लेख विधि-कानून क्या जघन्य अपराधियों की न सुनी जाये पैरोल की अर्ज़ी? February 26, 2025 / February 26, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment -डॉ. सत्यवान सौरभ पैरोल सुधार और पुनः एकीकरण पर आधारित है, लेकिन जब इसका उपयोग गंभीर अपराधों के लिए किया जाता है, तो यह नैतिक और कानूनी दुविधाएँ पैदा करता है। मानवाधिकारों और पुनर्वास के सिद्धांतों को ध्यान में रखा जाना चाहिए, भले ही न्याय दंड और रोकथाम की मांग करता हो। आपराधिक न्याय प्रणाली […] Read more » Should the parole pleas of heinous criminals not be heard? पैरोल की अर्ज़ी
राजनीति विधि-कानून प्लेसेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट के समर्थन में कॉन्ग्रेस का सुप्रीम कोर्ट पहुँचना क्या दर्शाता है! February 4, 2025 / February 4, 2025 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे मुग़ल शासन के दौरान कब्जाए गए मंदिरों को वापस लेने से रोकने वाले कानून प्लेसेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट (पीओडब्ल्युए ) के बचाव में कॉन्ग्रेस पार्टी उतर आई है। उसने सुप्रीम कोर्ट में इस कानून के समर्थन में एक याचिका दायर की है। कॉन्ग्रेस सुप्रीम कोर्ट में इस कानून की वैधता पर […] Read more » What does Congress' reaching the Supreme Court in support of the Places of Worship Act indicate? प्लेसेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट
राजनीति विधि-कानून संविधान सभा की बहस से संबंधित तथ्य January 27, 2025 / January 27, 2025 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment आज देश अपना ७६ वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। २६ जनवरी १९५० भारतीय संविधान के लागू होने की तिथि है। उस दिन हमारे सनातन राष्ट्र भारतवर्ष ने अपने गणतंत्र का दिशा पथ निर्धारित किया था। सदियों तक लाखों करोड़ों बलिदान देने के पश्चात जिस गणतंत्र के राष्ट्रपथ पर देश ने चलने का निर्णय लिया […] Read more » संविधान सभा की बहस
राजनीति विधि-कानून दोषी बचे नहीं और निर्दोष को सज़ा मिले नहीं ! January 24, 2025 / January 27, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment हाल ही में पश्चिमी बंगाल और केरल में कोर्ट के दो फैसले पूरे देश में चर्चा का विषय रहे। उल्लेखनीय है कि कोलकाता के बहुचर्चित आरजी कर मेडिकल कॉलेज में लेडी डॉक्टर के साथ हुए दिल दहला देने वाले रेप और मर्डर केस में सियालदह कोर्ट ने हाल ही में दोषी संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई है।इस फैसले ने एक ओर न्याय व्यवस्था में विश्वास को मजबूत किया है, वहीं पर दूसरी ओर पीड़ित परिवार और समाज के एक बड़े वर्ग को निराश भी किया। माननीय कोर्ट ने इस मामले को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ नहीं माना और दोषी को मौत की सजा देने से इनकार कर दिया। इधर, केरल के तिरुवनंतपुरम में एक ऐतिहासिक फैसले के तहत डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 24 वर्षीय ग्रीष्मा को अपने बायफ्रेंड की हत्या के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई है। गौरतलब है कि अक्टूबर 2022 में ग्रीष्मा ने अपने प्रेमी शेरोन राज की आयुर्वेदिक टॉनिक में जहर मिलाकर हत्या कर दी थी।माननीय कोर्ट ने अपने 586 पत्रों के फैसले में इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ मामला करार दिया और कहा कि ग्रीष्मा ने जानबूझकर और योजनाबद्ध तरीके से शेरोन की हत्या की। अपने फैसले के दौरान अदालत ने यह भी कहा कि ‘ग्रीष्मा का यह अपराध न केवल क्रूर था, बल्कि यह समाज को गलत संदेश देने वाला है।’ बहरहाल, यहां यह जानना जरूरी है कि आखिर ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर'(दुर्लभतम से दुर्लभ) केस आखिर है क्या ? इस संबंध में पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि वर्ष 1980 में पंजाब में बच्चन सिंह बनाम पंजाब राज्य का एक ऐसा मामला आया था जब देश में फांसी की सजा पर बहस छिड़ी थी।बच्चन सिंह नाम के एक शख्स को अपनी पत्नी की हत्या के जुर्म में 14 साल की सजा सुनाई गई। जेल से छूटने के बाद वह अपने भाई के साथ उसी के घर पर रहने लगा, लेकिन भाई हुकुम सिंह और उसके बीवी-बच्चों को यह पसंद नहीं था, इसलिए विवाद लगातार बढ़ता चला गया और 4 जुलाई, 1977 को गुस्से में आकर बच्चन सिंह ने कुल्हाड़ी से अपनी दो भतीजी और भतीजे को मार डाला। हुकुम सिंह की एक और बेटी पर वार किए गए, लेकिन वो बच गई। इसके बाद सेशन कोर्ट की मौत की सजा को माननीय हाइकोर्ट ने भी बरकरार रखा।