राजनीति मोहन भागवत के मंदिर-मस्जिद वाले बयान पर संतों की नसीहत December 26, 2024 / December 26, 2024 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे ’’राम मंदिर के साथ हिंदुओं की श्रद्धा है लेकिन राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वो नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं का नेता बन सकते हैं. ये स्वीकार्य नहीं है।’’ ये बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ऐसे समय […] Read more » मोहन भागवत के मंदिर-मस्जिद वाले बयान
राजनीति क्या कांग्रेस का ‘वामपंथीकरण’ ही राहुल गांधी की नई राजनीति होगी? December 26, 2024 / December 26, 2024 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि यदि उनकी सरकार आई तो सिर्फ जाति जनगणना ही नहीं बल्कि आर्थिक सर्वेक्षण भी होगा। दरअसल, इसके जरिए वह पता लगाएंगे कि किसके पास कितनी संपत्ति है। फिर नई राजनीति शुरू होगी। इससे साफ […] Read more » Will 'Leftisation' of Congress be Rahul Gandhi's new politics? कांग्रेस का 'वामपंथीकरण'
राजनीति विधि-कानून कर्मचारियों की कमी से जूझती शासन व्यवस्था December 26, 2024 / December 26, 2024 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment – प्रियंका सौरभ भारतीय शासन व्यवस्था को अक्सर ‘लोगों की कमी’ लेकिन ‘प्रक्रियाओं की कमी’ के रूप में वर्णित किया जाता है, जो कि प्रभावी शासन के लिए उपलब्ध बड़ी प्रशासनिक मशीनरी और सीमित मानव संसाधनों के बीच असंतुलन को दर्शाता है। जबकि नौकरशाही प्रक्रियाएँ अच्छी तरह से स्थापित हैं, कर्मियों की कमी कुशल कार्यान्वयन […] Read more » Government system facing shortage of employees कर्मचारियों की कमी से जूझती शासन व्यवस्था
राजनीति शख्सियत समाज साक्षात्कार अटलजी का सुशासन स्वराज और सुराज का प्रतीक December 24, 2024 / December 24, 2024 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment -डॉ. सौरभ मालवीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल में शासन करने पर नहीं, अपितु सुशासन पर अधिक से अधिक बल दिया। वे स्वराज के साथ-साथ सुराज में विश्वास रखते थे। वह कहते थे कि देश को हमसे बड़ी आशाएं हैं। हम परिस्थिति की चुनौती को स्वीकार करें। आंखों में एक महान भारत […] Read more » Atal Bihari Vajpayee अटलजी
राजनीति क्या मस्जिदों के नीचे मन्दिर ढूंढना गलत है December 24, 2024 / December 24, 2024 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment राजेश कुमार पासी आजकल संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान चर्चा में बना हुआ है । जून, 2022 में संघ प्रमुख ने मंदिर-मस्जिद विवाद से बचने की नसीहत देते हुए कहा था कि हर दिन एक नया मुद्दा नहीं उठाना चाहिए । हम झगड़े क्यों बढ़ाएं, हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग क्यों ढूंढना चाहिए । उस समय वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का मुद्दा काफी गरमाया हुआ था और ताजमहल को मंदिर बताते हुए उसके भी सर्वे मांग हो रही थी । अब एक बार फिर मोहन भागवत ने इस मुद्दे पर अपना बयान दिया है जिसकी सब तरफ चर्चा हो रही है । पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान भागवत ने ‘विश्वगुरु भारत‘ विषय पर बोलते हुए कहा कि राम मंदिर बनने के बाद कुछ लोगों को लगता है कि बाकी जगहों पर भी इसी तरह का मुद्दा उठाकर वो हिन्दुओं के नेता बन जायेंगे । उन्होंने कहा कि राम मंदिर आस्था का विषय था और हिन्दुओं को लगता था कि इसका निर्माण होना चाहिए । उन्होंने कहा कि नफरत और दुश्मनी के कारण कुछ नए स्थलों के बारे में मुद्दे उठाना अस्वीकार्य है । उन्होंने कहा कि भारत को सभी धर्मों और विचारधाराओं के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए । उनका कहना है कि उग्रवाद, आक्रामकता और दूसरों के देवताओं का अपमान करना