कविता इतवार February 11, 2019 / February 11, 2019 by डॉ कविता कपूर | Leave a Comment हाँ आज इतवार है इस पर मुझे पूरा ऐतबार है, प्रसव की पीड़ा से जूझती कलम आज जन्म देगी एक नयी कविता को हाँ आज इतवार है | कही किसी कलाकार की कलम आज दिखा देगी अपना कमाल जी हाँ आज इतवार है | आँखों के कैमरे में कैद किसी रम्य स्थान से आज किया […] Read more »
कविता बजट आते ही, राहुल जी हुए बडे उदास February 4, 2019 / February 4, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment बजट आते ही, राहुल जी हुए बडे उदास कहने को बचा नहीं,मुद्दा नहीं कोई पास मुद्दा नहीं पास,बीजेपी को कैसे दे झटका सोचे सभी उपाय,माथे को काफी पटका कह रस्तोगी कविराय,लिखाओ तुम रपट रपट लिखाते ही ,रूक जाएगा ये बजट बजट आते ही मध्यम वर्ग हुआ खुशहाल किसान मजदूर वर्ग भी,हुआ है मालामाल हुआ है मालामाल मोदी के सब गुण गायेगे सन 19 […] Read more » बजट आते ही
कविता काश ! मैं तुम्हारा मोबाइल होता February 2, 2019 / February 2, 2019 by आर के रस्तोगी | 3 Comments on काश ! मैं तुम्हारा मोबाइल होता काश ! मैं तुम्हारा मोबाइल होता तुम्हारे कानो से चिपका होता तुम अपने दिल की बात कहतीमैं अपने दिल की बात कहता काश ! तुम मेरे मोबाइल होतेभले ही मेरे कानो से चिपके होतेपर जब मैं बॉय फ्रेंड से बात करती तुम्हारे दिल में कडवाहट होती काश ! मै तुम्हारा दीपक होता तुम मेरी तेल बाति होती मै सारी रात […] Read more » काश ! मैं तुम्हारा मोबाइल होता
कविता आज मेरा मन डोले ! January 31, 2019 / January 31, 2019 by आलोक पाण्डेय | Leave a Comment आकुल-व्याकुल आज मेरा मन , ना जाने क्यों डोले…..विघटित भारत की वैभव को ले लेभाषा इंकलाब की बोलेआज मेरा मन डोले !कष्टों का चित्रण कर रहा व्यथित ह्रदय मेरासुदृढ दासता और बंधन की फेरा…..उजड रही जीवों की बसेरा,सुखद शांति की कब होगी सबेरा…..!न्यायप्रिय शांति के रक्षक, त्वरित क्रांति को खोलें….आज मेरा मन डोले…..!भाषा इंकलाब […] Read more »
कविता वे लोग January 27, 2019 / January 27, 2019 by आलोक पाण्डेय | Leave a Comment उदासीन जीवन को लेक्या-क्या करते होंगे वे लोगन जाने किन-किन स्वप्नों को छोड़कितने बिलखते होंगो वे लोग।कितने संघर्ष गाथाओं में, अपनी एक गाथा जोड़ते होंगे वे लोगपर भी, असहाय होकरकैसे-कैसे भटकते होंगो वे लोग।कुछ बाधाओं से जूझते परास्त नहींकैसे होते होंगे वे लोग;जीवन को दाँव लगा राष्ट्र हित में,मिटने वाले कौन होते होंगे वे लोग।गरीबी में […] Read more »
कविता मैं माटी का छोटा सा दीपक हूँ,सबको देता हूँ प्रकाश January 27, 2019 / January 27, 2019 by आर के रस्तोगी | 5 Comments on मैं माटी का छोटा सा दीपक हूँ,सबको देता हूँ प्रकाश मैं माटी का छोटा सा दीपक हूँ,सबको देता हूँ प्रकाश अन्धकार को दूर भगाता हूँ,ये मेरा है पक्का विश्वास तेल बाति मेरे परम मित्र है,ये देते है मेरा सैदव साथइन के बिन किसी को न दे पाता हूँ,मैं अपना प्रकाश दिवाली त्यौहार की रौनक हूँ मै, कुम्हार मुझे बनाते है गरीब मजदूर मुझे ही बेचकर,दिवाली अपनी मनाते […] Read more » दीपक