बच्चन सिंह ने संविधान के अनुच्छेद 136 के आधार पर स्पेशल लीव पीटिशन (एसएलपी) दायर की। संविधान के अनुच्छेद 14,19 और 21 का हवाला देकर उसने फांसी की सजा के खिलाफ अपील की। भारतीय संविधान में अनुच्छेद-21 ‘जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार’ देता है। इसका तात्पर्य है कि किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता जब तक कि विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन न किया जाए। इसके बाद धारा 302 में सजा को लेकर पूरे देश में बहस शुरू हो गई। इस संदर्भ में बाद में माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी एक बहुत ही ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए बच्चन सिंह की फांसी को बरकरार रखा लेकिन साथ ही फांसी की सजा की परिभाषा को विस्तार देते हुए माना कि ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ केस में भारतीय संविधान में दिए गए जीने के अधिकार को वापस लिया जा सकता है। भारत के इतिहास में यह पहला मामला था, जब ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ की बात कही गई थी। कहना ग़लत नहीं होगा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 1980 में फैसला सुनाते हुए फांसी को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ में डाला। साथ ही यह भी कहा कि फांसी की सजा तभी दी जानी चाहिए, जब उम्रकैद काफी न हो।अगर हत्या या अपराध करने का तरीका बहुत ही बर्बर है तो फांसी की सजा सुनाई जा सकती है। संक्षेप में कहें तो, माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ‘दुर्लभतम’ (रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस) सिद्धांत की स्थापना की, जिसमें कहा गया है कि मृत्युदंड केवल सबसे असाधारण मामलों में ही किया जाना चाहिए। इतना ही नहीं, माननीय सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अदालतों को इतनी कड़ी सजा देने के लिए विशेष कारण बताने चाहिए। वास्तव में, कानून की नजरों में एक भी दोषी बचना नहीं चाहिए और किसी भी निर्दोष को सज़ा नहीं मिलनी चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें तो सारे दोषी भले ही छूट जाएं लेकिन एक निर्दोष को सज़ा नहीं मिलनी चाहिए। सुनील कुमार महला Read more »
राजनीति विधि-कानून विश्व के लिए प्रेरक है भारतीय संविधान January 24, 2025 / January 24, 2025 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment -डॉ. सौरभ मालवीयभारत एक विशाल एवं विभिन्न संस्कृतियों वाला देश है। यहां विभिन्न संप्रदायों, पंथों एवं जातियों आदि के लोग निवास करते हैं। उनके रीति-रिवाज, भाषाएं, रहन-सहन एवं खान-पान भी भिन्न-भिन्न हैं। तथापि वे आपस में मिलजुल कर प्रेमभाव से रहते हैं। वास्तव में यही भारत का मूल स्वभाव है। भारतीय संविधान में भारत के […] Read more » भारतीय संविधान
राजनीति विधि-कानून युद्धमुक्त विश्व के ट्रंप के संकल्पों की रोशनी January 21, 2025 / January 21, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग- राष्ट्रपति के तौर पर अपने दूसरे कार्यकाल पर लौटने से पहले ट्रंप ने ‘तीसरा विश्व युद्ध’ रोकने की कसम खाकर दुनिया में शांति, अमन एवं अयुद्ध की संभावनाओं को बल दिया है। 47वें राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप ने शपथ से एक दिन पहले गाजा में हुए युद्ध विराम का क्रेडिट भी […] Read more » Light of Trump's resolutions for a war-free world ट्रंप के संकल्पों की रोशनी युद्धमुक्त विश्व
राजनीति विधि-कानून साइबर ठगी से खाता खाली होने पर कैसे मिले कानूनी मदद! January 16, 2025 / January 16, 2025 by डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट | Leave a Comment डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट आजकल के हाई प्रोफाइल ठग एपीके फाइल के माध्यम से ठगी को अंजाम दे रहे हैं। इस प्रक्रिया में ओटीपी शेयर करने की जरूरत नहीं पड़ती। इधर आपने एपीके फाइल को इंस्टॉल किया और उधर आपका अकाउंट खाली हो जाएगा। मध्यप्रदेश के रीवा में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। […] Read more » साइबर ठगी साइबर ठगी से खाता खाली होने पर कानूनी मदद!
