राजनीति अमेरिकी दादागिरी पर मोदी की ललकार August 8, 2025 / August 8, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – देश के अग्रणी कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि-क्रांति के जनक एम.एस. स्वामीनाथन के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए ललकारभरे शब्दों में अमेरिकी टैरिफ पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत किसानों के हितों से समझौता नहीं करेगा, भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत का […] Read more » Modi's challenge to American bullying मोदी की ललकार
राजनीति स्वास्थ्य-योग राष्ट्रीय समस्या बनती कुत्ता काटने की खूनी घटनाएं? August 8, 2025 / August 8, 2025 by रमेश ठाकुर | Leave a Comment डॉ. रमेश ठाकुर पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठतम नेता विजय गोयल ने कटखने कुत्तों से उत्पन्न हुई समस्याओं पर अंकुश लगवाने के लिए न सिर्फ अभियान छेड़ा हुआ है, बल्कि कुछ महीने पहले जंतर-मंतर पर धरना भी दिया था। आवारा और कटखने कुत्तों का आतंक पिछले कुछ समय से समूचे देश में तेजी […] Read more » Bloody incidents of dog bites becoming a national problem? कुत्ता काटने की खूनी घटना
राजनीति भारत डेड नहीं, एक जीवंत और सनातन अर्थव्यवस्था August 8, 2025 / August 8, 2025 by पंकज जायसवाल | Leave a Comment पंकज जायसवाल भारत केवल एक भूगोल नहीं बल्कि एक निरंतर सभ्यता है। इस सभ्यता का मूल चरित्र सनातन है जिसका अर्थ है सस्टेनेबल, शाश्वत, स्थायी, निरंतर और अनश्वर। यही विशेषता भारत की अर्थव्यवस्था में भी परिलक्षित होती है। भारत की अर्थव्यवस्था हमेशा से जीवंत (Vibrant) और रेजिलिएंट रही है क्योंकि इसकी जड़ें प्रकृति, सामाजिक संरचना […] Read more » India is not dead it is a vibrant and eternal economy भारत जीवंत और सनातन अर्थव्यवस्था
पर्यावरण राजनीति उत्तरकाशी के धराली गांव में आई प्राकृतिक आपदा से धधकते सवाल? August 8, 2025 / August 8, 2025 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय भारत वर्ष में विज्ञान और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। बावजूद इसके ब्रेक के बाद यहां आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के बारे में सटीक अनुमान लगा पाना अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। एआई के अप्रत्याशित विकास के बावजूद शोधकर्ताओं की उदासीनता और लापरवाही से विषयगत सफलता अभी तक हासिल नहीं की जा सकी है। इसलिए सरकार, निजी उद्यमियों और शोधार्थियों को इस ओर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। खासकर मौसम विज्ञान और पर्यावरण ज्योतिष के अनुसंधान कर्ताओं को इस ओर ज्यादा फोकस करने की जरूरत है। इससे समय रहते ही हमें सटीक भविष्यवाणी करने में मदद मिलेगी और ऐसी आपदाओं के बाद होने वाली भारी धन-जन की हानि भी रोकने में मदद मिलेगी और यदि ऐसा संभव हुआ तो यह भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि भी होगी। बताते चलें कि उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जनपद के धराली गांव में आई अकस्मात बादल फटने जैसी आपदा प्रकृति और आये दिन बिगड़ते पारिस्थितिकी संतुलन की एक और गंभीर चेतावनी है। पर्वतीय प्रदेशों में ऐसी चेतावनियों की एक लंबी श्रृंखला है जो हमें चीख चीख कर यह बताती है कि पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन साधने की कितनी जरूरत है? खासकर, देश के पहाड़ी राज्यों, यथा उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश आदि पर्वतीय प्रदेशों को लेकर ऐसी नीति बननी चाहिए जिससे पहाड़ और इंसानों के बीच चिरस्थायी संतुलन बना रहे। इसलिए यह सवाल उठता है कि आखिरकार कुदरत की चेतावनी को हमलोग कब समझेंगे? और सिर्फ समझेंगे ही नहीं बल्कि उनके अनुरूप ही अपना अग्रगामी व्यवहार भी बदलेंगे। यह ठीक है कि तकनीकी क्रांति और सूचना क्रांति से विकास में अप्रत्याशित गति आई है लेकिन विकास के भौगोलिक मानदंडों की उपेक्षा की जो सार्वजनिक और व्यक्तिगत कीमत सम्बन्धित लोगों को चुकानी पड़ रही है, वह नीतिगत व प्रशासनिक लापरवाही नहीं तो क्या है? यह यक्ष प्रश्न बन चुका है। जानकारों का कहना है कि उत्तरकाशी