्मिलित हों। किंतु उत्तर प्रदेश का हालात देखकर तो ये नहीं लगता कि ये वक्त उत्सव […] Read more » uttar pradesh राम जाने इस प्रदेश का आगे क्या होगा ?
चिंतन इस बदहाली का गुनहगार कौन January 10, 2014 / January 10, 2014 by देवेन्द्र कुमार | Leave a Comment -देवेन्द्र कुमार- एक लंबा संघर्ष अनगिनत कुर्बानियां और जनान्दोलन की कोख से उपजा झारखंड अपने जन्म के साथ ही राजनीतिक अस्थिरता का शिकार रहा है। 15 नवंबर 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड एक अलग राज्य बना और भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता संभाली। बाबूलाल मरांडी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने, मगर […] Read more » Jharkhand इस बदहाली का गुनाहगार कौन
चिंतन भारत मां की वेदना January 10, 2014 / January 10, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -नजमून नवी खान- धरातल पर तमाम देश हैं। मगर भारत देश को ही हम माता के नाम से पुकारते हैं। माता जो केवल अपने बच्चो के भला के बारे में ही सोचती हैं। जिसका जीवन अपने बच्चे के इर्द-गिर्द ही सीमित रहता है। जो अपने बच्चों पर सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए सदैव तत्पर […] Read more » India भारत मां की वेदना
चिंतन सुंदर पृथ्वी की तीन पूंजियां – संसाधन, स्वास्थ्य और सत्व January 8, 2014 / January 8, 2014 by कन्हैया झा | Leave a Comment -कन्हैया झा- 1930 के दशक में पश्चिमी राष्ट्रों में मंदी का दौर था. सामान्य उपयोग की वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे थे. ऐसे में विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री कीन्स ने आने वाली पीढ़ियों के बारे में सोचकर यह कहा की कि वह दिन दूर नहीं जब सभी अमीर होंगे और जब सब अमीर हो जायेंगे तो […] Read more » keys of beautiful earth सुंदर पृथ्वी की तीन पूंजियां - संसाधन स्वास्थ्य और सत्व