राजनीति निस्तेज विपक्ष देश को कब तक अंधेरों में धकेलेगा? December 20, 2024 / December 20, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:-विपक्ष बात-बात पर तू-तू, मैं-मैं करते हुए बात का बतंगड़ बनाकर देश का भारी नुकसान कर रहा है। संसद को चलने नहीं दे रहा है, आधे-अधूरे बयान के हिस्से को प्रचारित कर घटिया एवं सस्ती राजनीति करते हुए देश को गुमराह कर रही है। बेबुनियाद एवं भ्रामक मुद्दों को उछाल कैसे गुल खिलाये, […] Read more » निस्तेज विपक्ष
राजनीति ग्यारह संकल्पों का मोदी मंत्र December 19, 2024 / December 19, 2024 by डॉ.वेदप्रकाश | Leave a Comment डॉ. वेदप्रकाश 14 दिसंबर 2024 को संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर लोकसभा में चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विविध विषयों पर विचार और प्रहार करते हुए भविष्य के लिए 11 संकल्पों का संदेश दिया है। ध्यान रहे ये 11 संकल्प विकसित भारत के लिए संविधान की भावना को केंद्र […] Read more » Modi mantra of eleven resolutions ग्यारह संकल्पों का मोदी मंत्र
राजनीति बाबा साहेब अंबेडकर के प्रति सच्ची श्रद्धा रखने वाला कौन है, भाजपा या कांग्रेस December 19, 2024 / December 19, 2024 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे देश की संसद में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के भाषण के क्लिप के एक हिस्से को काटकर कॉन्ग्रेसी और विरोधी दल सरकार को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। यह पहली बार नहीं है कि कॉन्ग्रेस ऐसा कर रही है। जब-जब कॉन्ग्रेस मुद्दाविहीन होती है तो इसी तरह के फेक […] Read more » BJP or Congress? Who has true faith in Baba Saheb Ambedkar
राजनीति विधि-कानून धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता: असमानता और अन्याय को दूर करने की औषधि December 19, 2024 / December 19, 2024 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता, जिसे समान नागरिक संहिता के रूप में भी जाना जाता है, सभी नागरिकों के लिए, चाहे उनकी धार्मिक सम्बद्धता कुछ भी हो, व्यक्तिगत मामलों-जैसे विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और संपत्ति के अधिकार-को नियंत्रित करने वाले कानूनों का एक ही सेट प्रस्तावित करती है। भारत वर्तमान में हिंदू कानून, मुस्लिम कानून (शरिया) और ईसाई […] Read more » The antidote to inequality and injustice धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता
राजनीति आरएसएस और जनसंघ ने साकार किया गोवा मुक्ति का संकल्प December 19, 2024 / December 19, 2024 by कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल | Leave a Comment ~ कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल स्वतंत्रता प्राप्ति और विभाजन के पश्चात तत्कालीन रियासतों, स्वतंत्र प्रांतों को भारतीय संघ के तौर पर एकीकरण सबसे बड़ी चुनौती थी। इस ऐतिहासिक कार्य को लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने दूरदृष्टि ने मूर्तरूप देने का कार्य किया।इन रियासतों के अतिरिक्त भारतीय उपमहाद्वीप के कई क्षेत्र यथा — गोवा ,दमन-दीव , […] Read more » गोवा मुक्ति का संकल्प
राजनीति राजा सुहेलदेव और प्रधानमंत्री श्री मोदी December 19, 2024 / December 19, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment वास्तव में भारत के इतिहास पर यदि चिंतन किया जाए तो ऐसे अनेकों वीर योद्धा हैं जिनके साथ अन्याय करते हुए उन्हें इतिहास के पृष्ठों में स्थान नहीं दिया गया है। ऐसा न केवल डॉ. अंबेडकर और सरदार पटेल के साथ किया गया है बल्कि गुर्जर वंश के प्रतापी शासकों के साथ भी ऐसा ही […] Read more » Raja Suheldev and Prime Minister Shri Modi
