धर्म-अध्यात्म महत्वपूर्ण पुस्तक ‘सत्यार्थप्रकाश का प्रभाव’ का प्रकाशन February 21, 2022 / February 21, 2022 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यस्वामी वेदानन्द तीर्थ आर्यसमाज के एक शीर्ष व प्रमुख विद्वान थे। आपने अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थ लिखे हैं जिनमें एक लघु आकार का ग्रन्थ है ‘सत्यार्थप्रकाश का प्रभाव’। यह पुस्तक अनेक वर्षों से अनुपलब्ध था। हमने इस ग्रन्थ का नाम तो सुना था, परन्तु यह हमें अब उपलब्ध हुआ है। पुस्तक यथा नाम तथा […] Read more » सत्यार्थप्रकाश का प्रभाव
धर्म-अध्यात्म ईश्वर को कौन प्राप्त कर सकता है? February 18, 2022 / February 18, 2022 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यआज का संसार प्रायः भोगवादी है। संसार के लोगों की इस संसार के रचयिता को जानने में कोई विशेष रूचि दिखाई नहीं देती। सब सुख चाहते हैं और सुख का पर्याय धन बन गया है। इस धन का प्रयोग मनुष्य भोजन, वस्त्र, आवास, वाहन, यात्रा व बैंक बैलेंस में वृद्धि आदि कार्यों को […] Read more » Who can attain God?
धर्म-अध्यात्म जीवात्माओं के शरीरों की आकृति व सामर्थ्य में भेद का कारण February 18, 2022 / February 18, 2022 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यजीवात्मा जन्म-मरणधर्मा है। ईश्वर की व्यवस्था से इसे अपने पूर्वजन्मों के कर्मानुसार जाति, आयु व भोग प्राप्त होते हैं। इन तीनों कार्यों को प्राप्त करने में यह परतन्त्र है। जीव मनुष्य योनि में जन्म लेने के बाद कर्म करने में तो स्वतन्त्र है परन्तु उनके फल इसे ईश्वर की व्यवस्था से मिलते हैं […] Read more » The reason for the difference in the shape and strength of the bodies of the souls शरीरों की आकृति व सामर्थ्य में भेद का कारण
धर्म-अध्यात्म सत्संग का उत्तम साधन वेद, सत्यार्थप्रकाश आदि का स्वाध्याय February 16, 2022 / February 16, 2022 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यमनुष्य को अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सत्संग की आवश्यकता होती है। सत्संग का अभिप्राय है कि हम जीवन को सुख, समृद्धि व सफलता आदि प्राप्त करने के लिए सत्य को जानें। यदि हमें सत्य का ज्ञान नहीं होगा तो हम सही निर्णय नहीं ले सकेंगे। हो सकता है […] Read more » Satyarth Prakash etc. The best means of satsang are self-study of Vedas सत्संग का उत्तम साधन वेद
धर्म-अध्यात्म संसार ने सर्वप्रथम वेदों से ही जाना ईश्वर व जीवात्मा का अस्तित्व February 4, 2022 / February 4, 2022 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on संसार ने सर्वप्रथम वेदों से ही जाना ईश्वर व जीवात्मा का अस्तित्व मनमोहन कुमार आर्यआज विश्व का अधिकांश भाग ईश्वर एवं जीवात्मा के अस्तित्व को स्वीकार करता है। प्रश्न होता है कि ईश्वर व जीवात्मा का ज्ञान संसार को कब व कैसे प्राप्त हुआ? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए हमें सृष्टि के आरम्भ में मनुष्यों की परिस्थितियों पर विचार करना पड़ता है। हम जानते हैं […] Read more » The world first learned the existence of God and soul from the Vedas. संसार ने सर्वप्रथम वेदों से ही जाना ईश्वर
धर्म-अध्यात्म लेख योगेश्वर एवं वेदर्षि दयानन्द January 5, 2022 / January 5, 2022 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यआर्यसमाज के संस्थापक ऋषि दयानन्द सरस्वती वेदों के उच्च कोटि के विद्वान एवं सिद्ध योगी थे। योग में सफलता, वेदाध्ययन व वेदज्ञान के कारण उन्हें सत्यासत्य का विवेक प्राप्त हुआ था। वह ईश्वर के वैदिक सत्यस्वरूप के जानने वाले थे। वेदों में सभी सत्य विद्यायें हैं। इन सब सत्य विद्याओं का ज्ञान भी […] Read more » Yogeshwar and Vedarshi Dayanand योगेश्वर एवं वेदर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म लेख वैदिक कर्म-फल सिद्धान्त सत्य