कविता साहित्य नेताओं से आजादी बाकी है मेरे भाई January 25, 2019 / January 25, 2019 by बरुण कुमार सिंह | 1 Comment on नेताओं से आजादी बाकी है मेरे भाई नेताओं से आजादी बाकी है मेरे भाईनेताजी कह रहे हैं-तू हिन्दू, तू मुस्लिम, तू सिख, तू ईसाईतो बताओ, तुम कैसे हुए भाई-भाई।भाईचारे के नाम परभाई-भाई को आपस में लड़वाईअपनों को ही अपने से बैर करवाईअमन के नाम पर विष फैलाई।नेताओं का नहीं हैकोई धर्म ईमान मेरे भाई।अब तो साधुबाबा ने भीबजरंगी को दलित बतलाई।कभी भाषा, […] Read more »
कविता कहने को मैं दलित हूँ पर अब दौलत की महारानी हूँ January 24, 2019 / January 24, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment कहने को मैं दलित हूँ पर अब दौलत की महारानी हूँ भले ही मेरे आगे पीछे नहीं,अपने घर की पटरानी हूँ भले ही मैं सदा कुवांरी रहूँ,पर ब्याहों से तो अच्छी हूँशादी करके क्या मिलेगा,मैं बिन ब्याह लेती मस्ती हूँ रूप रंग है ऐसा मेरा,सब नेता लोग मुझ पर मरते हैमैं अपनी पार्टी की नेता हूँ,सब […] Read more »
कविता जिसने उसका चीर हरण किया,उसी को मित्र बनाया है January 22, 2019 / January 23, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जिसने उसका चीर हरण किया,उसी को मित्र बनाया है डूब मरो चुल्लू भर पानी में,उसको जरा शर्म न हाया है जो अपना सम्मान न बचा सकी,औरो का क्या बचायेगी सत्ता की लोलुपता के कारण, अपना सब कुछ गवायेगी गेस्ट हाउस की घटना को,कुर्सी के लिये उसने भुला दिया जिन हाथो ने अपमान किया था,उन्ही हाथो […] Read more » जिसने उसका चीर हरण किया
कविता मैं अध्यापिका कहलाती हूँ January 22, 2019 by डॉ कविता कपूर | Leave a Comment क्यों कहूँ मैं कि सुबह का अलार्म मुझे सोने नहीं देता ? जबकि वह तो सूर्य देव के स्वागत में मुझसे गुस्ताखी होने नहीं देता। प्रथम किरण पर सवार भोर, करती है मुझे आत्म विभोर, सुबह की वह भागदौड़, रसोई के कामों की होड़, रोज एक नई स्पर्धा को जन्म देती है, जिसमें अक्सर […] Read more »
कविता जीवन बस इक धोखा है। January 22, 2019 / January 22, 2019 by अजय एहसास | Leave a Comment दुनिया की उलझन में पड़कर, सब ताने बाने बदल गये हम तो वैसे के वैसे रहे, पर दोस्त पुराने बदल गये। ये बात नही परिवर्तन की, ये तो सब समय का झोंका है बस मौत ही सच्चा साथी है, ये जीवन बस इक धोखा है।। इक सुख पाने की चाहत में , कितना सारे दुख […] Read more »
कविता वो बैठे फेसबुक खोले January 21, 2019 / January 21, 2019 by अजय एहसास | Leave a Comment नभ चाहें धरती डोले, वो बैठें फेसबुक खोलेउंगली करें होले होले,वो बैठें फेसबुक खोले!दुनिया भर के दोस्त बना दे, ये इण्टरनेट साइट, गीदड़ भी है यहाँ गरजते होकर इकदम टाइट।हैलो हाय बोलते रहते, हाउ आर यू कहते ,सुन्दरियों को देख एक पे सौ रिकवेस्ट हैं करते।हो स्वीकार थैंक्स बोले, वो बैठें फेसबुक खोले।उनकी एक पोस्ट […] Read more »