धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द की संसार को देन वेदों में वर्णित ईश्वर का प्रामाणिक सत्य स्वरूप December 19, 2019 / December 19, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य यह निर्विवाद है कि मूल वेद संहितायें ही संसार में सबसे पुरानी पुस्तकें हैं। वेद शब्द का अर्थ ही ज्ञान होता है। अतः चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद ज्ञान की पुस्तकें हैं। इन चारों वेदों पर ऋषि दयानन्द का आंशिक और अनेक आर्य वैदिक विद्वानों का भाष्य वा टीकायें […] Read more » ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म वैदिक राजधर्म व्यवस्था एवं देश के अध्यक्ष राजा के उत्तम गुण व आचरण December 19, 2019 / December 19, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य वेद संसार के सबसे पुराने धर्म ग्रन्थ हैं। वेद के विषय में ऋषि दयानन्द के विचार हैं कि वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। सृष्टि के आरम्भ से ही महाभारत और उसके भी बाद आर्य राजा पृथिवीराज चौहान तक भारत में आर्य राजा हुए हैं। वेदों की उत्पत्ति 1.96 अरब […] Read more »
धर्म-अध्यात्म शख्सियत “कृष-काय पंडित आर्यमुनि जी का एक युवक से मल्लयुद्ध एवं उनका नाभा शास्त्रार्थ” December 17, 2019 / December 17, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य पण्डित आर्यमुनि जी वेदों के उच्च कोटि के विद्वान थे। आपने वेद, दर्शन, मनुस्मृति, रामायण तथा महाभारत आदि ग्रन्थों पर भाष्य व टीकायें लिखी हैं। वैदिक धर्म के विरोधियों से आपने शास्त्रार्थ किये और उन्हें पराजित किया। शरीर से पंडित जी दुबले-पतले दुर्बल से व्यक्ति थे। पडित जी मल्लयुद्ध के ज्ञाता […] Read more » पंडित आर्यमुनि जी
धर्म-अध्यात्म यज्ञ द्वारा जीवन की सफलता शुद्ध सामग्री एवं व्यवहार से ही सम्भव December 17, 2019 / December 17, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य वैदिक धर्म ही एक मात्र ऐसा धर्म है जिसके पास परमात्मा का सृष्टि के आरम्भ में दिया हुआ वेद ज्ञान उपलब्ध है। सृष्टि की उत्पत्ति 1.96 अरब वर्ष पूर्व तिब्बत में हुई थी। परमात्मा ने प्रथम बार अमैथुनी सृष्टि करके स्त्री व पुरुषों को युवावस्था में उत्पन्न किया था। यह मान्यता […] Read more » यज्ञ
धर्म-अध्यात्म वेद दो पाये पशु को मनुष्य बनाने के साथ उसे ईश्वर से मिलाते हैं December 14, 2019 / December 14, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य संसार में जीवात्माओं को परमात्मा की कृपा से अपने-अपने कर्मानुसार भिन्न-भिन्न योनियों में जन्म प्राप्त होता रहता है। सभी योनियों में मनुष्य योनि सबसे श्रेष्ठ एवं महत्वपूर्ण है। मनुष्येतर योनियों में आत्मा की ज्ञान आदि की उन्नति नहीं होती। मनुष्येतर योनियों में भोजन एवं जीवन व्यतीत करने के लिये स्वाभाविक ज्ञान […] Read more »
धर्म-अध्यात्म सभी विद्वानों का कर्तव्य लोगों को श्रेष्ठ गुण सम्पन्न मनुष्य बनाना है December 14, 2019 / December 14, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य मनुष्यों की सन्तानें जन्म के समय व उसके बाद ज्ञान की दृष्टि से ज्ञानहीन होती हैं। उन बच्चों को उनके माता-पिता, कुटुम्बी जन तथा आचार्यगण ज्ञान देते हैं। यदि माता-पिता व आचार्य आदि बच्चों को ज्ञान न दें तो वह सद्ज्ञान व सद्गुणों का ग्रहण नहीं कर सकते। माता-पिता व आचार्यों […] Read more » श्रेष्ठ गुण सम्पन्न मनुष्य
