आर्थिकी राजनीति केंद्र सरकार द्वारा बजट के माध्यम से भारत में रोजगार के नए अवसर निर्मित करने एवं आर्थिक विकास को गति देने का प्रयास July 24, 2024 / July 24, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment हाल ही में लोकसभा के लिए सम्पन्न हुए चुनाव में भारतीय नागरिकों ने लगातार तीसरी बार एनडीए की अगुवाई में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को सत्ता की चाबी आगामी पांच वर्षों के लिए इस उम्मीद के साथ पुनः सौंपी है कि आगे आने वाले पांच वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा देश में आर्थिक विकास को और अधिक गति देने के प्रयास जारी रखे जाएंगे। भारत की वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने 23 जुलाई 2024 को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट भारतीय संसद में पेश किया है। इस बजट के माध्यम से भारत की आर्थिक विकास दर को उच्च स्तर पर ले जाने का प्रयास किया गया है। केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 9 प्राथमिकताएं तय की है। कृषि क्षेत्र में उत्पादकता को बढ़ाना, युवाओं के लिए रोजगार के अधिकतम अवसर निर्मित करना एवं उनके कौशल को विकसित करना, गरीब नागरिकों को भी विकास में हिस्सेदारी देना एवं उन्हें सामाजिक न्याय देना, विनिर्माण इकाईयों को बढ़ावा देना, शहरी क्षेत्रों को विकसित करना, ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित करना, आधारभूत ढांचा विकसित करना, नवाचार, शोध एवं विकास करना तथा नई पीढ़ी के सुधार कार्यक्रमों को लागू करना। केंद्र सरकार एवं कुछ राज्य सरकारों द्वारा पूंजीगत खर्चों में लगातार की जा रही वृद्धि के चलते भारत की आर्थिक विकास दर को पंख लगते दिखाई दे रहे हैं। वर्ष 2022-23 के बजट में केंद्र सरकार द्वारा 7.5 लाख करोड़ रुपए के पूंजीगत खर्चों का प्रावधान किया गया था, वित्तीय वर्ष 2023-24 में इसमें 33 प्रतिशत की भारी भरकम वृद्धि करते हुए इसे बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपए का कर दिया गया था। अब वित्तीय वर्ष 2024-45 के लिए इसे और आगे बढ़कर 11.11 लाख करोड़ रुपए का कर दिया गया है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 3.4 प्रतिशत है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में न केवल स्थिरता दिखाई देने लगी है बल्कि यह लगातार तेज गति से आगे बढ़ रही है। आज पूरे विश्व में केवल भारतीय अर्थव्यवस्था ही एक चमकते सितारे के रूप में दिखाई दे रही है। बजट का गहराई से अध्ययन करने पर ध्यान में आता है कि केंद्र सरकार ने अब भारत में रोजगार के अधिकतम अवसर निर्मित करने की ठान ली है। भारत के युवाओं एवं महिलाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने एवं कौशल विकसित करने की दृष्टि से 2 लाख करोड़ रुपए की 5 योजनाओं के एक पैकेज की घोषणा की है। शिक्षा, रोजगार एवं कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपए की राशि इस बजट में आबंटित भी कर दी गई है। प्रधानमंत्री पैकेज के अंतर्गत EPFO के प्रथम बार सदस्य बनने पर औपचारिक क्षेत्र के कर्मचारियों के EPFO खातों में एक माह का वेतन जमा किया जाएगा। इन कर्मचारियों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना के अंतर्गत एक माह का वेतन (15000 रुपए की अधिकतम राशि तक) तीन किश्तों में उनके खातों में जमा किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत एक माह में एक लाख रुपए तक का वेतन पाने वाली कर्मचारी ही पात्र होंगे। इससे 2.1 करोड़ युवाओं को लाभ होने की सम्भावना बजट में व्यक्त की गई है। ऐसे भी कई निर्णय लिए जा रहे हैं जिनसे आने वाले समय में धरातल पर युवाओं को लाभ होता दिखाई देगा। एक करोड़ युवाओं को आगामी 5 वर्षों के दौरान इंटर्नशिप योजना के अंतर्गत काम