कहने को मैं दलित हूँ पर अब दौलत की महारानी हूँ
भले ही मेरे आगे पीछे नहीं,अपने घर की पटरानी हूँ
भले ही मैं सदा कुवांरी रहूँ,पर ब्याहों से तो अच्छी हूँ
शादी करके क्या मिलेगा,मैं बिन ब्याह लेती मस्ती हूँ
रूप रंग है ऐसा मेरा,सब नेता लोग मुझ पर मरते है
मैं अपनी पार्टी की नेता हूँ,सब वर्कर मुझ से डरते है
कौन कहता है मैंने, एस पी से अपना हाथ मिलाया है
अरे मूर्खो!बी एस पी में पहले से ही एस पी छिपाया है
अपमान में ही मान छिपा है,क्यों पुरानी याद दिलाते हो
मैं तो द्रोपदी बनी थी,क्यों दुश्शासन की याद दिलाते हो
कहने को मैं सूखी रोटी खाती हूँ पर रोज मालपूए खाती हूँ
इसलिए मालपुए खाने के कारण,सदा ही मस्ती में रहती हूँ
वैसे तो मैं दलित हूँ,पर ये सब कहने और दिखावे के है
मेरा हाथी खाता और किसी से वह तो दांत दिखावे के है
सी एम तो बन चुकी अब तो मैं पी एम पद की भूखी हूँ
वह पद तो मेरा अपमान था जिसको पहले छोड़ चुकी हूँ
आर के रस्तोगी