लेख समाज नैतिक पतन के चलते खतरे में इंसानी रिश्ते March 31, 2025 / March 31, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment समाज में कितना पतन बाकी है? यह सुनकर दिल दहल जाता है कि कोई बेटा अपने ही माता-पिता की इतनी निर्ममता से हत्या कर सकता है? महिला ने जेठ के साथ मिलकर अपने दो वर्ष के बेटे को मरवा दिया। पत्नी ने प्रेमी सँग मिलकर मर्चेंट नेवी मे अफसर पति के टुकड़े-टुकड़े किये। पिता ने […] Read more » खतरे में इंसानी रिश्ते नैतिक पतन के चलते खतरे में इंसानी रिश्ते
आलोचना वाद को वाद ही रहने दें, विवाद न बनने दें… March 31, 2025 / March 31, 2025 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment सुशील कुमार ‘नवीन’ गन कल्चर के नाम पर हरियाणा में कुछ गायकों के यू ट्यूब से डिलीट किए गए गानों पर इशारों-इशारों में रार जारी है। यह गायकों के साथ-साथ हरियाणवीं म्यूजिक इंडस्ट्रीज के लिए भी अच्छा संकेत नहीं है। मौका पड़ते ही एक दूसरे पर छींटाकशी या टोंटबाजी से बात सुधरने के चांस कम, बिगड़ने के ज्यादा है। दस दिन के अंतराल में जो नुकसान इंडस्ट्रीज को हुआ है, उसके नुकसान की भरपाई होने में बहुत समय लगेगा। समय रहते वाद को विवाद होने से बचाने की पहल जरूरी है। अब ये पहल सरकार करे या गायकों के चुनिंदा नुमाइंदे। इसके बिना कोई समाधान नहीं निकलने वाला। देशभर में अपना विशेष स्थान रखने वाला हरियाणा पिछले दस दिन से अलग ही मूड में है। जिधर देखो, उधर गन कल्चर के नाम पर डिलीट किए गए गानों की चर्चा है। रोजाना सैकड़ों रील सोशल मीडिया पर अपलोड हो रही है। ध्यान रहे कि हरियाणा पुलिस ने इन दिनों गन कल्चर को बढ़ावा देने वाले गानों को निशाने पर लिया हुआ है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद से लगातार इस तरह के गानों की सूची बनाई जा रही हैं। जानकारी अनुसार अभी तक इस प्रकार के 10 गानों को यू ट्यूब से हटाया जा चुका है। माना जा रहा है कि इस तरह के 100 गाने और पुलिस के भेंट चढ़ने वाले हैं। जिन दस गानों के डिलीट होने की बात है, उनमें से सात एक ही गायक के बताए जा रहे हैं। ऐसे में उक्त गायक को दर्द होना तो लाजमी है। ये दर्द किसी दवा से कम होने वाला नहीं है। यह बात वो गायक भी जानते हैं और उनके चाहने वाले। नुकसान कितना होगा, यह अभी कोई नहीं जानता। हां जितना समय गुजरता जायेगा, नुकसान की मात्रा बढ़ती जायेगी। बौखलाहट, हड़बड़ाहट या बिना कुछ सोचे विचारे उठाए गए कदम लाभ की जगह नुकसान ही ज्यादा पहुंचाते हैं। फिलहाल हो भी यही रहा है। सरकार में पदासीन एक गायक की सोशल मीडिया पर विरोध रूपी हौसला अफजाई फॉलोवर्स लगातार कर रहे हैं। उद्वेगजनक कटु सर्पित वाक् शिलिमुख घाव को हरा ही कर रहे हैं। रही सही कसर ये माइक वाले भाई पूरी कर रहे हैं। जैसे ही किसी एक का कोई बयान आता है तो अपनी फैन फॉलोइंग बढ़ाने के चक्कर में दूसरे के पास पहुंच जाते हैं। जब तक उसके श्रीमुख से दूसरे के लिए कोई कड़वी बात न निकले, माइक को हटाते ही नहीं। जैसे ही कुछ बोला, उसे दूसरे को हैशटैग कर उसकी प्रतिक्रिया की बाट जोहना शुरू कर देते हैं। इन महानुभावों की दरियादिली तो देखिए ये दूसरे पक्ष के बुलावे का इंतजार भी नहीं करते, खुद ही अपना झोला झंडी उठाकर पहुंच जाते हैं एक नई फिल्म बनाने को। पिछले दस-बारह दिनों से यही तो हो रहा है। इनकी एक खास बात और भी है कि अगला कुछ न भी कहना चाहे तो उसे बातों में ले कोई दुखती रग छेड़कर उससे कुछ उल्टा पुल्टा कहलवा ही देते हैं। अब बात आती है कि ये स्थिति पैदा ही क्यों हुई? एक कहावत है कि दूसरों को अपने घर में झांकने का मौका दोगे तो कमियां तो बाहर जाएंगी ही। यही फिलहाल हरियाणा म्यूजिक इंडस्ट्रीज में हो रहा है। एक गायक का गाना थोड़ा पॉपुलर क्या हुआ, दूसरे को मिर्ची लग जाती है। कुछ नया कंटेंट की जगह उसी को नीचा दिखाने में न सिर और न पैर वाली अपनी अमूल्य रचना निर्मित कर अपने आप को सुप्रीम साबित करने का अलौकिक और अदभुत प्रयास करते हैं। एक दुनाली की बात करता है