लेख विधि-कानून पास-फेल की बजाय जीवन कौशल की नीतियां बनाएं January 2, 2025 / January 2, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment नो डिटेंशन पॉलिसी के तहत कक्षा 1 से 8 तक के किसी भी छात्र को फेल नहीं किया जा सकता था। हालांकि अब इन छात्रों को फेल किया जा सकेगा। साथ ही फेल छात्रों को 2 महीने के भीतर फिर से परीक्षा का अवसर मिलेगा। अगर इसमें भी फेल होते हैं तो उन्हें अगली कक्षा […] Read more » Create life skills policies instead of pass-fail
टेक्नोलॉजी मनोरंजन विधि-कानून 2025 में मनुष्य और तकनीक में उभरती चिंताएँ January 2, 2025 / January 2, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment -प्रियंका सौरभ वर्ष 2025 के बारे में चाहे किसी ने आशावादी या निराशावादी विचार व्यक्त किए हों, मगर ये सच है कि इन चिंतकों ने मनुष्यों और डिजिटल तकनीकों के निकट भविष्य के लिए अपनी चिंताओं को भी व्यक्त किया है। उनकी ज़्यादातर चिंताएँ प्रौद्योगिकी कंपनियों की बढ़ती शक्ति पर केंद्रित हैं जो लोगों के […] Read more » Emerging concerns in humans and technology in 2025 मनुष्य और तकनीक में उभरती चिंताएँ
राजनीति विधि-कानून कर्मचारियों की कमी से जूझती शासन व्यवस्था December 26, 2024 / December 26, 2024 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment – प्रियंका सौरभ भारतीय शासन व्यवस्था को अक्सर ‘लोगों की कमी’ लेकिन ‘प्रक्रियाओं की कमी’ के रूप में वर्णित किया जाता है, जो कि प्रभावी शासन के लिए उपलब्ध बड़ी प्रशासनिक मशीनरी और सीमित मानव संसाधनों के बीच असंतुलन को दर्शाता है। जबकि नौकरशाही प्रक्रियाएँ अच्छी तरह से स्थापित हैं, कर्मियों की कमी कुशल कार्यान्वयन […] Read more » Government system facing shortage of employees कर्मचारियों की कमी से जूझती शासन व्यवस्था
लेख विधि-कानून समाज उपभोक्ताओं को मिले त्वरित न्याय December 24, 2024 / December 23, 2024 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (24 दिसम्बर) – योगेश कुमार गोयलदेश में प्रतिवर्ष 24 दिसम्बर को उपभोक्ताओं के विभिन्न हितों और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस’ मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना, उनके हितों के लिए बनाए गए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियमों तथा उनके अंतर्गत आने […] Read more » राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (24 दिसम्बर)
लेख विधि-कानून पति अनिश्चित काल तक पत्नी को गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य नहीं December 23, 2024 / December 23, 2024 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे सुप्रीम कोर्ट ने 19 दिसंबर 2024 को भरण-पोषण और गुजारा भत्ता को लेकर एक अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा है कि कुछ कानून महिला कल्याण के लिए बनाए गए हैं ना कि उनके पति एवं ससुराल के लोगों को दंडित करने के लिए। कोर्ट ने कहा कि इन कानूनों को पतियों के उत्पीड़न करने, धमकी देने […] Read more » Husband is not bound to pay maintenance to wife indefinitely
राजनीति विधि-कानून धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता: असमानता और अन्याय को दूर करने की औषधि December 19, 2024 / December 19, 2024 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता, जिसे समान नागरिक संहिता के रूप में भी जाना जाता है, सभी नागरिकों के लिए, चाहे उनकी धार्मिक सम्बद्धता कुछ भी हो, व्यक्तिगत मामलों-जैसे विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और संपत्ति के अधिकार-को नियंत्रित करने वाले कानूनों का एक ही सेट प्रस्तावित करती है। भारत वर्तमान में हिंदू कानून, मुस्लिम कानून (शरिया) और ईसाई […] Read more » The antidote to inequality and injustice धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता
राजनीति विधि-कानून क्या जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ विपक्ष का महाभियोग प्रस्ताव सफल होगा ? December 16, 2024 / December 16, 2024 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे समान नागरिक संहिता को लेकर बयान देने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर यादव के खिलाफ इंण्डिया गठबंधन महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है । महाभियोग के लिए राज्य सभा में नोटिस दिया गया है । श्रीनगर से नेशनल कॉन्फ़्रेंस के सांसद आगा सईद रुहुल्लाह मेहदी ने कहा है कि कॉन्ग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके और […] Read more » जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ विपक्ष का महाभियोग प्रस्ताव
लेख विधि-कानून समाज कानून और पत्नी से पीड़ित की आत्महत्या पर उठते सवाल December 13, 2024 / December 13, 2024 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment राजेश कुमार पासी बेंगलुरू में कार्यरत एक एआई इंजीनियर अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया की कानूनी प्रताड़ना से तंग आकर मौत को गले लगा लिया । उसने अपनी मौत से पहले एक डेढ़ घंटे का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में जारी कर दिया । इसके अलावा उसने एक 24 पेज का सुसाइड नोट भी लिख कर छोड़ा है । इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह व्यक्ति कितनी यातना और भावनात्मक पीड़ा से गुजरा होगा । आत्महत्या का मनोविज्ञान कहता है कि आत्महत्या करने वाले व्यक्ति की मनोदशा के सिर्फ कुछ मिनट ऐसे होते हैं जब वो मरने का फैसला करता है । अगर उन क्षणों में उसे समझा दिया जाये तो उसका फैसला बदल जाता है लेकिन यह व्यक्ति डेढ़ घंटे का वीडियो बनाता है और 24 पेज का सुसाइड नोट लिखता है । इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो न्यायिक व्यवस्था से कितना निराश और हताश हो चुका था । इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसकी पत्नी से उसे कितना तंग किया होगा जो उसने मजबूरी ने सोच समझ कर ऐसा कदम उठाया । सोशल मीडिया में उसका वीडियो वायरल होने के बाद लोगों ने वैवाहिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करने शुरू कर दिये हैं । यह विमर्श चलाने की कोशिश की जाने लगी है कि महिलाओं द्वारा पुरूषों को जबरन फंसाया जा रहा है और उनके पैसे से महिलाएं ऐश कर रही हैं । इसे एक बिजनेस मॉडल का नाम दिया जाने लगा है । यह कहा जा रहा है कि पुरूषों की कोई सुनने वाला नहीं है इसलिए पुरूषों की आत्महत्या दर महिलाओं के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा है । मृतक अतुल सुभाष ने वीडियो में कहा है कि अगर मुझे न्याय नहीं मिलता है तो मेरी अस्थियों को गटर में बहा देना । मुझे न्याय मिलता है तो ही मेरी अस्थियों का विसर्जन गंगा में किया जाए । इसके अलावा उसने यह भी कहा है कि भारत में पुरुषों की जिन्दगी गटर बन चुकी है । उसके इस बयान को सोशल मीडिया में जबरदस्त तरीके से प्रचारित किया गया है । बेंगलुरू में कार्यरत इस इंजीनियर की शादी जौनपुर निवासी निकिता सिंघानिया से 2019 में हुई थी । 