कविता
कविता/अपनी जमीं पर…
/ by डॉ. सीमा अग्रवाल
आसमाँ सा ऊँचा उठकर, झिलमिल सपनों में खो जाऊँ। दीन-हीन की पीन पुकार, एक बधिरवत् सुन न पाऊँ। सागर-सी गहराई पाकर, अपने सुख मेँ डूबूँ-उतराऊँ, गम मेँ किसी के गमगीँ होकर, आँसू भी दो बहा न पाऊँ। तो, नहीं चाहिए ऐसी उच्चता, और न ऐसी गहराई। इससे तो मैं अच्छा हूँ, अपनी जमीं पर ठहरा […]
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