लेख गंदगी और बंदगी एक साथ कैसे? August 11, 2025 / August 11, 2025 by डॉ.वेदप्रकाश | Leave a Comment डॉ.वेदप्रकाश विगत दिनों एक समाचार पढ़ा- साढ़े चार करोड़ कांवड़ यात्री धर्मनगरी में छोड़ गए 10 हजार मीट्रिक टन कूड़ा। यह समाचार हाल ही में संपन्न हुई कांवड़ यात्रा के संबंध में था। समाचार के विश्लेषण में आगे लिखा था- 11 जुलाई से कांवड़ यात्रा विधिवत रूप से शुरू हुई थी। यात्रा का आधा पड़ाव पूरा होने के बाद कांवड़ यात्रियों ने खाद्य पदार्थ,प्लास्टिक की बोतलें, चिप्स और गुटके के रैपर्स, पॉलिथीन की थैलियां, पुराने कपड़े, जूते- चप्पल आदि सामान कूड़ेदान में डालने के बजाय सड़क और गंगा घाटों पर ही फेंक दिया। हर की पैड़ी के संपूर्ण क्षेत्र में गंदगी फैली है। मालवीय घाट, सुभाष घाट, महिला घाट, रोड़ी बेलवाला,पंतद्वीप, कनखल, भूपतवाला, ऋषिकुल मैदान, बैरागी कैंप आदि क्षेत्रों में गंदगी पसरी है। गौरतलब यह भी है कि हरिद्वार में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद भी कांवड़ यात्रा के दौरान पॉलीथिन और प्लास्टिक का कारोबार जमकर हुआ। क्या यह प्रशासन की मिलीभगत नहीं है? संयोग से इस दौरान मुझे भी हरिद्वार और ऋषिकेश गंगा स्नान एवं दर्शन के लिए जाने का सौभाग्य मिला। परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती के समय प्रतिदिन की भांति पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी उन दिनों भी विशेष रूप से अपने उद्बोधन में कह रहे थे- घाटों पर गंदगी न करें, कूड़ा कूड़ेदान में डालें, प्लास्टिक का प्रयोग न करें, मां गंगा में पुरानी कांवड़ और पुराने कपड़े आदि न फेंके। प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग न हो, इसके लिए उन्होंने एक विशेष अभियान के अंतर्गत कपड़े के लाखों थैले बंटवाए। जगह-जगह स्वच्छ पेयजल हेतु व्यवस्थाएं की। तदुपरांत भी गंगा घाटों पर गंदे कपड़े, कूड़ा और प्लास्टिक की बोतलें सहजता से इधर-उधर पड़ी दिखाई दे रही थी। यहां समझने की आवश्यकता है कि गंदगी न करना, स्वच्छता रखना, प्रकृति- पर्यावरण, नदी और जल स्रोतों को दूषित न करना अपने आप में एक बड़ी भक्ति अथवा बंदगी है। अनेक स्थानों पर लोग भंडारे और अन्य कार्यक्रमों के आयोजन करते हैं, जिसमें प्लास्टिक की प्लेट, चम्मच, गिलास आदि के रूप में ढेर कूड़ा दाएं बाएं बिखरा पड़ा रहता है। भंडारा करना और अन्य धार्मिक आयोजन हर्षोंल्लास से करना बहुत अच्छी बात है लेकिन गंदगी के लिए भी सजग होना पड़ेगा। एक नागरिक के रूप में हमें यूज एंड थ्रो की संस्कृति को छोड़ना होगा। तीर्थ स्थानों पर अथवा कहीं भी गंदगी फैलाना हमें बंदगी की भावना से दूर करता है। विगत दिनों प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन हुआ। मेले में प्रतिदिन सैकड़ों मीट्रिक टन कूड़ा निकलता था, लेकिन प्रशासन की समुचित योजना और सजगता होने से मेला क्षेत्र लगातार स्वच्छ रहा। कुछ ही स्थानों पर प्लास्टिक की थैलियां, बोतलें और कूड़ा दिखाई दिया। भारत विविधताओं का देश है। यहां विभिन्न जातियां, मत- संप्रदाय एवं पर्व- उत्सव हैं। समूचे देश में विभिन्न नदियों एवं स्थानों पर अनेक तीर्थ हैं। जहां प्रतिदिन भारी संख्या में श्रद्धालु एवं तीर्थयात्री पहुंचते हैं। क्या अपनी इन पवित्र यात्राओं पर जाते समय हम प्रकृति-पर्यावरण और तीर्थों को गंदा न करने और स्वच्छ रखने का संकल्प नहीं ले सकते? स्वच्छता की दृष्टि से लगातार प्रयास करते हुए इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर बना हुआ है जबकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कई जगह कूड़े के पहाड़ बन चुके हैं। लगातार बढ़ती जनसंख्या के बीच शासन- प्रशासन की भी अपनी सीमाएं हैं। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति को यह संकल्प लेना होगा कि मेरा कूड़ा मैं ही संभालूं। हरिद्वार और ऋषिकेश की यात्रा के संबंध में गांधी जी ने लिखा है- गंगा तट पर जहां पर ईश्वर दर्शन के लिए ध्यान लगाकर बैठना शोभा देता है- पाखाना, पेशाब करते हुए बडी संख्या में स्त्री-पुरुष अपनी मूढ़ता और आरोग्य के तथा धर्म के नियमों को भंग करते हैं…जिस पानी को लाखों लोग पवित्र समझकर पीते हैं, उसमें फूल, सूत, गुलाल,चावल, पंचामृत वगैरा चीजें डाली गई… मैंने यह भी सुना कि शहर के गटरों का गंदा पानी भी नदी में ही बहा दिया जाता है जोकि एक बड़े से बड़ा अपराध है। आज भी गंगोत्री धाम से लेकर गंगासागर तक मां गंगा, यमुनोत्री से लेकर प्रयागराज संगम तक मां यमुना, कृष्णा, कावेरी, मंदाकिनी, ब्रह्मपुत्र आदि विभिन्न ऐसी नदियां हैं जिनमें व्यापक स्तर पर भिन्न-भिन्न प्रकार का प्रदूषण और गंदगी फैलाई जा रही है। इस गंदगी के लिए न तो प्रशासन सजग है और न ही लोग। दिल्ली, हरियाणा और फिर उत्तर प्रदेश, वृंदावन में भी मां यमुना के किनारे गंदगी सहज ही देखी जा सकती है। यद्यपि भारत सरकार नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत गंगा व अन्य नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रयास कर रही है तथापि अभी स्थिति में अधिक बदलाव नहीं हुए हैं। स्वच्छता ही सेवा, सेवा ही धर्म आदि महत्वपूर्ण सूत्रों का व्यवहार में आना अभी बाकी है। परमार्थ निकेतन में मां गंगा आरती के समय पूज्य मुनि चिदानंद सरस्वती जी, विभिन्न संत एवं भारतवर्ष की ज्ञान परंपरा के अनेक ग्रंथ लगातार यह कह रहे हैं कि- नदियां जीवनदायिनी हैं, प्रकृति-पर्यावरण के बिना जीवन का अस्तित्व नहीं है, नदियां बचेंगी तो जीवन बचेगा, संतति बचेंगी,संस्कृति बचेगी। पूज्य स्वामी चिदानंद जी अपने उद्बोधन में अक्सर कहते हैं- गंदगी और बंदगी एक साथ नहीं हो सकती। जब आप गंदगी को छोड़ देंगे, स्वच्छता को अपना लेंगे, तो बंदगी की राह बहुत आसान हो जाएगी। आइए खूब बंदगी करें, खूब तीर्थ करें, खूब स्नान करें लेकिन प्रकृति-पर्यावरण और नदियों को गंदा न करें। यदि प्लास्टिक की बोतलें, थैली अथवा कुछ कूड़ा हमारे पास है तो उसे यहां वहां न फेंके, कूड़ेदान में डालें ताकि उसे उचित व्यवस्था में ले जाकर समाप्त किया जा सके। डॉ.वेदप्रकाश Read more » गंदगी और बंदगी