दिया जाएगा। ताकि ये युवा वर्ग के नागरिक रोजगार प्राप्त करने हेतु सक्षम हो सकें। इन युवाओं को प्रति माह 6,000 रुपए तक का वाजीफा सम्बंधित कम्पनियों द्वारा अदा किया जाएगा। वजीफे की इस राशि को कम्पनियों के लिए लागू निगमित सामाजिक दायित्व योजना के अंतर्गत किया गया खर्च माना जाएगा। भारत की सबसे बड़ी 500 कम्पनियों को इस योजना के अंतर्गत युवाओं को इंटर्नशिप की सुविधा देनी होगी। साथ ही, केंद्र सरकार द्वारा भी इन युवाओं को प्रतिमाह 5000 रुपए अदा किए जाएंगे। यह केंद्र सरकार का एक सूझबूझ भरा निर्णय कहा जा सकता हैं। साथ ही, विनिर्माण के क्षेत्र के रोजगार के नए अवसर निर्मित करने की पहल भी की जा रही है। नए कर्मचारियों के EPFO खाते में जमा होने वाली राशि को आगामी 4 वर्षों तक केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा, इससे कर्मचारी एवं नियोक्ता दोनों को ही लाभ होगा। इस योजना का लाभ 30 लाख युवाओं को होने जा रहा है। एक अन्य योजना के अंतर्गत नियोक्ता को अपने नए कर्मचारियों के EPFO खातों में जमा की जाने वाली राशि की प्रतिपूर्ति आगामी 2 वर्षों तक केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी। इससे रोजगार के 50 लाख नए अवसर निर्मित होने की सम्भावना है। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही के समय में भारतीय सनातन संस्कृति के संस्कारों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से धार्मिक पर्यटन को देश में बढ़ावा दिया जा रहा है। धार्मिक पर्यटन से देश में रोजगार के लाखों अवसर निर्मित हो रहे हैं एवं गरीब वर्ग की आय में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। श्री विष्णुपाद मंदिर कोरिडोर, गया, बिहार एवं श्री महाबोधि मंदिर कोरिडोर बोधगया, बिहार को विकसित किए जाने की घोषणा की गई है। इसे काशी विश्वनाथ मंदिर कोरिडोर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इसी प्रकार देश में अन्य मंदिरों को भी विकसित किया जा रहा है ताकि देश में इन मंदिरों में श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा नहीं हो तथा भारत को वैश्विक पटल पर एक बहुत बड़े धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में दिखाया जा सके। भारत के ग्रामों में निवास कर रहे नागरिक रोजगार प्राप्त करने के उद्देश्य से शहरों की ओर पलायन करते हैं। अतः ग्रामों में ही रोजगार के अधिकतम अवसर निर्मित करने के उद्देश्य से ग्रामीण विकास की मद पर 2.66 लाख करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान इस बजट में किया गया है। साथ ही, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुद्रा लोन योजना के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली ऋण राशि की सीमा को 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए कर दिया गया है। यह सुविधा तरुण श्रेणी के अंतर्गत प्राप्त ऋण के व्यवसाईयों को प्राप्त होगी एवं जिन्होंने पूर्व में लिए गए 10 लाख रुपए के ऋण की राशि को समय पर अदा कर दिया है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए भी ऋण की सीमा को बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए तक कर दिया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत एक करोड़ आवासों का निर्माण किया जाएगा। इन एक करोड़ आवासों पर 10 लाख करोड़ रुपए की राशि का निवेश होगा, इसमें केंद्र सरकार की भागीदारी 2.2 लाख करोड़ रुपए की रहेगी। साथ ही, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत 3 करोड़ आवासों का निर्माण करने की घोषणा पूर्व में ही की जा चुकी है। देश के आर्थिक चक्र को गति देने के उद्देश्य से नई कर प्रणाली के अंतर्गत वेतनभोगी/पेंशनधारी कर्मचारियों के लिए सामान्य छूट की सीमा को 50,000 रुपए से बढ़ाकर 75,000 रुपए कर दिया गया