राजनीति शख्सियत हरियाणा के पिछड़े वर्ग का चेहरा कैबिनेट मंत्री ‘रणबीर गंगवा’ December 18, 2024 / December 18, 2024 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment ओबीसी समाज के बड़े लीडर रणबीर गंगवा विशेष रूप से ‘प्रजापति समाज’ में अच्छी पकड़ रखते हैं। गंगवा पिछड़े समुदायों के लिए आवाज़ उठाने के लिए जाने जाते हैं। 34 साल की राजनीतिक यात्रा में इन्होने कैबिनेट मंत्री के पद तक का सफ़र तय किया है। गंगवा ने राजनीति की शुरुआत अपने गाँव गंगवा से […] Read more » रणबीर गंगवा
राजनीति रॉयल्टी के मुद्दे पर झारखंड की राजनीति गरमाई December 18, 2024 / December 18, 2024 by कुमार कृष्णन | Leave a Comment कुमार कृष्णन रॉयल्टी के मुद्दे पर झारखंड की राजनीति पूरी तरह से गरमा गई है।इस मामले को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के निशाने पर केंद्र सरकार और कोयला कंपनियां हैं। झारखंड विधानसभा चुनाव से ही यह एक बड़ा मुद्दा रहा है कि केंद्र सरकार झारखंड का रॉयल्टी का 1.36 लाख करोड़ रुपये कब देगी। इसको लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था। अब इसका जवाब केंद्र से मिल चुका है। केंद्र सरकार ने लोकसभा में स्पष्ट किया है कि झारखंड का रॉयल्टी का 1.36 लाख करोड़ रुपये केंद्र पर बकाया नहीं है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि झारखंड के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा रहा है। लोकसभा में निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कोयला और खनिजों की रॉयल्टी से जुड़े इस मुद्दे को उठाते हुए सवाल किया था कि 1.36 लाख करोड़ रुपये झारखंड का केंद्र पर बकाया है। इस पर केंद्र सरकार ने जवाब दिया कि ऐसी कोई बकाया राशि नहीं है। रॉयल्टी के मुद्दे पर मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन आरंभ से ही केन्द्र पर दबाव बनाए हुए हैं। मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया से कहा कि केंद्र पर राज्य का 1.36 लाख करोड़ रुपये का बकाया है जिसे वसूलने के लिए कानूनी कार्रवाई की जाएगी सोरेन ने यह भी कहा कि कोल इंडिया जैसी केंद्रीय कंपनियों से यह बकाया राज्य का अधिकार है और इसके न मिलने से झारखंड का विकास रुक रहा है। चौथी बार झारखंड की गद्दी पर सत्तासीन होने बाद से ही मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। उन्होंनें चेतावनी दी कि झारखंड सरकार कोयला की बकाया राशि वसूलने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ कानूनी कदम उठाएगी। इससे पहले सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 2 नवंबर को झारखंड के बकाए की मांग की थी। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया था कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से वह फिर से अनुरोध करते हैं कि झारखंड का 1.36 लाख करोड़ रुपये का बकाया चुकाया जाए क्योंकि यह राज्य के लिए बेहद जरूरी है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात की पुष्टि की है कि राज्य को खनन और रॉयल्टी बकाया वसूलने का अधिकार है। सोरेन ने बताया कि बकाया न मिलने से झारखंड के विकास और सामाजिक-आर्थिक परियोजनाओं पर बुरा असर पड़ रहा है।मुख्य मंत्री सोरेन ने इसी साल सितंबर महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था झारखंड राज्य का सामाजिक-आर्थिक विकास मुख्य रूप से खनन और खनिजों से होने वाले राजस्व पर निर्भर करता है जिसमें से 80 प्रतिशत कोयला खनन से आता है। झारखंड में काम करने वाली कोयला कंपनियों पर मार्च 2022 तक राज्य सरकार का लगभग 1,36,042 करोड़ रुपये का बकाया है।