लेख प्रकृति के पुत्र और संस्कृति के प्रहरी हैं आदिवासी August 8, 2025 / August 8, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment विश्व आदिवासी दिवस- 9 अगस्त 2025– ललित गर्ग – विश्व आदिवासी दिवस, 9 अगस्त, केवल एक संवैधानिक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह सभ्यता की जड़ों और संवेदनशीलता के स्रोत को स्मरण करने का दिन है। यह दिन न केवल आदिवासियों के अस्तित्व, अधिकारों यानी जल, जंगल, जमीन और उनके जीवन की रक्षा का उद्घोष है, बल्कि […] Read more » Tribals are the sons of nature and guardians of culture विश्व आदिवासी दिवस- 9 अगस्त
लेख सफाई कर्मियों को भी चाहिए मौत के खतरों से आजादी August 8, 2025 / August 8, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment ओ पी सोनिक राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में 120 से अधिक सीवर कर्मियों की मौतें हो चुकी हैं जो देश के विभिन्न शहरों की अपेक्षा सबसे ज्यादा हैं, यानी कि देश की राजधानी दिल्ली सीवर कर्मियों की मौतों के मामले में डैथ केपिटल बनती नजर आ रही है। दिल्ली उन […] Read more » Sanitation workers also need freedom from the dangers of death दिल्ली सीवर कर्मियों की मौतों के मामले में डैथ केपिटल
लेख कुपित कुदरत का कहर या लापरवाही ? August 8, 2025 / August 8, 2025 by डॉ घनश्याम बादल | Leave a Comment डॉ घनश्याम बादल अपने नैसर्गिक एवं नयनाभिराम प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता के सेव उत्पादन के लिए प्रसिद्ध उत्तरकाशी गंगोत्री मार्ग का पर्यटकों का बेहद पसंदीदा हॉल्ट कैंप धराली आज सन्नाटे से घिरा है । वहां पर बसे हुए सत्तर अस्सी परिवारों में से अधिकांश के घर, दुकानें व होम स्टे तबाह हो गए […] Read more » उत्तरकाशी गंगोत्री मार्ग
लेख देश का आधार : शिक्षा और स्वास्थ्य August 8, 2025 / August 8, 2025 by डॉ. नीरज भारद्वाज | Leave a Comment डॉ. नीरज भारद्वाज किसी भी विकसित राष्ट्र के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। दोनों ही देश के विकास के मजबूत पहिए भी हैं। कहा जाता है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। इस दृष्टि से हर व्यक्ति का स्वस्थ रहना और शिक्षा प्राप्त करना मूलभूत आवश्यकता है। हमारे देश के अलग-अलग […] Read more » Foundation of the country: Education and health शिक्षा और स्वास्थ्य
लेख विविधा समाज सार्थक पहल एक हथिनी ‘माधुरी’ के बहाने धर्म का पुनर्पाठ August 8, 2025 / August 8, 2025 by देवेन्द्र कुमार | Leave a Comment -स्वामी देवेन्द्र ब्रह्मचारी – नांदणी जैन मठ की गजलक्ष्मी हथिनी माधुरी, जो 35 वर्षों से मठ की सेवा में थी, को पेटा की याचिका पर जामनगर भेजा गया था, जिससे जैन समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची थी। न केवल महाराष्ट्र में बल्कि समूचे जैन समाज में आक्रोश को देखते हुए महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने […] Read more » Rereading of religion through an elephant 'Madhuri' हथिनी ‘माधुरी’ के बहाने धर्म का पुनर्पाठ