धर्म-अध्यात्म हम ईश्वर की आज्ञा के पालन, सुख एवं वायु शुद्धि हेतु यज्ञ करते हैं December 11, 2019 / December 11, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य वेदों के मर्मज्ञ व विख्यात विद्वानों में अपूर्व ऋषि दयानन्द सरस्वती ने वेदों पर आधारित आर्य-हिन्दुओं के पांच कर्तव्यों वा यज्ञों पर प्रकाश डाला है और इन यज्ञों को करने की पद्धति भी लिखी है। आर्य–हिन्दुओं के धर्म और संस्कृति का आधार किसी अल्पज्ञ मनुष्य की अविद्या से युक्त मान्यतायें नहीं […] Read more » yagya for air purification वायु शुद्धि हेतु यज्ञ
धर्म-अध्यात्म वैदिक कर्म-फल सिद्धान्त सत्य नियमों पर आधारित यथार्थ दर्शन है December 9, 2019 / December 9, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य वैदिक धर्म सृष्टि का सबसे पुराना धर्म है। यह धर्म न केवल इस सृष्टि के आरम्भ से प्रचलित हुआ है अपितु इससे पूर्व जितनी बार भी प्रलय व सृष्टि हुई हैं, उन सब सृष्टि कालों में भी एकमात्र वैदिक धर्म ही पूरे विश्व में प्रवर्तित रहा है। इसका कारण यह है […] Read more »
धर्म-अध्यात्म यज्ञोपवीत धारण करते समय पढ़ा जाने वाला वेद मंत्र December 9, 2019 / December 9, 2019 by शकुन्तला बहादुर | 1 Comment on यज्ञोपवीत धारण करते समय पढ़ा जाने वाला वेद मंत्र मानवजीवन में यज्ञोपवीत ( जनेऊ ) का अत्यधिक महत्त्व है। उपनयन संस्कार को सभी संस्कारों में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है । यज्ञोपवीत के तीन तार मनुष्यों उसके तीन ऋणों का निरन्तर स्मरण कराते रहते हैं। देव ऋण, आचार्य ऋण और मातृ-पितृ ऋण। उपनयन-संस्कार में यज्ञोपवीत […] Read more » Veda Mantra to be recited while holding Yagyopavee Veda Mantra while holding yagyopaveet Yagyopaveet यज्ञोपवीत
धर्म-अध्यात्म हे ईश्वर! आप हमें भौतिक व आध्यात्मिक उन्नति के लिए सद्बुद्धि प्रदान करें” December 6, 2019 / December 6, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य परमात्मा ने मनुष्य को शरीर दिया है जिसमें अनेक बाह्य एवं आन्तरिक अंग–प्रत्यंग हैं। इन अंगों में एक अंग बुद्धि भी है जिससे मनुष्य संकल्प–विकल्प व चिन्तन–मनन करते हुए सत्य व असत्य की समीक्षा करता है। संसार में ज्ञान दो प्रकार है जिसे हम सद्ज्ञान व मिथ्याज्ञान कह सकते हैं। दोनों […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म क्या हम मनुष्य हैं? December 5, 2019 / December 5, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन आर्य हम स्वयं मनुष्य कहते व मानते हैं। संसार में जहां भी दो पैर वाले मनुष्य की आकृति वाले प्राणी जो बुद्धि से युक्त होते हैं, उन्हें मनुष्य कहा जाता है। प्रश्न यह है कि क्या हम मनुष्य हैं? यदि हैं तो क्यों व कैसे है? इन प्रश्नों का उत्तर देने से पूर्व […] Read more » ‘क्या हम मनुष्य हैं?’
धर्म-अध्यात्म अग्निहोत्र हवन-यज्ञ से वायु-वर्षा जल एवं पर्यावरण की शुद्धि सहित अनेकानेक स्वास्थ्य एवं आध्यात्मिक लाभ December 5, 2019 / December 5, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य के सुख का मुख्य आधार शुद्ध वायु एवं जल के सेवन सहित भूख से कुछ कम सीमित मात्रा में शुद्ध शाकाहारी भोजन का सेवन है। हमारे पूरे शरीर में रक्त भ्रमण करता है जो अनेक कारणों से दूषित होता रहता है। ईश्वर ने हमारे रक्त को शुद्ध करने का शरीर […] Read more »