चिंतन ‘आप’ से आम की अपेक्षाएं January 12, 2014 / January 12, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on ‘आप’ से आम की अपेक्षाएं -फखरे आलम- ‘आप’ राजनीति दल के रूप में उभरकर दिल्ली में शासन कर रही है। वहीं आम जन ‘आप’ से बेशुमार अपेक्षाएं और आशाएं लगाए हुए हैं। आमजन न केवल बिजली की बढ़ी दरें घटाकर और पानी की समस्याओं से निजात चाहती है, बल्कि अभी तक न पूरा होने वाले आशाओं को पूरा होते देखना […] Read more » 'आप' से आम की अपेक्षाएं Hopes with 'AAP'
चिंतन राम जाने इस प्रदेश का आगे क्या होगा ? January 11, 2014 / January 11, 2014 by सिद्धार्थ मिश्र “स्वतंत्र” | 1 Comment on राम जाने इस प्रदेश का आगे क्या होगा ? -सिद्धार्थ मिश्र “स्वतंत्र”- इसे सैफई महोत्सव कहूं या असंवेदनशीलता का नंगा नाच समझ नहीं आता है। जहां तक महोत्सव का अर्थ है तो वो है एक ऐसा उत्सव जिसमें राजा समेत प्रजा उल्लास के भाव से एक साथ सम्मिलित हों। किंतु उत्तर प्रदेश का हालात देखकर तो ये नहीं लगता कि ये वक्त उत्सव […] Read more » uttar pradesh राम जाने इस प्रदेश का आगे क्या होगा ?
चिंतन इस बदहाली का गुनहगार कौन January 10, 2014 / January 10, 2014 by देवेन्द्र कुमार | Leave a Comment -देवेन्द्र कुमार- एक लंबा संघर्ष अनगिनत कुर्बानियां और जनान्दोलन की कोख से उपजा झारखंड अपने जन्म के साथ ही राजनीतिक अस्थिरता का शिकार रहा है। 15 नवंबर 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड एक अलग राज्य बना और भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता संभाली। बाबूलाल मरांडी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने, मगर […] Read more » Jharkhand इस बदहाली का गुनाहगार कौन
चिंतन भारत मां की वेदना January 10, 2014 / January 10, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -नजमून नवी खान- धरातल पर तमाम देश हैं। मगर भारत देश को ही हम माता के नाम से पुकारते हैं। माता जो केवल अपने बच्चो के भला के बारे में ही सोचती हैं। जिसका जीवन अपने बच्चे के इर्द-गिर्द ही सीमित रहता है। जो अपने बच्चों पर सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए सदैव तत्पर […] Read more » India भारत मां की वेदना
चिंतन सुंदर पृथ्वी की तीन पूंजियां – संसाधन, स्वास्थ्य और सत्व January 8, 2014 / January 8, 2014 by कन्हैया झा | Leave a Comment -कन्हैया झा- 1930 के दशक में पश्चिमी राष्ट्रों में मंदी का दौर था. सामान्य उपयोग की वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे थे. ऐसे में विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री कीन्स ने आने वाली पीढ़ियों के बारे में सोचकर यह कहा की कि वह दिन दूर नहीं जब सभी अमीर होंगे और जब सब अमीर हो जायेंगे तो […] Read more » keys of beautiful earth सुंदर पृथ्वी की तीन पूंजियां - संसाधन स्वास्थ्य और सत्व
धर्म-अध्यात्म सूर्य से है जीवन January 4, 2014 / January 4, 2014 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment 14 जनवरी मकर संक्रांति पर विशेष -प्रमोद भार्गव- सूर्य से जुड़े जीवन संबंधी जिन रहस्यों को आज वैज्ञानिक जानने की कोशिश कर रहे हैं, उन रहस्यों का खुलासा हमारे ऋषि-मुनी हजारों साल पहले संस्कृत साहित्य में कर चुके हैं। जीव-जगत के लिए सूर्य की अनिवार्य उपादेयता को पहचानने के बाद ही सूर्य के प्रति […] Read more » 14 January Sun सूर्य से है जीवन