प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में कोयला कंपनियों पर बकाया राशि की दावेदारी का ब्रेकअप भी दिया था। इसके अनुसार वाश्ड कोल की रॉयल्टी के मद में 2,900 करोड़, पर्यावरण मंजूरी की सीमा के उल्लंघन के एवज में 32 हजार करोड़, भूमि अधिग्रहण के मुआवजे के रूप में 41,142 करोड़ और इसपर सूद की रकम के तौर पर 60 हजार करोड़ रुपए बकाया हैं। मुख्य मंत्री सोरेन ने प्रधानमंत्री को भेजी गई चिट्ठी में कहा था कि जब झारखंड की बिजली कंपनियों ने केंद्रीय उपक्रम डीवीसी (दामोदर वैली कॉरपोरेशन) के बकाया भुगतान में थोड़ी देर की तो हमसे 12 प्रतिशत ब्याज लिया गया और हमारे खाते से सीधे भारतीय रिजर्व बैंक से डेबिट कर लिया गया।उन्होंने कहा कि अगर हम कोयला कंपनियों पर बकाया राशि पर साधारण ब्याज 4.5 प्रतिशत के हिसाब से जोड़ें तो राज्य को प्रति माह केवल ब्याज के रूप में 510 करोड़ रुपये मिलने चाहिए।उन्होंने कहा है कि इस बकाया का भुगतान न होने से झारखंड राज्य को अपूरणीय क्षति हो रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, स्वच्छ पेयजल और अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी जैसी विभिन्न सामाजिक योजनाएं फंड की कमी के कारण जमीन पर उतारने में दिक्कत आ रही है। रॉयल्टी के मुद्दे पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने इस संबंध में भू-राजस्व विभाग के द्वारा कोल इंडिया को पत्र के माध्यम से 15 दिन के अंदर जवाब देने को कहा है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में तत्कालीन कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि झारखंड की रॉयल्टी का बकाया पैसा लौटाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट रूप से कहा था कि रॉयल्टी का पैसा टैक्स के दायरे में नहीं आता है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य सरकार झारखंड से गुजरने वाली रेल माल गाड़ियों पर भी रॉयल्टी वसूलने की तैयारी में है। यह सरकार झुकने वाली नहीं है। कोयला कंपनियों को भी सख्त लहजे में सुप्रिया भट्टाचार्य ने कहा कि कंपनी के अधिकारी पहले राज्य सरकार को पैसा दें, उसके बाद खनन कार्य करें। झारखंड से भाजपा के सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों पर सवाल खड़ा करते हुए सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इस गंभीर मुद्दे पर वे चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? मुख्य मंत्री सोरेन ने झारखंड के भाजपा सांसदों से अपील की है कि वे झारखंड की इस मांग पर आवाज बुलंद करें। दूसरी ओर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने झामुमो के प्रेस वार्ता पर पलटवार करते हुए कहा कि सर्वप्रथम झारखंड की जनता को झामुमो को बकाया राशि का वर्ष वार ब्यौरा जारी करना चाहिए। यह बताना चाहिए कि जिस समय शिबू सोरेन कोयला मंत्री थे, उस समय अगर कोयला की रॉयल्टी का कोई बकाया राशि बचा था तो उन्होंने कितना पैसा झारखंड को दिलवाया। प्रतुल ने हेमंत सरकार के गठबंधन दलों से यह भी जानना चाहा कि 10 वर्ष तक यूपीए सरकार जब शासन कर रही थी तो उस समय का कितना बकाया था और उस बकाया राशि में कितने का झारखंड को भुगतान हुआ?प्रतुल ने कहा कि अब झारखंड मुक्ति मोर्चा ने चुनाव पूर्व जिन योजनाओं की घोषणा की है, उसके लिए शायद ढाई लाख करोड रुपए से भी ज्यादा की जरूरत हो। आंतरिक स्रोत से पैसा हो नहीं पा रहा जिसका सबसे बड़ा उदाहरण मईया सम्मान राशि की 2500 की किस्त अभी तक नहीं जारी होना है। तो अब झामुमो जनता से सहानुभूति बटोरने के लिए बहाने बना रही हैं।