है। साथ ही, आय कर की दरों में कुछ इस प्रकार का संशोधन किया गया है कि 15 लाख रुपए तक की कर योग्य आय वाले कर्मचारियों को प्रतिवर्ष 17,500 रुपए का लाभ होगा। इस निर्णय से मध्यम वर्गीय नागरिकों के हाथों में कुछ अधिक राशि बचेगी और इस राशि इस इनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी ताकि देश की अर्थव्यवस्था के चक्र में मजबूती आएगी। वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में कुल आय का अनुमान रुपए 31.07 लाख करोड़ रुपए का लगाया गया है, इसमें ऋण की राशि शामिल नहीं है परंतु, करों के मद से प्राप्त होने वाली 25.83 लाख करोड़ रुपए की राशि शामिल है। जबकि, कुल खर्च का अनुमान 48.21 लाख करोड़ रुपए का लगाया गया है। प्रहलाद सबनानी Read more »
राजनीति सरकार ने की सरकारी कर्मचारियों के मौलिक अधिकार की रक्षा July 24, 2024 / July 24, 2024 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | Leave a Comment न्यायालयों में पहले ही अपने घुटने छिलवा चुका था लोकतंत्र विरोधी प्रतिबंध – लोकेन्द्र सिंह आरएसएस संबंधी प्रतिबंध हटाने के संदर्भ में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में कर्मचारियों के शामिल होने पर लगे प्रतिबंध को हटाकर नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा की है। अब कर्मचारी संघ की गतिविधियों में सामान्य नागरिकों की भाँति […] Read more » Government protected the fundamental rights of government employees आरएसएस संबंधी प्रतिबंध हटाने के संदर्भ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में कर्मचारियों के शामिल
आर्थिकी राजनीति अर्थव्यवस्था को तीव्र गति एवं महाशक्ति बनानेे वाला बजट July 24, 2024 / July 24, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का प्रथम सम्पूर्ण बजट वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रस्तुत किया, उनकी ओर से प्रस्तुत यह बजट एक मौलिक सोच एवं दृष्टि से दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था को एक चमकते सितारे के रूप में स्थापित करने एवं सुदृढ़ आर्थिक विकास के लिये आगे की राह दिखाने वाला है। […] Read more » budget 2024
राजनीति प्रतिबंध मुक्त संघ एक नयी किरण का आगाज July 23, 2024 / July 23, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- केंद्र की राजग सरकार ने एक महत्वपूर्ण एवं साहसिक आदेश के जरिये सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर लगी रोक को हटा कर लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक भावना एवं मूल्यों का जीवंत किया है। भले ही इस आदेश को लेकर विपक्षी राजनीतिक दलों की तल्ख प्रतिक्रिया सामने […] Read more » प्रतिबंध मुक्त संघ
राजनीति कारगिल फतह : भारत माता के माथे पर शौर्य का टीका July 23, 2024 / July 23, 2024 by मनोज कुमार | Leave a Comment प्रो. मनोज कुमार युद्ध किसी समस्या का हल नहीं होता है लेकिन जब बात देश की अस्मिता, सुरक्षा और सम्प्रभुता पर आए जाए तो एकमात्र विकल्प युद्ध शेषरह जाता है। 25 वर्ष पहले भारत के चिर-परिचित दुश्मन पाकिस्तान ने दोनों देशों को युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया। दो माह की लम्बी लड़ाई के […] Read more » कारगिल फतह
राजनीति संघ किसे और क्यों मानता है अपना गुरु ? July 22, 2024 / July 22, 2024 by कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल | Leave a Comment ~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) 2025 में अपनी यात्रा के सौ वर्ष पूर्ण कर लेगा। वर्तमान समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व के अपने आप में अनूठे एवं अद्वितीय सांस्कृतिक संगठन के रूप में दिखाई देता है जिसने इतनी बड़ी यात्रा तय की है। यह अपने आप में बहुत बड़ी लकीर है। साथ […] Read more » संघ किसे और क्यों मानता है अपना गुरु
