सीजफायर पर रजामंदी, जारी  आर्थिक “मोर्चाबंदी”, पाक के लिए भारतीय बंदरगाह एवं एयर स्पेस बंद

प्रदीप कुमार वर्मा

कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में आतंकवाद पर कड़े प्रहार के लिए “ऑपरेशन सिंदूर” चला कर आतंकी तथा उनके आकाओं को करारा जवाब दिया है। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़े अघोषित युद्ध के बाद तीन दिन में ही दोनों देशों के बीच सीजफायर पर रजामंदी हो गई है लेकिन भारत ने आतंकवादी गतिविधियों की साजिश एवं साथ देने के चलते पाकिस्तान के विरुद्ध की गई प्रभावी आर्थिक “मोर्चाबंदी” अभी जारी है। भारत द्वारा पाकिस्तान  से आयात तो निर्यात पर लगाई रोक जारी है। वहीं, भारत के एयर स्पेस और भारत के बंदरगाहों पर पाकिस्तान के जलपोतों पर भी लगाई गई पाबंदी भी फिलहाल लागू है। इसके बाद पहले से ही आर्थिक संकट जल रहे पाकिस्तान में अब आर्थिक हालत ज्यादा खराब होने तय हैं। यही नहीं, भारत के आवाम ने पाकिस्तान का सहयोग देने वाले तुर्कीए और अजरबैजान के विरुद्ध भी आर्थिम मोर्चा खोल दिया है।

      भारत और पाकिस्तान के बीच वैसे व्यापार बहुत ज्यादा नहीं है। साल 2019 में हुए पुलवामा हमले के बाद इसमें और कमी आई थी। दोनों देशों ने एक-दूसरे के साथ व्यापार को लेकर कई बैन लगाए लेकिन कुछ आवश्यक वस्तुओं का लेन-देन दोनों देशों के बीच होता रहता है। यह ज्यादातर तीसरे देशों जैसे दुबई या सिंगापुर के रास्ते होता है। बताते चलें कि साल 2023-24 में भारत ने पाकिस्तान से 3 मिलियन डॉलर का आयात किया था जबकि 1.2 अरब डॉलर का निर्यात किया था। साल 2024 में भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार 127 फीसदी की बंपर बढ़ोतरी के साथ 1.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था।  भारत पाकिस्तान से कई चीजें आयात करता है। इसमें ड्राई फ्रूट्स, तरबूज और अन्य फल, सीमेंट, सेंधा नमक, पत्थर, चूना, मुल्तानी मिट्टी, चश्मों का ऑप्टिकल्स, कॉटन, स्टील, कार्बनिक केमिकल्स, चमड़े का सामान आदि शामिल हैं।

       पाकिस्तान से आयात बैन होने के कारण अब वहां से न तो ड्राई फ्रूट्स आएंगे और न सेंधा नमक। भारत में सेंधा नमक का इस्तेमाल व्रत के समय काफी मात्रा में किया जाता है। भारत भी पाकिस्तान को कई चीजें एक्सपोर्ट करता है। इसमें जैविक और अजैविक केमिकल, दवाइयां, कृषि उत्पाद, कपास और सूती धागा, चीनी, मिठाइयां, प्लास्टिक, मशीनरी आदि शामिल हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार पर बैन लगने के कारण अब भारत पाकिस्तान को न तो दवाइयां भेज पाएगा और न ही चीनी। भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे ज्यादा व्यापार अटारी और बाघा बॉर्डर के  जरिए होता है। पहलगाम पर हुए आतंकी हमले का बदला लेने के लिए उठाए गए कदमों में भारत द्वारा इस बार्डर को बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तानी झंडे वाले शिप की देश में एंट्री पर भी बैन लगाया है। इसके बाद समुद्री रास्ते से व्यापार बंद है।

       भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान से आने वाले किसी भी प्रकार के डाक और पार्सल सेवाओं पर लगाई रोक जारी है। पहलगाम हमले के बाद में  भारत ने पाकिस्तान के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर रखा है। पाकिस्तान का साथ देने वाले तुरकिए और अजरबैजान के विरुद्ध भी भारतीयों ने अब “आर्थिक मोर्चाबंदी” शुरू कर दी है। सोशल मीडिया  पर बीते तीन चार दिन से बायकॉट तुर्कीए एंड अजरबैजान ट्रेंड कर रहा है। भारत के लोगों के गुस्से का आलम यह है कि भारतीयों ने अपनी तुरकिए की यात्रा रद्द कर दी है। भारतीयों में तुर्कीए के खिलाफ आक्रोश सिर्फ यात्रा तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि भारत का हर वर्ग अब तुर्कीए को इसकी सजा देने को तैयार है। देश के व्यापारियों ने भी तुर्कीए के सामानों के आयात से मनाही कर दी है। इसमें तुर्की से सेब, ग्रेनाइट मार्बल समेत अन्य सामान खरीदने बंद कर दिए हैं। वहीं, आम लोगों ने भी तुर्कीए और अजरबैजान घूमने के लिए किए टिकट कैंसिल करवा दिए हैं।

        भारत-पाकिस्तान में तनाव के बीच भारतीय व्यापारियों में तुर्किये के रुख को लेकर नाराजगी है। राजस्थान, दिल्ली, यूपी से लेकर महाराष्ट्र तक व्यापारियों ने तुर्किये के सामान का विरोध किया है।

भारत का मार्बल हब कहे जाने वाले उदयपुर के व्यापारियों ने एक आपात बैठक बुलाकर तुरकिए से मार्बल का आयात बंद करने का फैसला किया है। वहीं, पुणे के व्यापारियों ने भी अब तुर्कीए से सेब की खरीद नहीं करने का ऐलान किया है। व्यापारियों का कहना है कि तुर्किए ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के दौरान पाकिस्तान को ड्रोन भेजे। इन्हीं ड्रोन्स से पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया। इसलिए भारत विरोधी रुक अपनाने वाले तुर्किए से कोई व्यापार नहीं किया जाएगा।  उधर,भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच जवाहर लाल यूनिवर्सिटी ने तुर्किये की इनोनू यूनिवर्सिटी के साथ करार खत्म कर दिया है। आर्थिक मामलों के जानकारों द्वारा यह माना जा रहा है कि भारतीयों के इस कदम से तुर्कीए और अजरबेजान के पर्यटन एवं उद्योग पर काफी असर पड़ सकता है।

प्रदीप कुमार वर्मा

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