धर्म-अध्यात्म स्वाध्याय एवं ईश्वरोपासना जीवन में आवश्यक एवं लाभकारी हैं May 26, 2020 / May 26, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य आत्मा एवं शरीर से संयुक्त होकर बना हुआ एक प्राणी हैं। आत्मा अति सूक्ष्म तत्व व सत्ता है। इसे शरीर से संयुक्त करना सर्वातिसूक्ष्म, सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अनादि, नित्य व अविनाशी ईश्वर का काम है। आत्मा स्वयं माता के गर्भ में जाकर जन्म नहीं ले सकती। आत्मा को माता […] Read more » ईश्वरोपासना स्वाध्याय स्वाध्याय एवं ईश्वरोपासना
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म मनोरंजन यज्ञ में मन्त्रों से आहुति क्यों? May 25, 2020 / May 25, 2020 by शिवदेव आर्य | Leave a Comment – शिवदेव आर्य ‘यज्ञ’ शब्द यज देवपूजासंगतिकरणदानेषु धातु से नङ्प्रत्यय करने से निष्पन्न हुआ है। जिस कर्म में परमेश्वर का पूजन, विद्वानों का सत्कार, संगतिकरण अर्थात् मेल और हवि आदि का दान किया जाता है, उसे यज्ञ कहते हैं। यज्ञ शब्द के कहने से नानाविध अर्थों का ग्रहण किया जाता है किन्तु यहाँ पर […] Read more » Why the chanting of mantras in the yajna यज्ञ में मन्त्रों से आहुति क्यों
धर्म-अध्यात्म धर्म सत्य गुणों के धारण व वेदानुकूल आचरण को कहते हैं May 25, 2020 / May 25, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य की प्रमुख आवश्यकता सद्ज्ञान है जिससे युक्त होकर वह अपना जीवन सुखपूर्वक व्यतीत कर सके और संसार व जीवन विषयक सभी शंकाओं व प्रश्नों के सत्य उत्तर वा समाधान प्राप्त कर सके। यह कार्य कैसे सम्भव हो? यदि सृष्टि के आरम्भ की स्थिति पर विचार करें तो परिस्थितियों के आधार […] Read more » वेदानुकूल आचरण
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द ने ईश्वर और मातृभूमि के किन ऋणों को चुकाया? May 23, 2020 / May 23, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द सृष्टि की आदि में प्रवृत्त वैदिक ऋषि परम्परा वाले एक ऋषि थे। उन्होंने विलुप्त वेदों का अत्यन्त पुरुषार्थपूर्वक ज्ञान अर्जित किया था। ईश्वर की उन पर कृपा हुई थी जिससे वह अपने अपूर्व प्रयत्नों से वेदज्ञान को प्राप्त करने में सफल हुए थे। वेदज्ञान प्राप्त करने पर उन्हें वेद […] Read more » ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म आत्मा की उन्नति के बिना सामाजिक तथा देशोन्नति सम्भव नहीं May 22, 2020 / May 22, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य मननशील प्राणी को कहते हैं। मनन का अर्थ सत्यासत्य का विचार करना होता है। सत्यासत्य के विचार करने की सामथ्र्य मनुष्य को विद्या व ज्ञान की प्राप्ति से होती है। विद्या व ज्ञान प्राप्ति के लिये बाल्यावस्था में किसी आचार्य से किसी पाठशाला, गुरुकुल या विद्यालय में अध्ययन करना होता […] Read more » आत्मा की उन्नति
धर्म-अध्यात्म संसार का ईश्वर के एक सत्यस्वरूप पर सहमत न होना कल्याणकारी नहीं May 22, 2020 / May 22, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य हमारा यह संसार एक अपौरुषेय सत्ता द्वारा बनाया गया है। वही सत्ता इस संसार को बनाती है व चलाती भी है। संसार को बनाकर उसने ही अपनी योजना के अनुसार अनादि, अविनाशी, नित्य व जन्म–मरण धर्मा जीवात्माओं को इस संसार में भिन्न–भिन्न प्राणी योनियों में जन्म दिया है। जीवात्माओं का जन्म […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म विश्व की सभी अपौरुषेय रचनायें ईश्वर के अस्तित्व का प्रमाण हैं May 20, 2020 / May 20, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य अधिकांश मनुष्यों को यह नहीं पता कि संसार में ईश्वर है या नहीं? जो ईश्वर को मानते हैं वह भी ईश्वर के पक्ष में कोई ठोस प्रमाण प्रायः नहीं दे पाते। ऋषि दयानन्द ने अपने समय में ईश्वर की उपस्थिति व अस्तित्व के विषय में विचार कर स्वयं ही ईश्वर के […] Read more » ईश्वर के अस्तित्व का प्रमाण
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द वेद, योग तथा ब्रह्मचर्य की शक्तियों से देदीप्यमान थे May 20, 2020 / May 20, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द संसार के सभी मनुष्यों व महापुरुषों से अलग थे। उनका जीवन वेदज्ञान, योग सिद्धि तथा ब्रह्मचर्य की शक्तियों से देदीप्यमान था। महाभारत के बाद इन सभी गुणों का विश्व के किसी एक महापुरुष में होना विदित नहीं होता। इन गुणों ने ही उन्हें विश्व का महान महापुरुष बनाया। वेदज्ञान […] Read more » Sage Dayananda was resplendent with the powers of Veda yoga and celibacy. ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म धार्मिक एवं सामाजिक साहित्य में सत्यार्थप्रकाश का अग्रणीय स्थान May 17, 2020 / May 17, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य संसार में धर्म व नैतिकता विषयक अनेक ग्रन्थ हैं जिनका अपना-अपना महत्व है। इन सब ग्रन्थों की रचना व परम्परा का आरम्भ सृष्टि के आदिकाल में ही ईश्वर प्रदत्त वेदों का ज्ञान देने के बाद से हो गया था। सृष्टि को बने हुए 1.96 अरब वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। इस […] Read more » सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द ने विश्व को सद्धर्म और उसके लाभों से परिचित कराया May 17, 2020 / May 17, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द (1825-1883) ने देश में वैदिक धर्म के सत्यस्वरूप को प्रस्तुत कर उसका प्रचार किया था। उनके समय में धर्म का सत्यस्वरूप विस्मृत हो गया था। न कोई धर्म को जानता था न अधर्म को। धर्म के न जानने व अधर्म से होने वाली हानियों का भी मनुष्यों को ज्ञान […] Read more » ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म ईश्वर-वेद-देश भक्त, आदर्श महापुरुष तथा विश्व के सच्चे हितैषी ऋषि दयानन्द May 11, 2020 / May 11, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य परमात्मा की सृष्टि में अनेक अनादि, नित्य व शाश्वत् आत्मायें जन्म लेती हैं। अधिकांश ऐसी होती हैं जो जन्म लेती हैं और मर जाती हैं। लोग उन्हें जानते तक नहीं। इनका जीवन अपने सुख व समृद्धि में ही व्यतीत होता है। इसके विपरीत कुछ आत्मायें ऐसी भी होती हैं जो मनुष्य […] Read more » ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म मनुष्य को सत्य धर्म का अनुसंधान कर उसी का पालन करना चाहिये May 10, 2020 / May 10, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment हमें मनुष्य का जन्म क्यों प्राप्त हुआ है? इसके पीछे कौन सी अदृश्य सत्ता व शक्ति है जिसने निश्चित किया कि हमारी आत्मा को मनुष्य जन्म मिले? इसका उत्तर वैदिक साहित्य को पढ़ने से मिलता है। मनुष्य को मनुष्य जन्म उसकी आत्मा के पूर्वजन्म के कर्मों के आधार पर मिलता है। इन कर्मों को […] Read more »