2021 में एक बच्चे के साथ उसकी पत्नी ने उसे छोड़ दिया और अलग रहने लगी । अलग रहते हुए पत्नी ने उससे 40 हजार प्रति माह मेंटेनेंस की मांग की थी. इसके अलावा वो अपने बच्चे के लिए भी 2-4 लाख रुपये प्रतिमाह की डिमांड कर रही थी । मृतक ने आरोप लगाया है कि उसकी पत्नी ने जौनपुर से उस पर मुकदमा दायर किया था । उसने पहले उससे मामला खत्म करने के लिए एक करोड़ रुपये की मांग की और फिर बाद में तीन करोड़ रुपये मांगने लगी । इसके अलावा मामले की सुनवाई कर रही जज भी उससे मामला खत्म करने के लिए पांच लाख रुपये की मांग कर रही थी । उसे बार-बार पेशी पर बुलाया जा रहा था जिसके लिए उसे बार-बार बेंगलुरू से जौनपुर आना-जाना पड़ता था । अतुल सुभाष ने अपने पत्र में लिखा है कि एक बार उन्होंने अपनी पत्नी और सास से कहा था कि ऐसे मामलों से तंग आकर पुरूष आत्महत्या कर लेते हैं तो उन्होंने उसे कहा था कि वो कब मरने जा रहा है । सुभाष ने कहा कि वो मर गया था वो क्या करेंगी तो उन्होंने कहा कि उसके मरने के बाद उसका सारा पैसा उनको मिल जायेगा । इसके बाद सुभाष ने पूरी योजना बनाकर आत्महत्या की है । उसने यह सोचकर आत्महत्या की है कि उसके मरने के बाद उसके साथ न्याय होगा । अभी कानून उसकी बिल्कुल नहीं सुन रहा है लेकिन मरने के बाद उसकी बात सुनी जायेगी । देखा जाये तो मृतक कानून से बिल्कुल निराश हो चुका था लेकिन उसे उम्मीद थी कि उसकी मौत से कानून सुनवाई के लिए मजबूर होगा । यही सोचकर उसने अपना वीडियो और पत्र सोशल मीडिया में जारी किया है । सुभाष की आत्महत्या ने आईपीसी की धारा 498ए को हथियार बनाकर पुरूषों को प्रताड़ित करने की बात साबित कर दी है । 10 दिसम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा ही मामला खारिज कर दिया है और कहा है कि धारा 498ए पत्नी और उसके परिजनों के लिए बदला लेने का हथियार बन गई है । अब सोशल मीडिया में यह धारा खत्म करने की मांग की जा रही है । यह सच है कि भारत में पुरूषों की आत्महत्या दर महिलाओं के मुकाबले लगभग ढाई गुना है । एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2022 में 1,22,724 पुरुषों ने आत्महत्या की है जबकि आत्महत्या करने वाली महिलाओं की संख्या 48,172 है । इस तरह पुरूषों की आत्महत्या दर 72 प्रतिशत है जबकि महिलाओं की आत्महत्या दर 28 प्रतिशत है । दूसरी तरफ आत्महत्या करने वाले पुरुषों में विवाहित और अविवाहित पुरूषों की बात करें तो इनका औसत लगभग बराबर है । इसके अलावा पारिवारिक समस्याओं से तंग आकर मरने वाले पुरुषों का औसत 31.7 प्रतिशत है । वैवाहिक समस्याओं से पीड़ित आत्महत्या करने वाले पुरूषों का औसत 4.8 है । इस तरह देखा जाये तो वैवाहिक संबंधों के कारण सिर्फ 4.8 प्रतिशत पुरुषों ने आत्महत्या की है जबकि परिवार से तंग आकर मरने वाले पुरुष 31.7 प्रतिशत हैं । इसलिए पुरुषों में बढ़ती आत्महत्या कर दर के लिए न तो विवाह को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है और न ही पत्नियों के उत्पीड़न को दोष दिया जा सकता है । मेरा मानना है कि इस घटना की आड़ में वैवाहिक संस्था को बदनाम करने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए । इस सच को हम सभी जानते हैं कि कानूनों को महिलाओं के पक्ष में बनाया गया है क्योंकि सदियों से महिलाओं का उत्पीड़न होता आ रहा है । यह सच है कि धारा 498 ए का दुरुपयोग होता है लेकिन कानून के दुरुपयोग को देखते हुए उसे खत्म करने की मांग करना उचित नहीं है । जहां इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है तो दूसरी तरफ इस कानून के होते हुए भी महिलाओं का उत्पीड़न बंद नहीं हुआ है । हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब तक यह कानून नहीं था जब तक दहेज के कारण महिलाओं का उत्पीड़न बहुत ज्यादा हो रहा था और कानून बनने के बाद भी यह पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है । इस मामले में महिला जज ने पीड़ित की बात नहीं सुनी लेकिन यह पूरा सच नहीं है । वास्तव में आज पुलिस और अदालत इस कानून के दुरुपयोग से परिचित हैं इसलिए मामला सामने आने पर पुरुष की बात भी सुनते हैं । इस कानून को लेकर अदालतों द्वारा कई बार सवाल खड़े किये गये हैं । मेरा मानना है कि इस कानून में सुधार की बहुत जरूरत है । इस कानून को खत्म नहीं किया जाना चाहिए लेकिन पुरूषों के खिलाफ कार्यवाही सिर्फ महिला की शिकायत के आधार पर नहीं होनी चाहिए । आरोपी को जमानत मिलनी चाहिए और जांच के बाद ही किसी के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए । कानून के दुरुपयोग को रोकने की कोशिश जरूर होनी चाहिए लेकिन महिलाओं के उत्पीड़न को रोकने की कोशिश किसी भी तरह से कम नहीं होनी चाहिए । सरकार को कानून में संशोधन करके यह सुनिश्चित करना होगा कि इस कानून को पति से बदला लेने का हथियार न बनने दिया जाए जैसा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। राजेश कुमार पासी Read more » Questions arising on law and wife's suicide
राजनीति विधि-कानून बहुमत की इच्छा से आखिर क्यों नहीं चलेगा देश? कोई समझाएगा जनमानस को! December 12, 2024 / December 12, 2024 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय कहते हैं कि जो राजा या शासन पद्धति जनभावनाओं को नहीं समझ पाते हैं, रणनीतिक रूप से अकस्मात गोलबंद किए हुए उग्र लोगों के द्वारा नष्ट कर दिए जाते हैं। मुगलिया सल्तनत से लेकर ब्रिटिश साम्राज्य का हश्र हमारे-आपके सामने है। वहीं, एक बार नहीं बल्कि कई दफे हुआ पारिवारिक लोकतांत्रिक सत्ता का पतन […] Read more » 'हिंदूवादी जज' जस्टिस शेखर कुमार यादव
राजनीति विधि-कानून क्या नये आपराधिक कानूनों से त्वरित न्याय मिल सकेगा? December 9, 2024 / December 9, 2024 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment इंडियन ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के अनुसार भारत में अदालती मामलों का लंबित होने का मतलब है सभी न्यायालयों में पीड़ित व्यक्ति या संगठन को न्याय प्रदान करने में देरी का होना है। 2022 में पूरे भारत में लंबित रहने वाली सभी कोर्ट केस की संख्या बढ़कर 5 करोड़ हो गई, जिसमें जिला और उच्च न्यायालयों […] Read more »
राजनीति विधि-कानून पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के कट ऑफ डेट पर उठते हुए सवालों का जवाब आखिर कौन देगा? December 3, 2024 / December 3, 2024 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय क्या आपको पता है कि प्रथम मुस्लिम आक्रांता मुहम्मद बिन कासिम ने 712 ई में भारत के सिंध प्रांत पर आक्रमण किया और काफी उत्पात मचाया। उसके बाद उसके अनुयायी यानी मुस्लिम आक्रमणकारी अपनी सुविधा के अनुसार भारत पर आक्रमण करते हुए आए, यहां के समृद्ध मंदिरों व बाजारों सहित प्रमुख जगहों पर […] Read more » Places of Worship (Special Provisions) Act पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम
राजनीति विधि-कानून सिर्फ ‘आरक्षण’ के लिए खुद को हिन्दू बताना संविधान के साथ धोखा December 2, 2024 / December 2, 2024 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे पुद्दुचेरी की एक ईसाई महिला ने दलित होने का दावा करते हुए आरक्षण की माँग कर दी। महिला ने दावा किया कि वह पैदा जरूर ईसाई हुई थी लेकिन हिन्दू धर्म में विश्वास रखती है और दलित है, इसलिए आरक्षण दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने उसके दावे को नकार दिया। सुप्रीम कोर्ट में […] Read more » आरक्षण के लिए खुद को हिन्दू बताना