हमारी संस्कृति नहीं है । यहां कोई बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक नहीं है, हम सब एक है । इससे मिलता-जुलता उनका यह बयान भी है कि भारत में सभी का डीएनए एक है । रविवार को उन्होंने एक बयान और दिया है जिसमें कहा है कि धर्म को समझना कठिन है । धर्म के नाम पर होने वाले सभी उत्पीड़न और अत्याचार गलतफहमी और धर्म की समझ की कमी के कारण हुए है इसलिए धर्म की सही शिक्षा सभी को मिलनी चाहिए । भागवत को यह बयान इसलिए देने पड़ रहे हैं क्योंकि देश में अलग-अलग जगहों पर नए-नए मंदिर-मस्जिद विवाद सामने आ रहे हैं । उनके बयानों के पीछे उनकी यह अच्छी मंशा हो सकती है कि इन विवादों के कारण देश का माहौल खराब न हो । आपको याद होगा कि अयोध्या में जब राम-मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन चल रहा था तब हिन्दूवादी नेताओं की यही मांग थी कि अयोध्या, काशी और मथुरा के विवादित धर्मस्थलों को अगर मुस्लिम पक्ष उन्हें सौंप देता है तो हिन्दू पक्ष अन्य जगहों पर मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिदों पर अपना दावा छोड़ देगा । तब मुस्लिम पक्ष जिद्द पर अड़ा रहा और एक कदम भी पीछे नहीं हटा । यह जानते हुए भी रामजन्मभूमि हिन्दुओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है और उनकी गहरी आस्थी उससे जुड़ी हुई है, मुस्लिम इसको सौंपने को तैयार नहीं हुए । माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ है और काशी-मथुरा का मामला अदालत में लंबित है । मैंने इस सम्बन्ध में कई लेख लिखे थे और कई लोगों का भी मानना था कि अगर मुस्लिम पक्ष हिंदुओं की भावनाओं को देखते हुए रामजन्मभूमि छोड़ देता है तो ये हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे के लिए बहुत अच्छा होगा । हिन्दुओं ने संविधान के अनुसार अदालत जाकर अपना हक हासिल किया है न कि मुस्लिमों ने हिन्दुओं की आस्था का सम्मान किया है । अब हिन्दुओं को अदालत का रास्ता दिख गया है और वो अपने मंदिरों को संविधान के अनुसार अदालत के द्वारा हासिल करना चाहते हैं । जब पूरा विपक्ष संविधान को सिर पर उठा कर घूम रहा है और संविधान की रक्षा की बात कर रहा है तो अदालत में जाकर अपना हक हासिल करना कैसे गलत कहा जा सकता है। संविधान के अनुसार हो रहे काम से भागवत क्यों परेशान हो रहे हैं । जब राम जन्मभूमि के लिए मुस्लिम अड़े हुए थे तब ही यह कहा गया था कि अगर मुस्लिम पक्ष बातचीत से मामला हल कर लेता है तो धार्मिक सौहार्द के लिए बहुत अच्छा होगा । जिसका डर था, आज वही हो रहा है, हिन्दू समाज अपने मंदिरों की मांग कर रहा है । इसके लिए हिन्दू समाज किसी हिंसा का सहारा नहीं ले रहा है, वो अपने संवैधानिक हक का इस्तेमाल कर रहा है । मोहन भागवत पहले भी ऐसे बयान दे चुके हैं जिसे भाजपा और संघ के खिलाफ माना जा सकता है, ये बयान तो हिंदुओं के खिलाफ दिखाई दे रहा है। आजकल जो मस्जिदों के नीचे हिन्दू मंदिर ढूंढे जा रहे हैं, उन्हें भाजपा, संघ या कोई हिन्दू संगठन नहीं ढूंढ रहा है बल्कि हिन्दू समाज ढूंढ रहा है । इस मुहिम का मजाक उड़ाया जा रहा है कि हिंदुओं को कोई और काम नहीं बचा है । वो सारे काम छोड़कर सिर्फ मस्जिदों के नीचे मंदिर ढूंढ रहे हैं जबकि यह सच्चाई नहीं है । वास्तव में मस्जिदों के नीचे मंदिर कोई नहीं ढूंढ रहा है बल्कि मस्जिदों के नीचे मन्दिर निकल रहे हैं। जहां भी मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाये जाने की बात की जा रही है, वो सभी जगहें प्राचीन मंदिरों के स्थल हैं और उनके बारे में हिन्दु धर्म की मान्यताएं भी हैं कि वहां प्राचीन मंदिर थे । इसके अलावा हिन्दू समाज मस्जिदों को तोड़कर मंदिर बनाने की बात नहीं कर रहा है बल्कि मस्जिदों के सर्वे के लिए अदालतों के दरवाजे पर खड़ा है । हिन्दू समाज किसी किस्म की जबरदस्ती नहीं कर रहा है बल्कि वो चाहता है कि संविधान के अनुसार अगर वहां मंदिर है तो वो उसे दिया जाए । केन्द्र की नरसिम्हा राव की सरकार ने 1991 में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पास किया था, जिसके अनुसार 15 अगस्त 1947 को किसी धर्मस्थल की जो स्थिति थी, वही स्थिति मान्य होगी । इस एक्ट के अनुसार इस मामले पर अदालत भी नहीं जाया जा सकता था । हिन्दू समाज यह कह रहा है कि 1947 को जो स्थिति थी, वो भी पता होनी चाहिए । अगर यह साबित हो जाता है कि उस जगह मस्जिद की जगह मंदिर है और जो मस्जिद है वो मंदिर की जगह बनाई गई है तो वो जगह हिन्दुओं को मिलनी चाहिए । इसी आधार पर अदालतें मस्जिदों के सर्वेक्षण के आदेश जारी कर रही हैं ताकि स्थिति का पता लगाया जा सके । ये एक्ट धार्मिक स्थल की वास्तविक स्थिति की जांच करने से नहीं रोकता है इसलिये अदालतें सर्वे के आदेश जारी कर रही हैं। आज हमारा देश आजादी के बाद की गई गलतियों की सजा भुगत रहा है । यह काम आजादी के बाद होना चाहिए था । मुस्लिम आक्रमणकारियों के पास जगह की कमी नहीं थी, वो चाहते तो किसी भी जगह मस्जिदों का निर्माण कर सकते थे लेकिन उन्होंने जानबूझकर मंदिरों को तोड़कर उनके मलबे से उसी स्थान पर मस्जिदों का निर्माण करवाया । इन ढांचों को देखकर कोई भी कह सकता है कि यह पुराने मंदिरों को तोड़कर बनाए गए हैं । ऐसा इसलिए किया गया ताकि हिन्दू समाज इन्हें देखकर अपमानित हो और वो याद करे कि कैसे उसके आस्था स्थलों को तोड़कर अपने बाहुबल से इस्लामिक शासकों ने मस्जिदों का निर्माण किया होगा । इस्लाम कहता है कि किसी दूसरे के धार्मिक स्थल को तोड़कर उस पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती और अगर ऐसा किया जाता है तो उस मस्जिद में की गई नमाज अल्लाह को कबूल नहीं होगी । इस देश का मुस्लिम समाज कहीं और से नहीं आया है, इसी देश का है । आपसी भाईचारा एकतरफा नहीं हो सकता, इसके लिए दोनों समुदायों को कोशिश करनी होगी । उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जो मंदिर मिल रहे हैं वो तो चालीस साल पहले ही कब्जा किये गये हैं । यह ठीक है कि दंगे के कारण हिन्दू समाज ने वहां से पलायन कर लिया लेकिन मंदिर तो सार्वजनिक संपत्ति होते हैं तो वहां कैसे कब्जा हो गया । जिन्होंने पलायन किया होगा, उनमें से कुछ लोगों ने वैसे ही घर छोड़ दिया होगा और कुछ ने बेच दिया होगा लेकिन मंदिर बेचा नहीं जा सकता तो इन मंदिरों और उनकी भूमि को कैसे अपने घरों में शामिल कर लिया गया । देश के हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे के लिए जरूरी है कि जो गलतियां हुई, उन्हें स्वीकार किया जाये । जिन गलतियों को सुधारा जा सकता है, उन्हें सुधारा जाए । जहां कुछ नहीं हो सकता तो वहां कम से कम गलती को माना जाए । भागवत के कहने से कुछ होने वाला नहीं है । उन्हें राजनीतिक बयान देने का हक हासिल नहीं है । इसके लिए संघ की राजनीतिक शाखा भाजपा है और उसके नेता प्रधानमंत्री मोदी हैं । ऐसे बयान देकर भागवत अपना मान-सम्मान को घटा रहे हैं । वैसे भी हिन्दू समाज अपनी लड़ाई लड़ रहा है, वो किसी दूसरे की सलाह पर चलने वाला नहीं है । मंदिरों की लड़ाई किसी राजनीतिक दल, संगठन और नेता की नहीं है, अब ये जनता की लड़ाई बन चुकी है । ये आपसी बातचीत से ही खत्म हो सकती है, किसी की सलाह पर खत्म नहीं होगी । राजेश कुमार पासी Read more » Is it wrong to locate temples beneath mosques\ मस्जिदों के नीचे मन्दिर
राजनीति स्वामी श्रद्धानंद जी की हत्या, सावरकर और गांधी December 24, 2024 / December 24, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment ( 23 दिसंबर को बलिदान दिवस पर विशेष ) सफल वक्ता वही होता है जो श्रोताओं को अपनी बात से सहमत और संतुष्ट तो कर ही ले साथ ही उसकी भाषण कला ऐसी हो जिससे लोग वही कुछ करने के लिए प्रेरित और आंदोलित भी हो उठें जिसे वह वक्ता उनसे कराना चाहता है। भाषण […] Read more » Murder of Swami Shraddhanand Ji Savarkar and Gandhi सावरकर और गांधी स्वामी श्रद्धानंद जी की हत्या