प्रतुल ने कहा कि झारखंड भाजपा झारखंडियों के हित के लिए जो भी उचित कदम हो वह उठाने को तैयार है। केंद्र और राज्य की सहमति से जो भी सही बकाया राशि सामने आएगी ,उसका भुगतान करने के लिए झारखंड भाजपा भी सकारात्मक कदम उठाएगीलेकिन सरकार को फर्जी नेरेटिव और आंकड़ों की बाजीगरी का खेल बंद करना चाहिए। सरकार को सबसे पहले यह सार्वजनिक करना चाहिए कि यह जो 1,36,000 करोड़ का दावा कर रही है वह किस वर्ष में किस विभाग से संबंधित है ।पूरा विस्तृत ब्यौरा देना चाहिए। राज्य सरकार के सिर्फ कहने से कि कोयला का बकाया, समता जजमेंट का बकाया और भूमि अधिग्रहण का बकाया है, से बात नहीं बनेगी। इनको एक-एक चीज़ का सिलसिलेवार तरीके से विस्तृत विवरण देना चाहिए। कुमार कृष्णन Read more » Jharkhand's politics heats up on royalty issue Jharkhand's politics on royalty issue रॉयल्टी के मुद्दे पर झारखंड की राजनीति गरमाई
राजनीति पॉलिटिकल सेलिब्रिटी प्रियंका गांधी के ‘गांधीवादी थैले’ की सियासत December 18, 2024 / December 18, 2024 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय पॉलिटिकल सेलिब्रिटी, कांग्रेस महासचिव और वायनाड सांसद प्रियंका गांधी का ‘बौद्धिक गांधीवादी थैला’ अब एक नहीं बल्कि दो अंतरराष्ट्रीय विवादों की ओर लोगों का ध्यान बरबस खींच चुका है जिसमें इजरायल द्वारा फलस्तीनी सुन्नी मुसलमान उत्पीड़न और बंगलादेशी हिन्दू/ईसाई उत्पीड़न का मसला प्रमुख है। इस बीच सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स के सवालों और जवाबों के बीच उत्तर प्रदेश के फायर ब्रांड मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यूपी-इजराइल से जुड़ी रोजगारपरक टिप्पणी ने इस मामले पर देशी तड़का जड़ दिया है। इससे सोशल मीडिया पर शुरू हुईं सांप्रदायिक बहसों के साथ-साथ पापी पेट के सवाल को भी एक नया दूरदर्शी आयाम मिल चुका है, वहीं, यदि राजनीतिक नजरिए से देखें तो पहले सुन्नी मुस्लिम बहुल फलस्तीन से जुड़े सवालों पर गांधीवादी थैला संसद में जाते ववक्त प्रदर्शित करके और उस पर विवाद उत्पन्न होने के बाद दूसरे दिन बंगलादेशी हिंदुओं और ईसाइयों के उत्पीड़न से जुड़ा दूसरा थैला प्रदर्शित करके युवा सांसद प्रियंका गांधी ने अपने पूर्वज प्रधानमंत्रियों- जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कांग्रेसी मध्यम मार्ग पर पुनः लौटने का दूरदर्शिता पूर्ण संकेत दिया है। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि जहां पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने कांग्रेस को दक्षिण मुखी बनाने के चक्कर में उत्तर भारतीयों को पार्टी से दूर कर दिया, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अल्पसंख्यक प्रथम की बात छेड़कर बहुसंख्यकों को नाराज कर दिया। जानकार बताते हैं कि ऐसा करके इन लोगों ने भले ही अपना-अपना गठबंधन कार्यकाल पूरा कर लिया, लेकिन कांग्रेस खोखली होती गई। हालांकि, उसके बाद पार्टी का जनाधार इतना लुढ़का कि 2014 और 2019 में उसे नेता प्रतिपक्ष का तमगा भी नहीं मिला। हां, राहुल गांधी के जुझारूपन ने 2024 में यह तमगा हासिल कर लिया और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद अपनी बहन प्रियंका गांधी को भी सेफ सियासी मोड में अपनी छोड़ी हुई सीट से लोकसभा ले आए। वहीं, लोकसभा में आते ही प्रियंका गांधी ने “लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ” वाले तेवर दिखाने शुरू कर दिए। सर्वप्रथम उन्होंने भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में लोकसभा में आयोजित विशेष बहस पर प्रथम विपक्षी सम्बोधन देते हुए और उसके बाद बैग पॉलिटिक्स को हवा देकर जनमानस को यह संकेत दे दिया कि भाई-बहन की यह जोड़ी कोई न कोई नया सियासी गुल खिलाती रहेगी जो कि राजनीति की पहली शर्त समझी जाती है। वहीं बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के बीच इंडिया गठबंधन के सहयोगियों को अपनी हद में रहने के परोक्ष संकेत देकर भाई-बहन की जोड़ी ने अपनी राजनीतिक प्राथमिकताओं को भी स्पष्ट कर दिया है क्योंकि उन्हें पता है कि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का विकल्प केवल कांग्रेस है जिसे जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए चुनावी वैशाखियों को उनकी हद में रखना होगा ताकि कार्यकर्ताओं के मनोबल ऊंचे रहें। वहीं, पीएम मोदी के प्रबल विरोधों के बीच राहुल गांधी की अल्पसंख्यक समर्थक और उद्योगपति विरोधी छवि बनने से भी कांग्रेस भीतर ही भीतर चिंतित है। इसलिए उसने प्रियंका गांधी को आगे करके अपना मध्यम मार्ग वाला कांग्रेस कार्ड फिर फेंका है ताकि इंडिया गठबंधन में नेतृत्व के सवाल पर यदि कांग्रेस अलग थलग भी पड़ जाए तो उसका मध्यममार्गी स्वरूप जनमानस को रिझाए, जिसके दम पर वह लगभग 6 दशकों तक वामपंथियों और दक्षिणपंथियों को पछाड़ती रही है। यही वजह है कि राहुल गांधी के साथ साथ प्रियंका गांधी ने भी खुद को सियासी चर्चा का विषय बनाये रखने के लिए अपने नवप्रयोगों को हवा दी जिससे राजनीतिक चर्चाओं का कोर्स ही बदल गया। बताते चलें कि संसद के मौजूदा सत्र से अपनी संसदीय पारी की शुरुआत करने वाली कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी के बैग इन दिनों खासी चर्चा और विवाद का केंद्र बन रहे हैं। इससे उनकी इंदिरा गांधी वाली छवि भी परिपुष्ट हुई है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी की रणनीति है कि 2029 में मोदी-योगी के मुकाबले राहुल-प्रियंका के फेस को इतना मजबूत बना दिया जाए कि उन्हें इंडिया गठबंधन के सहयोगी मनमाफिक नचाने की जुर्रत ही नहीं कर सकें क्योंकि वह इस बात को समझती हैं कि पीएम फेस के लिए राहुल का मुकाबला मोदी, योगी, फडणवीस, सम्राट आदि से कम और अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, अरविंद केजरीवाल जैसों से ज्यादा होगी। इसलिए उन्होंने कांग्रेस को अपने बूते आगे बढ़ाने का निश्चय किया है और रणनीतिक रूप से गठबंधन सहयोगियों के लिए अपने दरवाजे खोल रखे हैं, लेकिन अपनी शर्तों पर ! यही वजह है कि कांग्रेस ने अदाणी मुद्दे पर विरोध करने के बाद इंडिया गठबंधन के सपा और टीएमसी जैसे सहयोगियों के साथ छोड़ते ही गत सोमवार को प्रियंका गांधी ने अपने बैग पॉलिटिक्स शुरू कर दी ताकि इंडिया गठबंधन के सहयोगियों पर भी नैतिक दबाव बढ़े। समझा जाता है कि अपने बैग को लेकर वह उस समय चर्चा का केंद्र बन गईं, जब उन्होंने फलस्तीन लिखा बैग अपने कंधे पर लटकाया हुआ था और संसद में प्रवेश कर रही थीं। हालांकि इस पर मचे बवाल के बाद भी प्रियंका रुकी नहीं, और वह मंगलवार को बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर टिप्पणी करते बैग को कंधे पर लटकाकर सदन में नजर आईं। खादी के सफेद झोला नुमा बैग पर लिखा था- ‘बांग्लादेश के हिंदुओं और ईसाइयों के साथ खड़े हों। बताया जाता है कि इस बैग को अपने साथ टांगने वाली प्रियंका अकेली नहीं थीं बल्कि कई कांग्रेस सांसदों ने ऐसे ही बैग को अपने साथ लेकर बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं व ईसाइयों पर हो रहे अत्याचार के विरोध में गत मंगलवार को ही संसद परिसर में प्रदर्शन किया। देखा गया कि कांग्रेस सांसदों ने सदन की बैठक शुरू होने से पहले मुख्य द्वार के पास अपना विरोध प्रदर्शन किया जहां प्रियंका सहित तमाम सांसदों ने अपने हाथ में थैला भी ले रखा था, जिस पर ‘बांग्लादेश के हिंदुओं और ईसाइयों के साथ खड़े हों’ लिखा हुआ था। यही वजह है कि प्रियंका गांधी के बैग पर गरमाती सियासत के बीच यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी उन पर निशाना साधा है क्योंकि वह एक असफल यूपी प्रभारी भी रह चुकी हैं। योगी का कहना था कि हम यूपी के युवाओं को कमाने के लिए इजराइल भेज रहे हैं और कांग्रेस सांसद फलस्तीन का बैग लेकर घूम रही हैं। हालांकि इस पर मचे विवाद के बाद प्रियंका गांधी ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं क्या पहनूंगी, यह कौन तय करेगा? यह पैतृक समाज ही है जो यह तय करता है कि महिलाएं क्या पहनेंगी? उनका कहना था कि मैं कई बार बता चुकी हूं कि इस बारे में मेरी क्या मान्यताएं हैं. अगर आप मेरा ट्विटर हैंडल देखेंगे तो वहां आपको मेरा बयान मिलेगा। वहीं, भाजपा नेताओं ने इस पर तल्ख टिप्पणी की कि एक्स (ट्वीटर), बैग और बयानों से वह लोगों का ध्यान चाहे जितना खींच लें, लेकिन अपनी पार्टी में कार्यकर्ताओं के अकाल को दूर करने के लिए उन्हें सड़कों की धूल फांकनी ही पड़ेगी। राष्ट्रवादी मुद्दों की ओर लौटना ही पड़ेगा अन्यथा विपक्षियों की नेत्री बनने की सियासत वो करती रहें, सत्ता की दिल्ली अभी उनके लिए बहुत दूर है ! कमलेश पांडेय Read more » Priyanka Gandhi's 'Gandhian bag' The politics of political celebrity Priyanka Gandhi's 'Gandhian bag' पॉलिटिकल सेलिब्रिटी प्रियंका गांधी के 'गांधीवादी थैले' की सियासत
राजनीति योगी की आक्रामकता पर विपक्ष खामोश क्यों December 18, 2024 / December 18, 2024 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment राजेश कुमार पासी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि एक फायरब्रांड नेता की है । उन्होंने अपनी छवि के अनुरूप ही यूपी विधानसभा में 16 दिसम्बर को बेहद तल्ख लहजे में विपक्ष पर हमला किया। उनके जबरदस्त भाषण के दौरान पूरे सदन में चुप्पी छाई रही। उनके भाषण के बाद भी विपक्ष को समझ नहीं आ रहा है कि वो उनके तर्कों और तथ्यों का क्या जवाब दे। योगी जी की यही विशेषता है कि वो अपनी बात पूरे तर्क और तथ्य के साथ रखते हैं। उनकी कठोर से कठोर कार्यवाही कानून के अनुसार होती है। पूरा देश उन्हें बुलडोज़र बाबा के नाम से जानता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट भी उनके बुलडोजर को रोक नहीं पाया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस आने के बाद भी उनका बुलडोजर गरज रहा है क्योंकि उनकी सरकार अपनी सारी कार्यवाहियों को कानून के दायरे में रह कर करती है। भाजपा समर्थकों और कार्यकर्ताओं को उनमें भावी प्रधानमंत्री दिखाई देता है। देखा जाए तो वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में वो अकेले ऐसे नेता हैं जिन्हें मोदी का उत्तराधिकारी कहा जा सकता है। इसकी वजह यह है कि भाजपा एक कैडर बेस्ड पार्टी है इसलिये कैडर की भावनाओं के खिलाफ पार्टी नहीं जा सकती। इसके अलावा देश की जनभावनाओं को देखते हुए भी कहा जा सकता है कि वो मोदी के बाद देश के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं। जैसे मोदी जी एक राज्य के मुख्यमंत्री होने के बावजूद पूरे देश में लोकप्रिय हो चुके थे, ऐसे ही योगी जी की लोकप्रियता पूरे देश में फैल चुकी है। भाजपा में चुनाव प्रचार के लिए मोदी जी के बाद सबसे ज्यादा मांग योगी जी की होती है। अगर आज मोदी जी देश के प्रधानमंत्री हैं तो इसकी सबसे बड़ी वजह भाजपा कार्यकर्ताओं में उनकी लोकप्रियता थी । भाजपा संगठन में अपने कैडर की इच्छा के विपरीत जाने की हिम्मत नहीं हुई । मुझे लगता है कि भारतीय राजनीति में इतना दबंग मुख्यमंत्री कभी नहीं आया है । जिस साफगोई से योगी अपनी बात कह रहे हैं, वो राजनीति में एक विलक्षण चीज है । वो बिना किसी लाग-लपेट के पूरी स्पष्टवादिता के साथ अपनी बात रख रहे हैं । संभल हिंसा में 5 दंगाईयों के मारे जाने पर विपक्ष उन्हें घेरना चाहता है लेकिन वो रक्षात्मक होने की जगह आक्रामक तरीके से मुकाबला कर रहे हैं । उन्होंने संभल दंगों का