आर्थिकी राजनीति भारत में तेजी से हो रहा है वित्तीय समावेशन July 22, 2024 / July 22, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment भारतीय रिजर्व बैंक ने बैकिंग, निवेश, बीमा, डाक एवं पेन्शन क्षेत्र के हितधारकों को शामिल करते हुए वित्तीय समावेशन सूचकांक विकसित किया है। दरअसल, भारत में विभिन्न क्षेत्रों में हो रही अतुलनीय प्रगति को दर्शाने के लिए अब अपने सूचकांक विकसित करने की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है क्योंकि वैश्विक स्तर पर वित्तीय एवं आर्थिक क्षेत्र में कार्यरत विदेशी संस्थानों द्वारा विकसित किए गए सूचकांकों के आधार पर किए जाने वाले सर्वे में तो विभिन्न क्षेत्रों में भारत की प्रभावशाली प्रगति की सही तस्वीर पेश नहीं की जा रही है। इन सूचकांकों के आधार पर किए गए कई सर्वे में तो आश्चर्यजनक परिणाम दिखाई देते हैं। जैसे, एक सर्वे में भुखमरी के क्षेत्र में भारत की स्थिति को अफ्रीकी देशों, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बंगलादेश से भी बदतर बताया गया था। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विकसित किए गए वित्तीय समावेशन सूचकांक के आधार पर मार्च 2024 के परिणाम हाल ही में जारी किए गए हैं। इन परिणामों के अनुसार, भारत में वित्तीय समावेशन मार्च 2017 में 43.4, मार्च 2021 में 53.9 एवं मार्च 2023 में 60.1 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2024 में 64.2 प्रतिशत हो गया है। यह सूचकांक भारत में वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में हुई अतुलनीय एवं स्थिर प्रगति को दर्शाता है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विकसित किया गया यह सूचकांक वित्तीय समावेशन के विभिन्न आयामों (नागरिकों की वित्तीय संस्थानों पर बढ़ती पहुंच, वित्तीय उत्पादों का बढ़ता उपयोग एवं वित्तीय सेवाओं की गुणवत्ता) पर देश में वित्तीय समावेशन के संदर्भ में जानकारी को 0 से 100 तक के मान में बताता है। यदि मान कम है तो देश में वित्तीय समावेशन भी कम है और इसके विपरीत यदि मान अधिक है तो देश में वित्तीय समावेशन भी अधिक है। भारत में यह मान मार्च 2024 में बढ़कर 64.2 प्रतिशत हो गया है। उक्त वर्णित तीन आयामों में कई पैरामीटर शामिल हैं, इनका मूल्यांकन 97 संकेतकों के आधार पर किया जाता है। इस कार्यप्रणाली के कारण ही भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विकसित किया गया यह सूचकांक वित्तीय समावेशन का एक व्यापक संकेतक बन गया है। वित्तीय समावेशन सूचकांक प्रत्येक वर्ष के जुलाई माह में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किया जाता है। किसी भी देश में वित्तीय समावेशन के बढ़ने का आश्य यह है कि उस देश के नागरिकों की उस देश के बैकिंग संस्थानों तक पहुंच बढ़ रही है और यह उस देश की अर्थव्यवस्था के औपचारीकरण में मुख्य भूमिका निभाता है। वर्ष 2014 में भारत में प्रधानमंत्री जनधन योजना को लागू किया गया था और इस योजना के अंतर्गत विभिन्न बैकों में गरीब वर्ग के जमा खाते खोलकर उन्हें वित्तीय समावेशन का हिस्सा बना लिया गया था। आज प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत लगभग 52 करोड़ बैंक खाते खोले जा चुके हैं एवं इन जमा खातों में लगभग 2.35 लाख करोड़ रुपए की राशि जमा है। केंद्र एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा देश के गरीब वर्ग को दी जाने वाली सहायता/प्रोत्साहन राशि को भी इन खातों में आज सीधे ही जमा कर दिया जाता है, इसे प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना के रूप में भी जाना जाता है, जिससे इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार लगभग समाप्त