के धराली गांव में खीरगंगा नदी के ऊपरी क्षेत्र में जो बादल फटा, उंससे आये फ्लैश फ्लड ने रास्ते में आने वाली हर चीज को अपनी चपेट में ले लिया। इससे प्रभावित इलाके से आ रहे विडियो दिल दहलाने वाले हैं। चूंकि अभी चारधाम यात्रा का सीजन चल रहा है और यह गांव गंगोत्री वाले रास्ते पर ही पड़ता है जो श्रद्धालुओं के रुकने का एक अहम पड़ाव भी है। ऐसे में जानमाल की बड़े पैमाने पर हानि होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। चूंकि उत्तरकाशी जैसे उत्तराखंड के जनपदों में ब्रेक के बाद प्राकृतिक आपदा आती रहती है। इसलिए यहाँ पर निरंतर/ लगातार आफत आते रहने से शोधकर्ताओं को और भी अधिक ध्यान देने की जरूरत है। ऐसा इसलिए कि हाल के बरसों में उत्तराखंड इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं के केंद्र में रहा है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2021 में चमोली जनपद में, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान के पास एक ग्लेशियर टूटकर गिर गया था। इसकी वजह से धौलीगंगा नदी में अचानक बाढ़ आ गई और तपोवन विष्णुगाड पनबिजली परियोजना में काम करने वाले कई श्रमिकों को जान गंवानी पड़ी। इसी तरह, साल 2023 की शुरुआत में एक और धार्मिक पर्यटन स्थल जोशीमठ में भूस्खलन ने एक बड़ी आबादी को विस्थापित कर दिया। वहीं, साल 2013 में केदार घाटी में मची भयानक तबाही से लेकर अभी तक, छोटी-बड़ी ऐसी कई प्राकृतिक आपदाएं आ चुकी हैं। इसलिए पुनः सुलगता हुआ सवाल यहां आकर ही ठहर जाती है कि आखिर पहाड़ से छेड़छाड़ कब रुकेगी क्योंकि आरोप है कि उत्तराखंड में चल रहे बेशुमार पावर प्रॉजेक्ट्स ने पहाड़ों को खोखला कर दिया है। वहीं, इस दौरान क्षेत्र में बढ़ती आबादी, लाखों पर्यटकों के बोझ, अनियंत्रित निर्माण और घटती हरियाली को मिला दीजिए तो स्थिति विस्फोटक बन जाती है। इसलिए पर्यावरण प्रेमी पहाड़ अनुकूल विकास करने की मांग हमेशा उठाते रहते हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं कि बादल फटना एक प्राकृतिक घटना है जिस पर इंसानों का कोई जोर नहीं लेकिन, यह भी एक उद्वेलित करने वाला तथ्य है कि जब पानी के निकलने के रास्तों, नालों-गदेरों के मुहानों पर कंक्रीट के बड़े-बड़े स्ट्रक्चर खड़े हो चुके हैं तो फिर उन तमाम जगहों पर, जिन रास्तों से पानी को बहना था, आखिर वह कैसे निकलेगा क्योंकि उन रास्तों पर तो प्रकृति प्रेमी इंसान बस चुका है। स्पष्ट है कि यह जानबूझकर आफत बुलाने जैसा है। इसी के चक्कर में भारी धन-जन की हानि झेलनी पड़ती है और आपदा आने के बाद प्रशासन का जो सिर दर्द बढ़ता है, वह अलग बात है। इसलिए समकालीन स्थिति-परिस्थितियों को बदलने की जरूरत है। इंसान को संभलने की जरूरत है। सच कहूं तो उत्तराखंड को लेकर यह जारी बहस तकरीबन 5 दशक पुरानी है कि विकास किस कीमत पर होना चाहिए? साल 1976 में, गढ़वाल के तत्कालीन कमिश्नर एमसी मिश्रा की अध्यक्षता में गठित एकं कमिटी ने जोशीमठ को बचाने के लिए फौरन कुछ कदम उठाने की सिफारिश की थी- इनमें संवेदनशील जोन में नए निर्माण पर रोक और हरियाली बढ़ाना प्रमुख था लेकिन 49 साल बाद आज वह रिपोर्ट पूरे पहाड़ के लिए प्रासंगिक हो चुकी है। इसलिए केंद्रीय व राज्य सत्ता प्रतिष्ठान को चाहिए कि वे दूरदर्शिता भरा कदम उठाएं और पर्वतीय प्रदेशों की रमणीकता के दृष्टिगत उन पर फिदा होने वालों को बसने से रोके। भारतीय सनातन संस्कृति भी पहाड़ों को साधना स्थली बताती है जबकि मैदानी भूभाग जनजीवन के बसने हेतु श्रेष्ठ हैं। पर्वतीय घाटियों में भी रहा जा सकते है लेकिन मैदानों के सूखा या बाढ़ की तरह वहां भी ऐसा ही कुछ होते रहने की संभावना बनी रहती है। कमलेश पांडेय Read more »
राजनीति भारत…फिलीपींस की दोस्ती से चीन इतना क्यों परेशान है? August 8, 2025 / August 8, 2025 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कास जूनियर भारत दौरे पर हैं। फिलीपींस और चीन में सालों से तनातनी है। चीन के अनधिकृत दावों से फिलीपींस परेशान है। चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपना दबदबा बढ़ा रखा है। अब भारत-फिलीपींस ने रक्षा, सुरक्षा और समुद्री रणनीतिक सहयोग बढ़ाने पर फोकस किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति […] Read more » India-Philippines friendship India-Philippines friendship? Why is China so worried about India-Philippines friendship? भारत…फिलीपींस की दोस्ती
