व्यंग्य डिजिटल युग में नियोक्ता द्वारा हमारे शोषण का डिजिटल तरीका :वर्क फ्रॉम होम June 18, 2020 / June 18, 2020 by मयंक सक्सैना | Leave a Comment Work from Home अर्थात घर से कार्य करवाने का concept lockdown के दरमियान आया। पर दुनिया यह भूल गई कि भारत में वर्क फ्रॉम होम के नाम पर भी जो एक कर्मचारी को मिलना था, वह था शोषण। अजी जनाब जिस देश में निजी क्षेत्र का नियोक्ता व्यक्तिगत तौर पर कार्यालय में उपस्तिथ अपने कर्मचारी द्वारा किये गए कामों […] Read more » Digital way of our exploitation by employers in the digital age work from home
व्यंग्य जूते व जूती की महिमा June 10, 2020 / June 10, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जूते में बहुत गुण है,सदा राखिए पास।शत्रु से ये बचाए,कोई न फ्टके पास।। मैडम जूती राखिए,बिन जूती सब सून।जूती नाये न उबरे राजनीति के ये चून। पड़ जाए जूती प्रेमिका की,समझो अपने को निहाल।जल्दी ही पड जाएगी,तुम्हारे गले में ये माल।। औरत को न समझिए,पैर की जूती तुम यार।अपने पर जब पड़ जाएगी,तुम्हे पड़े की […] Read more » जूती की महिमा
व्यंग्य कमाल की है मैडम की जूती June 9, 2020 / June 9, 2020 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment हास्य- व्यंग प्रभुनाथ शुक्ल लोकतंत्र में जब बात से बात नहीँ बनती तब शायद जूती स्ट्राइक का सहारा लेना पड़ता है। आजकल हमारे संस्कार में जूता,चप्पल और सैन्डिल की संस्कृत गहरी पैठा बना चुकी है। इसकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए हम कह सकते हैं कि जूती है तो सबकुछ मुमकिन है। अपुन के […] Read more » मैडम की जूती
राजनीति व्यंग्य …और अब मोदी अंगोछा May 30, 2020 / May 30, 2020 by विजय कुमार | Leave a Comment आजकल मुखबंद (मास्क) सबकी जरूरत बन गया है। शुरू में तो इस पर असमंजस था कि इसे लगाएं या नहीं ? कुछ लोग कहते थे कि इसे कोरोना के रोगी या उनके बीच में काम करने वाले ही लगाएं। बाकी को जरूरत नहीं है। कुछ कपड़े की दो या तीन परतों वाले मुखबंद के समर्थक […] Read more » मोदी अंगोछा
व्यंग्य उफ़ ये लॉकडाउन May 26, 2020 / May 26, 2020 by बीनू भटनागर | Leave a Comment दिसंबर में शादी की पचासवीं साल गिरह मनाई थी कई साड़ियाँ उपहार में मिल गई एक दो भाई दोज पर मिली थी अलमारी मे रख दीं कल अलमारी खोली तो मुझसे लड़ने को तैयार थीं एक बोली “कम से कम ब्लाउज़ तो सिलवा लेती कि जब मौका आये तो पहन लो।” मैने कहा “बहना लॉकडाउन […] Read more » Oops this lockdown
व्यंग्य राजनीति चालू आहे , चलो सड़क नापते है ! May 23, 2020 / May 23, 2020 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल फिट रहना बेहद ज़रूरी है। वह सरकार हो या बस। अपन के मुलुक में फिट रहने का आजकल हर कोई मंत्र बाँटता है। यह विधा स्किल डेवलपमेंट में आती है। सरकार भी फिट और हिट रहने के लिए बाकायदा योगमंत्र बांटती रहती […] Read more » चलो सड़क नापते है
व्यंग्य शादियाँ कुछ ऐसे होगी May 22, 2020 / May 22, 2020 by बीनू भटनागर | Leave a Comment WHO के अनुसार कोरोना अब जाने वाला तो नहींं है। आने वाले समय में शादियों की रूपरेखा कैसी होगी। हज़ार मेहमान तो बुलाना संभव नहीं होगा। घर के तीस चालीस लोगों को शादी में आने की अनुमति होगी, छ: फिट पर फूलों के गोले बने होंगे उनमें एक एक व्यक्ति खड़ा हो सकेगा। बुज़ुर्गों के […] Read more » marriages in corona शादियाँ कुछ ऐसे होगी
व्यंग्य मटके के आंसू May 19, 2020 / May 19, 2020 by मनोज कुमार | Leave a Comment मनोज कुमारजो मटका हमारे सूखे गले को अपने भीतर समाये ठंडे जल से तर करता रहा है। आज वही मटका आंसूओं में डूबा हुआ है। कोरोना ने मनुष्य को तो मुसीबत में डाला ही है। मटका भी इसका शिकार हो चुका है। बात कुछ अलग किसम की है। आपने कभी मटके से बात की हो […] Read more »
व्यंग्य ‘आत्मनिर्भरता’ का फ्लेवर और कलेवर ! May 17, 2020 / May 17, 2020 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल ‘आत्मनिर्भरता’ यानी स्वावलंबन जीवन में बेहद आवश्यक है। लेकिन आजकल बगैर अवलंबन के काम ही नहीँ चलता। पति- पत्नी पर, प्रेमी- प्रेमिका पर, बुजुर्ग – छड़ी पर , सरकार- गठजोड़ पर, विपक्ष- ट्विटर पर आत्मनिर्भर है। हमारे आसपास इस तरह के […] Read more » आत्मनिर्भरता आत्मनिर्भरता का फ्लेवर स्वावलंबन
व्यंग्य वादा तेरा वादा May 12, 2020 / May 12, 2020 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment दिलीप कुमार “परनिंदा जे रस ले करिहैं निसच्य ही चमगादुर बनिहैं” अर्थात जो दूसरों की निंदा करेगा वो अगले जन्म में चमगादड़ बनेगा।परनिंदा का अपना सुख है ,ये विटामिन है ,प्रोटीन डाइट है और साहित्यकार के लिये तो प्राण वायु है ।परनिंदा एक परमसत्य पर चलने वाला मार्ग है और मुफ्त का यश इसके लक्ष्य हैं।चतुर्दिक परनिंदा के […] Read more » वादा तेरा वादा
व्यंग्य हे महामारी! आपकी महिमा अपरम्पार है May 11, 2020 / May 11, 2020 by अवधेश कुमार सिंह | Leave a Comment अवधेश कुमार सिंह कोरोना का कमाल देखिए। अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा सम्पूर्ण विश्व आज कोरोना के प्रकोप के आगे विवश है। लाचार है, अर्थात “एक महामारी सब पर भारी” सिध्द हो रहा है। चीन के वुहान शहर से चला है एक राक्षस, नाम है जिसका करोना वाइरस। कोविड -19 दिया गया जिसका नाम, अब […] Read more » करोना वाइरस
व्यंग्य अथश्री कोरोना पद्मश्री’ सम्मान May 9, 2020 / May 9, 2020 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल हिंदी साहित्य और कविता के विकास में कोरोना काल का अपना अलग महत्व होगा। इस युग की महत्ता शोध परिणामों के बाद निश्चित रुप से साबित होगी। इस युग को चाह कर भी कोई आलोचक और समीक्षक झुठला नहीँ सकता […] Read more »