हो गया है क्योंकि इससे अंततः लीकेज कम हुए है और यह सुनिश्चित हुआ है कि योजनाओं का लाभ अंतिम लाभार्थी तक सीधे ही पहुंचे। प्रधानमंत्री जनधन योजना को लागू करने का मुख्य उद्देश्य भारत के दूर दराज के इलाकों में निवासरत नागरिकों को बैंकिंग, बचत और जमा खाते, राशि हस्तांतरण, ऋण, बीमा और पेंशन जैसी वित्तीय सेवाओं को उपलब्ध कराना था। इन उद्देश्यों को प्राप्त करने में प्रधानमंत्री जनधन योजना पूर्ण रूप से सफल रही है और भारत में वित्तीय समावेशन को अगले स्तर पर ले जाने में भी सहायक रही है। साथ ही, प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत खोले गए जमा खातों को भारत की विशिष्ट पहचान प्रणाली (आधार कार्ड) से जोड़कर, केंद्र सरकार ने देश में वित्तीय लेन देन प्रणाली को सुव्यवस्थित कर लिया है एवं बैकिंग व्यवहारों में धोखाधड़ी की सम्भावना को कम करने में भी सफलता अर्जित की है। आज भारत की प्रधानमंत्री जनधन योजना को पूरे विश्व में सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन योजना के रूप में पहिचान मिली है। देश में प्रधानमंत्री जनधन योजना को आज भी वित्तीय समावेशन के मुख्य उपकरण के रूप में माना जा रहा है और इस योजना के अंतर्गत देश के नागरिकों के खाते विभिन्न बैंकों में उसी उत्साह से लगातार खोले जा रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में भी भारत के विभिन्न बैकों में प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत लगभग 3.3 करोड़ नए जमा खाते खोले गए हैं इससे इस योजना के अंतर्गत खोले गए कुल खातों की संख्या बढ़कर 51.95 करोड़ हो गई है एवं इन जमा खातों में 234,997 करोड़ रुपए की राशि जमा हो गई है। अब देश का एक गरीब नागरिक भी भारत की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान करता हुआ दिखाई दे रहा है। वित्तीय समावेशन के दायरे में लाए गए नागरिक वित्तीय क्षेत्र में साक्षर होने के पश्चात अब तो भारत के पूंजी बाजार (शेयर बाजार) में भी अपना निवेश करने लगे हैं एवं उनकी विभिन्न ऋण योजनाओं एवं बीमा उत्पादों तक पहुंच भी बढ़ गई है। वित्तीय सेवाओं तक इस पहुंच ने देश के नागरिकों को आर्थिक रूप से बहुत सशक्त बना दिया है, इससे अंततः यह नागरिक शिक्षा, स्वास्थ्य एवं छोटे व्यवसायों में निवेश करने में सक्षम हुए हैं और इस प्रकार इन नागरिकों के जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार हुआ है। भारत में वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में हुई उक्त वर्णित अतुलनीय प्रगति की जानकारी हम आम नागरिकों को तभी मिल पा रही है जब भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत में ही एक सूचकांक विकसित किया है। यदि वित्तीय समावेशन का सूचकांक किसी विदेशी संस्थान द्वारा तैयार किया जाता तो सम्भव है कि भारत की इस महान उपलब्धि को जानने से हम वंचित रह जाते। अब समय आ गया है कि इसी प्रकार के सूचकांक अन्य क्षेत्रों में भी भारतीय वित्तीय एवं आर्थिक संस्थानों द्वारा ही तैयार किए जाने चाहिए, ताकि हम आम नागरिकों को विभिन्न क्षेत्रों में भारत की अतुलनीय प्रगति की वास्तविक जानकारी प्राप्त हो सके। Read more » Financial inclusion is happening rapidly in India
राजनीति छद्म एवं पाखण्डी बाबाओं से मुक्ति की सार्थक पहल July 18, 2024 / July 18, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:- भारतीय हिंदू संतों की प्रमुख संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) की ओर से चौदह महामण्डलेश्वरों और संतों के निष्कासन की ताजा कार्रवाई पाखण्डी एवं छद्म बाबाओं से समाज को मुक्त करने का सराहनीय कदम है। अखाड़ा परिषद की गोपनीय जांच में अखाड़ों से जुड़े ये संत धार्मिक कार्यों के बजाय धनार्जन […] Read more » Meaningful initiative to get rid of pseudo and hypocritical babas