राजनीति विधि-कानून दक्षिण एशिया में न्याय, समानता और मानवाधिकारों की विफलताः धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का मूल्य January 2, 2025 / January 2, 2025 by गजेंद्र सिंह | Leave a Comment गजेंद्र सिंह इन दिनों बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार हो रही हिंसा और उनकी तेजी से घटती जनसंख्या हमें दक्षिण एशिया में हो रहे जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के व्यापक प्रभावों पर गंभीरता से विचार करने और कार्रवाई करने के लिए मजबूर करती है। यह स्थिति बलपूर्वक किए गए कदमों या प्रणालीगत उपेक्षा के कारण उत्पन्न […] Read more » न्याय समानता और मानवाधिकारों की विफलता
लेख विधि-कानून पास-फेल की बजाय जीवन कौशल की नीतियां बनाएं January 2, 2025 / January 2, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment नो डिटेंशन पॉलिसी के तहत कक्षा 1 से 8 तक के किसी भी छात्र को फेल नहीं किया जा सकता था। हालांकि अब इन छात्रों को फेल किया जा सकेगा। साथ ही फेल छात्रों को 2 महीने के भीतर फिर से परीक्षा का अवसर मिलेगा। अगर इसमें भी फेल होते हैं तो उन्हें अगली कक्षा […] Read more » Create life skills policies instead of pass-fail
टेक्नोलॉजी मनोरंजन विधि-कानून 2025 में मनुष्य और तकनीक में उभरती चिंताएँ January 2, 2025 / January 2, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment -प्रियंका सौरभ वर्ष 2025 के बारे में चाहे किसी ने आशावादी या निराशावादी विचार व्यक्त किए हों, मगर ये सच है कि इन चिंतकों ने मनुष्यों और डिजिटल तकनीकों के निकट भविष्य के लिए अपनी चिंताओं को भी व्यक्त किया है। उनकी ज़्यादातर चिंताएँ प्रौद्योगिकी कंपनियों की बढ़ती शक्ति पर केंद्रित हैं जो लोगों के […] Read more » Emerging concerns in humans and technology in 2025 मनुष्य और तकनीक में उभरती चिंताएँ
राजनीति विधि-कानून कर्मचारियों की कमी से जूझती शासन व्यवस्था December 26, 2024 / December 26, 2024 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment – प्रियंका सौरभ भारतीय शासन व्यवस्था को अक्सर ‘लोगों की कमी’ लेकिन ‘प्रक्रियाओं की कमी’ के रूप में वर्णित किया जाता है, जो कि प्रभावी शासन के लिए उपलब्ध बड़ी प्रशासनिक मशीनरी और सीमित मानव संसाधनों के बीच असंतुलन को दर्शाता है। जबकि नौकरशाही प्रक्रियाएँ अच्छी तरह से स्थापित हैं, कर्मियों की कमी कुशल कार्यान्वयन […] Read more » Government system facing shortage of employees कर्मचारियों की कमी से जूझती शासन व्यवस्था
लेख विधि-कानून समाज उपभोक्ताओं को मिले त्वरित न्याय December 24, 2024 / December 23, 2024 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (24 दिसम्बर) – योगेश कुमार गोयलदेश में प्रतिवर्ष 24 दिसम्बर को उपभोक्ताओं के विभिन्न हितों और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस’ मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना, उनके हितों के लिए बनाए गए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियमों तथा उनके अंतर्गत आने […] Read more » राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (24 दिसम्बर)