गजल गजल:देश बंटने से बचाना है ज़रा याद रहे….. July 15, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी तुमको कुछ करके दिखाना है ज़रा याद रहे, सबको इंसाफ़ दिलाना है ज़रा याद रहे। बम कोई सा भी बनाओ तुम्हें पूरा हक़ है, बम से गै़रों के बचाना है ज़रा याद रहे। तुमने बोई थी जो वादों की फ़सल काट चुके, अब अमल करके दिखाना है ज़रा याद रहे। […] Read more » gazal by iqbal hindustani
गजल गजल:बेच रहे तरकारी लोग- श्यामल सुमन July 15, 2012 / July 15, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment प्रायः जो सरकारी लोग आज बने व्यापारी लोग लोकतंत्र में बढ़ा रहे हैं प्रतिदिन ये बीमारी लोग आमलोग के अधिकारों को छीन रहे अधिकारी लोग राजनीति में जमकर बैठे आज कई परिवारी लोग तंत्र विफल है आज देश में भोग रहे बेकारी लोग जय जयकार उन्हीं की होती जो हैं […] Read more » gazal by shyamal suman गजल- श्यामल सुमन गजल:बेच रहे तरकारी लोग गजल:बेच रहे तरकारी लोग- श्यामल सुमन
गजल गजल:पूछो तो भगवान है क्या–श्यामल सुमन July 14, 2012 / July 14, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment समझदार की भीड़ सामने एक सुमन नादान है क्या मन्दिर मस्जिद गिरिजाघर में पूछो तो भगवान है क्या पालनहार वही जब सबका मरते भूखे लोग कई बेबस होकर सोच रहा मन ये उनकी सन्तान है क्या दरगाहों में या मन्दिर में लाखों लोग किनारे हैं बड़े लोग का स्वागत ऐसा मालिक का मेहमान […] Read more » gazal by shayamal suman गजल:पूछो तो भगवान है क्या–श्यामल सुमन गजल:श्यामल सुमन
गजल कुछ हादसों के बीच में पलता रहा हूं मैं….. July 11, 2012 / July 11, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment -इक़बाल हिंदुस्तानी बुज़दिल नहीं हूं मौत से लड़ता रहा हूं मैं, कुछ हादसों के बीच में पलता रहा हूं मैं। उनका तो मक़बरा भी बड़ा क़ीमती बना, मेरे भी सर पे छत हो तरसता रहा हूं मैं। कमज़र्फ़ से वफ़ाओं की आशा फ़जूल थी, क्यों एतबार कर लिया पछता रहा हूं मैं। […] Read more »
गजल गज़ल:समदर्शिता– सत्येंद्र गुप्ता July 6, 2012 / July 5, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment कोई अर्श पे कोई फर्श पे, ये तुम्हारी दुनिया अजीब है कहते इसे कोई कर्मफल, कोई कह रहा है कि नसीब है यदि है नसीब तो इस कदर, तूने क्यों लिखा ऐ मेरे खुदा समदर्शिता छूटी कहाँ, क्यों अमीर कोई गरीब है कहते कि जग का पिता है तू, सारे कर्म तेरे अधीन […] Read more » गज़ल:समदर्शिता गज़ल:समदर्शिता– सत्येंद्र गुप्ता
गजल गज़ल:बेबसी– सत्येंद्र गुप्ता July 6, 2012 / July 5, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment बात गीता की आकर सुनाते रहे आईना से वो खुद को बचाते रहे बनते रावण के पुतले हरएक साल में फिर जलाने को रावण बुलाते रहे मिल्कियत रौशनी की उन्हें अब मिली जा के घर घर जो दीपक बुझाते रहे मैं तड़पता रहा दर्द किसने दिया बन के अपना वही मुस्कुराते रहे […] Read more » gazal by satyendra gupta गज़ल:बेबसी गज़ल:बेबसी– सत्येंद्र गुप्ता