राजनीति फिर आतंकी हमले, सैनिकों का बलिदान व्यर्थ न जाये July 17, 2024 / July 17, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:- लगातार जम्मू-कश्मीर में बढ़ रही आतंकी घटनाएं चिन्ता का कारण बन रही है। डोडा जिले में एक आतंकी हमले में कैप्टन समेत सेना के चार जवानों और जम्मू कश्मीर के एक पुलिसकर्मी का बलिदान अब यही दर्शा रहा है कि शांति एवं अमन की ओर लौटा जम्मू-कश्मीर एक बार फिर आतंकवादी आघातकारी […] Read more » आतंकी हमले
आर्थिकी राजनीति भारत में प्रतिवर्ष सृजित हो रहे हैं रोजगार के 2 करोड़ नए अवसर July 16, 2024 / July 16, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment आजकल विदेशी वित्तीय एवं आर्थिक संस्थान भारत के आर्थिक मामलों में अक्सर अपनी राय देने से चूकते नहीं हैं। अभी हाल ही में सिटीग्रुप इंडिया ने भारत की अपने बढ़ते कार्यबल के लिए पर्याप्त मात्रा में नौकरियां सृजित करने की क्षमता के मामले में चिंता जताई थी और एक प्रतिवेदन में कहा था कि भारत को आगामी दशक में प्रतिवर्ष 1.2 करोड़ नौकरियां सृजित करने की आवश्यकता है, जबकि वह प्रतिवर्ष केवल 80-90 लाख नौकरियां ही सृजित करने की राह पर आगे बढ़ता दिखाई दे रहा है। यह विदेशी वित्तीय एवं आर्थिक संस्थान अपनी आधी अधूरी जानकारी के आधार पर भारतीय अर्थतंत्र के बारे अपनी राय जारी करते दिखाई देते हैं क्योंकि हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भी एक प्रतिवेदन जारी किया गया है जिसके के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत में रोजगार के नए अवसर सृजित होने के मामले में 6 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है और इस दौरान लगभग 4.7 करोड़ रोजगार के नए अवसर सृजित हुए हैं और देश में कार्य करने वाले नागरिकों की संख्या अब 64.33 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है, जबकि पिछले वर्ष यह वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत की रही थी। अब कहां सिटीग्रुप इंडिया की भारत में केवल 80-90 लाख नौकरियों के अवसर सृजित होने की राह पर की बात की है और कहां भारतीय रिजर्व बैंक की भारत में 4.7 करोड़ रोजगार के अवसर सृजित होने की बात है, दोनों संस्थानों के आंकलन में भारी अंतर दिखाई देता है। सिटीग्रुप इंडिया के भारत में रोजगार सृजित होने के संदर्भ में जारी उक्त प्रतिवेदन के जवाब में भारत सरकार के श्रम मंत्रालय द्वारा भी पिरीआडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) एवं भारतीय रिजर्व बैंक के KLEMS डाटाबेस के आंकड़ों का प्रयोग करते हुए बताया गया है कि भारत में वर्ष 2017-18 से 2021-22 के बीच 8 करोड़ रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं, जो कि वर्ष 2020-21 में कोविड-19 महामारी के कारण होने वाले वैश्विक आर्थिक व्यवधानों के बावजूद प्रतिवर्ष औसतन 2 करोड़ से अधिक नौकरियां बनती है। इस जानकारी के उपयुक्त होने को PLFS डाटा से भी बल मिलता है जिसके अनुसार भारत में पिछले पांच वर्षों में रोजगार के अवसरों की संख्या, श्रमबल में नए प्रवेशकों की संख्या से अधिक रही है, जिससे देश में बेरोजगारी दर में लगातार कमी आ रही है। इन आंकड़ों के अनुसार, भारत में बेरोजगारी की दर वर्ष 2017-18 में 6 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2022-23 में 3.2 प्रतिशत पर नीचे आ गई है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत में 466,59,221 रोजगार के अवसर निर्मित हुए एवं वित्त वर्ष 2023-24 में देश में कुल रोजगार बढ़कर 64.33 करोड़ के स्तर को पार कर गया जो वर्ष 2022-23 में 59.66 करोड़ के स्तर पर था एवं वर्ष 2019-20 में 53.44 करोड़ के स्तर पर था। उक्त आंकड़ों की सत्यता एवं विश्वसनीयता को और भी अधिक बल मिलता