धर्म-अध्यात्म भगवान जब खुश होता है, नालायकों से दूर कर देता है January 4, 2014 / January 4, 2014 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment -डॉ. दीपक आचार्य- जो लोग अपने ईमान, धर्म और सत्य पर चलते हैं, उनके लिए जीवन की कई सारी समस्याओं को ईश्वर अपने आप दूर कर देता है। ईश्वर हमेशा अच्छे लोगों के साथ रहता है और उन्हें हर क्षण मदद भी करता है। हमारी पूरी जिन्दगी में कई सारे काम ऎसे हुआ करते हैं […] Read more » God नालायकों से दूर कर देता है भगवान जब खुश होता है
धर्म-अध्यात्म दशमेश गुरु का खालसा और भारत January 4, 2014 / January 4, 2014 by विनोद बंसल | 2 Comments on दशमेश गुरु का खालसा और भारत -विनोद बंसल- इतिहास इस बात का साक्षी है कि मुगलों के अत्याचारों से हिन्दू समाज को न सिर्फ़ बचाकर बल्कि उसके संस्कार, संस्कृति व स्वाभिमान की रक्षा करने में गुरू गोविन्द सिंह जी का योगदान अविस्मरणीय है। वे शायद दुनिया के एक मात्र ऐसे महापुरुष हैं जिनकी तीन पीढ़ियों ने देश व धर्म की रक्षार्थ […] Read more » Guru Govind Singh दशमेश गुरु का खालसा और भारत
चिंतन जीवन में हमेशा बनी रहे चुनौती January 4, 2014 / January 4, 2014 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment -डॉ. दीपक आचार्य- आजकल इंसान की फितरत में कुछ ऎसी बातें आ गई हैं जिनकी वजह से उसके कर्मयोग की रफ्तार मंद होती जा रही है। उसे अब न जरूरी काम याद रहते हैं, न वह अपनी इच्छा से कोई ऎसे काम कर पाता है जो समाज और परिवेश के लिए जरूरी हों तथा […] Read more » Challenges should be continued in our Life जीवन में हमेशा बनी रहे चुनौती
चिंतन आम आदमी के हस्तक्षेप का साल December 30, 2013 / December 30, 2013 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment -प्रमोद भार्गव- पुरातन और नूतन के संधि-समय में आम आदमी के हस्ताक्षेप से जो राजनीतिक उपलब्धि दिल्ली में सरकार के रूप में फलीभूत हुई है, वह 2014 में समाज, राजनीति और अर्थ क्षेत्रों में बदलाव का बड़ा आधार बनती दिखाई दे रही है। इस लिहाज से नया साल आम आदमी के लिए उम्मीदों से भरा […] Read more » The year of common men interference आम आदमी के हस्तक्षेप का साल
चिंतन क्या अर्थ है धींगामस्ती भरी इस विदाई और स्वागत का December 30, 2013 / December 30, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment – डॉ. दीपक आचार्य- सारी दुनिया आज 2013 को विदाई देकर घुप्प रात के अंधेरे में कृत्रिम चकाचौंध के बीच नए वर्ष 2014 का स्वागत करने को उतावली, व्यग्र और उग्र बनी हुई है। अपना देश हो या दुनिया भर के मुल्क। सभी जगह पूरे दम-खम के साथ ऎसे आयोजन हो रहे हैं, जैसे कि वर्ष नहीं बल्कि पूरी दुनिया आज […] Read more » End of 2013 and welcome New Year क्या अर्थ है धींगामस्ती भरी इस विदाई और स्वागत का
चिंतन संवेदनशीलता के स्तर December 30, 2013 / December 30, 2013 by बीनू भटनागर | 2 Comments on संवेदनशीलता के स्तर -बीनू भटनागर- संवेदनशीलता होना अर्थात किसी के परेशानी मे कष्ट होना अच्छी बात है, पर कोरी संवेदनशीलता से किसी को लाभ नहीं होता, कोरी सवेदनशीलता से मेरा तात्पर्य है कि किसी की परेशानी मे आप कुछ न करें या न पा रहे हों तो भी दुखी बने रहें। आप किसी से जितना जुड़े होते […] Read more » access of sensibility संवेदनशीलता के स्तर