आर्थिकी राजनीति भारत में टैक्स जोन की संभावनाएं December 24, 2024 / December 24, 2024 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment पंकज गांधी जायसवालदुनिया के कई ऐसे छोटे देश या द्वीप हैं जिन्होंने अपने टैक्स नीति का सहारा लिया है अपने आपको विकसित करने और दुनिया भर के लोगों को अपने यहां आकर्षित करने के लिए, आकर वहां कम्पनी खोलने के लिए. ज्यादातर ऐसे देश द्वीपीय देश हैं जैसे केमन आइलैंड है, शेसेल्स द्वीप समूह, ब्रिटिश […] Read more » भारत में टैक्स जोन
राजनीति मजबूत होते भारत-कुवैत द्विपक्षीय संबंध December 24, 2024 / December 24, 2024 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment सुनील कुमार महला हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऐतिहासिक कुवैत यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूती मिली है।चार दशक से अधिक समय में इस खाड़ी देश(कुवैत) की यात्रा करने वाले नरेंद्र मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो वर्ष 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी […] Read more » ऑर्डर ऑफ मुबारक अल-कबीर' मजबूत होते भारत-कुवैत द्विपक्षीय संबंध
राजनीति उपभोक्ता के बढ़ते शोषण पर अंकुश जरूरी December 24, 2024 / December 24, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस- 24 दिसम्बर, 2024-ः ललित गर्ग:-भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में एक है और यह आजादी की शताब्दी वर्ष 2047 तक उच्च मध्य आय के दर्जे तक पहुंचने की आकांक्षा के साथ विश्व बाजार बनने के पथ पर आगे बढ़ने के लिए तैयार है। देश यह भी सुनिश्चित करने के […] Read more » It is necessary to curb the increasing exploitation of consumers. राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस- 24 दिसम्बर
राजनीति शख्सियत देश के अप्रतिम नेता अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत का जश्न December 24, 2024 / December 24, 2024 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment —डॉ. सत्यवान सौरभ भारत में हर साल 25 दिसम्बर को देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के उपलक्ष्य में सुशासन दिवस मनाया जाता है। पहली बार 2014 में मनाया गया यह दिवस पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन प्रदान करने और यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है कि […] Read more » Atal Bihari Vajpayee Celebrating the legacy of the country's amazing leader Atal Bihari Vajpayee अटल बिहारी वाजपेयी
राजनीति शख्सियत समाज साक्षात्कार महान राष्ट्र-सपूतों में अग्रणी थे अटल बिहारी वाजपेयी December 24, 2024 / December 23, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जन्म जयन्ती-25 दिसम्बर, 2024-ललित गर्ग- भारतीय राजनीति का महानायक, भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता, भारत रत्न, प्रखर कवि, वक्ता और पत्रकार श्री अटल विहारी वाजपेयी की जन्म जयंती 25 दिसंबर को भारत सरकार प्रतिवर्ष सुशासन दिवस के रूप में मनाती है। इस वर्ष हम उनका 100वां जन्मोत्सव मना रहे […] Read more » अटल बिहारी वाजपेयी
राजनीति ‘आरएसएस-शिवसेना’ के हिन्दू दर्शन की ‘अकाल मौत’ के मायने December 23, 2024 / December 23, 2024 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय आखिर जब पूरी दुनिया में मुस्लिम कट्टरपंथी ताकतें हावी होती जा रही हैं और लोकतंत्र को चुनौती देते हुए एक के बाद दूसरी ‘आतंकी सरकारें गठित करती जा रही हैं, वैसी विडंबनात्मक परिस्थिति में भारत की हिंदूवादी ताकत के रूप में शुमार विश्व का सबसे बड़ा संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस और […] Read more » Meaning of 'untimely death' of Hindu philosophy of 'RSS-Shiv Sena'