है जब इस संदर्भ में विभिन्न अनुपातों पर नजर डालते हैं। इससे ध्यान में आता है कि भारत में श्रमिक जनसंख्या अनुपात (Worker Population Ratio) वर्ष 2017-18 के 46.8 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 56 प्रतिशत हो गया है। इसी प्रकार भारत में श्रमिक सहभागिता दर (Labour Force Participation Rate) भी वर्ष 2017-18 के 49.8 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 57.9 प्रतिशत हो गई है। जिसके चलते देश में बेरोजगारी की दर (Unemployment Rate) भी वर्ष 2017-18 में 6 प्रतिशत से गिरकर वर्ष 2022-23 में 3.2 प्रतिशत तक नीचे आ गई है। कृषि, आखेट, वानिकी, मछली पालन के क्षेत्र में वर्ष 2022-23 में 25.3 करोड़ व्यक्ति रोजगार प्राप्त कर रहे हैं, जबकि वर्ष 2021-22 में 24.82 करोड़ व्यक्ति इन क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त कर रहे थे। इसी प्रकार वर्ष 2022-23 में निर्माण, व्यापार, यातायात एवं भंडारण के क्षेत्र मुख्य रोजगार प्रदाता क्षेत्रों में गिने जा रहे थे। ASUSE के सर्वे में भी भारत में 56.8 करोड़ नागरिकों को रोजगार प्राप्तकर्ता बताया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार वर्ष 2004 से वर्ष 2014 के दशक के बीच में केवल 2.9 करोड़ रोजगार उपलब्ध कराए जा सके थे जबकि वर्ष 2014 से वर्ष 2023 के दशक के बीच 12.5 करोड़ रोजगार उपलब्ध कराए गए हैं। विनिर्माण एवं सेवा के क्षेत्रों में वर्ष 2004-2014 के दशक में 6.6 करोड़ रोजगार उपलब्ध कराए गए थे जो वर्ष 2014 से 2023 के दशक में बढ़कर 8.9 करोड़ हो गए हैं। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के क्षेत्र में भी कुल 20 करोड़ रोजगार उपलब्ध कराए जा रहे हैं। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में कृषि के क्षेत्र में महिलाओं के लिए रोजगार के अधिक अवसर सृजित हो रहे हैं और यह संख्या 60 से 70 प्रतिशत प्रतिवर्ष तक पहुंच रही है, क्योंकि पुरुष वर्ग अब रोजगार के लिए शहरी क्षेत्रों की ओर आकर्षित हो रहा है जहां उन्हें विनिर्माण एवं सेवा जैसे क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। दूसरे, कृषि के क्षेत्र में हो रही लगभग 4 प्रतिशत प्रतिवर्ष की औसत विकास दर के कारण भी कृषि के क्षेत्र में रोजगार के अधिक अवसर सृजित हो रहे हैं। भारत के लिए एक अच्छी खबर यह भी है कि केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय एवं आर्थिक क्षेत्रों में लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णयों के चलते अब देश में धीरे धीरे अनऔपचारिक अर्थव्यवस्था का आकार कम होकर, औपचारिक अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ रहा है जिसके चलते अब भारत में औपचारिक क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर अधिक मात्रा में निर्मित हो रहे हैं। EPFO द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1.3 करोड़ कामगारों ने EPFO की सदस्यता ग्रहण की है जबकि वित्तीय वर्ष 2018-19 में केवल 61.12 लाख कामगारों ने ही EPFO की सदस्यता ग्रहण की थी। पिछले लगभग साढ़े छह वर्षों में, सितंबर 2017 से मार्च 2024 के बीच, 6.2 करोड़ कामगारों ने EPFO की सदस्यता ग्रहण की है। EPFO के आंकड़ों में लगातार होने वाली वृद्धि से आश्य यह है कि देश में कम आय वाले रोजगार की तुलना में अधिक आय वाले रोजगार अब तेजी से बढ़ रहे हैं और यह अब अधिकतम औपचारिक क्षेत्र में ही सृजित हो रहे हैं। अनऔपचारिक क्षेत्र के कम आय के रोजगार ही अधिक संख्या में सृजित होते हैं। ASUSE सर्वे के अनुसार अब देश की अर्थव्यवस्था में औपचारिक श्रमिकों की संख्या 55 प्रतिशत तक पहुंच गई है जबकि PLFS सर्वे के अनुसार यह 61 प्रतिशत पर पहुंच गई है। केंद्र सरकार द्वारा कौशल विकास के क्षेत्र में लगातार किए जा रहे