राजनीति विश्ववार्ता भारत और अमेरिका की मुश्किलें बढ़ा रहे ट्रंप August 8, 2025 / September 29, 2025 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment राजेश कुमार पासी डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को फिर से महान देश बनाने का नारा दिया था और आते ही उन्होंने अपने एजेंडे पर काम शुरू कर दिया। उन्होंने सरकारी खर्च कम करने की कोशिश की और अवैध घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने का काम शुरू किया। Read more » Trump is increasing the problems between India and America ट्रंप
पर्यावरण राजनीति उत्तराखंड की आपदा: जब हिमालय ने चुप्पी तोड़ी, और हमारे तैयार न होने की कीमत चुकाई गई August 7, 2025 / August 7, 2025 by निशान्त | Leave a Comment दोपहर का वक्त था। बादल घिरे थे, पर कोई डर नहीं था। यह तो पहाड़ों का रोज़ का मिज़ाज है। लेकिन अचानक, जैसे किसी ने आसमान के दरवाज़े को खोल दिया हो।एक गगनचुंबी जलधारा सीधी पहाड़ से उतरती हुई धाराली की गलियों में घुस गई। जो सामने आया, उसे बहा ले गई। घर, दुकान, पुल, […] Read more » उत्तराखंड की आपदा
राजनीति संसद संवाद की बजाय संघर्ष का अखाड़ा कब तक? August 7, 2025 / August 7, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग –बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन पर संसद में गतिरोध जारी है, जिससे कामकाज बाधित हो रहा है। आज संसद का दृश्य सार्थक संवाद की बजाय किसी अखाड़े से कम नहीं लगता। बहस के स्थान पर बैनर, तख्तियां और नारों की गूंज सुनाई देती है। संसद जहां नीति निर्माण होना चाहिए, वहां प्रतिदिन […] Read more » संसद संवाद की बजाय संघर्ष का अखाड़ा
राजनीति शख्सियत समाज साक्षात्कार आदिवासी अस्मिता के प्रतीक दिशोम गुरु – शिबू सोरेन August 5, 2025 / August 5, 2025 by कुमार कृष्णन | Leave a Comment कुमार कृष्णन शिबू सोरेन के निधन के बाद झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है। उनके समर्थक प्यार से उन्हें ‘दिशोम गुरु’ यानी ‘देश के गुरु’ कहते थे। उनका जीवन आदिवासी अधिकारों की लड़ाई, संघर्ष और झारखंड को अलग राज्य बनाने के आंदोलन से जुड़ा रहा है। उनका जन्म 11 जनवरी […] Read more » a symbol of tribal identity - Shibu Soren Dishom Guru शिबू सोरेन
राजनीति भारत को सनातन ने नहीं, विदेशी आक्रांताओं और कांग्रेस ने बर्बाद किया August 5, 2025 / August 5, 2025 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय भारतीय पृष्ठभूमि वाली दुनिया की सबसे पुरातन सभ्यता-संस्कृति ‘सनातन धर्म” पर सियासी वजहों से जो निरंतर हमले हो रहे हैं, उनका समुचित जवाब देने में अब कोई कोताही नहीं बरती जानी चाहिए अन्यथा इसकी सार्वभौमिक स्थिति और महत्ता को दरकिनार करने वाले ऐसे ही बेसिरपैर वाले क्षुद्र सवाल उठाए जाते रहेंगे। हाल ही […] Read more » भारत को विदेशी आक्रांताओं और कांग्रेस ने बर्बाद किया
राजनीति चुनाव आयोग पर हमला गंभीर रूप ले चुका है August 5, 2025 / August 5, 2025 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment राजेश कुमार पासी राहुल गांधी और विपक्ष के दूसरे नेताओं का चुनाव आयोग पर हमला अब बहुत गंभीर हो चुका है क्योंकि अब ये लोकतंत्र और संविधान पर सवाल खड़े करने तक पहुँच गया है। कुछ लोग कह सकते हैं कि विपक्ष तो संविधान और लोकतंत्र बचाने की जंग लड़ रहा है तो फिर चुनाव […] Read more » The attack on the Election Commission has taken a serious turn चुनाव आयोग पर हमला
राजनीति राहुल गांधी का चुनावी एटम बॉम्ब August 5, 2025 / August 5, 2025 by विजय सहगल | Leave a Comment विजय सहगल जब से भारत के चुनाव आयोग ने बिहार चुनाव के पूर्व, चुनाव सूची मे विशेष गहन पुनरीक्षण का कार्य आरंभ किया है, देश के सभी विपक्षी दलों की तोपों के मुंह चुनाव आयोग की तरफ मुड़ गये। कॉंग्रेस के युवा नेता ने तो एक कदम आगे बढ़ 1 अगस्त को चुनाव आयोग पर सरकार के […] Read more » Rahul Gandhi's election atom bomb राहुल गांधी का चुनावी एटम बॉम्ब