नियमों पर आधारित यथार्थ दर्शन है December 8, 2021 / December 8, 2021 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on वैदिक कर्म-फल सिद्धान्त सत्य नियमों पर आधारित यथार्थ दर्शन है -मनमोहन कुमार आर्यवैदिक धर्म सृष्टि का सबसे पुराना धर्म है। यह धर्म न केवल इस सृष्टि के आरम्भ से प्रचलित हुआ है अपितु इससे पूर्व जितनी बार भी प्रलय व सृष्टि हुई हैं, उन सब सृष्टि कालों में भी एकमात्र वैदिक धर्म ही पूरे विश्व में प्रवर्तित रहा है। इसका कारण यह है कि ईश्वर, […] Read more » Vedic Karma-False Siddhanta is a real philosophy based on true rules. वैदिक कर्म-फल सिद्धान्त
धर्म-अध्यात्म मनुष्य जीवन की उन्नति के लिए आर्यसमाज के सत्संगों में जाना चाहिये November 16, 2021 / November 16, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य व समाज की उन्नति आर्यसमाज में जाने व आर्यसमाज के प्रचार के कार्यों से होती है। आर्यसमाज का छठा नियम है कि आर्यसमाज को मनुष्यों की शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति कर संसार का उपकार करना चाहिये। हम जब आर्यसमाज के सत्संगों में जाते हैं तो वहां इस नियम का […] Read more » For the advancement of human life one should attend the satsangs of Arya Samaj. आर्यसमाज के सत्संगों में जाना चाहिये
धर्म-अध्यात्म सृष्टिकर्ता और पालक ईश्वर कहां रहता है और क्या करता है? November 15, 2021 / November 15, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर और उसके अन्य सभी गुण, कर्म और सम्बन्ध वाचक नाम वेदों से संसार में प्रसिद्ध हुए हैं। वेद, सृष्टि के आरम्भ में मनुष्यों की अमैथुनी सृष्टि के साथ परमात्मा की ओर से चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा के माध्यम से प्राप्त हुए ज्ञान व उसकी पुस्तकें हैं। इस […] Read more » Where does the Creator and Guardian God live and what does he do? ईश्वर कहां रहता है
धर्म-अध्यात्म सृष्टि की प्रलयावस्था में हम सभी जीव 4.32 अरब वर्ष तक बिना जन्म-मरण गहरी निद्रा में रहेंगे November 14, 2021 / November 14, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य एक चेतन आत्मा है जो अनादि, नित्य, अविनाशी तथा अमर है। यह भाव पदार्थ है। इसका कभी अभाव नहीं होता और न ही हो सकता है। भाव पदार्थ का कदापि अभाव न होना और अभाव से भाव पदार्थ का अस्तित्व में न आना वैज्ञानिक सिद्धान्त है। हम हैं, इसका अर्थ […] Read more » In the doomsday stage of the universe we all living beings will remain in deep sleep without birth and death for 4.32 billion years. सभी जीव 4.32 अरब वर्ष तक बिना जन्म-मरण गहरी निद्रा में रहेंगे
धर्म-अध्यात्म वेद ईश्वर प्रदत्त स्वतः प्रमाण धर्मग्रन्थ है October 17, 2021 / October 17, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर और धर्म दो महत्वपूर्ण शब्द हैं। ईश्वर उस सत्ता का नाम है जिसने इस संसार को बनाया है और जो इसका संचालन कर रही है। धर्म उस सत्य और तर्कपूर्ण आचार संहिता का नाम है जिसका आचरण मनुष्य को करना होता है और जिसको करने से मनुष्य का जीवन दुःखों […] Read more » Vedas are self-evident scripture given by God वेद
धर्म-अध्यात्म सृष्टि रचना एवं सभी अपौरुषेय रचनायें ईश्वर के अस्तित्व का प्रमाण हैं October 3, 2021 / October 3, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य हम संसार में अनेक रचनायें देखते हैं। रचनायें दो प्रकार की होती हैं। एक पौरुषेय और दूसरी अपौरुषेय। पौरुषेय रचनायें वह होती हैं जिन्हें मनुष्य बना सकते हैं। हम भोजन में रोटी का सेवन करते हैं। यह रोटी आटे से बनती है। इसे मनुष्य अर्थात् स्त्री वा पुरुष बनाते हैं। मनुष्य […] Read more » The creation of the universe and all the unpaurusheya creations are the proof of the existence of God. ईश्वर के अस्तित्व का प्रमाण