तो दूसरा पिस्टल की। एक पीलिए में मामा पिस्तौल की बात करता है तो दूसरा मुंह दिखाई में बंदूक की। एक पिस्टल से महंगा लहंगा बोलता है तो दूसरा कोर्ट में ही गोली चलवा देता है। एक लफंडर बनता है तो दूसरा चम्बल का डाकू। बदमाशी के ट्यूशन, जेल में खटोले आदि तो अभी बैन होकर ज्यादा चर्चा में है ही। हरियाणा की प्रसिद्ध कहावत है कि गोह के जाए, सारे खुरदरे। अर्थात् सभी एक जैसे। वाद गीतों के बोल में रहे तब तक तो ठीक है पर जब एक-दूसरे को नीचा दिखाने का प्रयास हो तो यही वाद विवाद बन जाता है। और हो भी यही रहा है। सरकार की सख्ती से इंडस्ट्रीज को ब्रेक से लग गए हैं। खुद कलाकार भी इस बात को स्वीकार रहे हैं कि नया कुछ लिखने, बनाने या रिलीज करने से पहले सब हिचक रहे हैं। सब को डर है कि फायदे की जगह नुकसान न हो जाए। जो हो गया वो हो गया। भविष्य में ऐसी स्थिति सामने न आए इस पर विचार आज पहले जरूरी है। इंडस्ट्रीज में विवादों से दूर मां बोली के लिए जीने वाले राममेहर महला, रामकेश जीवनपुरिया जैसे बहुत कलाकार हैं। उन्हें आगे करें। आपसी विरोधाभास को छोड़कर एकजुट हो बैठकर सरकार से बातचीत करे। लक्ष्य एक हो कि इंडस्ट्रीज की गरिमा बनी रहे। चर्चा होगी तो समाधान भी पक्का निकलेगा। सोशल मीडिया से तो समाधान होने वाला नहीं। बात बढ़ेगी तो सख्ती ज्यादा ही होगी, कम होने से रही। चाणक्य नीति में कहा गया है कि – प्रभूतं कार्यमपि वा तत्परः प्रकर्तुमिच्छति। सर्वारम्भेण तत्कार्यं सिंहादेकं प्रचक्षते। छोटा हो या बड़ा, जो भी काम करना चाहें, उसे अपनी पूरी शक्ति लगाकर करें? यह गुण हमें शेर से सीखना चाहिए। इसलिए चिंतन-मनन करें। मिलने-मिलाने के बहाने क्या पता कुछ उम्मीद से ज्यादा ही मिल जाए। सुशील कुमार Read more » वाद को वाद ही रहने दें
लेख भूकंप के लिए अनियोजित मानवीय गतिविधियां भी हैं जिम्मेदार ! March 30, 2025 / March 31, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment 28 मार्च का दिन म्यांमार और थाइलैंड के लिए एक बहुत ही बुरा दिन था। इस दिन यहां आए जोरदार व शक्तिशाली भूकंप ने दोनों देशों को बुरी तरह से हिलाकर रख दिया है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार रिक्टर स्केल पर 7.7 की तीव्रता वाले इस भूकंप ने म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र से लेकर थाइलैंड […] Read more » Unplanned human activities are also responsible for earthquakes! म्यांमार और थाइलैंड में भूकंप
लेख समाज वृद्धों के लिये उजाला बना सुप्रीम कोर्ट का फैसला March 29, 2025 / March 31, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- देश ही नहीं, दुनिया में वृद्धों के साथ उपेक्षा, दुर्व्यवहार, प्रताड़ना, हिंसा तो बढ़ती ही जा रही है, लेकिन अब बुजुर्ग माता-पिता से प्रॉपर्टी अपने नाम कराने या फिर उनसे गिफ्ट हासिल करने के बाद उन्हें यूं ही छोड़ देने, वृद्धाश्रम के हवाले कर देने, उनके जीवनयापन में सहयोगी न बनने की बढ़ती […] Read more » The Supreme Court's decision brought light for the elderly वृद्धों के लिये उजाला बना सुप्रीम कोर्ट
कला-संस्कृति लेख क्या सचमुच सिमट रही है दामन की प्रतिष्ठा? March 28, 2025 / March 28, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment समय के साथ परिधान और समाज की सोच में बदलाव आया है। पहले “दामन” केवल वस्त्र का टुकड़ा नहीं, बल्कि मर्यादा और संस्कृति का प्रतीक माना जाता था। पारंपरिक वस्त्रों—साड़ी, घाघरा, अनारकली—को महिलाओं की गरिमा से जोड़ा जाता था। “दामन की प्रतिष्ठा” अब भी बनी हुई है, परंतु उसकी परिभाषा बदल चुकी है। परंपरा और […] Read more » Is Daman's reputation really shrinking? सिमट रही है दामन की प्रतिष्ठा