लेख पहाड़ों का सर्वनाश: उत्तराखंड की आखिरी चेतावनी August 6, 2025 / August 6, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment “देवभूमि का दर्द: विकास के नाम पर विनाश” उत्तरकाशी के थराली में बादल फटने से हुई भीषण तबाही उत्तराखंड के पर्यावरणीय संकट की गंभीर चेतावनी है। विकास के नाम पर हो रही पहाड़ों की अंधाधुंध कटाई, अवैज्ञानिक निर्माण और बेतरतीब पर्यटन ने पहाड़ों की सहनशीलता को खत्म कर दिया है। जमीन की लूट, संस्कृति का […] Read more » पहाड़ों का सर्वनाश
लेख उत्तराखंड में जल-प्रलय August 6, 2025 / August 6, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव भगवान भोले नाथ का गुस्सा, प्रतीक रूप में मौत के तांडव नृत्य में फूटता है। देवभूमी उत्तराखंड में शिव के इस तांडव नृत्य का सिलसिला केदारनाथ में 2013 में आई प्राकृतिक आपदा के बाद अभी भी जारी है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की खीर गंगा नदी और धराली में बादल फटने और हर्शिल […] Read more » Flood in Uttarakhand
बच्चों का पन्ना लेख समाज स्कूल छोड़ती बेटियाँ: संसाधनों की कमी या सामाजिक चूक? August 4, 2025 / August 4, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment (“बेटियाँ क्यों छोड़ रही हैं स्कूल? सवाल सड़कों, शौचालयों और सोच का है” “39% लड़कियाँ स्कूल से बाहर: किसकी जिम्मेदारी?” “‘बेटी पढ़ाओ’ का सच: किताबों से पहले रास्ते चाहिए”) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट ने चौंकाने वाला सच उजागर किया है कि 15 से 18 वर्ष की उम्र की लगभग 39.4% लड़कियाँ स्कूल से बाहर […] Read more » स्कूल छोड़ती बेटियाँ
महिला-जगत लेख महिला सुरक्षा के नाम पर आश्वासनों की मात्र औपचारिकता नहीं निभाई जाए August 4, 2025 / August 4, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment संस्कृत में बड़े ही खूबसूरत शब्दों में नारी/स्त्री के बारे में कहा गया है कि-‘ नारीणां तु विशेषेण गुणान् संकीर्तयाम्यहम्। या यथा शक्तितः पूज्या धर्मे पन्थाः स एव सः।।’ इसका मतलब यह है कि स्त्रियों के गुणों का वर्णन विशेष रूप से करना चाहिए। वे जैसे भी हों, जिस शक्ति से युक्त हों, पूजनीय हैं […] Read more »
लेख स्वाधीनता संग्राम की हमने सुनी कहानी थी… August 1, 2025 / August 1, 2025 by डॉ. सरोज चक्रधर | Leave a Comment डॉ. सरोज चक्रधर हमने सुनी कहानी थी…भारत वर्ष की आजादी का गौरव गान वर्ष 1947 को आरंभ हुआ था, वह नित्य प्रति हमारी धडक़न बन चुका है। सुप्रभात के साथ हमें स्मरण होता है कि खुली हवा में, बिना किसी बंदिश के हम हैं तो उन पुरोधाओं और पुरखों का संघर्ष है जिन्होंने आज के […] Read more » स्वाधीनता संग्राम की हमने सुनी कहानी थी…
लेख मित्रताः रिश्तों की आत्मा और संवेदना की जीवंत सरिता August 1, 2025 / August 1, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment अन्तर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस – 3 अगस्त 2025– ललित गर्ग – मित्रता वह रिश्ता है, जो न रक्त से बंधा होता है, न किसी सामाजिक अनुबंध से, फिर भी यह जीवन का सबसे आत्मीय और मजबूत संबंध होता है। दोस्ती वह भूमि है जहां प्रेम, विश्वास, अपनत्व, समर्पण और संवेदना एक साथ अंकुरित होते हैं। इसी दुर्लभ […] Read more » अन्तर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस