कविता आज के दौर में ईमानदारी June 28, 2021 / June 28, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —–विनय कुमार विनायकआज के दौर में बड़ा कठिन हैईमानदारी का व्रत पालना!ईमानदार होकर घर चलाना!चाकरी निभाना और मर जाना!आसान नहीं है पहले जैसा! सच पूछिए तोईमानदारी के साथबेईमानी का धर्म निभाना भीआसान नहीं है आज! रावण होने के लिए भी चाहिएमंदोदरी सी एक भोली सती नारी!पक्के धृतराष्ट्र भी तभी बन सकतेजब साथ में हो आंख […] Read more » honesty in today's world
कविता कौन कहता है,बुढ़ापे में इश्क नहीं होता June 27, 2021 / June 28, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment कौन कहता है बुढ़ापे में,इश्क का सिलसिला नहीं होता।आम तब तक मीठा नहीं होता,जब तक पिलपिला नहीं होता।। कौन कहता है बुढ़ापे में,जवानी कभी नहीं आती।वह कभी बूढ़ा नहीं होता,जब तक कोई परेशानी नहीं आती।। कौन कहता है बुढ़ापे मे,आदमी शादी नहीं कर सकता।जब तक उसमें ताकत है,एक नहीं वह चार कर सकता।। कौन कहता […] Read more » Who says there is no love in old age बुढ़ापे में इश्क नहीं होता
कविता जाति उपाधि कब व कहां से आई June 26, 2021 / June 26, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment विनय कुमार विनायकपूर्व में जाति-उपाधि नहीं होती थीजाति-उपाधि कब व कहां से आई? स्मृति काल से चार वर्णों के लिए,प्रथमत: चार उपाधि चलन में आई! ब्राह्मण वर्ण के लिए शर्मा उपाधि,क्षत्रिय वर्ण हेतु वर्मा की उपाधि थी,वैश्य वर्ण के लिए गुप्ता उपाधि वशूद्र वर्ण हेतु दास की उपाधि चली! मनु-स्मृति में चार वर्णों के लिएचार […] Read more » When and where did caste title come from
कविता गुरु गोविंद सिंह सोढ़ी June 25, 2021 / June 25, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकजब देश धर्म खतरे में था,हिंदुत्व कर रहा था चीत्कारऐसे ही संकट की घड़ी मेंसोढ़ी राय गुरु गोविन्द नेराम की मर्यादा भक्त्ति,कृष्ण के गीता का ज्ञानऔर सहस्त्रबाहु की ले तलवार,लिया था असिधर सिंह अवतार,एक संत,सिपाही, साहित्यकार बनकर,अपने तीन पुश्त की बली देकरदेश-धर्म-जाति का किया था उद्धार!जब कश्मीरी हिन्दुओं परऔरंगजेब का सुन फरमान“छः माह […] Read more » गुरु गोविंद सिंह सोढ़ी
कविता मै भी हूं तन्हा,तू भी है तन्हा June 25, 2021 / June 25, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मै भी हूं तन्हा,तू भी है तन्हा,छोड़ जायेंगे इस जहां को तन्हा। आए थे तन्हा,जायेगे हम तन्हा,छोड़ जायेगे इस दौलत को तन्हा। ये चांद है तन्हा,ये सूरज है तन्हा,ये आसमां में दोनों घूमते हैं तन्हा। तन्हा रहकर भी न हो पाए हम तन्हा,तेरी याद आती है जब होते है तन्हा। क्यों परेशान करती हो जब […] Read more » तू भी है तन्हा मै भी हूं तन्हा
कविता हिन्दू होना बहुत कुछ होना है June 25, 2021 / June 25, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकहिन्दू होना,बहुत कुछ होना हैहिन्दू होने में अपार संभावना है,कभी ईसाई/कभी मुसलमान होने काहिन्दू होकर हीं फाड़े जा सकते हैंतुलसीकृत राम चरित मानस के पन्ने‘सुपच किरात कोल कलवारावर्णाधम तेली कुंभकारा’ पढ़कर! व्यास स्मृति को सुनकर‘वर्धकी नापित गोप आशाप:कुंभकारक: वणिक किरातकायस्थ मालाकार कुटुम्बिन:एते चान्ये च बहव शूद्राभिन्न: स्वकर्मभि:—एते अंत्यजा समाख्याता येचान्ये ते गवाशना:एषां सम्भाषणात्स्नानंदर्शनादर्क […] Read more » To be Hindu is to be a lot हिन्दू होना बहुत कुछ होना है
कविता साहित्य यह वही बिहार है June 25, 2021 / June 25, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकयह वही बिहार हैजहां मां सीता निकली थी भूमि से!यह वही बिहार हैजहां कर्ण दानवीर निकले थे गंगा से!यह वही बिहार हैजहां वर्धमान महावीर जन्मे,जिन बने!यह वही बिहार हैजिसके सपूत चंद्रगुप्त मौर्य के भय सेविश्वविजेता सिकंदर भागा!यह वही बिहार है जिसके सपूतअशोक ने अरब तक राज्य किया,और लंका समेत विश्व में बौद्ध धर्म […] Read more » बिहार
कविता हिन्दू का दुश्मन जातिवाद है June 24, 2021 / June 24, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकहिन्दू विश्व मेंबेशक सबसे अधिक सहिष्णु धर्म हैकिन्तु हिन्दू कापहला और आखिरी दुश्मन जातिवाद है! जातिवाद ने हिन्दू समुदाय कोअस्तित्वहीन कर खोखला कर दिया,यद्यपि सनातन वर्णाश्रमी वैदिकों काहिन्दू नाम इस्लाम पूर्व पारसियों ने दिया, जो एक मुलम्मा मात्र हैहिन्दू के हिय अंत:स्थल मेंचार वर्ण और हजारों जातियां बसती! हिन्दुओं का सबकुछ जाति तय […] Read more » The enemy of Hindu is casteism. हिन्दू का दुश्मन जातिवाद
कविता एक नायिका के अंगो की उपमाएं June 23, 2021 / June 24, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment ये यौवन क्या है तुम्हारा,उमड़ता हुआ है समंदर।डर लगता है इससे मुझको,कहीं डूब न जाऊं मै अंदर।। ये काली जुल्फे है तुम्हारी,काली घटा भी इनसे हारी।इनको जब तुम झटकती,बिजली इनके आगे मटकती।। ये आंखे क्या है तुम्हारी,नीली झील से भी गहरी।नौका विहार करूं मै इसमें,जो दुनिया देखे मुझे सारी।। ये मस्तक है जो तुम्हारा,चमकता हुआ […] Read more » नायिका के अंगो की उपमाएं
कविता बुढ़ापा June 22, 2021 / June 22, 2021 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment बचपन का अंजाम बुढ़ापा |है जीवन की शाम बुढ़ापा | Read more » old age बुढ़ापा
कविता कितने हिन्दू? June 22, 2021 / June 22, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment कहते हैं भारतबहुसंख्यक हिन्दुओं का देश हैअक्सरा चिंता जताई जातीकि अल्पसंख्यकों कीअस्मिता और अस्तित्व कोशीघ्र लील जाएगाभारत का बहुसंख्यक हिन्दूतो क्यों नहीं करा लेते सर्वेक्षणकश्मीर से कन्याकुमारी तककौन हैं हिन्दू/कितने हैं हिन्दू?हलो! तुम कौन हो?मैं कश्मीरी/मैं पंजाबी/मैं मराठा/मैं गुजराती/मैं बंगाली-मैं उडि़या-असामी-नागा-कूकी-दीमाशा-मीजो-मिश्मी-तांखुल-मैतेयीमैं तमिल-तेलुगु-कन्नड़-मलयालीद्राविड़ दक्षिण भारतीय!और हलो! हल्लो! तुम कौन हो?बोलो तुम कौन होहिन्दी क्षेत्र के बी-मा-रु?बीमार […] Read more » कितने हिन्दू
कविता राम पूर्व दशानन विजेता सहस्त्रार्जुन June 21, 2021 / June 21, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकएक वीर सहस्त्रार्जुन भू परबड़ा यशस्वी,पराक्रमी और ज्ञानी था!राम पूर्व दशानन का विजेताकहते हैं वह बड़ा ही अभिमानी था!हैहय यदुवंशी क्षत्रिय था परमदोन्मत्त शौण्डीर्य सा जवांदानी था!विष्णु के चक्र का अवतारआर्य योद्धा बड़ा ही खानदानी था!ब्राह्मण-क्षत्रिय संघर्ष केवे नायक एक क्षत्रिय बलिदानी था!अत्रिपुत्र चन्द्र का वंशधरसूर्यपुत्र मनुकन्या इला महारानी कापुत्र पुरुरवा से चलकरआयु, […] Read more » Ram Purva Dashanan Winner Sahastrarjun दशानन विजेता सहस्त्रार्जुन