लेख “कुआँ सूखने पर ही पता चलता है पानी की कीमत” March 27, 2025 / March 27, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment कहावत “जब तक कुआँ सूख नहीं जाता, हमें पानी की कीमत का पता नहीं चलता” हमें इस बात की याद दिलाती है कि हमें अपने जीवन और संसाधनों के प्रति जागरूक और कृतज्ञ रहना चाहिए। चाहे वह जल हो, प्रेम हो, स्वतंत्रता हो या स्वास्थ्य, हमें इनका सम्मान और संरक्षण करना चाहिए ताकि आने वाली […] Read more » “The value of water is known only when the well dries up” पानी की कीमत
कविता आरती सीता राम जी की March 26, 2025 / March 26, 2025 by नन्द किशोर पौरुष | Leave a Comment सीता राम जी की आरती गाऊँ।आरती गाउ नित तुम को मनाऊँ।।सीता राम जी की आरती गाऊँ दशरथ नंदन कौशल्या छैया।जनक नंदनी है सीता मैया।।इन चरणों में मैं शीश नवाऊँ।सीता राम जी की आरती गाऊँ।। तीन तीन माता चार चार भैया।चरणों में इनके हैं, अंजनी छैया।।सुबह शाम मैं इनको ही ध्याऊँसीता राम जी की आरती गाऊँ […] Read more » आरती सीता राम जी की
लेख समाज डिजिटल भारत में विचारों की बेड़ियां March 26, 2025 / March 26, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment सरकार द्वारा ओटीटी प्लेटफार्मों की निगरानी, सोशल मीडिया पर टेकडाउन आदेश और आईटी नियम 2021 ने डिजिटल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित किया है। सेंसरशिप और आत्म-नियमन से प्लेटफार्म अधिक सामग्री हटाने लगे हैं, जिससे विचारों की विविधता प्रभावित होती है। झूठी सूचनाओं और साइबर अपराधों को रोकने के लिए कुछ हद तक नियमन आवश्यक […] Read more »
लेख शख्सियत समाज साक्षात्कार समाज की उन्नति और विकास की आधारशिला रखता है साहित्य March 26, 2025 / March 26, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment कहते हैं कि साहित्य ही समाज का असली दर्पण होता है। समाज में जो भी घटित होता है, मतलब कि समाज में जो भी गतिविधियां होतीं हैं, लेखक उनसे कहीं न कहीं प्रभावित होता है और वह अक्सर उन्हीं चीजों, घटनाओं, गतिविधियों को अपने साहित्य में अपनी कलम के माध्यम से काग़ज़ के कैनवास पर […] Read more » प्रख्यात साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल विनोद कुमार शुक्ल
पर्यावरण लेख भारत में गर्मी का जल्दी आना और लू का बढ़ना March 26, 2025 / March 26, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment बढ़ते तापमान से कृषि, जल संकट, सार्वजनिक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। फरवरी में असामान्य रूप से अधिक गर्मी, रात के तापमान में वृद्धि, समुद्री तापमान का असर और शहरी हीट आइलैंड प्रभाव इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं। इसका असर शिक्षा, श्रम उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा पर भी […] Read more » Early arrival of summer in India and increase in heatwaves जल संकट बढ़ते तापमान से कृषि सार्वजनिक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव
पर्यावरण लेख बढ़ती गर्मी, बढ़ती AC की मांग: क्या ऊर्जा-कुशल AC भारत को बिजली संकट से बचा सकते हैं? March 26, 2025 / March 26, 2025 by निशान्त | Leave a Comment भारत में इस साल गर्मी ने रिकॉर्ड तोड़ने की ठान ली है। मार्च में ही तापमान 40°C के पार जा चुका है, और आने वाले महीनों में हालात और बिगड़ सकते हैं। भीषण लू और उमस भरी गर्मी से बचने के लिए AC की मांग तेज़ी से बढ़ रही है, लेकिन यह बढ़ती मांग बिजली संकट को और गहरा सकती है। एक नई […] Read more » rising AC demand: Can energy-efficient ACs save India from power crisis? Rising heat
लेख किवाड़ खिड़कियाँ से होते है लड़के लड़कियां March 26, 2025 / March 26, 2025 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव जरा सोचिए जब मानव ने पहली झुग्गी- झोपड़ी, मकान या भवन की कल्पना की होगी तब उसके मस्तिष्क में कितना भूचाल आया होगा ओर तब जिसने भी पहला आवास बनाया होगा तब उसमें लगने वाला दरवाजा/द्वार दुनिया का पहला दरवाजा होगा जिसमें उसके द्वारा किवाड़ की कल्पना ओर उस आवास की दीवालों […] Read more » Boys and girls are born through doors and windows किवाड़ खिड़कियाँ