प्रयासों एवं निजी एवं सरकारी क्षेत्र में रोजगार के अधिक से अधिक अवसर सृजित करने के लिए दिए जाने वाले विभिन्न प्रोत्साहनों का असर भी अब धरातल पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। अब तो कई अन्य देश भी भारत से डाक्टरों, इंजीनियरों, आदि की मांग करने लगे हैं। जापान ने 2 लाख भारतीय इंजीनियरों की मांग की है तो इजराईल एवं ताईवान ने भी एक-एक लाख भारतीय इंजीनियरों की मांग की हैं। आस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी आदि विकसित देशों में तो पहिले से ही भारतीय डॉक्टर, इंजीनियर एवं एमबीए के क्षेत्र में कौशल हासिल भारतीयों की भारी मांग है। अब तो अरब देश भी भारतीय डॉक्टर, इंजीनियर एवं एमबीए के क्षेत्र में पारंगत भारतीयों पर अपनी नजर गढ़ाए हुए हैं। कई निजी संस्थान दरअसल भारत में रोजगार से सम्बंधित आकड़ें प्रस्तुत करने में प्रामाणिक एवं विश्वसनीय सूत्रों का उपयोग नहीं करते हैं एवं अपने निजी हित साधने के उद्देश्य से उपलब्ध आंकड़ों से अपना निजी निष्कर्ष निकालकर जनता के सामने प्रस्तुत करते हैं, जो कई बार वस्तुस्थिति से भिन्न निष्कर्ष देते हुए दिखाई देता हैं। जबकि कुछ विश्वसनीय सूत्र जहां प्रामाणिक आंकड़े उपलब्ध हैं, में शामिल हैं, भारतीय रिजर्व बैंक, EPFO एवं PLFS आदि, इन संस्थानों द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार भारत में पिछले पांच वर्षों से बेरोजगारी की दर लगातार कम हो रही है। इसका आश्य यह भी है कि देश में प्रतिवर्ष रोजगार की मांग से रोजगार के अधिक अवसर सृजित हो रहे हैं, इसी के चलते ही तो बेरोजगारी की दर में कमी आ रही है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भारत में ही उपलब्ध डाटा/जानकारी का उपयोग करके वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए देश में उत्पादकता का एक अनुमान लगाने का प्रयास किया गया है और जो 27 उद्योगों में उत्पादकता एवं रोजगार के आकलन पर आधारित है। इन उद्योगों को छह व्यापक क्षेत्रों में बांटा गया है, कृषि, माइनिंग और मछली पकड़ना, खनन और उत्खनन, विनिर्माण, बिजली, गैस और जल आपूर्ति, निर्माण और सेवाएं। इस विश्लेषण के लिए नैशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस (NSO), नैशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस (NSSO) एवं ऐन्यूअल सर्वे ओफ इंडुस्ट्रीज (ASI) सहित विभिन्न स्त्रोतों से आकड़ों को संकलित किया गया है, जो पूंजी (Capital-K), श्रम (Labour-L), ऊर्जा (Energy-E), सामग्री (Material-M) एवं सेवा (Services-S) KLEMS डाटाबेस का निर्माण करता है। प्रहलाद सबनानी Read more »
राजनीति विधि-कानून नये कानून से बुजुर्ग मां-पिता की सुध लेने की सार्थक पहल July 16, 2024 / July 16, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – देश में वृद्धों के साथ उपेक्षा, दुर्व्यवहार, प्रताड़ना बढ़ती जा रही है, बच्चे अपने माता-पिता के साथ बिल्कुल नहीं रहना चाहते, वे उनके जीवन-निर्वाह की जिम्मेदारी भी नहीं उठाना चाहते हैं, जिससे भारत की बुजुर्ग पीढ़ी का जीवन नरकमय बना हुआ है, वृद्धजनों की पल-पल की घुटन, तनाव, जीवन-निर्वाह करने की […] Read more » Meaningful initiative to take care of elderly parents through new law
राजनीति कमी के समय कीमतों में कमी लाये सरकारी बफर स्टॉक July 15, 2024 / July 15, 2024 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment गेहूं और चने की खुले बाजार में बिक्री से अनाज और दालों की बढ़ती महंगाई को रोकने में मदद मिली है। बढ़ती जलवायु-संचालित आपूर्ति झटकों और मूल्य अस्थिरता के बीच बफर स्टॉक को अन्य प्रमुख खाद्य पदार्थों तक बढ़ाना समझदारी है। मूल्य वृद्धि को कम करने के लिए बफर स्टॉक को चावल, गेहूं और चुनिंदा […] Read more » सरकारी बफर स्टॉक