पूरा इतिहास सदन में रख दिया और कहा कि संभल दंगों में 209 हिन्दुओं की हत्या हो चुकी है लेकिन विपक्ष उस पर बोलने को तैयार नहीं हैं । उन्होंने संभल हिंसा के दंगाइयों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने का संदेश सदन में दे दिया । उन्होंने कहा कि बिना साक्ष्य किसी को पकड़ा नहीं जा रहा है और अपराधियों को वो छोड़ने वाले नहीं हैं । उन्होंने 46 साल पुराने मंदिर के मिलने पर कहा कि आपने मंदिर नहीं तोड़ा, आपका अहसान है लेकिन वहां 22 कुंओं को किसने पाट दिया और कुंओं में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां क्यों मिल रही हैं । योगी ने अल्लामा इकबाल का ‘तराना-ऐ-मिल्ली’ पढ़ कर सुनाया और उन्हें जेहादी करार दिया । जो लोग इकबाल को गंगा-जमुनी तहजीब का रहनुमा घोषित करते हैं, उन पर बड़ा प्रहार किया है । एक समाजवादी नेता ने कहा कि दंगा इसलिए हुआ क्योंकि हिंदुओं ने जय श्री राम का नारा लगाया था। इस पर योगी ने कहा कि इससे आपको दिक्कत नहीं होनी चाहिए । उन्होंने कहा कि अगर मैं कहूं कि मुझे अल्लाह-हु-अकबर से दिक्कत है तो क्या आप बोलना बंद कर देंगे । उन्होंने कहा कि जब मंदिर और हिन्दू मोहल्ले से मुस्लिम जुलूस और यात्रा निकल सकती है तो मस्जिद और मुस्लिम मोहल्ले से हिन्दू यात्रा क्यों नहीं निकल सकती । उन्होंने कहा कि अगर ऐसी यात्राओं पर दंगा होता है तो सरकार उससे सख्ती से निपटेगी । उन्होंने कहा कि मुस्लिम जलूस और त्यौहारों पर समस्या नहीं खड़ी होगी लेकिन हिन्दू जलूस और त्यौहार पर अगर कोई समस्या खड़ी करेगा तो सरकार उससे सख्ती से निपटेगी । धर्मनिरपेक्षता पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्षता पर बात करना व्यर्थ हैं क्योंकि मूल संविधान में धर्मनिरपेक्षता शब्द नहीं है । योगी अब राजनीति का एजेंडा तय कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने ही ‘बटोगे तो कटोगे’ का नारा दिया जिसे बाद में पूरी भाजपा ने अपना लिया। उनका यह नारा अब धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया है। अब ये सिर्फ भाजपा का नारा नहीं रह गया है, ये पूरे हिन्दू समाज की आवाज बन गया है। मुझे लगता है कि ये नारा बहुत दूर तक जाने वाला है । उन्होंने बांग्लादेश, संभल, ज्ञानवापी और अयोध्या के दंगाइयों की बात करते हुए कहा कि सबका डीएनए एक है । योगी ने दिखा दिया है कि हिन्दू और हिंदुत्व की बात करते हुए उन्हें किसी किस्म का डर नहीं है और न ही किसी किस्म की शर्म है । मामला अदालत में चल रहा है, इसके बावजूद वो ये कहने से नहीं हिचके कि जुमे की नमाज से पहले जो मस्जिद में तकरीर की गई, उसके कारण दंगा हुआ । यही योगी की पहचान है. जब उन्होंने राजनीति शुरू की थी, तब ही बोल दिया था कि मैं हिन्दू हूं और ईद नहीं मनाता । इसके बावजूद उनके प्रशासन की विशेषता यह है कि उन्होंने कभी धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया है । उनके शासन में यूपी सरकार की किसी भी योजना में मुस्लिमों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है । लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कहा था कि यूपी में मुस्लिमों की जनसंख्या बीस प्रतिशत है और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ चालीस प्रतिशत के करीब मिल रहा है । योगी जब बोलते हैं तो वो राजनीतिक लाभ-हानि को देखकर नहीं बोलते क्योंकि सत्ता का मोह उनको नहीं है । योगी कहते हैं कि औरंगजेब और बाबर भारत की पहचान नहीं हैं, भारत की पहचान राम-कृष्ण और गौतम बुद्ध हैं । भारत बाबर और औरंगजेब को अपना आदर्श नहीं मान सकता, भारत तो राम-कृष्ण और गौतम बुद्ध के रास्ते पर ही चलेगा । मस्जिदों के नीचे मंदिर ढूढंने की बात पर वो कहते हैं कि मंदिरों को तोड़कर उनकी जमीन पर मंदिरो के मलबे से मस्जिदों का निर्माण क्यों हुआ, इसका जवाब मुस्लिम समुदाय और सेक्युलरों को देना चाहिए । उनके कहने का मतलब यही है कि यह करतूत इसलिए की गई है ताकि हिन्दुओं को अपमानित किया जा सके । योगी की एक विशेषता यह है कि वो अपनी बात बेहद स्पष्ट तरीके से सरल भाषा में कहते हैं ताकि उनकी बात जनता तक पहुंच सके । वो जानते हैं कि जनता जटिलताओं को नहीं समझती । वो भाजपा के नेताओं को समझा रहे हैं कि जटिल भाषा और छुपा कर बोलने से कुछ नहीं होने वाला, खुलकर बोलना होगा तभी आम जनता तक बात पहुंचेगी । योगी कानून के अनुसार काम करते हैं । उन्होंने कानूनी तरीके से सिर्फ अवैध संपत्तियों को ही गिराया है । यही कारण है कि जिन लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाया गया है उनकी हिम्मत अदालत जाने की नहीं हुई । विपक्ष को समझ नहीं आ रहा है कि वो योगी के हमलों पर क्या प्रतिक्रिया दे और कैसे दे । उनके तर्कों और तथ्यों की काट विपक्ष के पास नहीं है इसलिये इधर-उधर की बात करके उन पर हमला किया जाता है । योगी राजनीति में एक बड़ी लकीर खींच रहे हैं, जिसके सामने दूसरे नेताओं की लकीर बहुत छोटी नजर आ रही है । उनके भाषण के दौरान पूरा विपक्ष बिल्कुल चुप था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो इसका क्या जवाब दे । इसके अलावा अगर किसी नेता ने कोई सवाल उठाया भी तो उन्होंने उसका करारा जवाब दिया । उन्होंने मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति पर करारा प्रहार किया है और स्पष्ट कर दिया है कि वो हिंदुत्व की राजनीति करेंगे, चाहे कोई कुछ भी बोलता रहे । विपक्ष के लिए समस्या यह है कि वो मोदी जी के जाने का इंतजार कर रहा है लेकिन उसे अब डर लग रहा है कि मोदी के जाने के बाद अगर योगी सत्ता में आ गए तो उसकी मुश्किल बहुत बढ़ने वाली है । मोदी विपक्ष के हमले को सहन कर लेते हैं लेकिन योगी हर हमले का जवाब देते हैं । शायद यही कारण है कि भाजपा समर्थक योगी के आने का इंतजार कर रहे हैं । वास्तव में योगी हिन्दू मन की बात कह रहे हैं। वो हिंदुओं की आवाज बन चुके हैं जिसे अभी तक धर्मनिरपेक्षता के नाम पर दबाया गया है। योगी में हर हिन्दू खुद को देख रहा है, ये आने वाले समय में विपक्ष की बड़ी समस्या बनेगी। राजेश कुमार पासी Read more » योगी की आक्रामकता योगी की आक्रामकता पर विपक्ष खामोश क्यों
राजनीति क्या ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक को लेकर सरकार असमंजस में है ? December 17, 2024 / December 17, 2024 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे वन नेशन वन इलेक्शन बिल को संसद में पेश करने को लेकर सरकार असमंजस में है। पहले रिपोर्ट आई कि सरकार की ओर से केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल सोमवार (16 दिसंबर) को इसे लोकसभा में पेश करेंगे हालाँकि, सोमवार को लोकसभा की संशोधित कार्य सूची में इस विधेयक का नाम शामिल नहीं किया […] Read more » Is the government confused about the ‘One Nation One Election’ bill one nation one election वन नेशन वन इलेक्शन
राजनीति निरर्थक चर्चा से संविधान का अपमान हुआ December 17, 2024 / December 17, 2024 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment राजेश कुमार पासी लोकसभा में 13-14 दिसम्बर और राज्यसभा में 16-17 दिसम्बर को संविधान पर चर्चा हुई है । पक्ष-विपक्ष के सांसदों ने इस चर्चा में भाग लिया लेकिन उनके भाषणों में संविधान कहीं नहीं था । इन सांसदों ने जब भी संविधान का नाम लिया तो वो भी अपने विरोधियों पर हमला करने के […] Read more » The Constitution was insulted by meaningless discussion. निरर्थक चर्चा से संविधान का अपमान हुआ