गजल गजल:अनुभूति-श्यामल सुमन July 5, 2012 by श्यामल सुमन | 1 Comment on गजल:अनुभूति-श्यामल सुमन कभी जिन्दगी ने मचलना सिखाया मिली ठोकरें तो सम्भलना सिखाया जीना सम्भलकर कठिन जिन्दगी में उलझ भी गए तो निकलना सिखाया रंगों की महफिल है ये जिन्दगी भी गिरगिट के जैसे बदलना सिखाया सबकी खुशी में खुशी जिन्दगी की खुद की खुशी में बहलना सिखाया बहुत दूर मिल के भी क्यों […] Read more » gazal by shyamal suman गजल:अनुभूति
गजल गजल:जो दिल में रहते हैं July 5, 2012 / July 5, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment जो दिल में रहते हैं ,पास क्या वो दूर क्या चाँद के रु-ब-रु कोई ,लगता है हूर क्या। कितनी बार की हैं बातें, मैंने भी चाँद से छलका है मेरे चेहरे भी ,कभी नूर क्या। इस मुहाने पर हैं ,कभी उस मुहाने पर छाया रहता है दिल पर जाने सरूर क्या। बस एक हवा के […] Read more » गजल:जो दिल में रहते हैं गजल:जो दिल में रहते हैं-सतेन्द्र गुप्ता
गजल गजल- मेरा तो घर जला दिया अच्छा नहीं किया July 5, 2012 / July 5, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on गजल- मेरा तो घर जला दिया अच्छा नहीं किया इक़बाल हिंदुस्तानी तुमने हमें हरा दिया अच्छा नहीं किया, सोये थे क्यों जगा दिया अच्छा नहीं किया। सौदा तो कर लिया मगर कैसे टिकेगा ये, रूठों को यूं मना दिया अच्छा नहीं किया। खुद पर जो आंच आई तो हल्ला मचा दिया, मेरा तो घर जला दिया अच्छा नहीं किया। तुम तो […] Read more » gazal by iqbal hindustani गजल- मेरा तो घर जला दिया अच्छा नहीं किया
गजल गज़ल / ना भूले आदमी काटेगा वो जो बोता है….. June 29, 2012 / June 29, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 2 Comments on गज़ल / ना भूले आदमी काटेगा वो जो बोता है….. इक़बाल हिंदुस्तानी 0तमाम सर्दियों फुटपाथ पर जो सोता है, क़सूर उसका मज़दूर होना होता है। 0वो एकता का मसीहा बना जो बैठा है, वही तो मुल्क में नफरत के बीज बोता है। 0खुद अपने हाथ से एक हाथ काट लेता है, जो घर को बांट के भाई को भाई खोता है। 0वो […] Read more »
गजल गज़ल: रफ़्ता रफ़्ता खुशियाँ –सतेन्द्रगुप्ता June 21, 2012 / June 20, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment रफ़्ता रफ़्ता खुशियाँ जुदा हो गई खुद-बुलंदी की राख़ जमा हो गई। लौटकर न आये वे लम्हे फिर कभी और ज़िन्दगी बड़ी ही तन्हा हो गई। ज़िस्म का शहर तो वही रहा मगर खुदमुख्तारी शहर की हवा हो गई। कैसे गुज़री शबे-फ़िराक़, ये न पूछ मेरे लिए तो मुहब्बत तुहफ़ा हो गई। इस क़दर बढ़ी […] Read more » gazal by satendra gupta गज़ल: रफ़्ता रफ़्ता खुशियाँ –सतेन्द्रगुप्ता
गजल गज़ल: तुम से मिलकर–सतेन्द्रगुप्ता June 20, 2012 / June 20, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment तुम से मिलकर, तुम को छूना अच्छा लगता है दिल पर यह एहसान करना, अच्छा लगता है। लबों की लाली से या नैनों की मस्ती से कभी चंद बूंदे मुहब्बत की चखना ,अच्छा लगता है। लाख छिप कर के रहे, लुभावने चेहरे , पर्दों में कातिल को कातिल ही कहना अच्छा लगता है। देखे हैं […] Read more » gazal by satendra gupta गज़ल: तुम से मिलकर –सतेन्द्रगुप्ता